कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ

विशेषताएं

यह बैंक और उसके ग्राहकों के बीच एक अनुबंध है जिसमें ग्राहक को एक निश्चित अवधि के भीतर निश्चित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति की एक निर्दिष्ट राशि को खरीदने/बेचने का अधिकार है लेकिन दायित्व नहीं है, लेकिन ऐसा करना बाध्यकारी नहीं है। इस अनुबंध में, ग्राहक को प्रतिपक्षकार को निर्दिष्ट राशि का अग्रिम भुगतान करना होता है जिसे प्रीमियम के रूप में जाना जाता है।


यह वायदा अनुबंध के विपरीत है जिसमें दोनों पक्षों का एक बाध्यकारी अनुबंध होता है।

किसी प्रतिभूति को बेचने के अधिकार को 'पुट ऑप्शन' कहा जाता है, जबकि खरीदने के अधिकार को 'कॉल ऑप्शन' कहा जाता है। ऑप्शन अनुबंध का उपयोग निम्न के लिए किया जा सकता है:

अंतर्निहित परिसंपत्तियों की कीमत में बिना निवेश किए परिवर्तन से लाभ कमाना।

ऑप्शन अनुबंध का उपयोग अंतर्निहित परिसंपत्तियों की कीमत में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा के लिए भी किया जा सकता है, जो एक निर्दिष्ट अवधि के लिए पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्तियों की खरीद या बिक्री करता है।

ऑप्शन पर एमटीएम लाभ और हानि को उपलब्ध तरल मार्जिन के विरुद्ध समायोजित किया जाता है। शुद्ध विकल्प मूल्य की गणना विकल्प के समापन मूल्य का उपयोग करके की जाती है और अगले दिन लागू की जाती है।

यूरोपीय ऑप्शन - यूरोपीय ऑप्शन ऐसे ऑप्शन हैं जिनका प्रयोग केवल समाप्ति तिथि पर किया जा सकता है। एनएसई में ट्रेड किए जाने वाले सभी इंडेक्स ऑप्शंस यूरोपियन ऑप्शंस हैं।

इन-द-मनी ऑप्शंस (आईटीएम) - इन-द-मनी ऑप्शन एक ऐसा ऑप्शन है जिसका तुरंत प्रयोग करने पर लाभ होता है।

एट-द-मनी-ऑप्शन (एटीएम) - एट-द-मनी ऑप्शन एक ऐसा ऑप्शन है जिसके परिणामस्वरूप कोई लाभ हानि नहीं की स्थिति होती है यदि इसे तुरंत प्रयोग किया गया है।

आउट-ऑफ-द-मनी-ऑप्शन (OTM) - एक आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन एक ऐसा ऑप्शन है जिसके परिणामस्वरूप नुकसान होता है यदि इसे तुरंत प्रयोग किया गया है।

पुट और कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल कहां होता है?

कॉल के खरीदार को एक तय तरीख और निश्चित मूल्य पर अंडरलाइंग स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है.

investment

पुट में खरीदार को शेयरों को बेचने का अधिकार मिलता है. कॉल बेचने वाले विक्रेता को खरीदार से प्रीमियम मिलता है.

2. कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं?
कॉल के खरीदार को एक तय तरीख और निश्चित मूल्य पर अंडरलाइंग (जिनकी कीमतों के घटने बढ़ने पर कॉल पर असर होगा) स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है.

यह प्रीमियम चुकाकर खरीदे जाते हैं. यह कुल कीमत का एक हिस्सा होता है. इसी तरह पुट में खरीदार को शेयरों को बेचने का अधिकार मिलता है. कॉल बेचने वाले विक्रेता को खरीदार से प्रीमियम मिलता है. इसे कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य पर खरीदार को शेयर देने होते हैं. इसी प्रकार पुट विक्रेता को शेयरों को बेचना होता है.

3. वास्तव में ये कैसे काम करते हैं?
मान लेते हैं कि 21 दिसंबर को ट्रेडर निफ्टी की 10,800 की एक कॉल खरीदता है. इसकी मियाद 27 दिसंबर को खत्म होनी है. मान लीजिए कि कॉल के हर एक शेयर की कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ कीमत 62 रुपये है.

