'Long term capital gain tax'
वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की जद में म्यूचुअल फंड भी ला दिए, और अब इनकम टैक्स कटौती के बाद हाथ आने वाली अपनी तनख्वाह में से टैक्स-फ्री निवेश के विकल्प और भी घट गए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के शनिवार के उस भाषण के आधार पर यह अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि उन्होंने पूंजी बाजार पर टैक्स बढ़ाने का संकेत दिया है और वह चाहते हैं कि पूंजी बाजार के कारोबारियों समेत सभी वर्गों के लोगों को राष्ट्रीय खजाने में योगदान करना चाहिए.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर हो सकता है बड़ा फैसला, कई सुधार होंगे
मुंबई- एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लेकर बड़े बदलाव का ऐलान हो सकता है। इसे युक्तिसंगत बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा इंडेक्सेशन का लाभ देने के लिए आधार साल (बेस ईयर) में भी सुधार किया जा सकता है। अभी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और एलटीसीजी को लेकर नियम काफी जटिल है।
इक्विटी निवेशकों के लिए 12 महीने के बाद एलटीसीजी और उससे पहले शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है। अगर अचल संपत्ति को बेचा जाता है या फिर बिना सूचीबद्ध शेयर को बेचा जाता है तो 2 साल के बाद एलटीसीजी लगता है। इसी तरह ज्वैलरी और डेट वित्तीय साधनों के लिए 3 साल बाद एलटीसीजी लागू होता है। इन दोनों मामलों में 20 फीसदी का कर लगता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व विभाग कैपिटल गेन टैक्स में होल्डिंग अवधि और टैक्स दर को युक्तिसंगत बनाएगा। आखिरी बार साल 2017 में बेस ईयर में बदलाव किया गया था। वर्तमान में इंडेक्सेशन का लाभ 2001 के आधार पर मिल रहा है। बीते कुछ सालों में संपत्तियों की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हुई है, जिससे इंडेक्सेशन का बेस ईयर बदलना जरूरी हो गया है।
इसके अलावा कैपिटल गेन ढांचे को सरल बनाना भी सरकार की प्राथमिकता है। सरकार इसे करदाताओं के लिए आसान बनाना चाहती है। अभी चल और अचल दोनों तरह की संपत्ति बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट के निदेशक ओम राजपुरोहित ने कहा कि 2004 के बाद कैपिटल गेन टैक्स में कई बदलाव किए गए हैं। इससे यह काफी जटिल हो गया है। संभव है कि सरकार असेट क्लास को चल और अचल की श्रेणी में बांट दे और होल्डिंग पीरियड को भी इसके अनुरूप एक कर दे।
capital gain tax kya hota hai?
नागरिकों के रूप में हम करों का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। उदाहरण: संपत्ति कर, आयकर आदि। मैं आपके साथ कैपिटल गेन्स टैक्स के बारे में जानकारी साझा करूँगा । इससे आपको कैपिटल गेन टैक्स क्या है (capital gain tax kya hota hai) पर अच्छी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।
कैपिटल गेन टैक्स इन हिंदी :
एक वाक्य में, कैपिटल गेन लाभ से अर्जित ब्याज है। दो पूंजीगत लाभ हैं: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शार्ट टर्म कैपिटल गेन। आप किसी चल-अचल संपत्ति से मुनाफ़ा कमा सकते हैं। किसी पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से अर्जित लाभ पर भुगतान किया गया कर पूंजीगत लाभ कर के रूप में जाना जाता है। निवेशक शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन निवेश, आभूषण, म्युचुअल फंड या रियल एस्टेट संपत्ति की बिक्री के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अवधि के आधार पर, पूंजीगत लाभ या तो लॉन्ग टर्म या शार्ट टर्म हो सकता है।
कैपिटल गेन टैक्स के प्रकार :
कैपिटल गेन टैक्स दो प्रकार के होते हैं। दोनों प्रकार की परिभाषा नीचे दी गई है।
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स – कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से कम समय के लिए रखी जाती है, उसे शॉर्ट-टर्म एसेट कहा जाता है।
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स – कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से अधिक समय तक रखी जाती है, उसे लॉन्ग-टर्म एसेट कहा जाता है। ऐसी संपत्ति की बिक्री के माध्यम से अर्जित लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाएगा। जैसे शेयर, इक्विटी, यूटीआई इकाइयां, प्रतिभूतियां।
