40. इंट्रा-डे से बेहतर ऑप्शन ट्रेडिंग है —Pgs. 105

गिरना बुरा नहीं, अच्छा भी होता है

बाज़ार का गिरना लंबे समय के निवेशकों के लिए अक्सर अच्छा होता है क्योंकि इस दौरान तमाम मजबूत कंपनियों के शेयर भी गिर जाते हैं। ऐसे मौके पर इन्हें पकड़ लेना मुनाफे का सौदा साबित होता है। आज हम तथास्तु में ऐसी कंपनी पेश कर रहे हैं, मजबूती के बावजूद जिसके शेयर गिरकर इधर अपने अंतर्निहित मूल्य के काफी करीब पहुंच गए हैं। इसमें अभी निवेश करना तीन साल में 35% से ज्यादा रिटर्न दे सकता है।

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने इंट्राडे अच्छा है या बुरा? के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें.

निवेश – तथास्तु

ट्रेडिंग में मोमेंटम और निवेश में मूल्य को समय से पहले कम भाव पर पकड़ लेना। शेयर बाज़ार से छोटी और बड़ी अवधि, दोनों में कमाने का सबसे सुंसगत तरीका यही हो सकता है। निवेश को समय से पहले कम भाव पर पकड़ लेने को वैल्यू इन्वेस्टिंग भी कहते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश के इसी तरीके से लम्बे समय में कमाते हैं। यह है क्या? मान लीजिए कि आपको परम्परात ज्ञान, बाज़ार व बिजनेस की समझ […]

क्या आप जानते हैं?

जर्मन मूल की ग्लोबल ई-पेमेंट कंपनी वायरकार्ड ने बैंकिंग और इसके नजदीकी धंधों में अपने हाथ-पैर पूरी इंट्राडे अच्छा है या बुरा? दुनिया में फैला रखे थे। फिर भी उसका कद ऐसा नहीं है कि इसी 25 जून को उसके दिवाला बोल देने से दुनिया के वित्तीय ढांचे पर 2008 जैसा खतरा मंडराने लगे। अलबत्ता, जिस तरह इस मामले में …

भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

10 रुपये से कम के इन छोटे शेयरों का बड़ा कमाल, एक हफ्ते में ही कर दिए मालामाल

10 रुपये से कम के इन छोटे शेयरों का बड़ा कमाल, एक हफ्ते में ही कर दिए मालामाल

शेयर बाजार में आज बड़े शेयरों में गिरावट के बीच छोटे शेयर कमाल का रिटर्न दे रहे हैं। गुरुवार दोपहर दो बजे तक सेंसेक्स 443 अंक टूट कर 59167 के स्तर पर आ गया था। टाइटन, एचडीएफसी, विप्रो, एलएंडटी, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज स्टॉक जहां लाल निशान पर थे तो 10 रुपये से कम के कुछ शेयर 9 से 10 फीसद की उछाल के साथ कारोबार कर रहे थे।आज ऐसे 10 स्टाक्स के बारे जानें, जिन्होंने अपने निवेशकों को तगड़ा मुनाफा कमवा रहे हैं.

1. दोपहर दो बजे तक Excel Realty N Infr दस फीसद की उछाल के साथ 8.25 रुपये पर कारोबार कर रहा था। यह स्टॉक पिछले एक हफ्ते में 22.22 फीसद का रिटर्न दे चुका है।

इंट्राडे अच्छा है या बुरा?

