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आयात एवं निर्यात से संबंधित लाइसेंस की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करें

आप केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के ई वाणिज्य पोर्टल- "आइसगेट" पर आयात एवं निर्यात लाइसेंस की स्थिति से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आयातक एवं निर्यातक लाइसेंस नंबर और फाइल का नाम प्रदान कर स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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दैनिक रिपोर्ट, राजस्व विभाग

ई-पेमेंट सर्विसेज वेबसाइट ऑनलाइन दैनिक रिपोर्ट जाँच करने के लिए सेवाएं प्रदान करता है। विभिन्न रिपोर्टों जिनकी इस सेवा के माध्यम से जाँच की जा सकती हैं - अखिल भारतीय - दैनिक DBK संवितरण, दोष लंबित मामलों की रिपोर्ट, शाखा पर सीमा शुल्क राजस्व संग्रह और ई-भुगतान, आयत का व्यापार करें ईडीआई स्थानों से आयात के लिए दैनिक सीमा शुल्क राजस्व संग्रह की रिपोर्ट ।

आरईएस पैकेज डाउनलोड यूआरएल, राजस्व विभाग

भारतीय कस्टम ईडीआई प्रणाली वेबसाइट आरईएस पैकेज डाउनलोड करने के लिए यूआरएल की सेवा प्रदान करता है। आरईएस, एक डेस्कटॉप अनुप्रयोग है, यह उत्पादों की घोषणा करने के लिए आसान इंटरफेस प्रदान करता है और बदले में आइटम की घोषणा की प्रति के रूप में एक फ़ाइल उत्पन्न करता है। इस फ़ाइल को बाद में इसके प्रसंस्करण के लिए ICEGATE में अपलोड किया जा सकता है।

दस्तावेज दाखिला, राजस्व विभाग

ई-पेमेंट सर्विसेज वेबसाइट ICEGATE में पहले से रजिस्टर्ड उपयोगकर्ता को वेब अपलोड की सुविधा प्रदान करता है। इस सेवा का उपयोग कर उपयोगकर्ता ICEGATE में वेब के माध्यम से दस्तावेज़ दाखिल अपलोड कर सकते हैं। स्वीकृत फ़ाइल प्रकारों और एक्सटेंशन .sb, . be, .igm, .egm, .cgm, .sgm, .tp, .csm, .rtn, .rpy, .rpl . IN, और .gr हैं। इस सेवा का उपयोग करने के लिए पहले https://www.icegate.gov.in/iceLogin/ पर लॉग इन करने की आवश्यकता है।

कस्टम ड्यूटी कैलकुलेटर, राजस्व विभाग

ई-पेमेंट सर्विसेज वेबसाइट उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान की मद विवरण के आधार पर शुल्क लिये जानेवाले कस्टम ड्यूटी की गणना आयत का व्यापार करें करने के लिए सेवा प्रदान करता है। यह मद विवरण दर्ज कर कस्टम ड्यूटी प्राप्त करने का आसान इंटरफेस प्रदान करता है।

जॉब स्थिति, राजस्व विभाग

ई-पेमेंट सर्विसेज वेबसाइट बिल ऑफ इंट्री से संबंधित बीई, एसबी, एआईआर आईजीएम, सी आईजीएम, सी ईजीएम और पुरानी स्थिति के साथ जुड़े कार्य स्थिति के लिए सेवाएं प्रदान करता है। इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ता को पहले https://www.icegate.gov.in/iceLogin/ में लॉगिन करने की आवश्यकता है।

श्रेणियों से संबंधित सेवाएं

Open Government Data Platform of India

Centralized Public Grievance Redress And Monitoring System (CPGRAMS)

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Aquarius horoscope today, आज का कुंभ राशिफल 13 अगस्त : व्यापार के मामले में महत्वपूर्ण दिन, सेहत का भी रखें ख्याल

ग्रहों की स्थिति बता रही है कि आज का दिन कुंभ राशि के लोगों के लिए व्यापार के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है। आयात निर्यात से जुड़े लोग आज काफी अच्छा कारोबार करते रहेंगे। आइए जानते हैं पारिवारिक, व्यापारिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के लिहाज से दिन आपके लिए कैसा रहेगा।

aquarius horoscope today

आज कुम्भ राशि के उपाय : हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभप्रद होगा।

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तनाव के बीच व्यापार: चीन से भारत का आयात 100 अरब डॉलर पहुंचा, स्मार्टफोन और मशीनरी में भारी उछाल

चीन का भारत को होने वाले निर्यात में स्मार्टफोन और स्टोरेज इकाइयों सहित इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के शिपमेंट में सबसे बड़ी उछाल देखी गई है। इन सामानों में टेलिकॉम उपकरण, ऑटो पार्ट्स, मशीन टूल, विशेष रसायन, यूरिया, अमोनिया सल्फेट और अन्य किस्मों जैसे उर्वरक शामिल हैं।

सांकेतिक तस्वीर.

