Ghaziabad News: वाराणसी बम ब्लास्ट के 16 साल, दो मामलों में आतंकी वलीउल्लाह दोषी और एक में बरी
Varanasi Bomb Blast News वाराणसी में वर्ष 2006 में हुए सिलसिलेवार बम धमाके में शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद दो मामलों में दोषी करार दिया
गाजियाबाद [जागरण संवाददाता]। वाराणसी में वर्ष 2006 में हुए सिलसिलेवार बम धमाके में शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद दो मामलों में दोषी करार दिया, जबकि एक मामले में साक्ष्यों के अभाव में बरी किया। सजा पर सुनवाई छह जून को दोपहर दो बजे से होगी।
सात मार्च 2006 को वाराणसी में साल बाद बाजार में धमाका सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पहला बम धमाका उक्त तिथि को शाम 6.15 बजे वाराणसी के लंका थानाक्षेत्र में संकटमोचन मंदिर में हुआ था। इसमें सात लोग मारे गए थे जबकि 26 घायल हुए थे। उसी दिन 15 मिनट के बाद 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में जम्मू रेलवे फाटक की रे¨लग के पास कुकर बम मिला था।
पुलिस की मुस्तैदी के चलते यहां विस्फोट होने से बचा लिया गया था। इसके पांच मिनट बाद 6.35 बजे जीआरपी वाराणसी थानाक्षेत्र में वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी विश्राम कक्ष के सामने धमाका हुआ था। इसमें नौ लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे। तीनों मामलों में 16 लोगों की मौत साल बाद बाजार में धमाका हुई थी व 76 लोग घायल हुए थे। वाराणसी में अधिवक्ताओं ने वलीउल्लाह की पैरवी करने से मना कर दिया था।
हाई कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर 2006 को यह मामला सुनवाई के लिए गाजियाबाद स्थानांतरित हुआ था। जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि अभियोजन की तरफ से जीआरपी कैंट धमाके में 54, संकट मोचन धमाके में 47 और दशाश्वमेध घाट मामले में 20 गवाह पेश किए गए थे जबकि बचाव पक्ष की तरफ से तीनों मामलों में तीन-तीन गवाह पेश किए गए थे। शनिवार को सुनवाई के लिए आतंकी वलीउल्लाह साल बाद बाजार में धमाका कड़ी सुरक्षा में डासना जेल से अदालत में पेश हुआ।
बचाव व अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद अदालत ने आतंकी साल बाद बाजार में धमाका वलीउल्लाह को लंका थानाक्षेत्र व दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में हुई घटना के मामले में दोषी करार दिया। उसे हत्या, हत्या का प्रयास, चोटिल व अंग भंग करने, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व विधि विरूद्ध क्रियाकलाप के आरोपों में दोषी करार दिया गया है। वलीउल्लाह प्रयागराज के फूलपुर स्थित नलकूप कालोनी का रहने वाला है। जीआरपी वाराणसी थानाक्षेत्र में हुए बम धमाके मामले में अदालत ने पुख्ता साक्ष्यों के अभाव में उसे बरी किया।
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस: 13 साल बाद 38 दोषियों को फांसी, 11 को उम्रकैद, जानें केस की पूरी कहानी
26 जुलाई 2008 का वो काला दिन। शाम को बाजार गुलजार थे और लोग अपनी रोजमर्जा की जिंदगी में व्यस्त। हर कोई अगले ही पल होने वाले खतरे से अंजान था। शाम के साढ़े 6 बजे होंगे कि तभी बाजार में अचानक जोरदार धमाका हुआ, लोग कुछ समझ पाते कि तब तक एक के बाद एक सिलसिलेवार 21 धमाके हुए।
अहमदाबाद : 2008 में हुए अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट केस (Ahmedabad Serial Blast Case) में 13 साल बाद सजा का ऐलान हो गया है। कोर्ट ने IPC 302 और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत 38 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाया है, जबकि 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कुल 7015 पेज का फैसला है। इससे पहले सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 साल बाद बाजार में धमाका में से 28 आरोपियों को बरी कर दिया था। 13 साल पहले हुए इस ब्लास्ट ने पूरे हिंदुस्तान को अंदर तक हिला कर रखा दिया था। आइए आपको बताते हैं उस काले दिन की खौफनाक कहानी और तब से अब तक क्या-क्या हुआ..
