मुद्रा बाज़ार क्या हैं?

प्रश्न 36. मुद्रा बाजार की प्रकृति या विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- मुद्रा बाजार की प्रकृति या विशेषताओं को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है-

1. वित्तीय बाजार का प्रमुख अंग- मुद्रा बाजार वित्तीय बाजार का प्रमुख अंग है। इसके द्वारा उद्योगपतियों, व्यवसायियों एवं सरकारी अल्पकालीन अवधि की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।

2. तरलता- मुद्रा बाजार में अत्यधिक तरलता पायी जाती मुद्रा बाज़ार क्या हैं? है। इस उद्देश्य से Discount Finance House of India की स्थापना की गई है।

3. सन्तुलन कार्य- अल्पकालीन वित्तीय पूर्ति तथा अल्पकालीन वित्तीय माँग में संतुलन स्थापित करने का कार्य मुद्रा बाजार करता है।

4. दो स्वरूप- मुद्रा बाजार के संगठित एवं असंगठित दो स्वरूप होते हैं। संगठित मुद्रा बाजार में रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक तथा सहकारी बैंक आते हैं। असंगठित मुद्रा बाजार में साहूकार एवं देशीय बैंकर इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।

5. कम लागत- मुद्रा बाजार में व्यवहार करने के लिए दलालों की आवश्यकता नहीं होती है अत: इनमें किये गये व्यवहारों की लागत कम आती है। 6. अल्पकालीन वित्तीय संपत्तियाँ- इसमें अधिकतम एक वर्ष की अवधि तक के ही व्यवहार किये जाते हैं। यहाँ वित्तीय संपत्तियों से आशय वित्तीय प्रलेखों से है।

रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने

व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?

रुपया कमज़ोर या मज़बूत क्यों होता है?

  • विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
  • अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
  • उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?

प्रत्येक देश के पास दूसरे मुद्रा बाज़ार क्या हैं? देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं के आयत –निर्यात में किया जाता है, इसे ही विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। भारत में समय-समय पर इसके आंकडे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।

जिस बाजार से ऋण के रूप में धन प्राप्त किया जा सकता है उसे क्या कहते हैं?

Solution : मनी मार्केट लघु-अवधि ऋण के रूप में कमर्शियल पेपर्स, फाइनेंस सिस्टम इत्यादि के द्वारा कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा कर सहायता प्रदान करता है। यह आन्तरिक और अंतर्राष्ट्रीय दोनों व्यापार के वित्त उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अमेरिकी शेयर बाजार में अमंगल, मंगलमय रहे भारतीय स्टॉक मार्केट

आज घरेलू शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार गणेश चतुर्थी के अवसर पर बंद हैं। इससे पहले घरेलू शेयर बाजार जहां बंपर उछाल के साथ बंद हुए तो वहीं अमेरिकी शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई

अमेरिकी शेयर बाजार में अमंगल, मंगलमय रहे भारतीय स्टॉक मार्केट

आज घरेलू शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार गणेश चतुर्थी के मुद्रा बाज़ार क्या हैं? अवसर पर बंद हैं। इससे पहले घरेलू शेयर बाजार जहां बंपर उछाल के साथ बंद हुए तो वहीं अमेरिकी शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई। बता दें मंगलवार को डाऊजोंस 308 अंक या करीब एक फीसद टूटकर 31790 रुपये पर बंद हुआ तो नैस्डैक 1.12 फीसद या 134 अंक लुढ़क कर 11883 के स्तर पर बंद हुआ। एसएंडपी भी 1 फीसद से अधिक फिसला।

निवेशकों की मुद्रा बाज़ार क्या हैं? झोली में एक ही दिन में 5.68 लाख करोड़ रुपये गिरे