अब आप Capital gain tax meaning in hindi में समझ गए है तो टैक्स की दर के बारे में एक अनुमान प्राप्त करने के लिए नीचे दी गई तालिका पर एक नज़र डालें।
टैक्स | कर दर |
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स | 1 लाख रुपये पर और ऊपर 10% से अधिक । |
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स | 15% |
ऊपर दी गई कर की दर में परिवर्तन होना तय है। वास्तविक कर की दर बेची गई संपत्ति की कीमत और अर्जित लाभ पर निर्भर है। ऊपर दी गई गणना औसत दर है।मेरे उद्गार को पढ़ने के बाद, मुझे आशा है कि अब आप कैपिटल गेन टैक्स क्या है सकते है।
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Gold Gift Tax Rule: शादियों में गिफ्ट मिले सोने पर क्या लगता है टैक्स? सभी को जानना चाहिए ये नियम
शादियों से लेकर त्योहारों तक के मौके पर भारत में बड़ी मात्रा में गोल्ड की खरीदारी होती है. कुछ खास मौकों शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर लोगगोल्ड की ज्वैलरी गिफ्ट में भी देते हैं.म कुछ लोगों को सोने के गहने विरासत में भी मिलते हैं. इन सभी पर अलग-अलग स्थितियों में टैक्स लगता है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 15 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 15 दिसंबर 2022, 8:48 AM IST)
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां सोने (Gold) की खपत बड़ी मात्रा में होती है. शादियों से लेकर त्योहारों तक के मौके पर लोगो जमकर सोने की खरीदारी करते हैं. शादी-विवाह और जन्मदिन जैसे मौकों पर करीबी लोगों को गिफ्ट देने के लिए भी लोग सोने के गहनों को सबसे ज्यादा तरजीह देते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि गिफ्ट में दिए गए ऐसे सोने गहने टैक्सफ्री (Taxfree) नहीं होते. एक लिमिट के बाद इनके ऊपर इनपर टैक्स की देनदारी (Tax On Gift) बनती है.
टैक्स फ्री नहीं होते सभी गिफ्ट
टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट्स और Clear Tax के फाउंडर-सीईओ अर्चित गुप्ता बताते हैं कि कुछ ही मामलों में गिफ्ट में मिला सोना टैक्स फ्री होता है. अगर परिवार के सदस्य शादी या किसी अन्य मौके पर गिफ्ट में सोने के गहने देते हैं, तो ये टैक्स फ्री होते हैं. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत में मिलने वाली सोने की ज्वैलरी के ऊपर भी किसी तरह की टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. इस स्थिति में गहनों की मात्रा और कीमत की भी कोई लिमिट नहीं होती हैं. लेकिन जब आप ऐसे गहने को बेचने जाएंगे, तो टैक्स की देनदारी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन बन जाएगी.
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कैपिटल गेन की देनदारी
विरासत में मिले गोल्ड को अगर आप बेचते हैं, तो उसपर लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन की देनदारी बनती है. कैपिटल गेन की गणना होल्डिंग पीरियड के आधार पर होती है. होल्डिंग पीरियड में सोने की गणना इसके खरीदारी वाले दिन से की जाती है. मान लीजिए कि शादी पर आपकी मां ने सोने के गहने गिफ्ट किए.
उन्हें ये गहने उनकी शादी पर उनके पिता यानी आपके नाना ने दिए थे. नाना ने तब के समय में इन गहनों को एक लाख रुपये में खरीदा था. तो कैपिटल गेन की गणना के लिए गहनों की शुरुआती कीमत एक लाख रुपये मानी जाएगी. फिर मौजूदा कीमत में से एक लाख रुपये घटाकर कैपिटल गेन निकाला जाएगा, जिसके ऊपर आपको टैक्स देना होगा.
कितना लगेगा टैक्स?
कैपिटल गेन की दर होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करती है. अगर होल्डिंग पीरियड 36 महीने से अधिक है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. ये 20 शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन फीसदी है. अगर होल्डिंग पीरियड 36 महीने से कम होने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Short Term Capital Gain Tax) लगेगा. इसकी दर को तय करने के लिए गहने बेचने से प्राप्त हुई राशि को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाएगा. फिर आपकी इनकम जिस टैक्स स्लैब में आती है. उसी के मुताबिक आपको टैक्स देना होगा.