यह पुस्तक प्रसिद्ध रिसर्च एनालिस्ट महेश चंद्र कौशिक की नवीनतम पुस्तक है। वर्तमान में शेयर बाजार में पुरानी तकनीकें लगभग निष्प्रभावी हो चुकी है, क्योंकि डिस्काउंट ब्रोकर हाउसेज के आ जाने से व बाजार में ऑप्शन व डिलीवरी में रिटेल निवेशकों की भागीदारी के बढ़ जाने से अब वह समय चला गया, जब निवेशक किसी शेयर की बड़ी मात्रा को खरीदकर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न के लिए होल्ड करते थे। वर्तमान समय में ज्यादातर रिटेल निवेशक या तो इंट्रा-डे में ट्रेड करके एक ही दिन में मुनाफा समेट रहे हैं या ऑप्शन में सात दिवस की छोटी एक्सपायरी की कॉल पुट में पैसा बना रहे हैं या स्विंग ट्रेड में छोटे प्रॉफिट ले रहे हैं, जिससे मार्केट में छोटे दायरे में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं।
वर्तमान पुस्तक इसी संदर्भ में लिखी गई है। यह अपने प्रकार की अकेली ऐसी पुस्तक है, जिसमें इंट्रा-डे, ऑप्शन ट्रेड व स्विंग इंट्राडे अच्छा है या बुरा? ट्रेड को शामिल करके लेखक ने गागर में सागर समेटने का सार्थक प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने 15 वर्ष के ट्रेडिंग अनुभव को 41 टिप्स के माध्यम से साझा किया है, जो शेयर बाजार में प्रॉफिट कमाने के इच्छुक छोटे व बड़े सभी निवेशकों के लिए आवश्यक है।
पुस्तक की प्रत्येक टिप विचारोत्तेजक है, जो निवेशक के दिमाग में आशा व विश्वास की नई रोशनी जगाकर उसकी शेयर बाजार पर नई-नई तकनीकों की तलाश को पूर्ण विराम देती है, क्योंकि पुस्तक में पूर्णतः अनुशासित तरीके से निवेश करने की सभी आधुनिक तकनीकों पर प्रकाश डाला गया है।

The Author

भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।

Rakesh Jhunjhunwala Tips for 2022 in Hindi

अगर शेअर मार्केट कि बात करें और भारत के वारेन बफेट माने जानेवाले राकेश झुनझुनवाला जी कि बात ना हो ऐसा हो सकता है क्या भला। तो आज हम उनी कि बात करेंगे Best Rakesh Jhunjhunwala Tips for Investment in Hindi 2022 क्या हैं इसी की बात करेंगें।

Investment का महत्त्व अगर किसी को जानना है तो वह राकेश झुनझुनवाला जी को देखकर ही हम आसानी से सिख सकते हैं। तो चलिये जानते हैं Rakesh Jhunjhunwala Investment Tips in Hindi जिसे पढ़कर आप स्मार्ट तरिके से निवेश करने के तरिके जान पायेंगेे।

Rakesh Jhunjhunwala Story Hindi में जाने

फोर्ब्स के अनुसार Rakesh Jhunjhunwala जी भारत के 48 वें नंबर के आमीर इन्सान थें और मई 2020 के अनुसार इनकी नेट वर्थ 200 करोंड़ डाॅलर से भी ज्यादा थी। कहा जाता है इन्होंने साल 1985 में सिर्फ 5000 रुपयों से शेअर मार्केट में निवेश कि शुरवात कि थी। साल 1986 में Tata Tea के 5000 Share जो उन्हके पास थे वह बेचकर उन्होंने काफी कमाई की जो कि बताया जाता है 5 लाख रुपयों के आसपास थीं। बाद में उन्होंने Titan Share में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया इसके Share Quantity आज भी इन्हके पोर्टफोलियो में है जो की आज भी कमाई करके दे रहीं हैं।

Rakesh Jhunjhunwala Tips for Investment in Hindi

आपने क्या सिखा:

हमने इस आर्टिकल में देखा Best Rakesh Jhunjhunwala Tips for Investment in Hindi 2021 क्या हैं और उसमें उन्होंने हमें कौन कौनसी महत्वपूर्ण बातें बताई हैं जिससे हम Share Market Ka Ganit समझ सकते हैं। अगर हम देखें तो उन्होंने जो जो चीजें सिखी है और जिससे उन्होंने 5000 रुपयों से 200 करोंड डाॅलर बनाये हैं इसके फंडे हमें इससे जानने को मिलते हैं।

अगर आपको यह बातें थोडीसी भी पसंद आई हो तो इसे कृपया जरुर शेअर करें और कोई सवाल और सुझाव हो तो हमें अवश्य लिखें।