जहां तक घरेलू शेयर बाजारों की बात है तो बीएसई और एनएसई के लिए मंगलवार मंगलमय रहा। इससे निवेशकों की पूंजी एक ही दिन में 5.68 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 1,564.45 अंक यानी 2.70 फीसद के जबरदस्त उछाल के साथ 59,537.07 अंक पर पहुंच गया। दिन में कारोबार के दौरान एक समय यह 1,627.16 अंक यानी 2.80 फीसद की बढ़त के साथ 59,599.78 अंक तक भी चढ़ गया था।

2,80,24,621.83 करोड़ रुपये पर पहुंचा मार्केट कैप

बाजार में जोरदार तेजी के बीच बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 5,68,305.56 करोड़ रुपये चढ़कर 2,80,24,621.83 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सेंसेक्स में शामिल सभी कंपनियों के शेयर लाभ में रहे। बजाज फिनसर्व में सबसे अधिक 5.47 फीसद का उछाल दर्ज किया गया। वहीं बजाज फाइनेंस का शेयर 4.86 फीसद चढ़ गया।

वित्तीय बाजार क्या है ? Financial Market meaning in hindi .

बाजार मुद्रा बाज़ार क्या हैं? मुद्रा बाज़ार क्या हैं? किसी अर्थव्यवस्था का वह अंग है, वचनातिरक (fund surplus) पक्ष और अवाभाव (tund scarce) पक्ष के बीच धन का (transaction) होता है। यह लेन-देन व्याज (intrest)अथवा लाभांश (dividend) के आधार पर सम्पन होता है।

Money Market kya hai ?

1. इस भौतिक रूप से विद्यमान बाजार में धन का लघु अवधि (short term) या दीर्घ अवधि (Long term) के लिए हो सकता है। प्रत्येक ऐसा लेन देन जिसकी समय सीमा 1 दिन से 364 दिनों की हो सकती है, लघु अवधि का वित्त बाजार है। इसी बजार को मुद्रा बाजार (Money Market) कहा जाता है।

इसी प्रकार एक वर्ष या इससे अधिक अवधि के इस तरह केे धन के लेन-देन को दीर्घावधिक वित्त बाजार का अंग मानते हैं जो पूँजी बाजार (Capital Market) कहलाता हैं।

* प्रत्येक वित्त बाजार के दो अंग होते हैं- मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार- पहला लघु अवधि का वित्त बाजार और दूसरा दीर्घ अवधि का वित्त बाजार है।

* संगठित भारतीय मुद्रा बाजार में वर्तमान में विभिन्न के लिए निम्न संघटक (Instruments) कार्य कर रहे हैं :

बाजार :: वर्ष 1992 में प्रारम्भ हुआ यह बाजार अंतर बैंक (Inter-bank) संघटक है। यह एक अति अल्प अवधि का बाजार है, जिसमें एक दिवसीय धन का लेन-देन होता है। इस बाज़ार में अधिकतम 14 दिनों तक भी उधार लिया जाता है। बैंकों के मध्य कॉल मुद्रा के लेन-देन को अंतर बैंक काल मुद्रा बाजार कहते हैं। अंतर बैंक कॉल मुद्रा बाजार में प्रचलित दरें

: वर्ष 1986 में प्रारम्भ किए गए इस संघटक का उपयोग सरकार करती है। ट्रेजरी बिल द्वारा केन्द्र सरकार अल्पकालिक ऋण प्राप्त करती हैं। वर्तमान में 91, 182, 364 दिवसीय ट्रेजरी बिल प्रचलित है।

* ट्रेजरी बिल्स रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा बाज़ार क्या हैं? सरकार के लिए निर्गमित की जाने वाली अत्यल्प अवधि की प्रतिभूतियों होती हैं, जिसके माध्यम से सरकार मुद्रा बाज़ार क्या हैं? ऋण लेती है। यह दो प्रकार की होती है प्रथम नीलामी ट्रेजरी बिल्स (जो रिजर्व

