Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं

एक व्यापारी ने बैंक से रु 5000 .

एक व्यापारी ने बैंक से रु 5000 में 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं से कुछ रुपये `12%` वार्षिक ब्याज की दर से और शेष `15%` वार्षिक ब्याज की दर से साधारण ब्याज दर उधार लिये । 2 वर्ष के पश्चात उसे कुल रु 6320 बैंक को देने पड़े । ज्ञात कीजिए व्यापारी ने प्रत्येक दर पर कितना - कितना रूपया उधार लिया था ।

Updated On: 27-06-2022

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Aap ko kya acha nahi laga

हेलो फ्रेंड्स में दिया हुआ कि एक व्यापारी ने बैंक से 5000 में से कुछ रुपए तो बड़ा प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से लिए हैं और कुछ दिया शेष जो है वह 15% वार्षिक ब्याज की दर से सदा साधारण ब्याज पर लिए हैं और जावेगी 2 वर्ष के बाद उसे 6320 बैंक को देने पड़े तो ज्ञात करना है कि वे अपने प्रत्येक दर पर कितने कितने रुपए उधार लिया अब इसके लिए हम मान लेते हैं कि तुमने जो व्यापारी तो उसने 12% वार्षिक दर पर तो लिया है ₹1 उधार लिए और जो 15% की वार्षिक दर पर लिए हैं वहीं रुपए उधार ले लिए अब इस नहीं बोला है कि 2 वर्ष के बाद साधारण ब्याज पर उसे 6320 बैंक को देने पड़ेंगे अब जो उसने जो 12% प्रतिशत की दर पर एक्स ₹2 लिए थे तो उसका मिश्रधन कितना हो जाएगा 2 वर्ष बाद पैसे निकाल लेंगे उसका मिश्रधन इनकी 12% की दर से

गजब हो जाएगा मिश्रधन लेकिन मैं सदन होगा उसका टोटल रुपए होगा योग हमारा जो एक्स प्लस इसका ससुरा में जाके तू जाएगा मेरे पास एक्स * * समय कितने 2 वर्ष बटा 100 तो यहां से कितना रे मिश्रधन आ गए हमारे पास एक्स प्लस 24 बटा 100 एक्स इसको ले सकते हैं हम सो एक्स प्लस 24 एक्स बटे 25 कितना रे हमारे पास आ गया 124 एक्स बटा 12% की दर से उसका मिश्रधन हम देखते हैं कि जो 15% की दर से उसने कितना रुपए देना पड़ेगा ने कितना ज्यादा मिश्रधन देख लेंगे 15% की दर से कोटा कितना जल 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं स्तर में कितना प्रतिशत की दर से मिश्रधन बराबर

भाई अनमोल धन प्लस और जोश का ब्याज कितना होगा वही * 10 15 * समय 2 वर्ष बटा 100 कितना जाएगा मेरे पास वाई प्लस 30 बटा 100 वाई योजना मेरे पास 130 वाइबर्टर शो योग्य मर 15% की दर से उसका मिश्रधन अब वह बोल रहा है कि जो कुल उसको कितना रुपए देना पड़ता है जनपद 6320 सैनी की जो 12% की दर से शुरू देना पड़ा किला 0% की दर से देना पड़े तो कितना 5320 दिनों से किया जाएगा मेरे पास 124 - 124 एक्स बटा 100 प्लस 130 वाइबर्ट अशोक ने टोटल कितना दे जंक्शन दे रखा है उसको 3301

सर ₹320 उसको देने पड़ते हैं 6320 अब हमें दिया हो तो जो उसने जो उसने एक्स और वाई धन लिया था चोट तो कुल कितना धन ले लिया था उसने 5000 दुनिया से क्या लिख सकते हैं ऐसे मरीजों एक्स प्लस वाई हो जाएगी हो जाएगी हमारे पास 5000 तो अब हम इन दोनों एग्जाम जसोल कर लेंगे यहां पर पता है कि मैं जो एक्स प्लस वाई हो कितनी हमारी 5010a भाई बराबर कितना जाएगा मेरे पास 5000 - में एक्स वाई का मान यहां पर रख देंगे और हम यहां से उसका मान निकाल लेंगे एक्स का मान कितना जगह पाई का मान रखने पर यूजर 124 एक्स बटा 100 प्लस 130 बटा 100 का मान कितना हमारे पास 5000 5000 माइनस एक्स = 6320 इसको पूरे जो हमेशा में करने को सबसे बड़ा करने में कितना जाएगा यह 124 एक्स प्लस 1355

इतना हो गया 600000 और प्यार हो गया है मैंने उसमें 13080 खत्म हो जाएगा 63 20 और 20 योगेंद्र 632316 कॉल करें कि कितना जाएगा - में एक बराबर में स्कूल चले जाएंगे कितना - का जाएगा 632000 - में 650200 दिनों से हमारे पास हो जाएगा आ जाएगा 10 - में 18000 तो ऐश्वर्या कितना जाएगा मेरे पास तीन हजार यानी कि उसने जो 12% की दर से या तो वजह से ₹3000 तो भाई कितना जाएगा मेरे पास वाई बराबर है हमारे पास 5000 - 1 कितना दे मेरे पास तीन हजार

देवर भाई बराबर आ गया मेरे पास वाई बराबर आ गया 2000 में क्या क्या माना था कि जो 12% की दर से तो कितना यसेक्स और 15 पथरी के दर्द से लिया था भाई तुम यहां पर क्या लिख सकते हैं कि 12% की दर से कितने रुपए लिए थे उसने 3000 और 15% की दर से लिया था उसने ₹2000 तभी उसका जो था उसको जो 2 साल बाद ₹6320 वापस बैंक को देने पड़े तो योग है इसका आंसर

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये का आखिर क्या करे सरकार? वेट एंड वॉच की रणनीति से होगा फायदा?