26 जुलाई 2008 का वो काला दिन
26 जुलाई 2008 का वो काला दिन। शाम को बाजार गुलजार थे और लोग अपनी रोजमर्जा की जिंदगी में व्यस्त। हर कोई अगले ही पल होने वाले खतरे से अंजान था। शाम के साढ़े 6 बजे होंगे कि तभी बाजार में अचानक जोरदार धमाका हुआ, लोग कुछ समझ पाते कि तब तक एक के बाद एक सिलसिलेवार 21 धमाके हुए। 45 मिनट में सबकुछ तबाह हो गया था, 56 लोग मारे जा चुके थे, 260 लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे और जो जिंदा बच गए थे उनके सामने था मौत का खौफनाक मंजर और कभी न भूल पाने वाली खौफनाक दास्तां।
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर प्लांट किए गए थे बम
ये ब्लास्ट भीड़-भाड़ वाली जगहों पर दहशत फैलाने के इरादे से किए गए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसे कथित तौर पर 'इंडियन मुजाहिदीन' (Indian Mujahideen) ने धमाकों की चेतावनी दी थी। ब्लास्ट के बाद गुजरात (Gujrat) की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए। जांच से पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हुआ था। गुजरात पुलिस के सामने चुनौती बहुत बड़ी थी, क्योंकि उसी दौरान आतंकवादी समूह 'इंडियन मुजाहिदीन' के हस्ताक्षर वाले सीरियल विस्फोटों की कई घटनाओं का पता नहीं चला था, जिसमें बेंगलुरु (Bengaluru), जयपुर (Jaipur), मुंबई (Mumbai), वाराणसी (Varanasi)में विस्फोट शामिल थे। जांच गुजरात में हुए इन विस्फोटों के मामलों को डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच, अहमदाबाद सिटी की विशेष टीमों को क्राइम ब्रांच पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया की अध्यक्षता में सौंपा गया।
विशेष जांच टीम बनी
अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट और सूरत से बिना फटे बमों की बरामदगी में निर्दोष लोगों की जान गई। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने गुजरात ही नहीं देश से आतंकी गतिविधियों को खत्म करने पर विचार किया। गुजरात सरकार के नेतृत्व में मामलों का पता लगाने और इन आतंकियों को गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम बनाया गया। तत्कालीन जेसीपी क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया गया। आशीष साल बाद बाजार में धमाका भाटिया ने इसमें मदद की। इस टीम का हिस्सा थे अभय चुडास्मा (डीसीपी क्राइम) और हिमांशु शुक्ला (एएसपी हिम्मतनगर)। इन मामलों की जांच तत्कालीन डीएसपी राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, उषा राडा और वीआर टोलिया को सौंपी गई थी। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया था और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था।
11 लोग पुलिस के हत्थे चढ़े और खुलने लगी जांच की परतें
15 अगस्त 2008 को गुजरात पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की साजिश का पता चला। सिमी के तत्कालीन सदस्यों ने पाकिस्तान (Pakistan) में मौजूद एजेंसियों और अंडरवर्ल्ड साल बाद बाजार में धमाका की मदद से भारत में सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम दिया था। जांच में आगे पता चला कि अहमदाबाद विस्फोटों की योजना बनाने वाले इंडियन साल बाद बाजार में धमाका मुजाहिदीन के सदस्यों ने मई 2008 के दूसरे हफ्ते में अहमदाबाद के वटवा इलाके में एक घर किराए पर लिया था। इसे अहमदाबाद के रहने वाले जाहिद शेख ने किराए पर लिया था। इस घर का इस्तेमाल मुख्यालय के रूप में किया जाता था, जहां