-मोबाइल टेलीफोनी तक पहुंच.

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने विशेष तलाशी अभियान के दौरान नौ रोहिंग्या को हिरासत में लिया है।

डेली अपडेट्स

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में मानव विकास सूचकांक में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

मानव विकास सूचकांक (HDI) जिसमें जीवन प्रत्याशा, शिक्षा या ज्ञान की पहुँच और क्या संकेतक बेहतर है आय या जीवन स्तर के संकेतकों को शामिल किया जाता है, जीवन की गुणवत्ता का स्तर तथा इसमें परिवर्तन से जुड़े महत्त्वपूर्ण आँकड़े प्रस्तुत करता है। यह सूचकांक भारत और पाकिस्तान के दो प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ‘महबूब उल हक’ (पाकिस्तान ) और अमर्त्य सेन (भारत) की देन है। शुरुआत में इसे जीडीपी के विकल्प के रूप में लॉन्च किया गया था, क्योंकि यह वृद्धि प्रक्रिया मानव विकास की केंद्रीयता पर ज़ोर देती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत अपनी अर्थव्यवस्था में कई गुना वृद्धि करने में सफल रहा क्या संकेतक बेहतर है है परंतु HDI के संदर्भ में भारत का प्रदर्शन बहुत अधिक प्रभावी नहीं रहा है। पिछले तीन दशकों का HDI डेटा देखकर पता चलता है कि HDI स्कोर के संदर्भ में भारत की औसत वार्षिक वृद्धि दर मात्र 1.42% ही रही है।

भारत द्वारा मानव विकास के क्षेत्र में सुधार:

    की मानव विकास रिपोर्ट-2019 के अनुसार, वर्ष 2005 से भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय दोगुने से अधिक हो गई है। साथ ही वर्ष 2005-06 के बाद के दशक में बहुआयामी गरीबों की श्रेणी में आने वाले लोगों की संख्या में 271 मिलियन से अधिक की गिरावट आई है।
  • इसके अतिरिक्त मानव विकास के ‘बुनियादी क्षेत्रों’ में व्याप्त असमानताओं में भी कमी आई है। उदाहरण के लिये ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर रहने वाले समूह शिक्षा प्राप्ति के मामले में बाकी आबादी की बराबरी कर रहे हैं।

वर्ष 2019 के मानव विकास सूचकांक में भारत 6,681 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय के साथ 131वें स्थान पर रहा, जो वर्ष 2018 (130वें स्थान) की तुलना में भारत को एक स्थान पीछे ले जाता है। सामाजिक और आर्थिक असमानता के नकारात्मक प्रभाव का बोझ भारत के इस खराब प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण रहा है, जबकि अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत विश्व की शीर्ष 6 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इसके अतिरिक्त भारत के इस खराब प्रदर्शन के अन्य प्रमुख कारणों में से कुछ निम्नलिखित हैं:

आगे की राह:

  • उचित आय वितरण: यद्यपि आर्थिक संसाधनों का आकार मानव विकास को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है परंतु इन संसाधनों का वितरण और आवंटन भी मानव विकास के स्तर को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • कई वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि एक मध्यम सामाजिक व्यय के चलते भी अधिक प्रभावी आय वितरण के साथ उच्च विकास (High Growth) के माध्यम से मानव विकास को बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।
    • उदाहरण के लिये दक्षिण कोरिया और ताइवान ने प्रारंभिक भूमि सुधारों के माध्यम से आय वितरण में सुधार किया।
    • लोगों के लिये जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखना और इसमें निरंतर सुधार करना, नवीन क्या संकेतक बेहतर है चुनौतियों (जैसे शहरीकरण, आवास की कमी, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच आदि) से निपटने के लिये बनाई गई नीतियों पर निर्भर करेगी।
    • वित्तीय ज़रूरतों का प्रबंधन: राजस्व सृजन के नए स्रोतों के निर्माण के पारंपरिक दृष्टिकोण को व्यवस्थित करना। सब्सिडी के तर्कसंगत लक्ष्यीकरण, सामाजिक क्षेत्र के विकास हेतु निर्धारित राजस्व का विवेकपूर्ण उपयोग आदि जैसे कदम HDI में सुधार के लिये आवश्यक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।

    सामाजिक विकास सूचकांक के आयाम

    सामाजिक विकास प्राप्त करने के लिए, राज्य की भूमिका का बहुत महत्व है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह उन क्षेत्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों को चैनल करने और वितरित करने का प्रभारी है, जिनके पास विकास के लाभों तक कम पहुंच है।.

    सामाजिक विकास का सूचकांक तीन आयामों से बना है: बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं, कल्याण की नींव और प्रगति के अवसर। अगला, उनमें से प्रत्येक विस्तृत होगा.क्या संकेतक बेहतर है

    बुनियादी मानव की जरूरत है

    यह आयाम यह निर्धारित करना चाहता है कि प्रत्येक देश अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक आदानों के साथ मानव को किस हद तक प्रदान करता है। इसके लिए, निम्नलिखित घटकों पर ध्यान दिया जाता है:

    - पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल तक पहुंच

    पोषण और चिकित्सा देखभाल मनुष्य के जीवन के लिए मूलभूत कारक हैं, क्योंकि उनकी पहुंच नहीं होने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है.

    सांख्यिकीय रूप से यह निर्धारित करने के लिए कि इस घटक के लिए आबादी की पहुंच कैसे है, निम्नलिखित संकेतकों को ध्यान में रखा जाता है:

    -भोजन की कमी की तीव्रता.

    -संक्रामक रोगों के कारण मृत्यु.

