- प्रेशर कुकर में तुवर दाल नी खिचड़ी बनाने के लिए | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | toovar dal khichdi in hindi | सबसे पहले चावल और तुवर दाल को एक साथ एक गहरे बाउल में निकाल के धो लें। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अतिरिक्त गंदगी से छुटकारा मिल सके।
- चावल और तुवर दाल को भिगोने के लिए पर्याप्त पानी डालें। हमने नियमित रूप से सुरती चावल का उपयोग किया है, आप चाहें तो बासमती चावल का भी उपयोग कर सकते हैं।
- इसे ढक्कन से ढककर कम से कम ३0 मिनट के लिए भिगोएँ। भिगोने से तुवर दाल की खिचड़ी को तेजी से पकाने में मदद मिलती हैं।
- एक छलनी का उपयोग करके इसे छान लें और एक तरफ रख दें।
- प्रेशर कुकर में घी गरम करें। घी गरम होने के बाद जीरा डालें और मध्यम आंच पर ३० सेकंड भूनें। आप घी की जगह पर तेल का तड़का भी लगा सकते हैं।
Agriculture Advisory: जरा भी लापरवाही बरती तो कम हो जायेगा अरहर का उत्पादन, कृषि एक्सपर्ट ने दिये कुछ टिप्स
Tur Cultivation: पिछले दिनों सोयाबीन की फसल में पीला मोजैक रोग के चलते ही किसानों की हालत दयनीय हो गई. इसलिये अब अरहर और दूसरी सब्जी फसलों में जोखिम कम करके सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है.
By: ABP Live | Updated at : 24 Sep 2022 06:55 AM (IST)
अरहर की खेती (फाइल तस्वीर)
Arhar Crop Management: भारत को दलहन उत्पादन (Pulses Production) में आत्मनिर्भर बनाने की कवायद की जा रही है, लेकिन तुवर में तेजी का रुख मौसम की अनिश्चितताओं के बीच खेती करना और दालों का उत्पादन लेना ही मुश्किल होता जा रहा है. एक तरफ जहां सूखा के कारण इस साल दलहनी फसलों का रकबा काफी घट गया है तो वहीं तेज बारिश के कारण खेतों में खड़ी दलहनी फसलों को बचा तुवर में तेजी का रुख पाना मुश्किल होता जा रहा है.
इसी के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. पिछले तुवर में तेजी का रुख दिनों सोयाबीन की फसल में पीला मोजैक रोग (Yellow Mosaic in Soybean Crop) के चलते ही किसानों की हालत दयनीय हो गई, इसलिये किसानों को अब अरहर और दूसरी सब्जी फसलों में सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है, ताकि फसल में जोखिम की संभावनाओं को कम किया जा सके.
खरपतवार नियंत्रण
जाहिर है कि खरीफ सीजन (Kharif Season 2022) की बुवाई के लिये ज्यादातर किसानों ने अपने खेतों में अरहर की फसल लगाई है, लेकिन बढ़ते कीट-रोग की संभावनाओं को देखते हुये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अरहर के फसल प्रबंधन को लेकर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है.
- इस मामले में पूसा संस्थान (Pusa Institute) के सस्य विज्ञान संभाग के वैज्ञानिक डॉ राज सिंह बताते हैं कि इस समय अरहर की फसल (Arhar Crop Management) में खरपतवारों उगने लगते हैं. इनमें मोथा घास जैसी खरपतवार तेजी से बढ़ती है.
- इस खरपतवार की जड़ों में गांठ होती है, जो खरपतवारों को काटने पर मिट्टी में ही रह जाती है और दोबारा खरपतवार उगा जाता है.
- इसके अलावा खरपतवारों के वैज्ञानिक नियंत्रण के लिये खरपतवार नाशी दवा का छिड़काव करना ही असरकारी होती है.
- नुकीली पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिये पेंडीमेथिलीन या मेट्रिबुजिन की 250 ग्राम मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर को छिड़कना फायदेमंद रहता है.