मुफ्ती अबू बशीर और मोहम्मद कयामुद्दीन अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर समेत अन्य सदस्य इस ब्लास्ट की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए रुके थे। धमाके के एक दिन पहले 25 जुलाई 2008 को घर खाली कर दिया गया था। जांच से पता चला कि लगभग 40 मुस्लिम लड़के, जिनमें से 23 गुजरात के थे, सभी ने मई 2008 में मध्य गुजरात में ट्रेनिंग ली थी। इन धमाकों में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में ISI के हाथ होने के भी सबूत मिले। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।
साइकिल पर टिफिन बॉक्स में रखे गए थे ज्यादातर बम
ज्यादातर बम साइकिल पर टिफिन बॉक्स में रखे गए थे जबकि जयपुर ब्लास्ट में इस्तेमाल नीले पॉलीथिन बैग में रखे गए थे। एलजी और सिविल अस्पतालों में बम गैस सिलेंडर से भरी गाड़ियों में रखे गए थे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ सके। सभी बम टाइमर के जरिए सेट किे गए थे। इनमें अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। अहमदाबाद के सिलसिलेवार विस्फोटों के मामलों की सुनवाई और सूरत से बमों की बरामदगी को एक साथ मिला कर अहमदाबाद शहर के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय के विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई। एक फरवरी 2022 को विशेष अदालत में फैसला सुनाया जाना था लेकिन जज के कोरोना संक्रमित होने से इसे 8 फरवरी को सुनाया गया।
82 आरोपी गिरफ्तार और केस आगे बढ़ा
इस मामले में कुल 82 आरोपी गिरफ्तार किए गए। केस चलने के दौरान दो की मौत हो गई थी। चार के खिलाफ अभी आरोप दायर करना बाकी है। कुल 76 आरोपियों की सुनवाई हो चुकी है। सूरत में बमों की बरामदगी मामले में कुल 71 आरोपी गिरफ्तार किए गए। दो की केस चलने के दौरान मौत हुई। तीन के खिलाफ अभी आरोप दायर किए जाने हैं जबकि 66 की सुनवाई हो चुकी है। इन मामलों में गिरफ्तार किए गए कुल आरोपियों में से नावेद नईमुद्दीन कादरी को मानसिक बीमारी के आधार पर जमानत पर रिहा कर दिया गया है और अयाज रजाकमिया सैय्यद मामले में सरकारी गवाह बन गया है, जिसे और गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है।
1100 लोगों की गवाही, मिला इंसाफ
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। दिसंबर 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में 1100 लोगों की गवाही हुई। सबूत नहीं मिलने की वजह से 28 साल बाद बाजार में धमाका लोगों को बरी कर दिया गया। सरकारी वकीलों में एचएम ध्रुव, सुधीर ब्रह्मभट्ट, अमित पटेल और मितेश अमीन ने दलीलें दीं, जबकि बचाव पक्ष से एमएम शेख और खालिद शेख आदि ने दलील दीं। करीब 13 साल तक इस मामले की जांच और सुनवाई चली है। लॉकडाउन के दौरान भी इस मामले की सुनवाई लगातार चलती रही। देश में पहली बार एक साथ 49 आरोपियों को आतंकवाद के गुनाह में दोषी ठहराया गया है। मामले की पूरी सुनवाई में अब तक सात जज बदल गए। अब आज इस केस के गुनहगारों को सजा साल बाद बाजार में धमाका दी जाएगी।
धमाका मचाएगी ये इलेक्ट्रिक SUV, 200km/h की रफ्तार से सिंगल चार्ज में तय करेगी 500km की रेंज; जानें खासियत
प्रवीग की इलेक्ट्रिक एसयूवी बाजार में धमाका करने वाली है। जी हां, क्योंकि नवंबर में यह कार लॉन्च होने वाली है। यह एसयूवी 200km/h की रफ्तार से सिंगल चार्ज में 500km की रेंज तय करेगी।
