शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज
How to open a Demat Account : डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसके लिए सबसे पहले आपको एर फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है. जिसके बाद ई वेरिफिकेशन होता है. ये प्रोसेस पूरी होते ही आपका डीमैट खाता खुल जाता है.
Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.
तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
क्या होता है डीमैट खाता
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जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.
डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.
कैसे खोलें डीमैट खाता
- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.
- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.
- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है बुलवाएं.
- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.
- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.
कौन खोलेगा डीमैट खाता
इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.
जरूरी शर्तें
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.
Demat account: ऑनलाइन ट्रेडिंग करना चाहते हैं, ऐसे ओपन करें डीमैट अकाउंट
How to open demat account: अगर आप शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट्स में सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको एक डीमैट अकाउंट खोलना पड़ेगा।
- आप स्टॉक मार्केट्स में सीधे इन्वेस्ट करना चाहते हैं या ऑन लाइन ट्रेडिंग करना चाहते हैं?
- आपको एक बैंक अकाउंट, एक ट्रेडिंग अकाउंटऔर एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी
- डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको कई दस्तावेज देने पड़ेंगे
यदि आप इक्विटी मार्केट्स या स्टॉक मार्केट्स (Stock market) में सीधे इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको एक डीमैटरियलाइजेशन या डीमैट ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है अकाउंट (demat account) खोलना पड़ेगा। डीमैट अकाउंट में आपके फाइनेंसियल सिक्योरिटीज (Financial securities) एक इलेक्ट्रॉनिक रूप में रहते हैं। यदि आप एक इक्विटी इन्वेस्टर हैं तो अपने इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स खरीदने, खरीदकर रखने और बेचने के लिए आपको एक बैंक अकाउंट, एक ट्रेडिंग अकाउंट, और एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी। एक ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स, डिजिटल रूप में डीमैट अकाउंट में रहते हैं। NSDL और CDSL, भारत में ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है डीमैट अकाउंट्स को मेन्टेन करने वाले दो सरकारी डिपोजिटरी संगठन या भागीदार हैं। आपका ब्रोकरेज फर्म, उनमें से एक के साथ मिलकर आपके लिए एक डीमैट अकाउंट खोलेगा।
डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने का तरीका
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए, आपको पहचान, पता, इनकम इत्यादि के प्रमाण, बैंक अकाउंट, अपने पैन की कॉपी, और पासपोर्ट साइज फोटो देने पड़ेंगे। आप अपने पहचान के प्रमाण के रूप में पैन के साथ-साथ किसी भी ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है सरकारी पहचान-पत्र जैसे ड्राइवर्स लाइसेंस, पासपोर्ट, या वोटर आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। पते के प्रमाण के रूप में, आप सरकारी पहचान-पत्र जैसे पासपोर्ट, वोटर आईडी, यूटिलिटी बिल, हालिया बैंक अकाउंट स्टेटमेंट्स या पासबुक्स, या किसी अन्य अनुमोदित प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकम प्रूफ के लिए, आपको अपने हालिया इनकम टैक्स रिटर्न्स की कॉपी, सैलरी का प्रमाण जैसे सैलरी स्लिप्स की जरूरत पड़ेगी।
एक डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने के लिए स्टेप्स:-
- एक डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) का चुनाव करें। यह अपनी इन-हाउस ऑनलाइन ट्रेडिंग सेवाएं देने वाला आपका बैंक, या कोई ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म भी हो सकता है।
