What is intraday trading How do you make more money by trading for few hours or single day?
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है आप कुछ घंटों या सिंगल डे ट्रेडिंग करके कैसे ज्यादा पैसा कमाते हैं?
- Tips For Intra Day Trading -
Intraday Trading |
शेयर बाजार ऐसी जगह है जहाँ 1 दिन के कारोबार में अच्छा मुनाफा हो सकता है एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर ख़रीदने और बेचने को Intra Day ट्रेडिंग कहते है यहां जो शेयर खरीदा जाता है उसे निवेश करना नहीं समझना चाहिए एक दिन में उसमे होने वाली बढ़त को मुनाफा कमाना कहा जाता है ध्यान रखने वाली बात यह है कि जरूरी नहीं की यहां निवेशकों को हमेशा फायदा ही मिले!
शेयर बाजार में डे-ट्रेडिंग करना चाहते है तो इसके लिए निवेशक के पास डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट OPEN करवाना जरूरी होता है अकाउंट open होने के बाद निवेशक खुद से या ब्रोकर को फोन पर आर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते है या निवेशक ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते है इंट्राडे में किसी भी शेयर में आप चाहे पैसा लगा सकते है इसके लिए किसी मिनिमम राशि की जरूरत नहीं पड़ती है!
स्टॉक में निवेश से पहले जरूरी है ये जानकारी
Intra Day Trading |
- निवेशक को शेयर का चुनाव करने से पहले उस शेयर के बारे में अच्छे से रिसर्च कर लें शेयर के बारे में एक्सपर्ट की क्या राय है जरूर देखे जरूरत पड़ने पर सलाह जरूर लें!
- निवेशक जिस किसी शेयर में पैसे लगाने जा रहा है उस शेयर का लक्ष्य और स्टॉप लॉस तय करें लक्ष्य पूरा होते दिखे तो मुनाफा वसूली कर लें! जरूरी है कि मुनाफा बुक होते ही निकल जायें!
- निवेशक को शेयर का चुनाव करने से पहले बाजार का ट्रेंड क्या है उसी ट्रेंड को फॉलो करें ना कि ट्रेंड के खिलाफ निवेश करें!
- जरूरी जानकारी सिर्फ लिक्विड स्टॉक में निवेश करें और इंट्राडे के लिये ऐसे 2 या 3 स्टॉक ही चुनें!
- एक्सपर्ट हमेशा वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहने की सलाह देते है!
(Discliamer: हम यहां अलग इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? अलग ब्रोकरेज हाउस की वेबसाइट या एक्सपर्ट द्वारा दी जाने वाली सलाह के बाद इंट्राडे कारोबार के बारे में जानकारी दी है . यह निवेश इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? की सलाह नहीं है . शेयर बाजार के अपने जोखिम होते हैं , इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें .)
Share Market Earning: शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना लगता है टैक्स, जानें क्या हैं नियम
शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सिर्फ ज्यादा से ज्यादा कमाई के बारे में नहीं सोचें. बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 22 Jul 2021 09:41 PM (IST)
Share Market Earning: शेयर बाजार में अगर आपका निवेश का इरादा है तो ऐसा जरूर करें लेकिन उससे पहले शेयर बाजार से जुड़ी सभी जानकारियां हासिल जरूर कर लें. शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सिर्फ ज्यादा से ज्यादा कमाई के बारे में नहीं सोचें. बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? वाली इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? कमाई पर कितना टैक्स देना होता है. हम आपको बता रहे हैं कि शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है और इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? कैसे.
इंट्रा-डे ट्रेडिंग
- एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है.
- इंट्रा-डे ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहते हैं.
- फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहा जाता है.
कितना देना होगा टैक्स
- इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
- 5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
- इससे ज्यादा की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
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- 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है.
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है.
- कुल कमाई 5 लाख रुपये तक होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
- इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
- 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है, इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है?
- इससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स लगता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं.
- अगर आपकी कुल कमाई 5 लाख रुपये तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना है.
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Published at : 22 Jul 2021 09:38 PM (IST) Tags: Share Market Stock Market income tax Tax income हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) करने से पहले इन बातो का रखे ध्यान - Intraday Trading for Beginners in Hindi
शेयर मार्किट एक ऐसी जगह है जहा लोग अपना पैसा इन्वेस्ट करके एक अच्छा मुनाफ़ा लेते है किन्तु शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करने का अलग अलग तरिका होता है । जिसमे से एक तरिका है इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) । इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) करना शेयर मार्किट में नए लोगो के लिए काफी कठिन होता है क्यूंकि अगर आपको इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) के बारेमे कुछ पता नही है तो यह आपको नुकशान भी करवा सकता है ।
- इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) क्या है ?
इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) एक दिन में शेयर खरीद कर बेचने का ट्रेडिंग होता है मतलब की आप शेयर मार्किट सुबह शुरू होने के बाद आप कोई भी शेयर लेते है और मार्किट बंध होने से पहले उसी दिन आप उस शेयर को बेच देते है आपको शेयर का मुनाफ़ा या नुकशान उस्सी दिन लेकर शेयर को बेचना होता है जो एक ही दिन में करना पड़ता है वो भी मार्किट शुरू होने से बंध होने तक जिसको इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) कहते है।
- इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) में इन बातो का रखे ध्यान
- शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग का टाइम सुबह 9:15 से दोपहर 3:30 का होता है जिस टाइम में आपको शेयर की खरीदी और बिकवाली करनी है
- इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) में आपको एक दिन में ही खरीदी और बिकवाली करनी है अगर आप अपनी पोजीशन मार्किट बंध होने से पहले बंध नही करते तो आपको उसमे पेनाल्टी भी लग सकती है
- इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) में आपको अपने मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर लगातार अपने शेयर पर नज़र रखनी पड़ेगी
- आपको ऐसे शेयर select करने है जिसमे ज्यादा volatility (उतार-चढ़ाव) रहते हो ताकि जब आपका शेयर आपकी खरीदी हुई किमात से उप्पर जाए तो आप अपना प्रॉफिट लेके जल्दी से निकल सके
- आपको यह बात का पता होना चैये की इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) में नुकशान भी हो सकते है तो इसलिए आपको अपने लिए गए शेयर के पहले से ही नुकशान की सीमा तय करनी चाहिए
- आपको किसी भी शेयर में उतना ही invest करना चाहिए जितना आप नुकशान भी जेल सके
- अपना टारगेट (target) और स्टॉप लोस (stoploss) आर्डर लगाते वक्त तय करे |
अगर आपको टारगेट (target) और स्टॉप लोस (stoploss) के बारेमे पता नही है जो ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे " टारगेट (target) और स्टॉप लोस (stoploss)"
आपको यह जानकारी पसंद आही हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे और अपना सुजाव कोमेंट करके ज़रूर दे |
इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading) करने से पहले इन बातो का रखे ध्यान - Intraday Trading for Beginners in Hindi Reviewed by Share Market Help on मार्च 03, 2021 Rating: 5
शेयर बाजार से रिटेलर का मोहभंग, छोड़कर भागने वालों ने तोड़ दिया 5 साल का रिकॉर्ड!
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर उपलब्ध 31 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम होकर 34.7 फीसदी रह गई है. यह कम से कम पिछले पांस साल का सबसे निचला स्तर है. जून महीने का आंकड़ा सामने आने पर इसमें और गिरावट के अनुमान जाहिर किए जा रहे हैं.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 06 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 06 जुलाई 2022, 7:21 PM IST)
- नवंबर से बाजार में हो रही है बिकवाली
- अभी बाजार पर मंदी की आशंका का प्रेशर
अमेरिका (US Market) और यूरोप जैसे बाजारों (Europe Market) की तुलना में भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में रिटेल इन्वेस्टर्स (Retail Investors) की भागीदारी पारंपरिक रूप से कम रही है. कोरोना महामारी के बाद से इस स्थिति में बदलाव आता दिख रहा था, जब रिकॉर्ड संख्या में डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुल रहे थे. हालांकि जैसे ही बाजार पिछले साल नवंबर से बिकवाली की चपेट में आया, रिटेल इन्वेस्टर्स बाजार से बाहर निकलने लगे. इस कारण घरेलू शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम होकर मई 2022 में पांच साल के निचले स्तर पर आ गई.
जून में भागीदारी और गिरने की आशंका
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर उपलब्ध 31 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम होकर 34.7 फीसदी रह गई है. यह कम से कम पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है. जून महीने का आंकड़ा सामने आने पर इसमें और गिरावट के अनुमान जाहिर किए जा रहे हैं. जून महीने में घरेलू बाजार काफी वोलेटाइल रहा था और इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम रही थी. इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि जून महीने के दौरान औसत डेली टर्नओवर में कम से कम 20 फीसदी की गिरावट आई.