एक कॉन्ट्रैक्ट में 75 शेयर होते हैं. मान लेते हैं कि 27 दिसंबर को निफ्टी 10,900 रुपये पर बंद होता है. इस तरह 10,800 की कॉल में 100 रुपये को 'इन द मनी' कहा जाएगा. इसमें कॉल बेचने वाला ट्रेडर को 100 रुपये के अनुपात में भुगतान करेगा. यानी ट्रेडर को 62 रुपये के हर शेयर पर 38 रुपये का फायदा होगा. यह कुल निवेश पर रिटर्न का 61 फीसदी है.

अब मान लेते हैं कि निफ्टी 10,800 की बजाय 10,700 पर बंद होता है. इस मामले में 10,800 रुपये की कॉल में 100 रुपये को 'आउट ऑफ द मनी' कहेंगे. इसमें कॉल खरीदने वाला बिक्री करने वाले के हाथ पूरे के पूरे प्रीमियम (62 रुपये) की रकम गंवा देगा.

यही बात पुट के लिए भी लागू होती है. बस अंतर यह है कि इसमें निफ्टी के गिरने पर खरीदार को फायदा होगा. वहीं, निफ्टी के बढ़ने पर विक्रेता प्रीमियम को रख लेगा.

4. फ्यूचर से यह कैसे अलग है?
उहादरण में आपने देखा कि खरीदार का नुकसान दिए गए प्रीमियम तक सीमित होता है. लेकिन, कॉल और पुट के विक्रेता का नुकसान असीमित हो सकता है. व्यावहारिक रूप से कॉल और पुट के खरीदार को असीमित फायदा हो सकता है. फ्यूचर के मामले में खरीदार या विक्रेता के नफे-नुकसान की सीमा नहीं होती है.

5. ऑप्शन के प्रकार क्या हैं?
ऑप्शन के दो प्रकार है. अमेरिकी और यूरोपीय. अमेरिकी स्टाइल में कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के दौरान कभी भी ऑप्शन को खरीदा-बेचा जा सकता है. वहीं, यूरोपीय स्टाइल में केवल कॉन्ट्रैक्ट की मैच्योरिटी पर ही ऐसा किया जा सकता है. इसमें कॉन्ट्रैक्ट के अंतिम दिन सौदा अपने आप कट जाता है.

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Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

Options Trading: निश्चित ही ऑप्‍शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.

जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्‍यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्‍शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.

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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.

ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्‍ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.

जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.

इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.

होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्‍त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्‍य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.

ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ

ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  • डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
  • समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
  • अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
  • प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.

नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्‍त किया जा सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर : प्रकाशित विचार एक्‍सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें.)

Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

पुट ऑप्शन के विभिन्न पहलुओं को जानें

जबमंडीहाल के परिदृश्य के कारण अस्थिरता अधिक हैकोरोनावाइरस रहा है, निवेशकों को अपने स्टॉक विकल्प चुनते समय अपनी रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है। हालांकि वित्त बाजार में लंबी स्टॉक पोजीशन रखने या खरीदने से लंबी अवधि का मुनाफा मिल सकता है, विकल्प कुछ ऐसा है जो शेयरों की एक बड़ी मात्रा को नियंत्रित करने की आवश्यकता के बिना नियंत्रित कर सकता है।राजधानी उच्च जोखिम वाले स्टॉक में।

यह कहते हुए कि, प्रचलित रूप से, विकल्पों को दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है -बुलाना और विकल्प डालें। यह पोस्ट पुट ऑप्शन के तंत्र को समझने के बारे में है।

Put option

पुट ऑप्शन क्या है?

