-एक जुलाई से क्रिप्टो करेंसी पर टीडीएस लागू होने के बाद इन्हें खरीदने, बेचने वाले आयकर से इसे छिपा नहीं पाएंगे। उन्हें टीडीएस काटने की वजह से विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी। -संतोष कुमार गुप्ता, टैक्स सलाहकार।

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क्रिप्टोक्यूरेंसी जोखिम को सीमित करने के सिग्नेचर बैंक के कदम के पीछे ‘क्यों’ का आकलन करना

क्रिप्टोक्यूरेंसी जोखिम को सीमित करने के सिग्नेचर बैंक के कदम के पीछे 'क्यों' का आकलन करना

ए के अनुसार फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट, न्यूयॉर्क स्थित सिग्नेचर बैंक (SBNY) ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी अपनी जमा राशि को $8-10 बिलियन तक कम करने की योजना बनाई है। यह बैंक के लिए डिजिटल परिसंपत्ति उद्योग से दूर जाने का संकेत देता है। वॉल स्ट्रीट पर बैंक को सबसे क्रिप्टो-फ्रेंडली में से एक माना जाता है।

सितंबर 2022 तक, क्रिप्टो उद्योग का बैंक के कुल $103 बिलियन जमा में लगभग एक चौथाई हिस्सा था। यह लगभग 23.5% था। हालाँकि, क्रिप्टो उद्योग में हाल ही में हुए उपद्रव को देखते हुए, सिग्नेचर अंततः राशि को 15% से कम कर देगा। सिग्नेचर बैंक के सीईओ जोसेफ जे. डेपोलो ने उल्लेख किया कि स्थिर मुद्रा को एक संभावित निकास रणनीति के रूप में माना जा रहा है।

सिग्नेचर के कदम का असर

सिग्नेचर बैंक उन कुछ संघीय विनियमित बैंकों में से एक है, जिन्हें क्रिप्टो ग्राहकों से बड़ी जमा राशि लेने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में कदम रखने के बाद से इसने तेजी से विकास का अनुभव किया। हालाँकि, इस वर्ष बैंक के स्टॉक में 50% से अधिक की गिरावट आई, और इसका एक ग्राहक अब निष्क्रिय क्रिप्टो एक्सचेंज FTX था।

वॉल स्ट्रीट जर्नल भी की सूचना दी अगस्त में सिग्नेचर बैंक, सिल्वरगेट कैपिटल और कस्टमर्स बैनकॉर्प के साथ, तीन छोटे बैंकों में से एक था, जिसने क्रिप्टो-संबंधित व्यवसायों में निवेश किया था, जब उद्योग फलफूल रहा था। समय के साथ, जब क्रिप्टो की कीमतों में गिरावट आई तो इसने गति खो दी। सिग्नेचर के ग्राहकों में क्रिप्टो ऋणदाता सेल्सियस नेटवर्क था, जो दायर दिवालियापन जुलाई में

सिग्नेचर बैंक के मुख्य परिचालन अधिकारी एरिक हॉवेल ने हाल ही में एक उद्योग सम्मेलन में कहा, “हम सिर्फ एक क्रिप्टो बैंक नहीं हैं और हम चाहते हैं कि यह जोर से और स्पष्ट रूप से सामने आए।”

Income Tax News : पहली जुलाई से लागू हो रहे टीडीएस के नए नियम, अब नहीं छिप सकेगा क्रिप्टो करेंसी का लेनदेन

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। एक जुलाई से आयकर में टैक्स डिडेक्शन एट सोर्स (टीडीएस) के नए नियम लागू होने जा रहे हैं। नियमों में देश में चोरी छिपे होने वाली क्रिप्टो करेंसी की खरीद और बिक्री को अपने क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन घेरे में ले लिया गया है। अब इसमें एक निश्चित सीमा से अधिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने पर खरीद करने और बेचने वाले दोनों का डाटा आयकर विभाग के पास आ जाएगा। उसके बाद वह उससे 30 फीसद टैक्स वसूल सकेगा।

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टीडीएस के नए नियमों में यह निर्देश सामने आए हैं कि किसी कारोबारी ने पिछले वर्ष एक करोड़ रुपये का कारोबार किया हो या किसी प्रोफेशनल ने पिछले वर्ष 50 लाख रुपये से अधिक की आय की हो तो वह वित्तीय वर्ष में 50 हजार रुपये तक की क्रिप्टो करेंसी खरीद सकेंगे, लेकिन इससे अधिक की खरीद करने पर एक फीसद टीडीएस की रकम वह भुगतान करते समय काटेगा। वहीं एक क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन सामान्य व्यक्ति वित्तीय वर्ष में 10 हजार रुपये तक की क्रिप्टो करेंसी खरीद सकेगा लेकिन उसके ऊपर खरीद होते ही एक फीसद टीडीएस काटा जाएगा।

वजीर एक्स की संपत्तियों को ईडी ने किया फ्रीज, मनी लॉन्ड्रिंग में क्रिप्टोकरंसी के इस्तेमाल से बड़ी चिंता