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इतना कम हो गया खुदरा निवेशकों का हिस्सा
एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में अभी तक कैपिटल मार्केट (Capital Market) में रिटेल इन्वेस्टर्स का हिस्सा कम होकर 37 फीसदी पर आ गया है. यह 2016-17 के बाद से सबसे कम है. उस समय यह हिस्सा 36 फीसदी था. पिछले कुछ महीने के दौरान रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी में लगातार गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण बाजार की हालिया गिरावट है. इसके अलावा इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra-Day Trading) के नियमों को सख्त किए जाने से भी भागीदारी पर असर हुआ है. दूसरी ओर वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) समाप्त होने के बाद ऑफिसेज खुलने से भी लोगों को अब बाजार में बिताने के लिए कम समय मिल पा रहा है.
इन कारणों से बढ़ी थी रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी
इससे पहले कोरोना महामारी के बाद रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या तेजी से बढ़ी थी. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 से मई 2022 के दौरान डीमेट अकाउंट रिकॉर्ड तेजी से खुले. सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) के पास रिटेल इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट की संख्या इस दौरान 3.4 गुना हो गई, जबकि नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के पास इनकी संख्या 1.5 गुना हो गई. लॉकडाउन, बाजार में रैली और मोबाइल बेस्ड ट्रेडिंग ऐप की बाढ़ के चलते रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए इन्ट्रा डे ट्रेडिंग क्या है? बाजार की पहुंच आसान होने से ऐसा हो रहा था. इस कारण 2020-21 में मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 45 फीसदी के पार निकल गई थी.
Margin Rule To Change From Today: आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू, जानिए- सेबी ने क्यों किया बदलाव?
Margin Rule To Change From Today: शेयर बाजार में इंट्रा डे ट्रेडिंग और फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू हो गया है.
Published: September 1, 2021 9:54 AM IST
Margin Rule To Change From Today: सेबी ने 1 सितंबर यानी आज से पीक मार्जिन के नियमों में बदलाव कर दिया है. आज से ट्रेडिंग के लिए 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखने की जरूरत होगी. पहले यह सिर्फ 75 फीसदी था. यानी शेयर खरीदने या बेचने के लिए 75 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत थी. आज से इंट्राडे पोजीशन में भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी.
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जानिए – 100 फीसदी मार्जिन रूल का ट्रेडर्स पर क्या होगा असर?
फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) में ट्रेडिंग करने वालों को अब मार्जिन के तौर पर ज्यादा फंड रखना होगा. अब पीक मार्जिन के तौर पर 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखना होगा. एक ही दिन में शेयर खरीदकर बेचने वाले यानी इंट्राडे करने वालों को भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी. पहले 75 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट की जरूरत होती थी.
आसान शब्दों में कहें तो अगर कोई ट्रेडर 10 लाख रुपये का निफ्टी कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है तो अब उसे बतौर 20 फीसदी मार्जिन 2 लाख रुपये रखना होगा. लेकिन पहले सिर्फ 1.50 लाख रुपये मार्जिन रखने की जरूरत होती थी.
जानिए- क्या है पीक मार्जिन?
पिछले साल तक कारोबारी सत्र के अंत में मार्जिन वसूला जाता था. उदाहरण के तौर पर अगर आपने कल एक करोड़ रुपये F&O में निवेश किया तो आज के मार्केट सत्र में भी अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते थे. पुराने सिस्टम में एक करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश पर अलग से कोई मार्जिन नहीं चुकाना पड़ता था. यानी कल के मार्केट सत्र से लेकर आज के मार्केट सत्र के बीच सिर्फ एक करोड़ रुपये के मार्जिन पर आप 2 करोड़ रुपये F&O में निवेश कर सकते थे. लेकिन नए नियम के मुताबिक, आपको अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर भी मार्जिन देना होगा.
सेबी ने पीक मार्जिन सिस्टम पिछले साल लागू किया था. इसे चार चरणों में लागू किया गया है. पहले चरण में अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर 25% मार्जिन वसूला गया. दूसरे चरण में 50 फीसदी, तीसरे चरण में 75 फीसदी और चौथा चरण 1 सितंबर से लागू हो गया. इसमें 100 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन चुकाना होगा.
सेबी ने क्यों किया बदलाव?
बाजार के बदलते पहलुओं को देखते हुए सेबी ने ये रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क बनाया है. इसे फ्रेमवर्क को बनाने के लिए सेबी ने रिस्क मैनेजमेंट रिव्यू कमिटी (RMRC) के साथ मशविरा किया था. हालांकि ब्रोकर्स संगठन ANMI इस बदलाव से खुश नहीं है और इसमें कई बदलाव की मांग कर रहे हैं.
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