बैंक द्वारा 91, 182 एवं 364 दिनों के लिए निर्गमित की जाती है) तथा दूसरी-तदर्थ (एडहॉक) ट्रेजरी बिल्स (यह अत्यन्त अस्थाई प्रतिभूति है, जो रिजर्व बैंक के नाम से ही निर्गमित होती थी। 1997-98 में इसे बंद कर दिया गया)।

वर्ष 1990 में संगठित इस संघटक का प्रयोग वित संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों, मर्चेन्ट बैकों, सहकारी बैंकों एवं म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा किया जाता है।

: वर्ष 1989 में प्रारम्भ इस संघटक का उपयोग बैंकों द्वारा अपनी तात्कालिक धन की कमी को पूरा करने में किया जाता है।

: वर्ष 1990 में संगठित इस संघटक का उपयोग गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों एवं अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के द्वारा 'प्रोमिसरी नोट्स' (Promissory Notes) के रूप में किया जाता है।

इसका प्रचलित नाम सिर्फ म्यूचुअल फंड है। इसके माध्यम से शेयर एवं प्रतिभूति बाजार के संबंध में विशेष जानकारी न रखने के बावजूद भी आम आदमी को इस क्षेत्र में निवेश करके लाभ कमाने का अवसर प्राप्त होता है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी।

अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति तथा उसको तरलता की ताप के लिए इसके द्वारा मुद्रा के चार संघटकों (Components) को M1. M2. M3, तथा M4, नाम दिया गया था, जिनकी आंतरिक बनावट (Internal composition) निम्न प्रकार है

Components of Money

• M1 = जनता के पास करेंसी नोट एवं सिक्के + बैंकों की मांग जमा (बचत खाता + चालू खाता) + RBI के पास अन्य जमाएँ

अर्थात् M4. द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी प्रकृति की तरलता (liquidity) वाली मुद्राओं की माप हो जाती है।

जैसे-जैसे हम M1, से M4 की तरफ बढ़ते हैं मुद्रा की तरलता (liquidity) घटती है। अर्थात् इनमें सर्वाधिक तरलता(liquidity) M1 की है तथा न्यूनतम तरलता M4 की है।

* तरलता (liquidity) का तात्पर्य है उनकी लघु एवं दीर्घ अवधि की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षमता। जहाँ किसी मुद्रा की उच्च तरलता (liquidity) उसे लघु अवधि की धन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बेहतर बनाता है वहीं उनके द्वारा धन की दीर्घावधिक आवश्यकता की पूर्ति नहीं की जा मुद्रा बाज़ार क्या हैं? सकती यह भी पता चलता है।

* M1 जनता को उपलब्ध मुद्रा की मात्रा है। इसे संकीर्ण मुद्रा बाज़ार क्या हैं? मुद्रा (Narrow Money) भी कहते हैं, क्योंकि इसकी तरलता सबसे अधिक है और निवेश में इसकी भूमिका नहीं के बराबर है।

* M3 को व्यापक मुद्रा या सुलभ मुद्रा (Broad Money) कहा जाता है। साख नियंत्रण में यह उपयोगी है, क्योंकि इसका संबंध बैंकों की कुल जमाराशियों से है।

* भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घावधिक निवेश आवश्यकताएँ (जिस पर आर्थिक वृद्धि टिकी होती है) वास्तव में M3 से पूरी होती हैं।

सस्ती मुद्रा नीति से अभिप्राय ऐसी मौद्रिक नीति से है। जिसके अन्तर्गत उद्योगों, व्यवसायों व उपभोक्ताओं को कम ब्याज दर व आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध होते हैं। उद्योगों व व्यापार को प्रोत्साहन देने हेतु प्राय: इस नीति का उपयोग किया जाता है। किन्तु सस्ती मुद्रा नीति से मुद्रा स्फीति में वृद्धि होती है।

महँगी मुद्रा नीति का उपयोग साख संकुचन के लिए किया जाता है। इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। इस नीति के अन्तर्गत ब्याज दर में वृद्धि कर दी जाती है।

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