- इस स्कीम के तहत बीमा लेने वाले की एक्सीडेंट में मौत होने या पूरी तरह से अपंग होने पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलता है। स्थायी रूप से आंशिक अपंग होने पर 1 लाख रुपये का कवर मिलता है। इस स्कीम का सालाना प्रीमियम महज 12 रुपये है। क्लेम की राशि का भुगतान घायल या डिसेबल होने की स्थिति में बीमित व्यक्ति के खाते में होगा। दुर्घटना में मृत्यु होने पर नॉमिनी के खाते में भुगतान किया जाएगा।
- सड़क, रेल या कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है ऐसे ही किसी अन्य एक्सीडेंट, पानी मे डूबने, अपराध में शामिल होने से मौत के मामले में पुलिस रिपोर्ट करना जरूरी होगा। सांप के काटने, पेड़े से गिरने कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है जैसे हादसों में क्लेम हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के आधार पर मिल जाएगा।
जब रुपया गिरता है तो इसका क्या असर होता है, समझिए आसान भाषा में
Dollar Rate Effect: अक्सर देखा जाता है कि लोग डॉलर के रेट को लेकर चिंता में रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर जब डॉलर के सामने रुपया कमजोर होता है कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है तो भारत पर कैसे असर पड़ता है.
अमेरिकन डॉलर के सामने भारत का रुपया लगातार गिरता जा रहा है. मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सात पैसे की गिरावट के साथ 82.37 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब भारतीय करेंसी इतने निचले स्तर पर जा चुकी है. भारतीय करेंसी डॉलर के सामने लगातार गिरावट की ओर जा रही है. इन दिनों रुपये के कमजोर ना होने और डॉलर के ज्यादा मजबूत होने पर भी बहस चल कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है रही है. ऐसे में सवाल है कि आखिर रुपया गिरता है तो इससे असर क्या होता है.
तो आज हम आपको बता रहे हैं कि जब भी पैसा गिरता है तो भारत में आम आदमी पर क्या असर होता है. साथ ही जानते हैं कि किस तरह से डॉलर और रुपये की वैल्यू लोगों को प्रभावित करती है….
वैसे भारत भी काफी चीजें विदेश में निवेश करता है, लेकिन भारत का आयात, भारत के निवेश से ज्यादा है. यानी हम सामान बेचते कम हैं, जबकि खरीदते ज्यादा हैं. ऐसे में हमारे पास डॉलर आता कम है और जाता ज्यादा है. यानी भारत में अरबों का माल डॉलर की कीमत के आधार पर खरीदा जाता है. इस वजह से भारत को डॉलर के एवज में ज्यादा देने होते हैं. अब जितना ज्यादा डॉलर की वैल्यू होगी, उतनी ही ज्यादा कीमत भारत को आयात सामान के लिए चुकानी होगी.
क्या है आयात-निर्यात का हिसाब?
अगर सितंबर के आयात-निर्यात के आंकड़े देखें तो भारत ने निर्यात कम किया है, जबकि आयात काफी ज्यादा है. आयात ज्यादा होने से भारत को व्यापार घाटा 1 लाख 24 हजार 740 करोड़ रुपये का हुआ. यानी जितने रुपये बेचने से आए, उससे ज्यादा पैसे दूसरे कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है सामान खरीदने में लग गए. ऐसे में डॉलर की कीमत गिरने से भारत को नुकसान ही हो रहा है, क्योंकि व्यापार घाटा भारत का काफी ज्यादा है.
दुनिया में करीब 80 फीसदी व्यापार डॉलर में होता है. हर सामान के बनने में डॉलर का इस्तेमाल हुआ है. किसी ना किसी के सामान की प्रोसेस वो आइटम इस्तेमाल होता है, जो विदेश से आता है. इसका मतलब है कि उसके लिए ट्रेड डॉलर में ही किया होगा. सीधे शब्दों में कहें तो आपके काम में आने वाले अधिकतर सामान का संबंध डॉलर से होता है और उससे बनने तक ट्रेड डॉलर में हो रखा होता है. ऐसे में हर सामान पर डॉलर और भारती करेंसी की वैल्यू से असर पड़ता है. अगर डॉलर की वैल्यू ज्यादा है तो हमारे लिए सामान की कीमत ज्यादा हो जाएगी.