निराई-गुड़ाई करें
अरहर की फसल में खरपतवारों की रोकथाम (Weed Management in Tur) के लिये बुवाई के 30 दिनों बाद ही निराई-गुड़ाई का काम शुरू कर देना चाहिये, जिससे खेत में लगने वाले खरपतवारों की संभावनायें कम हो जाती है. इसके लिये खरपतवारों को जड़ समेत उखाड़कर खेत के बाहर फेंक देना चाहिये. इसके अलावा, फसलों की बुवाई से पहले ही मिट्टी में खरपतवार नाशी दवा मिला देनी चाहिये, क्योंकि बाद में इन दवाओं का इस्तेमाल फसल की सेहत के लिये ठीक नहीं रहता. इसके अलावा खेत में जल निकासी का प्रबंध भी कर तुवर में तेजी का रुख लें, जिससे फसलों में बारिश के पानी का जमाव ना हो, इससे जड़ गलन या सड़न पैदा हो सकती है.
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सब्जी फसलों में प्रबंधन
तेज बारिश के बीच बागवानी फसलों की देखभाल करना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि इस समय फसल में दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसकी रोकथाम के लिये लगातार निगरानी करते रहें. सब्जी फसल में दीमक के लक्षण भी दिख जायें तो क्लोरपाइरीफांस 20 ई सी की 4.0 मिली मात्रा को 1 लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के पानी में मिला दें. इस समय सब्जियों की फसल में सफेद मक्खी या चूसक कीटों की संभावना भी बढ़ जाती है. इसकी रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिड की 1.0 मिली मात्रा को 3 लीटर पानी में घोलकर (Pesticide in Vegetable crop) आसमान साफ होने पर छिड़कें.
- किसान चाहें तो खेत में प्रकाश प्रपंच यानी लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं, जिससे रातोंरात कीट-पतंगों का सफाया हो जायेगा.
- कम लागत का लाइट ट्रैप (Light Trap) लगाने के लिये एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बर्तन में कीटनाशक का घोल मिलायें. इसके बाद टब के ऊपर स्टैंड बनाकर बल्ब लगायें और खेतों के बीच में रख दें.
- इस तरह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीट लाइट से आकर्षित होकर टब में गिर जायेंगे और वहीं नष्ट (Pest Control in Vegetable Crop) हो जायेंगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Published at : 24 Sep 2022 06:55 AM (IST) Tags: Pusa Institute Agriculture News Agriculture Advisory हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Agriculture News in Hindi
बीते सप्ताह स्टॉकिस्टों की लिवाली से उड़द और अरहर में तेजी रही
मुंबई । उत्पादक क्षेत्रों से मामूली आपूर्ति के मुकाबले फुटकर कारोबारियों की मांग में तेजी आने के बाद स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली से उड़द और अरहर दाल की कीमतों में तेजी आई। इस बीच शुक्रवार को सरकार ने संसद को सूचित किया कि चालू वित्तवर्ष की अप्रैल से मई की अवधि के दौरान तुअर दाल का आयात 84 प्रतिशत घटकर 16,000 टन रह तुवर में तेजी का रुख गया।
राष्ट्रीय राजधानी में उड़द और इसकी दाल छिलका स्थानीय की कीमतें 200 रुपए और 500 रुपए की तेजी के साथ 4,100 – 5,300 रुपए और 5,200- 5,300 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। इसकी दाल बेहतरीन गुणवत्ता और धोया किस्म की कीमतें भी 500 – 500 रुपये की तेजी दर्शाती क्रमश: 5,300 – 5,800 रुपए और 5,750- 5,950 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।
अरहर और इसकी दाल दड़ा किस्म की कीमतें भी 100 रुपए और 200 रुपए बढ़कर 3,900 रुपए और 5,400- 7,300 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। मटर सफेद और मटर हरी की कीमतें 200- 200 रुपए की तेजी के साथ 3,900- 3,950 रुपए और 4,000 – 4,100 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर लिवाली और बिकवाली के बीच सीमित दायरे में घटबढ़ के बाद चना,
चना दाल स्थानीय और बेहतरीन गुणवत्ता किस्म की कीमतें पिछले सप्ताहांत के बंद स्तर 4,400- 4,450 रुपए, 4,700- 5,100 रुपए और 5,100- 5,200 रुपए प्रति क्विन्टल पर पूर्ववत बंद हुईं। काबुली चना छोटी किस्म और राजमा की कीमतें भी 5,000- 5,800 रुपए और 6,250 – 8,450 रुपए प्रति क्विन्टल पर स्थिरता का रुख दर्शाती बंद हुईं।
तुवर दाल नी खिचड़ी | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | Toovar Dal Ni Khichdi, Gujarati Recipe
तुवर दाल नी खिचड़ी रेसिपी | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | toovar dal khichdi in hindi | with 13 amazing images.
