● लार्ज कैप शेयरों के म्यूचुअल फंड्स

शेयर बाजार में शुरुआती निवेशक के तौर पर कैसे बनाएं अपना पोर्टफोलियो

मुंबई- पैसा चीजों को चालू करने का एक साधन है। यही वजह है कि कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होकर फंड जुटाती हैं और फिर उन्हें बदले में लाभांश और मुनाफा मिलता है। बाजार में निवेश करना एक ऐसे व्यवसाय में विश्वास करना है जो आपको लगता है कि बढ़ेगा और कुछ नहीं तो आपके पैसे को सुरक्षित रखेगा। शेयर बाजार में शुरुआती निवेशक के तौर अपना पोर्टफोलियो कैसे बनाएं इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहें हैं एंजेल वन लिमिटेड के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट-डीवीपी ज्योति रॉय।

निवेश की बुनियादी बातें: जैसा कि बढ़ते बाजार पूंजीकरण से स्पष्ट है, शेयर बाजार में निवेश करना इन दिनों एक चलन बन गया है। लेकिन निवेश किसी निवेशक की सतर्क पसंद, उपभोग व्यय और बचत होने के नाते एक अवसर लागत है। इस तथ्य को यहां समझना जरूरी है कि निवेश की एक अवसर लागत होती है और यह हमेशा ही अच्‍छी नहीं होती है, जैसा कि शार्क (निवेशकों की श्रेणी) की तरफ से चित्रित किया जाता है। पैसे के प्रति सचेत रहना पहला कदम है जो एक स्मार्ट निवेशक अपने शेयर बाजार की यात्रा शुरू करने की दिशा में उठा सकता है।

आकर्षक निवेश के इक्विटी पोर्टफोलियो बनाते समय याद रखने वाली बातें लिए कैसे बनाएं कंपनी के पोर्टफोलियो | शेयर मार्केट में पोर्टफ़ोलियो के लिए अपनाएँ ये 9 टिप्स

दोस्तो शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव का कोई भी स्पेशल दिन नहीं हुआ करता। आप अगर शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आप भलीभाँति जानते इक्विटी पोर्टफोलियो बनाते समय याद रखने वाली बातें होंगे कि आप मार्केट को कितना भी watch कर लें, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मार्केट का कितना भी analysis कर लें। किसी भी दिन, किसी भी समय मार्केट अचानक या तो ऊपर चला जाता है या धराशायी हो जाता है।

ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले उन शेयर्स के अपने पोर्टफोलियो तैयार कर लें। ताकि जब भी इन्वेस्ट करें। आपके मुनाफ़े की औसत बढ़ सके और नुक़सान की संभावना कम से कम हो।

क्यों ज़रूरी है पोर्टफ़ोलियो Why is it important portfolio?

असल में Portfolio बनाने की शुरुआत करने से पहले यह जान लेना ज़्यादा ज़रूरी है कि आपको इक्विटी अथवा कमोडिटी (equity/commodity) पोर्टफ़ोलियो की ज़रूरत क्यों है? अक्सर कई लोग लंबे समय में पैसा कमाने और अपनी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ऐसे ऐसेट में निवेश करते हैं ताकि उन्हें महँगाई और Tax से बचने में आसानी हो। इक्विटी मार्केट में यह क्षमता देखी जाती है। चलिए वक़्त ज़ाया न करते हुए हम आपको पोर्टफ़ोलियो Portfolio बनाने के टिप्स की जानकारी देते हैं।

शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले कंपनी के पोर्टफ़ोलियो बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

हमेशा ध्यान रखें कि शेयर खरीदते ही आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। इस बात की जाँच अवश्य कर लें कि वह कंपनी स्थिर है, growth (विकास) कर रही है अथवा नहीं। यदि आप इस तरह की जाँच करने के उपरांत किसी कंपनी में निवेश करते हैं तो निश्चित रूप से आप भविष्य में होने वाले नुक़सान से कुछ हद तक बचने में सक्षम हो जाते हैं। अगर वह कंपनी आपके पोर्टफ़ोलियो के अनुसार growth कर गयी तो समझो आप अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा भी बना सकते हैं।

आकर्षक निवेश के लिए कैसे बनाएं कंपनी के पोर्टफोलियो | शेयर मार्केट में पोर्टफ़ोलियो के लिए अपनाएँ ये 9 टिप्स

दोस्तो शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव का कोई भी स्पेशल दिन नहीं हुआ करता। आप अगर शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आप भलीभाँति जानते होंगे कि आप मार्केट को कितना भी watch कर लें, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मार्केट का कितना भी analysis कर लें। किसी भी दिन, किसी भी समय मार्केट अचानक या तो ऊपर चला जाता है या धराशायी हो जाता है।

ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले उन शेयर्स के अपने पोर्टफोलियो तैयार कर लें। ताकि जब भी इन्वेस्ट करें। आपके मुनाफ़े की औसत बढ़ सके और नुक़सान की संभावना कम से कम हो।

क्यों ज़रूरी है पोर्टफ़ोलियो Why is it important portfolio?