मार्केट में इलेक्ट्रिक कार और स्कूटर्स की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ लोग कम रेंज होने के कारण अभी भी इलेक्ट्रिक के बजाय सीएनजी या पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियां ज्यादा चुनते हैं। ऐसे ग्राहकों के लिए ऑटो निर्माता कंपनियां अब ज्यादा फोकस ज्यादा रेंज वाली इलेक्ट्रिक कारों पर कर रही हैं। इसी तरह बेंगलुरु स्थित स्टार्ट-अप प्रवीग ने भी एक ऐसी कार तैयार की है, जो ग्राहकों को मैक्सिमम रेंज देगी। कंपनी ने अपनी नई आगामी इलेक्ट्रिक एसयूवी का टीजर जारी किया है। जानकारी के मुताबिक यह इलेक्ट्रिक कार नवंबर 2022 में लॉन्च हो जाएगी।
कार की टॉप स्पीड और रेंज
Pravaig का दावा है कि यह कार 200 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की टॉप स्पीड के साथ 500 किमी. से अधिक की ड्राइविंग रेंज देगी। एसयूवी होने के बावजूद यह 4.3 सेकेंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में सक्षम होगी।
टीजर के मुताबिक डिजाइन के मामले में इलेक्ट्रिक एसयूवी में फ्रंट लुक बहुत ही शार्प दिखाई देता है। वहीं, रियर ग्लास के लिए भी सही है। गाड़ी में पीछे की पूरी चौड़ाई में पतला लाइटबार है। यह उम्मीद की जा सकती है कि फ्रंट में भी हेडलैम्प्स के समान डिजाइन होगा। लेफ्ट रियर फेंडर पर चार्जिंग साल बाद बाजार में धमाका पोर्ट है। दरवाजे के हैंडल देखने में काफी दिलचस्प लगते हैं। साथ ही 5-स्पोक अलॉय व्हील भी हैं।
एसयूवी में लगे बैटरी पैक को 10 लाख किलोमीटर तक चलना चाहिए। सुरक्षा के लिहाज से इलेक्ट्रिक एसयूवी को 5-स्टार रेटिंग दी जाएगी। उम्मीद है कि कंपनी सिल्क स्मूथ सस्पेंशन गाड़ी में उपलब्ध कराएगी।
क्या होंगे फीचर्स?
फीचर्स के मामले में कंपनी का कहना है कि एसयूवी में ऑन-बोर्ड वाईफाई, लैपटॉप के लिए 15 इंच का डेस्क, लिमोसिन पार्टिशन, चार्जिंग डिवाइस के लिए 220V सॉकेट, पीएम 2.5 एयर फिल्टर के साथ एक एयर क्वॉलिटी इंडेक्स, वैनिटी मिरर, यूएसबी सॉकेट और वायरलेस चार्जिंग समेत इसमें एक प्रीमियम साउंड सिस्टम होगा। यह कार स्क्रीन मिररलिंक को सपोर्ट करेगी। हालांकि, कार लॉन्च होने के बाद ही इसके सभी फीचर्स देखने को मिलेंगे।
30 मिनट में 80 फीसद चार्ज
कार निर्माता कंपनी के मुताबिक इस एसयूवी में 200 किमी. प्रति घंटे की टॉप स्पीड देखने को मिलेगी है। एसयूवी में फास्ट चार्जिंग क्षमता होगी, जिसके जरिए यह केवल 30 मिनट में 80 प्रतिशत तक चार्ज हो जाएगी। कंपनी का दावा है कि इस एसयूवी की ड्राइविंग रेंज 504 किमी. है।
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साल बाद बाजार में धमाका
Hindi News : लगता है नोकिया एक बार फिर मोबाइल बाजार में धमाका करने वाली है। कभी भारतीय मोबाइल बाजार में एक तरफा राज करने वाली कंपनी नोकिया एक बार फिर वापसी कर रही है। कंपनी ने 3 ऐंड्रॉयड फोन लॉन्च किए हैं साथ ही अपनी पुराना बेहद कामयाब फोन 3310 को एक बार फिर बाजार में लॉन्च किया है।
बार्सिलोना में चल रहे मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2017 के प्री-इवेंट में नोकिया ने शनिवार को अपने फोन नोकिया 3, 5, 6 और 3310 लॉन्च किए हैं।
स्नेक गेम
स्नेक गेम याद है? बिना इंटरनेट घंटो स्नेक गेम तो खेला ही होगा। अब इस नए हैंडसेट में भी स्नेक गेम मिलेगा और यह और भी बेहतर होगा क्योंकि अब स्क्रीन कलर वाली साल बाद बाजार में धमाका है।
नया डिजाइन और नए कलर्स
Nokia 3310 चार नए कलर वैरिएंट में मिलेगा। नोकिया 3310 लाल, पीले, ग्रे और गहरे नीले रंग में उपलब्ध होगा।
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