Dollar vs Rupee : महामारी के दौरान एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक जा सकता है। इससे रुपये में और गिरावट आ सकती है।

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

हाइलाइट्स

  • यूएस डॉलर के मुकाबले बीते हफ्ते 83.26 तक चला गया रुपया
  • यूएड फेड के ब्याज दरें बढ़ाने से मजबूत हो रहा डॉलर
  • व्यापार घाटा बढ़ा तो रुपये में और आएगी गिरावट

- अभी दुनिया में 80 फीसदी से ज्यादा व्यापार डॉलर में हो रहा है।

- तमाम देशों के केंद्रीय बैंक जो विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं, उसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा डॉलर में है।

- रुपया इस साल अब तक 10 प्रतिशत से गिरा है तो जापानी येन में 22 प्रतिशत से ज्यादा नरमी आ चुकी है।

- साउथ कोरियन वॉन और ब्रिटिश पौंड 17-17 प्रतिशत गिरे हैं।

- यूरो भी इस साल अब तक 14 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है।

- चाइनीज रेनमिबी की वैल्यू 12 प्रतिशत घट चुकी है।

क्यों मजबूत हो रहा डॉलर
यूक्रेन युद्ध के चलते पूरा यूरोप बेहाल है। जर्मनी से लेकर फ्रांस, ब्रिटेन और तुर्की तक में महंगाई आसमान छू रही है। दुनिया में एक बार फिर मंदी का खतरा जताया जा रहा है। इकॉनमी से 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं जुड़ा रिस्क जब भी बढ़ता है, निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर भागते हैं। एक और फैक्टर है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ा रहा है। वह इस साल मार्च से अपना पॉलिसी रेट 3 प्रतिशत बढ़ा चुका है। इससे विदेशी निवेशक दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स और भारत से पैसे निकालने लगे हैं, क्योंकि अमेरिका में उन्हें रिस्क फ्री बेहतर रिटर्न दिख रहा है।

चालू खाता घाटा
रुपये पर दबाव बढ़ने के पीछे एक और फैक्टर है भारत का बढ़ता करंट एकाउंट डेफिसिट। जब निर्यात से होने वाली कमाई के मुकाबले आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, तो करंट एकाउंट डेफिसिट की स्थिति बनती है। कोविड महामारी के दौरान भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं एक्सपोर्ट घट भी गया। अगर यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का यह घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक भी जा सकता है। यह पिछले 10 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर होगा। क्रूड ऑयल इंपोर्ट के चलते भी चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। क्रूड ऑयल निर्यात करने वाले देशों ने तय किया है कि वे नवंबर से उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन घटाएंगे। इससे दाम और चढ़ेगा।

क्या करे भारत?
अब आते हैं इस सवाल पर कि रुपये के मामले में भारत क्या कर सकता है। विकसित देशों में महंगाई चार दशकों के ऊंचे स्तर पर है। वहां मंदी आने का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा वहां भारत की वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड घटी है। देश में डिमांड बढ़ाकर इसकी भरपाई हो सकती है, लेकिन कुछ हद तक ही। ऐसे में देखते हैं कि भारत सरकार के सामने क्या विकल्प हैं और वे कितने प्रभावी हो सकते हैं।

1. पहला उपाय है 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं देश में चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ाने के लिए टैक्स घटाया जाए। इससे चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ेगी, इकॉनमी स्टेबल होगी। लेकिन टैक्स घटने से सरकार के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा। वैसे भी आम बजट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के आसपास रहेगा। 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं अभी कर्ज का स्तर भी बहुत बढ़ गया है। सरकारी कर्ज और जीडीपी का रेशियो लगभग 90 प्रतिशत हो चुका है। इन हालात को देखते हुए सरकार के पास राजकोषीय मदद देने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।

2. दूसरा उपाय यह है कि डॉलर की बढ़ती डिमांड का दबाव घटाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचे। आरबीआई ने ऐसा किया भी है। लेकिन इससे बात नहीं बनी, उलटे सालभर में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 110 अरब डॉलर घट गया। करंट एकाउंट डेफिसिट अगर मामूली होता तो डॉलर बेचने से कुछ मदद मिल सकती थी। लेकिन मामला ऐसा है नहीं।

3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
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लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

1. एक फायदा तो यही है कि विदेशी मुद्रा भंडार के इतने बड़े इस्तेमाल की जरूरत नहीं रहेगी। फॉरेन एक्सचेंज बचा रहेगा तो अचानक 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं लगने वाले किसी भी बाहरी झटके से इकॉनमी को बचाने में काम आएगा।

2. दूसरी बात, रुपया नरम रहेगा तो भारतीय निर्यात को फायदा मिलेगा।

3. ट्रेड डेफिसिट और करंट एकाउंट डेफिसिट घटाने के लिए आयात घटाने के साथ निर्यात बढ़ाना भी जरूरी है।

4. वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा कुछ घटता दिख रहा है। उस जगह को भरने के लिए सरकार को निर्यात पर सब्सिडी देने जैसे कदम उठाने होंगे। लेकिन रुपये में कमजोरी इस मामले में कहीं ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर इस स्ट्रैटेजी में फायदे ज्यादा हैं, नुकसान कम। अच्छी बात यह है कि आरबीआई अब इसी राह पर आ चुका है। ध्यान 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं केवल इतना रखना होगा कि रुपया इतना कमजोर न हो जाए कि इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाए।

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