अब असर की बात करें तो यह साफ है कि जब भारत का खर्चा ज्यादा हो रहा है तो भारत के लिए यह गलत संकेत है, जिसका असर हर वर्ग पर पड़ता है. इसके साथ ही जो व्यापार आयात पर ज्यादा निर्भर करते हैं, उन व्यापार से जुड़े सामान भी डॉलर की कीमत बढ़ने पर बढ़ जाते हैं. लेकिन, भारत में अधिकतर सामान में आयात से जुड़ी चीजे शामिल हैं, जिससे कीमतें लगातार बढ़ती जाती हैं.
Dollar vs Rupee: सबके लिए घाटे का सौदा नहीं होता गिरता रुपया, इन भारतीयों को हो रहा है मोटा फायदा!
Dollar vs Rupee: डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाली करेंसी को भी गहरी चोट पहुंचाई है. लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 17 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 17 जुलाई 2022, 2:04 PM IST)
- एक्सपोर्टरों को भी मिलता है गिरते रुपये का फायदा
- इंपोर्ट के लिए खर्च करनी पड़ती है अधिक रकम
डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Currency) इन दिनों अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर लुढ़क चुका है. गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.99 पर बंद हुआ था. हालांकि, ऐसा नहीं है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ भारतीय करेंसी ही कमजोर हुई है. डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाली करेंसी को भी गहरी चोट पहुंचाई है. लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
कैसे मिल रहा है फायदा
मान लीजिए कि आपके घर का कोई व्यक्ति अमेरिका (USA) में किसी सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी करता है. चूंकि कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है अमेरिका की करेंसी डॉलर है, तो उसे भी सैलरी इसी करेंसी में मिलती है. इसके बाद वो अपनी सैलरी भारत में आपके पास भेजता है. डॉलर में भेजी गई रकम आपको एक्सचेंज (Currency Exchange) के बाद भारतीय रुपये में मिलती है. ऐसे में अगर आज के समय में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू करीब 80 रुपये हो गई है, तो आपके लिए डॉलर में भेजी गई रकम भी इसी अनुपात में मिलेगी.
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अगर 100 डॉलर आपके लिए किसी ने भेजा है, तो आज के समय भारतीय करेंसी (Indian Currency) में ये लगभग 8000 रुपये होगी. वहीं, अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्यू 70 रुपये होती, तो आपको 7000 रुपये मिलते. यानी 1000 रुपये आपको कम प्राप्त होते. इस तरह रुपये की गिरती वैल्यू के बीच भी कई लोगों को तगड़ा फायदा मिल रहा है.
कितना आता है विदेशों से पैसा
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में विदेशों से साल 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजा गया था. वहीं, 2021 में 87 अरब डॉलर की रकम भारत आई थी. विदेशों में नौकरी कर रहे भारतीय भारी मात्रा में पैसा देश में अपने परिवारों के पास भेजते हैं. इससे देश के विदेशी मुद्रा कोष को फायदा होता है.
एक्सपोर्टरों के लिए भी फायदे का सौदा
जब भी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू गिरती है, तो एक्सपोर्टर फायदे में रहते हैं. सॉफ्टवेयर कंपनियां और फार्मा कंपनियां इसका अधिक फायदा उठाती हैं. क्योंकि उन्हें पेमेंट का भुगतान डॉलर में मिलता है, जिसकी वैल्यू भारत में आकर बढ़ जाती है. इस वजह उन्हें रुपये में आई गिरावट का फायदा मिलता है.
हालांकि, कुछ एक्सपोर्टर अधिक महंगाई दर की वजह से इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं, क्योंकि उनके प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाती है. पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मशीनरी सामान बनाने वाली कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाती है.
भारत अधिक इंपोर्ट करने वाला देश
भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले अधिक इम्पोर्ट करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है. इस वजह हमें अब आयात के लिए अधिक पैसा खर्च करना पडे़गा.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा है. रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन अभी तक इसका असर दिख नहीं रहा है.
