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Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा

Forex Trading Kya होती Hai ? हिंदी में जाने

आइए दोस्तो! क्या आप फॉरेक्स मार्केट या Forex Trading के बारे में जानना चाहते तो आप सही पोस्ट पर आए है और मैं खुद एक ट्रेडर हूं इसके बारे में आप को बेहतर तरीके से बता सकता हु। आइए जानते इस दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट बारे में।

फॉरेक्स क्या अर्थ होता है = foreion+exchange इस मार्केट में एक करेंसी को दूसरी करेंसी में बदला जाता है। यह दुनिया को सबसे बड़ी मार्केट है इसका रोज का लेनदेन 5 या 6 ट्रिलियन का होता है। यह 24×5 खुली रहती है और Suterday,Sunday बंद रहती है।

Forex Trading क्या होती है – FOREX TRADING IN HINDI

जिस तरह से लोग शेयर मार्केट में Profit यानी पैसा कमाने के लिए शेयरों की खरीदी बेचा करते है। इसी तरह इस forex market में किसी करेंसी को कम दाम में खरीद कर ज्यादा दाम में बेचने को ही फॉरेक्स ट्रेडिंग या करेंसी ट्रेडिंग कहते है। जिस तरह शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने पर high या medium रिस्क होता है। इस मार्केट में ट्रेडिंग करने पर medium या low रिस्क होता है। इसमें ट्रेड करने पर मार्जिन काम देना पड़ता है। आगे हम मार्जिन और जो भी फॉरेक्स मार्केट में concept है उसको जानेंगे।

भारत में यह दो तरीके से हो सकती है

  1. इंडियन ब्रोकर अकाउंट जैसे – Zerodha,Upstox Etc.
  2. International ब्रोकर अकाउंट जैसे – Octafx, Exness,Tickmill Etc.

फॉरेक्स मार्केट को इफेक्ट करने वाले कारक

USD/INR का प्राइस कम को एप्रीसिएशन कहते है और प्राइस बढ़ने को डिप्रीशिएशन कहते है। प्राइस कम होने का मतलब है भारतीय रुपया मजबूत होता है।जब प्राइस बढ़ता है तो भारतीय रुपया कमजोर होता है।

  1. इनफ्लेशन (मुद्रास्फीति) – जब महगाई की दर यानी महंगाई कम होती है तब INR एप्रीसिएशन होता है
  2. इंटरेस्ट रेट्स (ब्याज दर) – जब rbi रेट्स बढ़ाता है तब भी फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें INR एप्रीसिएशन होता है।
  3. RBI का USD/INR का बेचना – जब INR का प्राइस बढ़ने लगता है।इससे एक्सपोर्टइंपोर्ट करने में परेशानी होने लगती है तो RBI USD/INR बेचने लगता है इससे मार्केट स्थिर हो जाता है और एप्रेशियट होने लगता है।
  4. निर्यात – जब एक्सपोर्ट या निर्यात बढ़ने लगता है।तब INR एप्रीसिएशन होता है।
  5. राजनीतिक स्थिरता फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें – भारत में जब सरकार बार – बार नही बदलती है और एक सरकार पूरे पांच साल तक रहती फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें है तो भी INR एप्रीसिएशन होता है
  6. करेंट अकाउंट डेफिसिट – करेंट अकाउंट डेफिसिट होता है तो भी INR का प्राइस कम होने लगता है

अफोर्डेबल रिल्क

अगर सब कुछ आपकी रणनीति के मुताबिक ही रहा तो शेयरों की ट्रेडिंग से आप शानदार मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन शेयर मार्केट में उतना ही रिस्क लेना चाहिए जितनी आपकी क्षमता हो. रिस्क का मतलब है कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं. कभी भी ऐसे पैसे को निवेश करें जिसे आप गंवाना नहीं अफोर्ड कर सकते हैं. कोशिश करें कि शेयर मार्केट में ट्रेडि्ंग पिरामिड अप्रोच के साथ करें. रिस्क पिरामिड का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग करना.

‘स्टॉप लॉस’ और ‘टेक प्रॉफिट’ के साथ करें ट्रे़डिंग

ट्रेडिंग के दौरान भाव में उतार-चढ़ाव को लगातार ट्रैक करना लगभग असंभव है. चूकने पर भारी नुकसान भी हो सकता है और बंपर मुनाफा भी. हालांकि रिस्क मैनेज करने के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें और बाजार की विपरीत परिस्थितियों में अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें. स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.

ट्रेडिंग में संभवतः टाइम फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण टूल है. बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. काफी समय पहले फॉरेक्स ट्रेडर्स को स्टॉक फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें एक्सचेंज ऑफिसों से फॉरेक्स मार्केट के उतार-चढ़ाव की जानकारी लेनी होती थी लेकिन अब तकनीक का जमाना आ गया फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.

अपना रिसर्च करें

शेयरों की खरीद-बिक्री से पहले रिसर्च जरूर करना चाहिए. इससे आपको यह तय करने में आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है. शेयर मार्केट से पैसे बनाने के लिए हमेशा किस्मत ही नहीं, एनालिसिस भी बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाती है. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ही ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.

