विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में नवंबर में 36,329 करोड़ रुपये का निवेश किया
नई दिल्ली। लगातार दो माह तक भारतीय शेयर बाजारों से निकासी के बाद नवंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) एक बार फिर लिवाल बन गए हैं। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में कमजोरी तथा भारत का कुल वृहद भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश आर्थिक रुख सकारात्मक होने के बीच एफपीआई ने नवंबर में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 36,329 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह इस साल तीसरा महीना (जुलाई, अगस्त और नवंबर) है जबकि एफपीआई का निवेश प्रवाह सकारात्मक रहा है।
इसके अलावा दिसंबर माह की शुरुआत भी सकारात्मक रुख के साथ हुई है। अरिहंत कैपिटल की पूर्णकालिक निदेशक एवं संस्थागत कारोबार प्रमुख अनीता गांधी ने कहा, ‘‘आगे चलकर एफपीआई का प्रवाह दिसंबर में सकारात्मक रहने की उम्मीद है। हालांकि, एफपीआई का रुझान महंगे शेयरों से मूल्य प्रदान करने वाले शेयरों की ओर हो सकता है।’’
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत को अपने हिस्से का एफपीआई निवेश मिलेगा। हालांकि, ऊंचे मूल्यांकन की वजह से यह कुछ प्रभावित हो सकता है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने नवंबर में शेयरों में शुद्ध रूप से 36,329 करोड़ रुपये डाले हैं। इससे पहले अक्टूबर में एफपीआई ने शेयरों से आठ करोड़ रुपये की निकासी की थी। सितंबर में एफपीआई 7,624 करोड़ रुपये के बिकवाल रहे थे।
वहीं अगस्त में एफपीआई ने 51,200 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। जुलाई में उन्होंने 5,000 करोड़ रुपये की लिवाली की थी। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ माह तक एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे।
इस साल अभी तक एफपीआई ने शेयरों से 1.25 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 1,637 करोड़ रुपये निकाले हैं। भारत के अलावा फिलिपीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजारों में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा है।
भारत में बैठकर अमेरिकी कंपनियों में कीजिए निवेश: ICICI प्रूडेंशियल फंड का नैस्डैक 100 इंडेक्स फंड लॉन्च, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और एपल के शेयर्स में होगा निवेश
देश की लीडिंग म्यूचुअल फंड कंपनी ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने नैस्डैक 100 इंडेक्स फंड लॉन्च किया है। यह एक ओपन एंडेड इंडेक्स फंड है। यह फंड वैश्विक स्तर पर 100 बड़ी नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों में निवेश का अवसर प्रदान करेगा। यह नैस्डैक 100 इंडेक्स के रिटर्न को ट्रैक करेगा।
11 अक्टूबर को बंद होगा ऑफर
यह नया फंड ऑफर (NFO) 27 सितंबर से खुला है और 11 अक्टूबर को बंद होगा। इसमें आप कम से कम एक हजार रुपए का निवेश कर सकते हैं। इस फंड के जरिए आप दुनिया की टॉप कंपनियों जैसे फेसबुक, एपल, माइक्रोसॉफ्ट, एडॉब और अन्य कंपनियों के शेयर्स में निवेश कर सकते हैं। नैस्डैक अमेरिकी शेयर बाजार का इंडेक्स है। इसका मतलब यह हुआ कि आप अगर इस फंड में भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश निवेश करेंगे तो यह फंड आपकी रकम को दुनिया की 100 बड़ी कंपनियों के शेयर्स में निवेश करेगा।
भारत में बैठकर दुनिया की बड़ी कंपनियों में निवेश का अवसर
यानी आप भारत में बैठकर दुनिया की इन बड़ी कंपनियों के शेयर्स में निवेश कर उससे फायदा कमा सकते हैं। ICICI प्रूडेंशियल के प्रोडक्ट हेड चिंतन हरिया ने कहा कि इस फंड का उद्देश्य नैस्डैक 100 इंडेक्स को ट्रैक करना है और उसके प्रदर्शन को दिखाना है। नैस्डैक 100 इंडेक्स भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश में मुख्य रूप से इनोवेशन वाली टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशंस सेवाओं वाली कंपनियां शामिल होती हैं।
आपकी रोजाना की जरूरतों से जुड़ी हैं कंपनियां
इसमें से कई कंपनियां ऐसी होती हैं जो हमारे रोजाना की जिंदगी से जुड़ी होती हैं। इन कंपनियों में एपल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, अल्फाबेट, नेटफ्लिक्स, स्टारबक्स आदि हैं। यह फंड उन निवेशकों भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश के लिए उचित है, जो इंडेक्स फंड में भौगोलिक स्तर पर अपने इक्विटी अलोकेशन में विविधता लाना चाहते हैं। उन कंपनियों में निवेशकों को निवेश का भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश अवसर मिलेगा, जो अपने सेक्टर में टॉप पोजीशन हासिल की हैं। इस इंडेक्स का मार्केट कैप 18 लाख करोड़ डॉलर है। अमेरिकी बाजार में यह इंडेक्स अच्छा प्रदर्शन करता है।