Rupee at All time Low: रुपए में रिकॉर्ड गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 78 के नीचे फिसला, आज 43 पैसे गिरा
Rupee at All time Low: डॉलर के मुकाबले रुपए मे रिकॉर्ड गिरावट आई है. रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 78 के लेवल के नीचे लुढ़क गया है. रुपए में आज 43 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई और ये 78.26 रुपए पर जा फिसला है.
Rupee at All time Low: भारतीय मुद्रा (Indian Rupee) में अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले सोमवार को बड़ी कमजोरी देखने को मिली. रुपया अपने ऑल टाइम लो (Rupee All time low) को टच कर गया. ऐसा पहली बार हुआ है जब रुपया 78 के नीचे फिसला है. घरेलू स्टॉक मार्केट (stock market) में कमजोरी के रुख, विदेशी फंड्स की लगातार निकासी और अमेरिकी डॉलर में लगातार मजबूती से आज रुपए में 43 पैसे की गिरावट आई है. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़ों से डॉलर के मुकाबले रुपए में इतनी बड़ी गिरावट आई है.
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनॉलिस्ट गौरांग सोमैया का कहना है डॉलर में आ रही मजबूती और ग्लोबल क्रूड कीमतों में तेजी के चलते रुपए में लगातार गिरावट है. पिछले हफ्ते घरेलू मोर्चे कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है और अमेरिका में महंगाई के आंकड़ों ने बाजार का सेंटीमेंट और बिगाड़ दिया है. सोमैया का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में अभी मजबूती बने रहने की उम्मीद है.
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कौन संभालेगा रुपये की गिरावट?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम (Crude oil Price) में तेजी और शेयर बाजारों में लगातार कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है गिरावट के चलते रुपए (Rupee against Dollar) में ये गिरावट आ रही है. रूस और यूक्रेन युद्ध से रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. वैश्विक अस्थिरता के चलते विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं. इससे भी रुपये को चोट पहुंच रही है. 23 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपए पर था जो गिरकर 13 जून 2022 को 78.20 के रिकॉर्ड स्तर तक लुढ़क चुका है. रुपया में गिरावट को थामने के लिए RBI को नए कदम उठाने होंगे.
Rupee at All time Low: रुपए में रिकॉर्ड गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 78 के नीचे फिसला, आज 43 पैसे गिरा
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क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनॉलिस्ट गौरांग सोमैया का कहना है डॉलर में आ रही मजबूती और ग्लोबल क्रूड कीमतों में तेजी के चलते रुपए में लगातार गिरावट है. पिछले हफ्ते घरेलू मोर्चे और अमेरिका में महंगाई के आंकड़ों ने बाजार का सेंटीमेंट और बिगाड़ दिया है. सोमैया का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में अभी मजबूती बने रहने की उम्मीद है.
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कौन संभालेगा रुपये की गिरावट?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम (Crude oil Price) में तेजी और शेयर बाजारों में लगातार गिरावट के चलते रुपए (Rupee against Dollar) में ये गिरावट आ रही है. रूस और यूक्रेन युद्ध से रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. वैश्विक अस्थिरता के चलते विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं. इससे भी रुपये को चोट पहुंच रही है. 23 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपए पर था जो गिरकर 13 जून 2022 को 78.20 के रिकॉर्ड स्तर तक लुढ़क चुका है. रुपया में गिरावट को थामने के लिए RBI को नए कदम उठाने होंगे.
हर तरह की मृत्यु को कवर करती है PMJJBY, जानें कैसे करें क्लेम
कोरोना काल में गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) बेहद फाएदेमंद है। PMJJBY प्राकृति आपदाओं जैसे भूकंप.
