ग्वार गम वायदा - दिसम्बर 22 (NGGc1)
पुनीत सिक्का द्वारा Investing.com -- हाजिर बाजार में कमजोरी के रुख के अनुरूप व्यापारियों ने अपने सौदों की कटान की जिससे वायदा बाजार में सोमवार को ग्वार गम वायदा की कीमत 389 रुपये.
तकनीकी सारांश
ग्वार गम वायदा परिचर्चा
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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सेबी का आदेश : पांच जिंसों में एक साल तक वायदा कारोबार पर रोक, महंगाई थामने के लिए पहली बार उठाया कदम
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा।
खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बताया कि पाम, मूंग, गेहू सहित पांच कमोडिटी के वायदा कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2003 में इन खाद्य उत्पादों में वायदा कारोबार शुरू किए जाने के बाद पहली बार इस पर रोक लगाई है।
इसका मकसद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाना है। आदेश के तहत धान (गैर बासमती), गेहूं, सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल व मूंग का वायदा कारोबार एक साल तक प्रतिबंधित रहेगा। नए फैसले के बाद वायदा कारोबार से बाहर रहने वाले कुल नौ उत्पाद हो जाएंगे।
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कारोबार प्रतिबंधित रहेगा।
फैसले के तीन बड़े असर
- 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक।
- मौजूदा सौदे को ही खत्म करने की इजाजत।
- अगले आदेश तक नए अनुबंध नहीं होंगे।
कम हो सकती है खाद्य महंगाई दर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, घरेलू जिंसों के व्यापार में कमी और आयात बढ़ने के बाद आने वाले समय में खाद्य महंगाई नीचे आ सकती है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91% व थोक महंगाई 14.23% पहुंच गई थी।
इसलिए प्रतिबंध की जरूरत
खाद्य तेल व्यापार महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि बड़े सटोरिए वायदा कारोबार के जरिये जरूरी कमोडिटीज पर नियंत्रण बनाते हैं। बढ़ती खाद्य महंगाई से इनके वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की थी।
कारोबारियों की राय
प्रतिबंध लगाना सरकार का पिछड़ा हुआ कदम है। इससे एग्री कमोडिटी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बाजार भागीदारों का भरोसा भी कम होगा। -केवी सिंह उपाध्यक्ष, ओरिगो कमोडिटीज
सेबी की रोक के बाद कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन, पाम, सरसों में कारोबार नहीं होगा और ये जिंस बाजार में आएंगी। इससे तिलहन सस्ता होगा। -अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष भारतीय खाद्य तेल संगठन
विस्तार
खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बताया कि पाम, मूंग, गेहू सहित पांच कमोडिटी के वायदा कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2003 में इन खाद्य उत्पादों में वायदा कारोबार शुरू किए जाने के बाद पहली बार इस पर रोक लगाई है।
इसका मकसद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाना है। आदेश के तहत धान (गैर बासमती), गेहूं, सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल व मूंग का वायदा कारोबार एक साल तक प्रतिबंधित रहेगा। नए फैसले के बाद वायदा कारोबार से बाहर रहने वाले कुल नौ उत्पाद हो जाएंगे।
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कारोबार प्रतिबंधित रहेगा।
फैसले के तीन बड़े असर
- 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक।
- मौजूदा सौदे को ही खत्म करने की इजाजत।
- अगले आदेश तक नए अनुबंध नहीं होंगे।
कम हो सकती है खाद्य महंगाई दर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, घरेलू जिंसों के व्यापार में कमी और आयात बढ़ने के बाद आने वाले समय में खाद्य महंगाई नीचे आ सकती है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91% व थोक महंगाई 14.23% पहुंच गई थी।
इसलिए प्रतिबंध की जरूरत
खाद्य तेल व्यापार महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि बड़े सटोरिए वायदा कारोबार के जरिये जरूरी कमोडिटीज पर नियंत्रण बनाते हैं। बढ़ती खाद्य महंगाई से इनके वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की थी।
कारोबारियों की राय
प्रतिबंध लगाना सरकार का पिछड़ा हुआ कदम है। इससे एग्री कमोडिटी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बाजार भागीदारों का भरोसा भी कम होगा। -केवी सिंह उपाध्यक्ष, ओरिगो कमोडिटीज
सेबी की रोक के बाद कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन, पाम, सरसों में कारोबार नहीं होगा और ये जिंस बाजार में आएंगी। इससे तिलहन सस्ता होगा। -अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष भारतीय खाद्य तेल संगठन
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल वायदा कारोबार कैसे करें मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई वायदा कारोबार कैसे करें लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें वायदा कारोबार कैसे करें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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सेबी का आदेश : पांच जिंसों में एक साल तक वायदा कारोबार पर रोक, महंगाई थामने के लिए पहली बार उठाया कदम