    - पानी और स्वच्छता तक पहुंच

    इस घटक को व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में क्या संकेतक बेहतर है से एक माना जाता है। यह स्वास्थ्य से संबंधित है, जीवन और सामाजिक विकास के लिए एक बुनियादी पहलू है। नीचे कुछ संकेतक दिए गए हैं:

    भलाई की मूल बातें

    यह आयाम नागरिकों की उन सभी पहलुओं तक पहुँच को मापने के लिए जिम्मेदार है जो उनकी भलाई को बढ़ावा देते हैं; जो निम्नलिखित घटकों में व्यक्त किए जाते हैं:

    - बुनियादी ज्ञान तक पहुंच

    शिक्षा के माध्यम से बुनियादी ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इस अर्थ में, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 26 में कहा गया है कि शिक्षा का उद्देश्य मानव व्यक्तित्व के पूर्ण विकास और मानव अधिकारों के सम्मान को मजबूत करना है।.

    बुनियादी ज्ञान तक पहुंच: निम्नलिखित संकेतक प्रस्तुत करता है:

    -प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन.

    -हाई स्कूलों में नामांकन.

    - सूचना और संचार तक पहुंच

    यह घटक यह निर्धारित करने की अनुमति देता है कि व्यक्तियों के पास सूचना और संचार क्या संकेतक बेहतर है के लिए किस हद तक पहुंच है। यहाँ कुछ संकेतक दिए गए हैं:

    अवसरों

    यह आयाम हमें उस स्तर को मापने की अनुमति देता है, जिसमें प्रत्येक देश की आबादी में सुधार और व्यक्तिगत विकास के अधिकार और अवसर हैं.

    साथ ही यह इच्छाओं को मापता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने ज्ञान और क्षमताओं को बढ़ाना क्या संकेतक बेहतर है है.

    - व्यक्तिगत अधिकार

    कुछ संकेतक जो इस घटक को मापने की अनुमति देते हैं:

    -अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.

    - व्यक्तिगत स्वतंत्रता

    व्यक्तिगत स्वतंत्रता सामाजिक विकास के सबसे जटिल घटकों में से एक है। इसके माध्यम से मापा जा सकता है:

    -पूजा की स्वतंत्रता.

    -गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग करने की स्वतंत्रता.

    -निर्णय लेने की स्वतंत्रता.

    - सहिष्णुता और समावेश

    सहिष्णुता दूसरों के होने या कार्य करने के तरीके के प्रति सम्मान और विचार है। अपने हिस्से के लिए, समावेश सभी व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए संदर्भित करता है, उनकी व्यक्तिगत विशेषताओं की परवाह किए बिना.

    सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में संकेतक का क्या है महत्व? कक्षा शिक्षण में संकेतकों का प्रयोग किस प्रकार करेंगे?


    यह शिक्षक के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें यह आवश्यक है कि शिक्षक स्वयं अपने कक्षा कक्ष की स्थितियों के अनुसार संकेतक का प्रयोग करे। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में संकेतक एक महत्वपूर्ण कड़ी है। संकेतक ही वह आधार है जिसके माध्यम से बच्चों से सम्बन्धित क्षेत्र में दक्षता का सुव्यवस्थित विकास किया जाता है। संकेतक का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बाते आवश्यक हैं-

    'मानव विकास सूचकांक' में पिछड़ा भारत, 189 देशों में 131वां है इसका स्‍थान

    पिछले साल की तुलना में दो पायदान नीचे खिसका भारत का HDI

    वर्ष 2020 के मानव विकास सूचकांक में भारत पिछड़ता नजर आ रहा है। इसमें शामिल 189 देशों में भारत 131वें स्थान पर है जो पिछले वर्ष यानि 2019 में 129वां था। यह सूचकांक किसी देश में स्वास्थ्य शिक्षा और जीवन स्तर का पैमाना है।

    नई दिल्‍ली [देवेंद्रराज सुथार]। यह चिंताजनक है कि मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत अपने खराब प्रदर्शन के कारण पिछड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 के मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में 131वें स्थान पर है। पिछले साल भारत इसमें 129वें स्थान पर था यानी इस साल भारत दो पायदान नीचे खिसक गया है। HDI किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, क्या संकेतक बेहतर है शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है। मानव विकास सूचकांक की सूची में नॉर्वे सबसे ऊपर है, इसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड जैसे देशों के नाम शामिल हैं। दरअसल मानव विकास सूचकांक हमें यह बताता है कि किसी देश में लोगों की स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच कितनी है, उनका जीवन स्तर कैसा है।

    मानव विकास सूचकांक 2022: भारत में यूएनडीपी की रेजिडेंट प्रतिनिधि शोको नोडा ने कहा, पब्लिक हेल्‍थ में अधिक इन्‍वेस्‍टमेंट है जरूरी

    Human Development Index 2022: More Investment In Public Health Is Critical, Says Shoko Noda, UNDP Resident Representative In India

    नई दिल्ली: गुरुवार (8 सितंबर) को जारी मानव विकास रिपोर्ट 2021/2022 में भारत 191 देशों और क्षेत्रों में से 132वें स्थान पर है. नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट, अनसर्टेन टाइम्स, अनसेटल्ड लाइव्स: शेपिंग अवर फ्यूचर इन ए ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड के अनुसार, भारत की एचडीआई वैल्‍यू 0.633 है जो देश को मीडियम ह्यूमन डेवलपमेंट कैटेगरी में रखती है, जो 2020 की रिपोर्ट में 0.645 के मूल्य से कम है. मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 189 देशों में 131वें स्थान पर है.

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