तोर दाल और चावल एक घी के साथ मसालेदार तड़का तुवर दाल नी खिचड़ी तुवर दाल नी खिचड़ी रेसिपी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव साझा करना चाहूंगा. 1. हमने नियमित रूप से सुरती चावल का उपयोग किया है, आप चाहें तो बासमती चावल का भी उपयोग कर सकते हैं। 2. टोअर दाल और चावल को कम से कम 30 मिनट के लिए भिगोएँ। भिगोने से अरहर की दाल की खिचड़ी को जल्दी पकाने में मदद मिलेगी। 3. ३ १/२ कप गरम पानी डालें। गरम पानी खाना पकाने की प्रक्रिया को तेज करता है। इस खिचड़ी की स्थिरता पतली नहीं होगी। यदि आप पतली स्थिरता चाहते हैं, तो थोड़ा अधिक पानी जोड़ें। 4. ४ सीटी के लिए प्रेशर कुक करें। ढक्कन खोलने से पहले भाप को नीकल ने दें अन्यथा आप गरम भाप से खुद को जला सकते हैं। एक बार प्रेशर कुकर से भाप नीकल जाए और पूरी तरह से ठंडा हो जाए, उसके बाद ही ढक्कन खोलें क्योंकि तुवर दाल नी खिचड़ी अभी भी पक रही होगी और दाने कच्चे हो सकते हैं यदि आप इसे समय से पहले खोल देते हैं तो चावल कच्चे रह सकते है।
तुवर दाल नी खिचड़ी सादी खिचड़ी से बेहद अलग है, क्योंकि इसमें खुशबुदार मसालों का प्रयोग किया गया है। रसवाला बटेटा नू शाक और किसी भी तरह की कड़ी और रोटला के साथ तुवर दाल नी खिचड़ी परोसने पर, यह एक संपूर्ण और शानदार खाने को दर्शाता है।
नीचे दिया गया है तुवर तुवर में तेजी का रुख दाल नी खिचड़ी रेसिपी | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | toovar dal khichdi in hindi | स्टेप बाय स्टेप फोटो और वीडियो के साथ।
तुवर दाल नी खिचड़ी | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | - Toovar Dal Ni Khichdi, Gujarati Recipe in hindi
तैयारी का समय: ५ मिनट    पकाने का समय: २० मिनट    भिगोने का समय: ३० मिनट।   कुल समय : ५५ मिनट     ६ मात्रा के लिये
Show me for मात्रा
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Method
- दाल और चावल को साथ धोकर, ज़रुरत मात्रा के पानी में कम से कम ३० मिनट के लिए भिगो दें। छानकर एक तरफ रख दें।
- एक प्रैशर कुकर में घी गरम करें और ज़ीरा, लौंग, कालीमिर्च और दालचीनी डालें।
- जब बीज चटकने लगे, ३१/२ कप गरम पानी, चावल, तुवर दाल, हल्दी पाउडर और नमक डालें। अच्छी तरह मिलाकर ३ से ४ सिटी तक प्रैशर कुक कर लें।
- ढ़क्कन खोलने से पुर्व सारी भाप निकलने दें।
- रोटला, रसवाला बटेटा नू शाक और तुवर में तेजी का रुख कड़ी के साथ गरमा गरम परोसें।
विस्तृत फोटो के साथ तुवर दाल नी खिचड़ी | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | की रेसिपी
- प्रेशर कुकर में तुवर दाल नी खिचड़ी बनाने के लिए | अरहर की दाल की खिचड़ी | गुजराती दाल चावल की खिचड़ी | toovar dal khichdi in hindi | सबसे पहले चावल और तुवर दाल को एक साथ एक गहरे बाउल में निकाल के धो लें। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अतिरिक्त गंदगी से छुटकारा मिल सके।
- चावल और तुवर दाल को भिगोने के लिए पर्याप्त पानी डालें। हमने नियमित रूप से सुरती चावल का उपयोग किया है, आप चाहें तो बासमती चावल का भी उपयोग कर सकते हैं।
- इसे ढक्कन से ढककर कम से कम ३0 मिनट के लिए भिगोएँ। भिगोने से तुवर दाल की खिचड़ी को तेजी से पकाने में मदद मिलती हैं।
- एक छलनी का उपयोग करके इसे छान लें और एक तरफ रख दें।
- प्रेशर कुकर में घी गरम करें। घी गरम होने के बाद जीरा डालें और मध्यम आंच पर ३० सेकंड भूनें। आप घी की जगह पर तेल का तड़का भी तुवर में तेजी का रुख लगा सकते हैं।
आम आदमी की बढ़ी मुश्किलें- सब्जियों के बाद अब महंगी हुईं दालें, जानिए क्यों
दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में दालों की कीमत 15 से 20 रुपये तक बढ़ चुकी है.