अगर आप शेयरों की खरीद-बिक्री यानी ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में प्रवेश करना चाहिए. इससे आपको यह स्पष्ट रूप से पता रहेगा कि आप किस तरह से ट्रेड करना चाहिए. जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे जो समय, इकनॉमिक ट्रेंड और मार्केट एक्सपेक्ट्स के हिसाब से बदलती रहती हैं.
(Article: Marc Despallieres, Chief Strategy & Trading Officer at Vantage)

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  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2022,
  • (अपडेटेड 07 जून 2022, 11:19 AM IST)
  • फोरेक्स ट्रेडर बनने के लिए आप दर्जनों ऑनलाइन फोरेक्स ट्रेडिंग स्कूल से ट्रेनिंग ले सकते है

फोरेक्स ट्रेडिंग में पार्ट टाइम या फुल टाइम ट्रेड करके आप अपने आय को बहुत अच्छे से बढ़ा सकते है। फोरेक्स ट्रेडिंग में पैसे कमाने के लिए बहुत ज्यादा ज्ञान और अनुशासन की जरुरत होती है , जो दोनों बहुत ही मुश्किल से आते है। अच्छी खबर यह है कि , एक अच्छा फोरेक्स ट्रेडर बनने के लिए आप दर्जनों ऑनलाइन फोरेक्स ट्रेडिंग स्कूल से ट्रेनिंग ले सकते है। जो आपको एक सफल ट्रेडिंग कॅरिअर की तरफ ले जायेग।

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

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लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.

क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.

डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग

अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.

डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर ​बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए कितने पैसों की जरुरत होती है

MCX में ट्रेडिंग 5000 रुपये से भी शुरू की जा सकती है लेकिन NCDEX में ट्रेडिंग शुरू करने के लिये 30000 रुपये तक की जरुरत होती है।

Margin: किसी भी कमोडिटी को खरीदने को लिये पुरे पैसे नहीं फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें देने होते है, बस कुछ मार्जिन जमा करवाना होता है। जैसे: 1 किलो चांदी खरीदने के लिये सिर्फ 5000 रुपये का मार्जिन देना होता है। आम तौर पर ब्रोकर दवारा लिवरेज मिलती है लिवरेज एक उधार होता है जिससे ट्रेडर किसी भी कमोडिटी को खरीद सकता है और ट्रेड कम्पलीट होने के बाद उस उधार को ब्रोकर वापिस ले लेता है।

Lot Size: किसी भी कमोडिटी को अपने मन मुताबिक मात्रा में नहीं खरीद सकते है बल्कि पहले से ही निर्धारित Lot Size में खरीदना और बेचा जाता है जैसे: चांदी मिनी के 1 लोट में 1 किलो चांदी होती है अगर आपको 2 किलो चांदी खरीदनी है तो कमोडिटी एक्सचेंज पर चांदी के 2 लोट खरीदने होंगे।(How To Do Commodity Trading In India In Hindi)

ट्रेडिंग के लिये 5 सबसे बढ़िया कमोडिटी (Top Commodity To Trade In India)

  1. Crude Oil: क्रूड ऑइल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली कमोडिटी में से एक है। क्रूडऑयल के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 55000 रुपयों की जरुरत होती है।
  1. Silver: सिल्वर एक Precious Metal है 5 Kg. सिल्वर के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 25000 रुपयों की जरुरत होती है और 1 Kg Silver फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें Mic के 1 Lot डिलीवरी पर को खरीदने के लिये लगभग 5000 रूपये मार्जिन देना होता है।
  1. Gold: Gold फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें इस दुनिया की सबसे पुरानी करेंसी कमोडिटी में से एक है। 100 ग्राम सोने के 1 लोट को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 35000 रुपये निवेश करने होते है। 4. Natural Gas: नेचुरल गैस एक Environment फ्रेंडली फ्यूल है समय के साथ इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। नेचुरल गैस के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 23500 रुपयों की जरुरत होती है।

कमोडिटी ट्रेडिंग में प्रॉफिट कैसे कैलकुलेट करते है

मान लीजिये आपने Crude Oil Future का 1 Lot को 3410 रुपये पर ख़रीदा, जिसकी एक्सपायरी 1 महीने बाद है और एक्सपायरी के समय उसकी प्राइस 3510 रुपये हो जाती है तो आपका प्रॉफिट होगा (3510-3410) = 100 Rupee Per Unit

Actual Profit = 100*100 = 10000 Rupee Profit

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Commodity Market में किसी कमोडिटी की प्राइस डिमांड और सप्लाई पर तय होती है। यदि किसी कमोडिटी की Market Demand बढ़ जाये लेकिन उसकी सप्लाई न बढे फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें तो उस कमोडिटी की प्राइस भी बढ़ जाती है। और अगर कमोडिटी की सप्लाई डिमांड से ज्यादा हो तो उस कमोडिटी की प्राइस घट जाती है। डिमांड और सप्लाई के अलावा Volume, Commodity Usage, Liquidity से भी कमोडिटी फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करें की प्राइस घटती – बढ़ती है।

कमोडिटी ट्रेडिंग में अनुशासन का होना जरूरी है इसलिये एक अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाये जिसमे मनी मैनेजमेंट, स्टॉप लोस्स, टारगेट, रिस्क मैनेजमेंट, एंट्री – एग्जिट पॉइंट इन सभी बातों का ध्यान रखा गया हो। डर या लालच में आकर ख़रीदे या बेचें नहीं।कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India

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