गिफ्ट में मिला गोल्ड टैक्स फ्री
शादी पर मिले सारे गिफ्ट भी टैक्स फ्री नहीं होते हैं. परिवार से बाहर के लोगों से मिलने वाले गिफ्ट एक सीमा तक ही टैक्स से मुक्त होते हैं. एक टैक्स असेसमेंट ईयर के दौरान 50 हजार रुपये तक की कीमत के गिफ्ट टैक्सफ्री होते हैं. अगर आपको एक साल में 50 रुपये से अधिक के गिफ्ट मिलते हैं, तो टैक्स की देनदारी बन जाती है. सभी गिफ्ट की वैल्यू मिलाकर यदि 50 हजार रुपये से अधिक हो गई तो टैक्स शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की देनदारी पूरी वैल्यू पर बनती है.
Tax Harvesting: इक्विटी पर टैक्स देनदारी कम करने का बेहतर तरीका, मुनाफे के साथ नुकसान भी करें एडजस्ट
Tax Harvesting: टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी में निवेश पर टैक्स देनदारी को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है.
मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. (Image- Pixabay)
Tax Harvesting: करीब डेढ़ महीने वैश्विक स्तर पर भारी तनाव के बावजूद इस वित्त वर्ष 2021-22 में 21 मार्च तक घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 15.7 फीसदी और निफ्टी 16.5 फीसदी मजबूत हुआ है. इस दौरान बीएसई मिडकैप भी 17.3 फीसदी और बीएसई स्मालकैप भी 34.7 फीसदी मजबूत हुआ है. इस तेजी के चलते इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों का मुनाफा बढ़ा. अब यह वित्त वर्ष खत्म होने में महज एक हफ्ते का ही समय बचा है तो इक्विटी निवेशकों को टैक्स हारवेस्टिंग पर ध्यान देना चाहिए और लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देनदारी को कम करने पर फोकस करना चाहिए.
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी में निवेश पर टैक्स देनदारी को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है. हालांकि उनका कहना है कि मुनाफे को तुरंत फिर निवेश कर दिया जाना चाहिए ताकि कंपाउंडिंग बेनेफिट ले सकें.
टैक्स हारवेस्टिंग क्या है?
टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी इंवेस्टिंग में टैक्स लायबिलिटी कम करने को सबसे प्रभावी तरीका है. इसमें कुछ स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड की कुछ होल्डिंग को बेचकर मुनाफा कमाया जाता है और इस मुनाफे को फिर निवेश कर कंपाउंडिंग बेनेफिट लिया जाता है. 1 अप्रैल 2018 के बाद से यह नियम बन गया है कि किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर निवेशकों को बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. ऐसे में Nangia Andersen LLP की निदेशक नेहा मल्होत्रा के मुताबिक टैक्स देनदारी कम करने और टैक्स-फ्री रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है कि किसी वित्त वर्ष में इक्विटी से एलटीसीजी किसी वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से कम रखें.
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ये हैं टैक्स से जुड़े नियम
1 अप्रैल 2018 के बाद स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की अगर 12 महीने से कम की होल्डिंग को बेचते हैं तो इस पर हुए मुनाफे पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा लेकिन अगर यह होल्डिंग पीरियड 12 महीने से अधिक का है तो 1 लाख से अधिक के मुनाफे पर बिना इंडेक्सेशन के बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. इस साल के केंद्रीय बजट में 2 करोड़ से अधिक आय वाले हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स को एलटीसीजी पर सरचार्ज की दरों में राहत दी गई है और इसे 25 फीसदी या 37 फीसदी की बजाय अधिकतम 15 फीसदी पर कर दिया गया है.
कैपिटल लॉस की हारवेस्टिंग
मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. लांग टर्म कैपिटल लॉस को अन्य लांग टर्म कैपिटल गेन्स से सेट ऑफ किया जा सकता है. आयकर अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म या लांग टर्म कैपिटल गेन से सेट ऑफ किया जा सकता है. अगर सेट ऑफ नहीं कर पा रहे हैं तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन इसे अगले आठ एसेसमेंट इयर तक कैरी फारवर्ड कर सकते हैं. हालांकि कैरी फारवर्ड के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.
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