1948 में बराबर थे डॉलर और रुपया

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आज़ादी से अब तक सिर्फ 1 बार ऐसा हुआ कि रुपया लगातार दो या ज्यादा साल मज़बूत हुआ

10 साल में भारतीय करेंसी के मुकाबले डॉलर 20.22 रुपए तक महंगा हो गया है। अक्टूबर 2008 में रुपया 48.88 प्रति डॉलर के स्तर पर था, जो अब 69.10 के स्तर पर है। जल्द ही इसके 70 के स्तर पर पहुंचने की भी आशंका है। हालांकि रुपए के कमजोर होने का यह ट्रेंड अप्रैल 2016 से जारी है। वैसे आजादी के बाद से अब रुपए के मजबूत और कमजोर होने पर नजर डालें, तो कुछ और भी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आती हैं। यह भी क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप साफ हो जाता है कि इन 70 वर्षों में एक बार ही ऐसा मौका आया है, जब रुपया लगातार दो या ज्यादा बार मजबूत हुआ हो। ऐसा 2008 से 2011 के बीच हुआ। अक्टूबर 2008 में रुपया 48.88 प्रति डॉलर था, जो 2009 में 46.37 के स्तर पर पहुंचा। जनवरी 2010 में रुपए ने क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप 46.21 के स्तर को छुआ। इसके बाद अप्रैल 2011 में रुपया एक बार फिर मजबूत होकर 44.17 के स्तर पर पहुंच गया।

फॉरेक्स मार्केट क्या है? Forex Trading Details hindi

फॉरेक्स (जिसे फॉरेक्स या FX भी कहा जाता है) का मतलब ग्लोबल, ओवर-द-काउंटर मार्केट (OTC) से क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप है जहां ट्रेडर, निवेशक, संस्थान और बैंक, एक्सचेंज सट्टा लगाते हैं, विश्व करेंसियां खरीदते और बेचते हैं।

ट्रेडिंग ‘इंटरबैंक बाजार’ पर किया जाने वाला ऑनलाइन चैनल, जिसके माध्यम से, सप्ताह में पांच दिन चौबीसों घंटे करेंसियां ट्रेड की जाती हैं। फॉरेक्स सबसे बड़े ट्रेडिंग बाजारों में से एक है, ग्लोबल दैनिक ट्रेड 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग मार्केट कैसे काम करती है

शेयरों या वस्तुओं के विपरीत Forex Trading एक्सचेंजों पर नहीं बल्कि सीधे Two Parties के बीच एक ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार में होता है। विदेशी मुद्रा बाजार बैंकों के वैश्विक नेटवर्क द्वारा चलाया जाता है, जो अलग-अलग क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप समय क्षेत्रों में चार प्रमुख Forex Trading केंद्रों में फैला हुआ है: लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी और टोक्यो। क्योंकि कोई केंद्रीय स्थान नहीं है, आप 24 घंटे विदेशी मुद्रा व्यापार कर सकते हैं।

स्पॉट फॉरेक्स मार्केट: एक मुद्रा जोड़ी का भौतिक आदान-प्रदान, जो व्यापार के ठीक उसी बिंदु पर होता है – यानी ‘मौके पर’ – या थोड़े समय के भीतर

फॉरवर्ड फॉरेक्स मार्केट: एक अनुबंध एक निर्दिष्ट मूल्य पर एक मुद्रा की एक निर्धारित राशि को खरीदने या बेचने के लिए सहमत है, भविष्य में एक निर्धारित तिथि पर या भविष्य की तारीखों की एक सीमा के भीतर तय किया जाएगा।

फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए जरुरी टर्म्स

भारत में करेंसी ट्रेड से संबंधित कुछ विशिष्ट शब्द इस प्रकार हैं:

स्पॉट प्राइस और फ्यूचर्स प्राइस – स्पॉट प्राइस वह कीमत है जिस पर एक करेंसी पेयर वर्तमान में मार्केट में ट्रेड कर रही है। फ्यूचर प्राइस वह मूल्य है जिस पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट मार्केट में ट्रेड करता है।