20 सालों में 4 गुना की ग्रोथ
नैस्डैक 100 इंडेक्स ने पिछले 20 सालों में 4 गुना की ग्रोथ हासिल की है। पूरी दुनिया में शेयर बाजार हर साल अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश में विविधता निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने में सक्षम हो सकती है। खासकर अमेरिकी बाजार में निवेश करने के ढेर सारे फायदे हैं। इसमें न केवल विकसित देश और मैच्योर हो चुके बाजार का फायदा मिलता है, बल्कि यह बाजार निवेशकों को थीम में निवेश का अवसर देता है। इसमें क्लाउड कंप्यूटिंग, ई-कॉमर्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि थीम शामिल होती हैं।
3 साल में नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 29.1% का रिटर्न दिया
इस तरह की थीम्स बहुत बड़े पैमाने पर भारत में उपलब्ध नहीं हैं। पिछले 3 साल में देखें तो नैस्डैक भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश 100 इंडेक्स ने 29.1% का रिटर्न दिया है, जबकि इसी समय में निफ्टी 50 TRI ने केवल 15.2% का रिटर्न दिया है। S&P 500 TRI ने 19% का रिटर्न दिया है। 5 साल में निफ्टी ने 18.8% का जबकि नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 34.6% का रिटर्न दिया है। 10 साल में नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 31.2% का, निफ्टी 50 TRI ने 13.6% और S&P 500 TRI ने 23.3% का रिटर्न दिया भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश है। नैस्डैक 100 इंडेक्स मुख्य रूप से लॉर्ज कैप ग्रोथ इंडेक्स होता है।
नैस्डैक 100 इंडेक्स टॉप सेक्टर की बात करें तो IT का हिस्सा 44% है। कम्युनिकेशन सर्विसेस का हिस्सा 29% है। कंज्यूमर सेक्टर का हिस्सा 15% है। टॉप कंपनियों में एपल का वेटेज 11.35%, माइक्रोसॉफ्ट का वेटेज 10.15%, अमेजन का 7.66%, अल्फाबेट का 4.18% और फेसबुक का 4.05% वेटेज है।
भारत-अमेरिकी रिश्तों पर PM मोदी ने लिखा एक नया अध्याय, 6 बिंदुओं में जानिए दोनों देशों के मुधर संबंधों के प्रमुख पड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे के साथ एक बार फिर चर्चा भारत-अमेरिका संबंधों पर केंद्रीत हो गई भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शीत युद्ध के बाद दोनों देश कब निकट आए। आखिर वह कौन से पड़ाव है करार है जिससे दोनों देश एक दूसरे के निकट आए।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के साथ एक बार फिर चर्चा भारत-अमेरिका संबंधों पर केंद्रित हो गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शीत युद्ध के बाद दोनों देश कब निकट आए। आखिर वह कौन से पड़ाव है, करार है, जिससे दोनों देश एक दूसरे के निकट आए। आज अमेरिका को भारत की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल, शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया ने तेजी से गति पकड़ी। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और बड़े बाजार ने दुनिया को आकर्षित किया। इसके अलावा अब अमेरिका की सामरिक चुनौतियों का स्वरूप बदला है। चीन की इंडो पैसिफिक और दक्षिण चीन सागर में बढ़ते दखल ने अमेरिका की चिंता बढ़ाई है। चीन अमेरिका के लिए एक नई आर्थिक और सामरकि चुनौती पेश कर रहा है। ऐसे में अमेरिका को भारतीय गठजोड़ खूब रास आ रहा है। दोनों देश निरंतर एक दूसरे के निकट आ रहे हैं। आइए जानते हैं दोनों देशों के निकटता के प्रमुख पड़ाव।
1- वर्ष 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति क्लिंटन का नई दिल्ली दौरा
प्रो. हर्ष भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश वी पंत का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग की बुनियाद काफी पुरानी है। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक के अंत में दोनों देश एक दूसरे के निकट आए। इस दशक में तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह और अमेरिकी राजनयिक स्ट्रोब टालबाट के बीच रक्षा सहयोग को लेकर वार्ता हुई थी। दोनों नेताओं के बीच संवाद के बाद ही वर्ष 2000 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने नई दिल्ली का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, इसकी बुनियाद वर्ष 1984 से 1989 के मध्य पड़ी। उस वक्त दोनों देशों ने रक्षा तकनीक में सहयोग के संबंध विकसित करने की कोशिश की थी।