Pulses Price in India-दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में दालों की कीमत 15 से 20 रुपये तक बढ़ चुकी हैं. पिछले साल इस अवधि में . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 29, 2020, 11:22 IST
नई दिल्ली.तुवर में तेजी का रुख कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही हैं. एक ओर बीते दो महीने से सब्जियों (Food Inflation) की कीमतों में तेजी का दौर जारी है. वहीं, अब दालों की कीमतें (Pulses Price in India) भी बढ़ने लगी हैं. दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में दालों की कीमत 15 से 20 रुपये तक बढ़ चुकी है. पिछले साल इस अवधि में चना दाल की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलो थी लेकिन इस बार यह 100 रुपये के पार पहुंच चुकी है. अरहर दाल 115 रुपये प्रति किलो बिक रही है. कारोबारियों की मांग है कि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) को सप्लाई बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करना चाहिए. सप्लाई में गिरावट आई है. जबकि, डिमांड लगातार बढ़ रही है. इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है. हालांकि, सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीकठाक है और अगले तीन महीने में खरीफ सीजन की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी. इस साल बंपर पैदावार का अनुमान है.
आपको बता दें कि हाल में कृषि आयुक्त एसके मल्होत्रा ने इंडियन पल्सेस एंड तुवर में तेजी का रुख ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बताया था कि भारत को उम्मीद है कि खरीफ सीजन में दालों का कुल उत्पादन 93 लाख टन होगा. अरहर का उत्पादन पिछले साल के 38.3 लाख टन के मुकाबले इस साल बढ़कर 40 लाख टन होने की उम्मीद है.
क्यों महंगी हो रही हैं दालें- कारोबारियों का कहना हैं कि लॉकडाउन के दौरान तुअर की कीमतें 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गईं, जो बाद में 82 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गईं. हालांकि, अब कीमत फिर से चढ़ने लगी है. त्योहारी सीजन की मांग के कारण दालों की मांग में तेजी आई है.
व्यापारियों को डर है कि कर्नाटक में अरहर की फसल को ज्यादा बारिश से नुकसान होगा. पैदावार में 10% का नुकसान हो सकता है. उम्मीद है कि जब तक नई फसल नहीं आएगी, तब तक कीमतें मजबूत बनी रहेंगी.
दलहन आयातकों ने 2010-21 के लिए तुअर के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है. सरकार ने अप्रैल में 4 लाख टन तुअर के आयात कोटा की घोषणा की थी, जिसे अभी तक आवंटित नहीं किया गया है. इसमें से 2 लाख टन तुअर की दाल मोजाम्बिक से आनी थी.
आयात कोटा अब जारी किया जाना चाहिए था ताकि आयात हो सके. दुनिया के बाजारों में तुअर की कम उपलब्धता है, क्योंकि भारत के घरेलू तुअर में वृद्धि के बाद अंतरराष्ट्रीय किसानों ने अरहर से दूसरी फसलों की ओर रुख कर लिया है.
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