पुट ऑप्शन एक ऐसा अनुबंध है जो ट्रेडर को अधिकार देता है न किकर्तव्य एक की एक विशिष्ट राशि को कम बेचने या बेचने के लिएआधारभूत दी गई समय अवधि के भीतर एक निर्धारित मूल्य पर सुरक्षा।

यह पहले से निर्धारित मूल्य जिस पर व्यापारी अपना विकल्प बेच सकते हैं, स्ट्राइक मूल्य के रूप में जाना जाता है। पुट ऑप्शन आमतौर पर विभिन्न अंतर्निहित परिसंपत्तियों पर कारोबार किया जाता है, जिसमें मुद्राएं, स्टॉक, इंडेक्स,बांड, वायदा, और वस्तुओं।

पुट ऑप्शंस का कार्य

अंतर्निहित स्टॉक की कीमतों में कमी के साथ, एक पुट विकल्प अधिक मूल्यवान हो जाता है। इसके विपरीत, अंतर्निहित स्टॉक की कीमतों में वृद्धि के साथ एक पुट विकल्प अपना मूल्य खो देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पुट ऑप्शंस का प्रयोग किया जाता है, तो वे परिसंपत्ति में एक छोटी स्थिति की पेशकश करते हैं और इसका उपयोग या तो नीचे की कीमत पर जुआ खेलने के लिए या हेजिंग के उद्देश्य से किया जाता है।

अक्सर, निवेशक एक जोखिम प्रबंधन रणनीति में पुट विकल्प का कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ उपयोग करना पसंद करते हैं जिसे एक सुरक्षात्मक पुट कहा जाता है। इस विशिष्ट रणनीति का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है किबुनियादी संपत्तिका नुकसान स्ट्राइक प्राइस से आगे नहीं जाता है।

पुट विकल्प के प्रकार

पुट ऑप्शंस के दो प्रमुख प्रकार हैं, जैसे:

  • अमेरिकन पुट ऑप्शंस
  • यूरोपीय पुट विकल्प

ये प्रकार आम तौर पर इस बात पर आधारित होते हैं कि विकल्प कब व्यायाम कर सकते हैं। अमेरिकी विकल्प प्रकृति में लचीले हैं और अनुबंध समाप्त होने से पहले आपको व्यापार को व्यवस्थित करने की अनुमति देते हैं। इसके विपरीत, यूरोपीय विकल्पों का प्रयोग इसकी समाप्ति के उसी दिन किया जा सकता है।

पुट ऑप्शन कब खरीदें?

अक्सर, व्यापारी स्टॉक की गिरावट से प्राप्त लाभ को बढ़ाने के लिए पुट ऑप्शन खरीदते हैं। न्यूनतम अग्रिम लागत के लिए, व्यापारियों को स्टॉक की कीमतों से समाप्ति तक स्ट्राइक मूल्य से नीचे जाने से लाभ मिल सकता है।

पुट ऑप्शन खरीदकर, ट्रेडर आमतौर पर यह अनुमान लगाते हैं कि अनुबंध समाप्त होने से पहले स्टॉक की कीमत गिर जाएगी। प्रोटेक्टिव पुट ऑप्शन को खरीदना उपयोगी हो सकता हैबीमा घटते स्टॉक के खिलाफ टाइप करें। यदि यह स्टॉक की कीमत से नीचे चला जाता है, तो व्यापारियों को इससे पैसा कमाने को मिलता है।

पुट ऑप्शन क्यों बेचें?

ट्रेडिंग विकल्प व्यापारियों को पुट ऑप्शन को आसानी से खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं। इसलिए, जहां कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ तक पुट ऑप्शन बेचने का सवाल है, तो इसके कई फायदे हैं। विक्रेताओं के लिए भुगतान खरीदारों के लिए ठीक विपरीत है।

विक्रेता यह अनुमान लगाते हैं कि स्टॉक या तो ऊपर उठेगा या बना रहेगासमतल हड़ताल मूल्य; इस प्रकार, पुट को और अधिक मूल्यवान बना देता है।

राइट पुट ऑप्शन का चुनाव

यदि आप पुट ऑप्शन खरीदने के लिए तैयार हैं, तो सही चुनाव करने के कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ लिए निम्नलिखित बातों पर विचार किया जाना चाहिए:

व्यापार में सक्रिय होने तक की समय अवधि

यदि आप थोड़े समय के लिए सक्रिय होने की आशा कर रहे हैं, तो उस वस्तु की तलाश करें जिसमें इतना समय शेष हो। उदाहरण के लिए, यदि आप दो सप्ताह के लिए रह रहे हैं, तो उस स्टॉक को खरीदने का कोई मतलब नहीं है जिसमें छह महीने का समय शेष हो।