2- वर्ष 2002 में भारत-अमेरिका के बीच हुआ अहम करार
उन्होंने कहा कि इस कड़ी में वर्ष 2002 में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस का अमेरिका का दौरा काफी अहम रहा। इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच एक अहम करार हुआ था। दोनों देशों के बीच तकनीकी संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान पर करार हुआ था। दोनों देशों के बीच इस करार के तहत तकनीक संबंधी जानकारी को गोपनीय रखने की शर्त भी शामिल थी। इस संधि की बुनियाद पर आगे चलकर भारत को अमेरिका से हथियार खरीदने में आसानी हुई।
3- मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध हुए प्रगाढ़
वर्ष 2014 में भारत और अमेरिका के संबंधों को एक नई गति मिली। आम चुनाव के बाद यूपीए सरकार सत्ता से बाहर हुई। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। उस वक्त अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर थे। मोदी के कार्यकाल में वर्ष 2016 भारत और अमेरिका के बीच संसाधनों के आदान-प्रदान का समझौता हुआ। भारत और अमेरिका की लंबी वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच सामरिक साझीदारी कायम हुई। इसके बाद दोनों देश एक दूसरे के सैन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। इस समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के जहाजों और विमानों को ईंधन की आपूर्ति या अन्य जरूरी सामान मुहैया कराना था। मार्च, 2016 में रायसीना डायलाग के दौरान अमेरिका की पैसिफिक कमान के प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस ने दोनों देशों से अपील की थी कि उन्हें अपने संबंधों पर ऊंचाई पर ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब दोनों देशों को दक्षिण चीन सागर में आपसी तालमेल से गश्त लगाना चाहिए।
4- वर्ष 2018 में दोनों देशों के बीच संचार सुरक्षा समझौता
इसके बाद यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। वर्ष 2018 में दोनों देशों के बीच संचार सुरक्षा समझौता हुआ। इसके बाद भारत ने अमेरिका के अन्य रक्षा सहयोगी देशों की श्रेणी हासिल कर ली। इस करार के बाद अमेरिका भारत को गोपनीय संदेश वाले उपकरण मुहैया करा सकता है। इन उपकरणों के माध्यम से भारत शांति या युद्ध के समय अपने बड़े सैन्य अफसरों और अमेरिका के सैन्य अफसरों के मध्य सुरक्षित गोपनीय संवाद कर सकता है। असल में ये समझौता दोनों देशों के बीच विश्वास मजबूत करने की एक कड़ी थी। इसके आधार पर भारत और अमेरिका अपने रिश्तों के भविष्य की इमारत खड़ी कर सके। इससे दोनों देश एक दूसरे के निकट आए। हालांकि, यह समझौता दोनों देशों के लिए बाध्यकारी नहीं है।
5- फरवरी, 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ऐतिहासिक यात्रा
फरवरी, 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊर्जा मिली भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश थी। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद, हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया था। भारत और अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के संबंधों को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी बताया था।
6- भारतीय अमेरिकी लोगों की अग्रणी भूमिका
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मधुर संबंधों में भारतीय अमेरिकी लोगों की अग्रणी भूमिका रही है। अमेरिका की राजनीति में भारतीय अमेरिकी लोगों की प्रभावशाली भूमिका रही है। वह एक महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में उभर कर सामने आए हैं। अमेरिका में उनकी बड़ी आबादी के अलावा वह काफी शिक्षित और बेहद अमीर हैं। इस वक्त 50 लाख से ऊपर भारतीय अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारतीय अमेरिकी पैरवी का ध्यान भारत की समस्याओं की ओर झुका है। अप्रवासन कानून के संबंध में, भारतीय प्रवासियों ने यू.एस की 1965 अप्रवासन नीति में भारतीयों के लिए अप्रवासन कानूनों के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने हिंदुओं की प्रशंसा करके भारतीय अमेरिकी लोगों की राजनीतिक भागीदारी पर प्रकाश डाला था। इसके बाद अमेरिकी राजनीति में भारतीय अमेरिकी का प्रभाव बढ़ रहा है।
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