कोरोना काल में गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) बेहद फाएदेमंद है। PMJJBY प्राकृति आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृति उथल-पुथल से होने वाली मृत्यु को कवर करती है। यहां तक कि आत्महत्या और हत्या जैसे किसी भी मृत्यु में इसके तहत क्लेम मिलता है। आइए जानें इस योजना के तहत कहां और कैसे क्लेम कर सकते हैं।
ऐसे करें क्लेम
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) दोनों स्कीम में कुल मिलाकर 4 लाख रुपये तक का बीमा है। अगर कोई इन दोनों स्कीम्स का फायदा लेना चाहता है प्रीमियम कुल मिलाकर महज 342 रुपये सालाना पड़ेगा। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए बैंक अकाउंट होना जरूरी है। बैंक अकाउंट बंद हो जाने या प्रीमियम कटने के टाइम पर खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने से बीमा रद्द हो सकता । क्लेम प्राप्ति के लिए बीमित व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र और एक क्लेम फॉर्म को जमा करना होगा। प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्लेम की राशि नॉमिनी के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगी।
55 साल तक की उम्र तक लाइफ कवर
यह स्कीम 55 साल तक की उम्र तक लाइफ कवर देती है। किसी भी वजह से बीमित व्यक्ति की मौत होने पर उसके नॉमिनी को 2 लाख रुपये मिलते हैं। 18 से 50 साल तक की उम्र का कोई भी नागरिक इस योजना का लाभ ले सकता है। PMJJBY का वार्षिक प्रीमियम केवल 330 रुपये है।
नियम व शर्तें
- PMJJBY स्कीम की पेशकश/एडमिनिस्ट्रेशन LIC व अन्य निजी जीवन बीमा कंपनियों के जरिए है।
- एक व्यक्ति PMJJBY के साथ एक बीमा कंपनी और एक बैंक खाते के साथ ही जुड़ सकता है।
- स्कीम को बीच में छोड़ने वाले व्यक्ति सालाना प्रीमियम का भुगतान कर और अच्छे स्वास्थ्य की स्वघोषणा यानी सेल्फ डिक्लेरेशन जमा कर फिर से इससे जुड़ सकते हैं।
- PMJJBY का क्लेम हासिल करने के लिए बीमा लेने वाले के नॉमिनी/उत्तराधिकारी को उस बैंक ब्रांच में संपर्क करना होगा, जहां बीमित व्यक्ति का खाता है।
- बीमित व्यक्ति की पॉलिसी लेने के 45 दिन के अंदर एक्सीडेंट के अलावा किसी अन्य वजह से मौत होने पर बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। एक्सीडेंट की वजह से हुई मौत इस पॉलिसी में पहले दिन से कवर होती है।
- अगर ज्वॉइंट बैंक अकाउंट होल्डर्स स्कीम का फायदा लेना चाहते हैं तो अकाउंट के सभी होल्डर्स को अलग-अलग सालाना प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
- बीमित व्यक्ति के 55 साल का होने के बाद बीमा अपने आप खत्म हो जाएगा। यह एक शुद्ध टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी है, लिहाजा यह केवल मृत्यु ही कवर करती है । इसमें कोई मैच्योरिटी बेनिफिट, सरेंडर वैल्यू इत्यादि भी नहीं है। इसीलिए इसका प्रीमियम अन्य जीवन बीमा पॉलिसी की तुलना में कम है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY)
- इस स्कीम के तहत बीमा लेने वाले की एक्सीडेंट में मौत होने या पूरी तरह से अपंग होने पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलता है। स्थायी रूप से आंशिक अपंग होने पर 1 लाख रुपये का कवर मिलता है। इस स्कीम का सालाना प्रीमियम महज 12 रुपये है। क्लेम की राशि का भुगतान घायल या डिसेबल होने की स्थिति में बीमित व्यक्ति के खाते में होगा। दुर्घटना में मृत्यु होने पर नॉमिनी के खाते में भुगतान किया जाएगा।
- सड़क, रेल या ऐसे ही किसी अन्य एक्सीडेंट, कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है पानी मे डूबने, अपराध में शामिल होने से मौत के मामले में पुलिस रिपोर्ट करना जरूरी होगा। सांप के काटने, पेड़े से गिरने जैसे हादसों में क्लेम हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के आधार पर मिल जाएगा।
ऐसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
PMJJBY और PMSBY में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए किसी भी बैंक में आवेदन किया जा सकता है। चाहें तो बैंक मित्र या बीमा एजेंट की भी मदद ले सकते हैं। PMJJBY के लिए जीवन बीमा कंपनियों में भी संपर्क किया जा सकता है। सरकारी बीमा कंपनियां और कई प्राइवेट बीमा कंपनियां बैंकों के साथ मिलकर इन स्कीम्स की पेशकश कर रही हैं।
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