- एक DP का चुनाव करने के बाद, आपको अपने हालिया पासपोर्ट साइज फोटो के साथ एक एप्लीकेशन फॉर्म भरना पड़ेगा।
- DP को एप्लीकेशन चार्ज का पेमेंट करें।
- भरे गए फॉर्म के साथ आपको अपनी पहचान और पते की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेजों की फोटोकॉपियां भी अटैच करनी पड़ेंगी।
- डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) आपको एक एग्रीमेंट कॉपी देगा जिसमें आवश्यक शुल्कों और अन्य नियमों एवं विनियमों का विवरण होगा। आपको उन्हें अच्छी तरह पढ़ने के बाद एग्रीमेंट पर साइन करना पड़ेगा।
- पका अकाउंट खोलने के लिए, DP, आपका इन-पर्सन वेरिफिकेशन करेगा। DP द्वारा संपर्क किए जाने पर आपको सभी संबंधित विवरण देंगे होंगे।
- सफलतापूर्वक आपका फॉर्म वेरीफाई और प्रोसेस होने के ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है बाद आपको एक अकाउंट नंबर या क्लाइंट आईडी मिलेगी। आप इनका इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन डीमैट अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं।
डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने से पहले, उससे जुड़े शुल्कों के साथ-साथ उसकी एनुअल फीस के बारे में भी जान लें। अपने ब्रोकरेज फर्म के जरिए ऑनलाइन ट्रेडिंग करने पर, आपके सर्विस कॉन्ट्रेक्ट में बताए गए अनुसार हर लेनदेन पर कुछ शुल्क लगता है। इसके अलावा आपको कुछ अन्य शुल्क भी देने पड़ सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:-
अन्य आम शुल्क (सांकेतिक)
- NSE ट्रांजैक्शन चार्ज - टर्नओवर वैल्यू का 0.00325%
- BSE ट्रांजैक्शन चार्ज- टर्नओवर वैल्यू का 0.003%
- स्टाम्प ड्यूटी-डिलीवरी- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.010% (राज्यवार – महाराष्ट्र)
- स्टाम्प ड्यूटी - स्क्वायर ऑफ- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.002% (राज्यवार – महाराष्ट्र)
- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स – डिलीवरी- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.1%
- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स - स्क्वायर ऑफ- खरीद और बिक्री साइड की औसत दर पर 0.025%
- ब्रोकरेज पर GST- 18%
ये आंकड़ें, 6 मई 2020 को संबंधित स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी की वेबसाइट से लिए गए थे। ये आंकड़ें, सांकेतिक हैं और पूरे नहीं हैं। कंपनी द्वारा ऑफर किए जाने वाले प्लान के प्रकार के आधार पर ये शुल्क भिन्न हो सकते हैं। BankBazaar.com द्वारा संकलित किया गया है।
(यह लेख बैंकबाजार के सौजन्य से हैं)
( डिसक्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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Demat account: ऑनलाइन ट्रेडिंग करना चाहते हैं, ऐसे ओपन करें डीमैट अकाउंट
How to open demat account: अगर आप शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट्स में सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको एक डीमैट अकाउंट खोलना पड़ेगा।
- आप स्टॉक मार्केट्स में सीधे इन्वेस्ट करना चाहते हैं या ऑन लाइन ट्रेडिंग करना चाहते हैं?
- आपको एक बैंक अकाउंट, एक ट्रेडिंग अकाउंटऔर एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी
- डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको कई दस्तावेज देने पड़ेंगे
यदि आप इक्विटी मार्केट्स या स्टॉक मार्केट्स (Stock market) में सीधे इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको एक डीमैटरियलाइजेशन या डीमैट अकाउंट (demat account) खोलना पड़ेगा। डीमैट अकाउंट में आपके फाइनेंसियल सिक्योरिटीज (Financial securities) एक इलेक्ट्रॉनिक रूप में रहते हैं। यदि आप एक इक्विटी इन्वेस्टर हैं तो अपने इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स खरीदने, खरीदकर रखने और बेचने के लिए आपको एक बैंक अकाउंट, एक ट्रेडिंग अकाउंट, और एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी। एक ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स, डिजिटल रूप में डीमैट अकाउंट में रहते हैं। NSDL और CDSL, भारत में डीमैट अकाउंट्स को मेन्टेन करने वाले दो सरकारी डिपोजिटरी संगठन या भागीदार हैं। आपका ब्रोकरेज फर्म, उनमें से एक के साथ मिलकर आपके लिए एक डीमैट अकाउंट खोलेगा।
डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने का तरीका
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए, आपको पहचान, पता, इनकम इत्यादि के प्रमाण, बैंक अकाउंट, अपने पैन की कॉपी, और पासपोर्ट साइज फोटो देने पड़ेंगे। आप अपने पहचान के प्रमाण के रूप में पैन के साथ-साथ किसी भी सरकारी पहचान-पत्र जैसे ड्राइवर्स लाइसेंस, पासपोर्ट, या वोटर आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। पते के प्रमाण के रूप में, आप सरकारी पहचान-पत्र जैसे पासपोर्ट, वोटर आईडी, यूटिलिटी बिल, हालिया बैंक अकाउंट स्टेटमेंट्स या पासबुक्स, या किसी अन्य अनुमोदित प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकम प्रूफ के लिए, आपको अपने हालिया इनकम टैक्स रिटर्न्स की कॉपी, सैलरी का प्रमाण जैसे सैलरी स्लिप्स की जरूरत पड़ेगी।
एक डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने के लिए स्टेप्स:-
- एक डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) का चुनाव करें। यह ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है अपनी इन-हाउस ऑनलाइन ट्रेडिंग सेवाएं देने वाला आपका बैंक, या कोई ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म भी हो सकता है।
- एक DP का चुनाव करने के बाद, आपको अपने हालिया पासपोर्ट साइज फोटो के साथ एक एप्लीकेशन ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है फॉर्म भरना पड़ेगा।
- DP को एप्लीकेशन चार्ज का पेमेंट करें।
- भरे गए फॉर्म के साथ आपको अपनी पहचान और पते की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेजों की फोटोकॉपियां भी अटैच करनी पड़ेंगी।
- डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) आपको एक एग्रीमेंट कॉपी देगा जिसमें आवश्यक शुल्कों और अन्य नियमों एवं विनियमों का विवरण होगा। आपको उन्हें अच्छी तरह पढ़ने के बाद एग्रीमेंट पर साइन करना पड़ेगा।
- पका अकाउंट खोलने के लिए, DP, आपका इन-पर्सन वेरिफिकेशन करेगा। DP द्वारा संपर्क किए जाने पर आपको सभी संबंधित विवरण देंगे होंगे।
- सफलतापूर्वक आपका फॉर्म वेरीफाई और प्रोसेस होने के बाद आपको एक अकाउंट नंबर या क्लाइंट आईडी मिलेगी। आप इनका इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन डीमैट अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं।
डीमैट अकाउंट (demat account) खोलने से पहले, उससे जुड़े शुल्कों के साथ-साथ उसकी एनुअल फीस के बारे में भी जान लें। अपने ब्रोकरेज फर्म के जरिए ऑनलाइन ट्रेडिंग करने पर, आपके सर्विस कॉन्ट्रेक्ट में बताए गए अनुसार हर लेनदेन पर कुछ शुल्क लगता है। इसके अलावा आपको कुछ अन्य शुल्क भी देने पड़ सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:-
अन्य आम शुल्क (सांकेतिक)
- NSE ट्रांजैक्शन चार्ज - टर्नओवर वैल्यू का 0.00325%
- BSE ट्रांजैक्शन चार्ज- टर्नओवर वैल्यू का 0.003%
- स्टाम्प ड्यूटी-डिलीवरी- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.010% (राज्यवार – महाराष्ट्र)
- स्टाम्प ड्यूटी - स्क्वायर ऑफ- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.002% (राज्यवार – महाराष्ट्र)
- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स – डिलीवरी- सिक्योरिटी वैल्यू पर 0.1%
- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स - स्क्वायर ऑफ- खरीद और बिक्री साइड की औसत दर पर 0.025%
- ब्रोकरेज पर GST- 18%
ये आंकड़ें, 6 मई 2020 को संबंधित स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी की वेबसाइट से लिए गए थे। ये आंकड़ें, सांकेतिक हैं और पूरे नहीं हैं। कंपनी द्वारा ऑफर किए जाने वाले प्लान के प्रकार के आधार पर ये शुल्क भिन्न हो सकते हैं। BankBazaar.com द्वारा संकलित किया गया है।
(यह लेख बैंकबाजार के सौजन्य से हैं)
( डिसक्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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