इस साल भी शेयर बाजार ने बजट को सराहा, जोखिम प्रोफाइल को ध्यान में रख करें निवेश

इस साल भी शेयर बाजार ने बजट को सराहा, जोखिम प्रोफाइल को ध्यान में रख करें निवेश

जैसे-जैसे हम हर साल केंद्रीय बजट (Union Budget 2022) के करीब पहुंचते हैं, हम सुबह के अखबारों में आंकड़े देखते हैं कि बजट के दिन शेयर बाजारों (Stock Market) ने कैसा प्रदर्शन किया. कुछ प्रकाशन यह भी बताते हैं कि एक हफ्ते बाद, एक महीने बाद बाजारों ने कैसा प्रदर्शन किया. हमें लगता है कि बजट कितना अच्छा या बुरा है, इसका सबसे अच्छा आकलन शेयर बाजार ही करता है. इस साल भी शेयर बाजारों ने बजट के दिन पर थम्सअप दिया है. 1 फरवरी, 2022 को मुख्य सूचकांक 1.5 फीसदी ऊपर थे. हालांकि, बजट भाषण की शुरुआत से बाजार 0.2 फीसदी अधिक पर बंद ही हुए हैं. विशेषज्ञों ने भी बजट को साहसिक, व्यावहारिक और विकासोन्मुखी बताया है.

बॉन्ड यील्ड 6.85 फीसदी बढ़ा

जब हम बजट को आरआईए के दृष्टिकोण से देखते हैं, तो भावना मिश्रित हो सकती है. ग्राहकों या निवेशकों का पूरा पोर्टफोलियो आरआईए द्वारा प्रबंधित किया जाता है और वित्तीय योजना या परिसंपत्ति आवंटन दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि इन ग्राहकों के पास अकेले इक्विटी के अलावा अन्य परिसंपत्ति वर्गों में भी निवेश हो. इसके अलावा, अतिरिक्त फंड पैसा लगाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इसलिए इक्विटी बाजार तेजी से ऊपर जा रहा इंट्राडे अच्छा है या बुरा? है जो पहले से किए गए निवेश के लिए अच्छा संकेत है लेकिन किये जाने वाले निवेश के लिए नुकसानदेह है.

अगर हम बॉन्ड यील्ड पर नजर डालें जो बजट के दिन के 6.65 फीसदी के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद 6.85 (10 वर्ष) फीसदी तक चढ़ गया, जिससे लगता है कि बजट निराश करता है. इसका अलग मतलब है कि दस साल के बॉन्ड में 2 फीसदी इंट्रा-डे और पिछले दिन की तुलना में कम से कम 1 फीसदी का नुकसान हुआ है. यह सिर्फ एक घरेलू घटना नहीं है.

महंगाई बढ़ने की आशंका

पिछले दो वर्षों में विभिन्न केंद्रीय बैंकों द्वारा महामारी के बाद विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण रूप से तरलता जारी करने से मुद्रास्फीति ने दुनिया भर में अपना सिर उठाया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष और मध्य पूर्व में ड्रोन हमलों जैसे जियो-पॉलिटिकल मुद्दों के कारण भी तेल की कीमतों में तेजी आई है. अगर ऐसी ही स्थितियां बनी रहती हैं तो विशेष रूप से देश में तेल की कीमतों के 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बने रहने के कारण मुद्रास्फीति पर प्रभाव कुछ ऐसा पड़ेगा, जिसके बारे में आरबीआई को चिंता करनी होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास स्वस्थ विदेशी मुद्रा भंडार के आधार पर कुछ त्वरित मौद्रिक निर्णय लेने की क्षमता है और कुछ घोषणाएं होने वाली हैं.

मुझे लगता है कि बजट ने मौका गंवा दिया है, वह यह है कि व्यक्तिगत निवेशक को अपने रिटायरमेंट फंड की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जाए. जैसा कि उन्होंने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए किया, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी कंपनियों को अपने वेतन का 14 फीसदी (वर्तमान में 10 फीसदी के बजाय) एनपीएस में निवेश करने के लिए कहने की अनुमति क्यों नहीं दी? आरआईए द्वारा प्रसारित सभी सूचनाओं के बावजूद कर छूट निश्चत रूप से उनके निवेशकों को निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सकता था.

रेटिंग: 4.58
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 838