लॉट साइज – करेंसी ट्रेडिंग बहुत सारे पेयर्स में किया जाता है और विभिन्न पेयर्स के लिए लॉट साइज तय किया गया है। USD / INR, GBP / INR, EUR / INR के लिए, यह 1000 है और JPY / INR के लिए, यह 10000 है।

कॉन्ट्रैक्ट साइकल – एक महीने, दो महीने, तीन महीने से बारहवें महीने तक की करेंसी के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के लिए अलग-अलग एक्सपायरी साइकल हैं।

एक्सपायरी डेट – इसमें एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तिथि निर्दिष्ट है। यह कॉन्ट्रैक्ट महीने का अंतिम कार्य दिवस (शनिवार को छोड़कर) है। कॉन्ट्रैक्ट के ट्रेडिंग के लिए अंतिम दिन अंतिम सेटलमेंट की तारीख या मूल्य की तारीख से दो दिन पहले होगा।

Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.


फॉरेक्स ट्रेडिंग के कुछ टिप्स -


जैसे कि हमने ऊपर पढ़ा है कि फॉरेक्स ट्रेडिंग बिल्कुल स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही होती है फर्क बस इतना होता है कि शेयर बाजार में प्रॉफिट या लॉस shares के प्राइस पर निर्भर करता है वहीं पर फॉरेक्स ट्रेडिंग में उस करंसी के एक्सचेंज पर निर्भर करता है जैसे कि आपको पता होगा कि शेयर बाजार में कभी आपको प्रॉफिट होता है तो कभी नुकसान भी होता है ठीक उसी प्रकार यहां भी होता है कभी आपको प्रॉफिट तो कभी लोग भी हो सकता है। यहां हम आपको कुछ सफल फॉरेक्स ट्रेडिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप फॉलो करके कुछ अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं

  • Forex trading करने से पहले आपको इसके विषय में जानकारी होना बहुत ही जरूरी होता है
  • फॉरेक्स मार्केट सप्ताह में 5 दिन 24 घंटे तक खुला रहता है भारत में यहां 5:00 बजे तक बंद हो जाता है इसलिए यहां आपको इंटरडे ग्रेड से थोड़ा बचना चाहिए
  • किसी भी प्रकार की स्कीम से बचना चाहिए और अपना अकाउंट सेबी रजिस्टर्ड बुकिंग कंपनी से ही ओपन कर आना चाहिए
  • प्रतीक ट्रेडिंग में आपको स्टॉपलॉस लगाना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि यहां आपको बड़े लॉस से बचाता है
  • और जिस दिन आप ट्रेड लगाते हैं उस समय से उस मार्केट का फॉलो करना चाहिए
  • अपनी आवश्यकता अनुसार ट्रेडिंग कभी भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें लॉस होने का chance भी अधिक होता है जब भी मार्केट अच्छा movementom होता है उस समय आपको ट्रेड करना चाहिए

क्या कैशलेस इंडिया का भविष्य है डिजिटल करेंसी 'बिटकॉयन'?

क्या नोटबंदी के बाद बिटकॉयन है कैशलेस इंडिया का भविष्य

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2016,
  • (अपडेटेड 19 दिसंबर 2016, 7:35 PM IST)

भारत में नोटबंदी के साथ-साथ ई-वॉलेट और कैशलेस इकोनॉमी की तरफ छलांग लगाने की कवायद हो रही है. कभी प्रधानमंत्री तो कभी वित्तमंत्री के मुंह से डिजिटल इंडिया और डिजिटल करेंसी का हवाला मिल रहा है. आप और हम मान लेतें हैं कि इशारा कैश का इस्तेमाल न करते हुए क्रेडिट, डेबिट और ई-वॉलेट की मदद से ट्रांजैक्शन करने की तरफ है. लेकिन क्या ये डिजिटल करेंसी है? नहीं. जानिए क्या है बिटकॉयन और क्या हैं इसके फायदे और नुकसान.

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