विकल्प खरीदने में आवंटित की जाने वाली राशि

पर आधारितजोखिम सहिष्णुता और खाता आकार, कुछ पुट विकल्प आपके लिए बहुत महंगे हो सकते हैं। ध्यान रखें कि आउट-ऑफ-द-मनी विकल्पों की तुलना में इन-द-मनी पुट विकल्प कीमत में अधिक होंगे। अनुबंध की समाप्ति से पहले जितना अधिक समय रहेगा, उसकी लागत उतनी ही अधिक होगी।

संक्षेप में

पुट ऑप्शन में शामिल जोखिम कारकों को जानने के लिए, यथासंभव सूचित रहना आवश्यक है। यदि आप नौसिखिए हैं, तो आप इसके बारे में विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं, ताकि आप बेहतर निर्णय ले सकें।

Call Option and Its Payoff Positions | Derivatives | Forex Management

A call option give the buyer the right but not the obligation to buy a given quantity of the underlying asset, a given price known as ‘exercise price’ or ‘strike price’ on or before a given future date called the ‘maturity date’ or ‘expiry date’. A call option gives the buyer the right to buy a fixed number of shares/commodities in a particular security at the exercise price up to the date of expiration of the contract.

The seller of an option is known as ‘writer’. Unlike the buyer, the writer has no choice regarding the fulfillment of the obligations under the contract. If the buyer wants to exercise his right, the writer must comply. For this asymmetry of privilege, the buyer must pay the writer the option price, which is known as ‘premium’.

Rights and Obligations in Call Option:

The rights and obligations of the buyer and writer of a call कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ option are explained in figure 48.1.

Rights and Obligations of the Buyers and Writer of a Call Option

Payoff Positions in Call Option:

The payoff positions of buying a call writing a call are given in figure 48.2.

Payoff Positions of Buying and Writting a Call Option

Buying a Call:

The buyer of a call option pays the premium in return for the right to buy the underlying asset at the exercise price ‘C’. If at the expiry date of the option, the underlying asset price is above the exercise price, the buyer will exercise the option, pay the exercise price and receives the asset.

This may then be sold in the market at spot price and makes profit. Alternatively, the option may be sold immediately prior to expiry to realize a similar profit because at expiry, its value must be equal to the difference between the exercise price and the market price of the underlying asset. If the asset price is below the exercise price, the option will be abandoned by the buyer and his loss will be equal to the premium paid on the purchase of call option.

Writing a Call:

The call option writer receives the premium as consideration for bearing the risk of having to deliver the underlying asset is return for being paid the exercise price. If at the expiry, the asset price is above the exercise price, the writer will incur loss because he will have to buy the asset at market price in order to deliver it to the option buyer in exchange for the lower exercise price.

If the asset price is below the exercise price, the call option will not be exercised and the writer will make a profit equal to the option premium.

Expectations, Rewards and Risks in Call Option:

The expectations, rewards and risks of holder and writer of a call option are given in figure 48.3:

Expectation, Reward and Risk of Buyers and Writer of a Call Option

A profit from a call option is analyzed with the help of the following illustration:

Suppose the call is purchased for Rs.5 with an exercise price of Rs.50 as shown in figure 48.4. At maturity, if the share price is below Rs.50, the buyer of call option would not pay to exercise the call, as shares can be bought on the open market for less than the exercise price.

If the share price is above Rs.50, the buyer would pay to exercise the call and gain by the difference between the market price and the exercise price. At a price of Rs.45, the holder of the call loses by being able to purchase the share at Rs.50 and sell at Rs.45. The holder of the call benefits by being able to purchase the share at Rs.50 and sell at Rs.54, although the original price of the option at Rs.5 means there is an overall loss.

Only when the price is Rs.55 or greater, there is net profit to the buyer, and this could be unlimited. The position of the writer of the call and the mirror image of the purchaser is shown in figure 48.4.

If the share price is below Rs.50, the writer makes Rs.5 from the purchaser. For a price between Rs.50 and Rs.55, there is a partial loss in having to provide the stock at a price lower than the market price, and above Rs.55, the writer of call option faces a net loss.

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