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा।
खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बताया कि पाम, मूंग, गेहू सहित पांच कमोडिटी के वायदा कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2003 में इन खाद्य उत्पादों में वायदा कारोबार शुरू किए जाने के बाद पहली बार इस पर रोक लगाई है।
इसका मकसद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाना है। आदेश के तहत धान (गैर बासमती), गेहूं, सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल व मूंग का वायदा कारोबार एक साल तक प्रतिबंधित रहेगा। नए फैसले के बाद वायदा कारोबार से बाहर रहने वाले कुल नौ उत्पाद हो जाएंगे।
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कारोबार प्रतिबंधित रहेगा।
फैसले के तीन बड़े असर
- 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक।
- मौजूदा सौदे को वायदा कारोबार कैसे करें ही खत्म करने की इजाजत।
- अगले आदेश तक नए अनुबंध नहीं होंगे।
कम हो सकती है खाद्य महंगाई दर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, घरेलू जिंसों के व्यापार में कमी और आयात बढ़ने के बाद आने वाले समय में खाद्य महंगाई नीचे आ सकती है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91% व थोक महंगाई 14.23% पहुंच गई थी।
इसलिए प्रतिबंध की जरूरत
खाद्य तेल व्यापार वायदा कारोबार कैसे करें महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि बड़े सटोरिए वायदा कारोबार के जरिये जरूरी कमोडिटीज पर नियंत्रण बनाते हैं। बढ़ती खाद्य महंगाई से इनके वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की थी।
कारोबारियों की राय
प्रतिबंध लगाना सरकार का पिछड़ा हुआ कदम है। इससे एग्री कमोडिटी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बाजार भागीदारों का भरोसा भी कम होगा। -केवी सिंह उपाध्यक्ष, ओरिगो कमोडिटीज
सेबी की रोक के बाद कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन, पाम, सरसों में कारोबार नहीं होगा और ये जिंस बाजार में आएंगी। इससे तिलहन सस्ता होगा। -अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष भारतीय खाद्य तेल संगठन
विस्तार
खाद्य महंगाई के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बताया कि पाम, मूंग, गेहू सहित पांच कमोडिटी के वायदा कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2003 में इन खाद्य उत्पादों में वायदा कारोबार शुरू किए जाने के बाद पहली बार इस पर रोक लगाई है।
इसका मकसद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाना है। आदेश के तहत धान (गैर बासमती), गेहूं, सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल व मूंग का वायदा कारोबार एक साल तक प्रतिबंधित रहेगा। नए फैसले के बाद वायदा कारोबार से बाहर रहने वाले कुल नौ उत्पाद हो जाएंगे।
साल की शुरुआत में भी सरकार ने चना और सरसों के बीच में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज ने कहा कि अगले आदेश तक इन जिंसों में कोई भी नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कारोबार प्रतिबंधित रहेगा।
फैसले के तीन बड़े असर
- 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक।
- मौजूदा सौदे को ही खत्म करने की इजाजत।
- अगले आदेश तक नए अनुबंध नहीं होंगे।
कम हो सकती है खाद्य महंगाई दर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, घरेलू जिंसों के व्यापार में कमी और आयात बढ़ने के बाद आने वाले समय में खाद्य महंगाई नीचे आ सकती है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91% व वायदा कारोबार कैसे करें थोक महंगाई 14.23% पहुंच गई थी।
इसलिए प्रतिबंध की जरूरत
खाद्य तेल व्यापार महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि बड़े सटोरिए वायदा कारोबार के जरिये जरूरी कमोडिटीज पर नियंत्रण बनाते हैं। बढ़ती खाद्य महंगाई से इनके वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की थी।
कारोबारियों की राय
प्रतिबंध लगाना सरकार का पिछड़ा हुआ कदम है। इससे एग्री कमोडिटी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बाजार भागीदारों का भरोसा भी कम होगा। -केवी सिंह उपाध्यक्ष, ओरिगो कमोडिटीज
सेबी की रोक के बाद कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन, पाम, सरसों में कारोबार नहीं होगा और ये जिंस बाजार में आएंगी। इससे तिलहन सस्ता होगा। -अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष भारतीय खाद्य तेल संगठन
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे वायदा कारोबार कैसे करें अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों वायदा कारोबार कैसे करें के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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