असल में Portfolio बनाने की शुरुआत करने से पहले यह जान लेना ज़्यादा ज़रूरी है कि आपको इक्विटी अथवा कमोडिटी (equity/commodity) पोर्टफ़ोलियो की ज़रूरत क्यों है? अक्सर कई लोग लंबे समय में पैसा कमाने और अपनी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ऐसे ऐसेट में निवेश करते हैं ताकि उन्हें महँगाई और Tax से बचने में आसानी हो। इक्विटी मार्केट में यह क्षमता देखी जाती है। चलिए वक़्त ज़ाया न करते हुए हम आपको पोर्टफ़ोलियो Portfolio बनाने के टिप्स की जानकारी देते हैं।

शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले कंपनी के पोर्टफ़ोलियो बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

हमेशा ध्यान रखें कि इक्विटी पोर्टफोलियो बनाते समय याद रखने वाली बातें शेयर खरीदते ही आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। इस बात की जाँच अवश्य कर लें कि वह कंपनी स्थिर है, growth (विकास) कर रही है अथवा नहीं। यदि आप इस तरह की जाँच करने के उपरांत किसी कंपनी में निवेश करते हैं तो निश्चित रूप से आप भविष्य में होने वाले नुक़सान से कुछ हद तक बचने में सक्षम हो जाते हैं। अगर वह कंपनी आपके पोर्टफ़ोलियो के अनुसार growth कर गयी तो समझो आप अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा भी बना सकते हैं।

म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड

म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –

  • इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
  • इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
  • हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
  • डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं

शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।

मौजूदा और नए निवेशक क्‍या करें?

इक्विटी बाजार लंबी अवधि के लिए आपकी दौलत में इजाफा करते हैं. इक्विटी निवेश के जरिए बड़े रिटर्न के लिए आपको लंबी अवधि तक अपने निवेश को बनाए रखना होगा.

इसलिए एसेट एलोकेशन सही करें. रिस्‍क लेने की क्षमता और निवेश के लक्ष्य को देखकर निवेश करें. इक्विटी निवेश को कम से कम 3-5 साल के लक्ष्‍य के साथ शुरू करें. छोटी अवधि के लिए, आप बैंक डिपॉजिट और डेट फंड पर विचार कर सकते हैं.

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STPs) का इस्तेमाल करें.

किन सेक्टर्स को लेकर पॉजिटिव

भारत की अर्थव्यवस्था अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत बनी रहेगी, मुख्य रूप से घरेलू खपत और खर्च के चलते. इसलिए डोमेस्टिक ओरिएंटेड सेक्‍टर्स जैसे फाइनेंशियल, कंज्‍यूमर, इंडस्ट्रियल और हेल्‍थकेयर पर ओवरवेट हैं. कमोडिटी की कीमतों में नरमी से भारत को फायदा हो सकता है. कैपेक्स साइकिल के रिवाइवल के शुरुआती संकेत भी दिख रहे हैं.

पैसिव फंड्स इंडस्‍ट्री में निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है. यह इंडस्‍ट्री एक्टिव फंडों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि अभी इसका बेस कम है. पैसिव फंड में ग्रोथ काफी हद तक EPFO / अन्य PF ट्रस्टों के साथ-साथ एचएनआई और अन्य संस्थागत निवेशकों द्वारा ड्राइव की गई है. अभी पैसिव फंड कुल इंडस्‍ट्री एसेट का 15 फीसदी हिस्सा है और आगे मार्केट शेयर में और बढ़ोतरी की उम्मीद है. पैसिव फंडों की डिमांड मजबूत रहेगी.

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में किस तरह के बदलाव

भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. साल दर साल ग्रोथ देखने को मिली है. रिटेल निवेशक अब इंस्टीट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स की तुलना में AuM के बड़े हिस्से का योगदान करते हैं. पिछले 12 महीनों में म्यूचुअल फंड अन्य डीआईआई के साथ बाजारों में नेट इन्‍वेस्‍टर रहे हैं, जबकि FPIs ने भारी मात्रा में पैसा निकाला है. मंथली बेसिस पर SIP AuM और अकाउंट में बढ़ोतरी इंडस्‍ट्री के लिए एक बड़ा और सपोर्ट देने वाला फैक्‍टर रहा है.

म्यूचुअल फंड में निवेश आपके फाइनेंशियल गोल, इन्‍वेस्‍टमेंट हॉरिजॉन के साथ रिस्‍क लेने की क्षमता पर बेस होना चाहिए. जोखिम ले सकते हैं और लंबी अवधि का लक्ष्य है तो एसेट के अधिक रेश्‍यो को इक्विटी जैसे एसेट क्लास में रखना चाहिए.इक्विटी पोर्टफोलियो बनाते समय याद रखने वाली बातें

म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों को एसआईपी या हाइब्रिड फंड जैसे बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या लार्ज कैप डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड में निवेश करने पर विचार करना चाहिए. निवेश के पहले अपने स्तर पर एडवाइजर से सलाह लें ताकि उनका पोर्टफोलियो बेहतर बन सके.

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