नई दिल्ली। वित्तीय अपराधों (financial crimes) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (cryptocurrency exchange) कंपनी वजीर एक्स की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया। ब्लॉकचेन की अंतर्निहित क्षमता के बावजूद ईडी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म (Crypto Platform) पर इस तरह के आरोप लगाने वाली पहली एजेंसी नहीं है। जांच एजेंसियों (investigative agencies) के लिए यह एक नई चिंता बनकर उभरा है।

कैसे बढ़ रही क्रिप्टो चोरी
चेनअनालिसिस 2022 क्रिप्टो क्राइम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में क्रिप्टोकरंसी चोरी और अवैध खातों में पैसा हस्तांतरित करने का चलन 80 फीसदी तक बढ़ गया।

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2018 में 4.4
2019 में 11.7

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2021 में 14.0

1. क्या ब्लॉकचेन से लेनदेन का आकलन संभव है ?
ब्लॉकचेन (blockchain) पर लेनदेन हमेशा जांच योग्य होता है। दुनिया भर में अधिकांश अदालत और कानून प्रवर्तन निकाय ब्लॉकचेन रिकॉर्ड को लेनदेन इतिहास के कानूनी प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। हालांकि, क्रिप्टो लेनदेन कभी-कभी ऑफ-चेन हो सकता है, या धन के प्रवाह को बाधित करने क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, ब्लॉकचेन कन्वेयर बेल्ट की तरह हैं, जो क्रिप्टो के प्रवाह को एक वॉलेट से दूसरे में भेजने की सुविधा देते हैं। वॉलेट सेवा देने वाली कंपनी वॉलेट रखने वाले के बारे में गोपनीयता का ध्यान रखती है।

2. हस्तांतरण किस तरह छिपाए जाते हैं?
हैकर्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे आम तरीकों में से एक को मिक्सिंग या टम्बलर कहा जाता है। चूंकि हर क्रिप्टो टोकन का पता लगाया जा सकता है, टंबलर विभिन्न ब्लॉकचेन से कई टोकन तोड़ते हैं और उन्हें मिलाते हैं। फिर वे मूल राशि को उसके मालिक को हस्तांतरित कर देते हैं, लेकिन कई माध्यमों से लेन-देन के चलते इसका पता लगाना कई बार मुश्किल हो जाता है। कुछ अवैध उपयोगकर्ता ट्रेस करने योग्य टोकन को गोपनीयता-केंद्रित ब्लॉकचेन जैसे मोनेरो में भी स्थानांतरित करते हैं, जो वॉलेट का पता और विवरण छिपा लेते हैं। ऐसे दलाल भी हैं जो नकद सहित अन्य रूप में भुगतान लेकर समान राशि को क्रिप्टो में उपयोगकर्ता के वॉलेट में भेज देते हैं।

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

देश की डिजिटल मुद्रा- ‘डिजिटल रुपया’ (e₹) का पहला पायलट परीक्षण 1 नवंबर से शुरू हो गया. केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू ‘डिजिटल रुपये’ के पहले पायलट परीक्षण में ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) का इस्तेमाल करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. डिजिटल रुपये के साथ कुल मिलाकर 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) (e₹-W) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.

आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.

रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी

होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

रूस के केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर बैन लगाने का प्रस्ताव दिया.

दुनियाभर में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की काफी चर्चा है. कई देश जहां इस वर्चुअल करेंसी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं कुछ देशों ने इसपर बैन भी लगा दिया है. कई जगहों पर क्रिप्टोकरेंसी के फ्यूचर को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. एक के बाद एक देश इस वर्चुअल मुद्रा को किसी न किसी तरह से प्रतिबंधित कर रहे हैं. इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है रूस का. रूस के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को रूसी क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और माइनिंग पर बैन लगाने का प्रस्ताव दिया है. इसके पीछे उन्होंने वित्तीय स्थिरता, नागरिकों की भलाई और इसकी मौद्रिक नीति संप्रभुता के लिए खतरों का हवाला दिया है.

सेंट्रल बैंक ने इसके वॉलेटाइल और इलीगल एक्टिविटीज में इस्तेमाल होने का आरोप लगाया. "क्रिप्टोकरेंसीज: ट्रेंड्स, रिस्क्स, मीजर्स" नाम की इस रिपोर्ट में, सेंट्रल बैंक ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के जरिए लोगों को अपना पैसा देश की इकोनॉमी से बाहर ले जाने का मौका मिलता है, जिससे इकोनॉमी कमजोर हो रही है. इसके साथ ही देश के लिए अपनी मॉनिटरी पॉलिसीज को बेहतर बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. कुछ समय पहले ही सेंट्रल बैंक ऑफ रशिया ने देश और विदेश में क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड करने वाले क्लाइंट्स की डिटेल सहित कुछ प्राइवेट मनी ट्रांसफर के संबंध में कमर्शियल बैंकों से जानकारी जुटाने की योजना का ऐलान किया था.

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