भारत और चीन के बीच रिश्तों के उतार-चढ़ाव की खबरें आती रहती हैं। लेकिन दोनों देशों के रिश्ते व्यापार क्षेत्र में और गहरे हो रहे हैं। कैलेंडर वर्ष 2021 में पहली बार चीन से भारत में आयात लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान, विशेष रूप से स्मार्टफोन, मशीनरी, उर्वरक, विशेष रसायनों और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के आयात में भारी उछाल देखा गया है।

चीन के कस्टम विभाग (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स ऑफ द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के आंकड़ों के अनुसार 2021 में भारत को होने वाला निर्यात 97.52 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया जबकि कुल दोतरफा द्विपक्षीय व्यापार 125.66 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

इन सामानों का सबसे ज्यादा व्यापार
जीएसीसी के अनुसार, स्मार्टफोन और स्टोरेज इकाइयों सहित इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के शिपमेंट में सबसे बड़ी उछाल देखी गई है। इन सामानों में टेलिकॉम उपकरण, ऑटो पार्ट्स, मशीन टूल, विशेष रसायन, यूरिया, अमोनिया सल्फेट और अन्य किस्मों जैसे उर्वरक शामिल हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में वृद्धि
भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा विदेश व्यापार प्रदर्शन विश्लेषण के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2021 के पहले आठ महीनों में चीन से प्रमुख आयात वस्तुओं में, पेट्रोलियम (कच्चा) और पेट्रोलियम उत्पादों, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों के साथ-साथ कोयला, कोक और ब्रिकेट्स के आयात में भारी वृद्धि देखने को मिली। इस अवधि के दौरान चीन से कुल आयात में इन वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब 60 अरब डॉलर है। दिसंबर के लिए कमोडिटी-वार डेटा भारत द्वारा जारी किया जाना बाकी है।

चीन पर भारत की निर्भरता और बढ़ सकती है
एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेएनयू में व्यापार अर्थशास्त्री और प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने बताया कि चीन के साथ भारत के समग्र संबंध अमेरिका-चीन संबंधों को प्रतिबिंबित करते हैं, जिसमें आर्थिक और राजनीतिक संबंधों का अलग आधार है। आगे उन्होंने कहा कि चीन के साथ अपने बिगड़ते राजनीतिक संबंधों के बावजूद, अमेरिका 'दुनिया के कारखाने' पर अपनी निर्भरता कम नहीं कर पाया है। भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद भारत भी चीनी अर्थव्यवस्था से अलग होने में असमर्थ रहा है। साथ ही कहा कि जब हमारे उद्योग पूरी तरह महामारी से उबर जाएंगे तो चीन पर भारत की निर्भरता और बढ़ सकती है।

वहीं चीन के ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 चीन-भारत व्यापार 125 बिलियन डॉलर के पार हो गया है, यह एक रिकॉर्ड स्तर है। और दोनों देशों के तनाव के बीच यह इस बात का प्रमाण है कि भारत चीनी बाजार पर अपनी निर्भरता को कम करने में असमर्थ है। वहीं अर्थशास्त्री अजीत रानाडे ने कहा कि चीन से एपीआई के आयात पर भारत की निर्भरता को दूर करने में भी लंबा समय लगेगा।

विस्तार

भारत और चीन के बीच रिश्तों के उतार-चढ़ाव की खबरें आती रहती हैं। लेकिन दोनों देशों के रिश्ते व्यापार क्षेत्र में और गहरे हो रहे हैं। कैलेंडर वर्ष 2021 में पहली बार चीन से भारत में आयात लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान, विशेष रूप से स्मार्टफोन, मशीनरी, उर्वरक, विशेष रसायनों और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के आयात में भारी उछाल देखा गया है।

चीन के कस्टम विभाग (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स ऑफ द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के आंकड़ों के अनुसार 2021 में भारत को होने वाला निर्यात 97.52 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया जबकि कुल दोतरफा द्विपक्षीय व्यापार 125.66 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

इन सामानों का सबसे ज्यादा व्यापार
जीएसीसी के अनुसार, स्मार्टफोन और स्टोरेज इकाइयों सहित इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के शिपमेंट में सबसे बड़ी उछाल देखी गई है। इन सामानों में टेलिकॉम उपकरण, ऑटो पार्ट्स, मशीन टूल, विशेष रसायन, यूरिया, अमोनिया सल्फेट और अन्य किस्मों जैसे उर्वरक शामिल हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में वृद्धि
भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा विदेश व्यापार प्रदर्शन विश्लेषण के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2021 के पहले आठ महीनों में चीन से प्रमुख आयात वस्तुओं में, पेट्रोलियम (कच्चा) और पेट्रोलियम उत्पादों, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों के साथ-साथ कोयला, कोक और ब्रिकेट्स के आयात में भारी वृद्धि देखने को मिली। इस अवधि के दौरान चीन से कुल आयात में इन वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब 60 अरब डॉलर है। दिसंबर के लिए कमोडिटी-वार डेटा भारत द्वारा जारी किया जाना बाकी है।

चीन पर भारत की निर्भरता और बढ़ सकती है
एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेएनयू में व्यापार अर्थशास्त्री और प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने बताया कि चीन के साथ भारत के समग्र संबंध अमेरिका-चीन संबंधों को प्रतिबिंबित करते हैं, जिसमें आर्थिक और राजनीतिक संबंधों का अलग आधार है। आगे उन्होंने कहा कि चीन के साथ अपने बिगड़ते राजनीतिक संबंधों के बावजूद, अमेरिका 'दुनिया के कारखाने' पर अपनी निर्भरता कम नहीं कर पाया है। भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद भारत भी चीनी अर्थव्यवस्था से अलग होने में असमर्थ रहा है। साथ ही कहा कि जब हमारे उद्योग पूरी तरह महामारी से उबर जाएंगे तो चीन पर भारत की निर्भरता और बढ़ सकती है।

वहीं चीन के ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 चीन-भारत व्यापार 125 आयत का व्यापार करें बिलियन डॉलर के पार हो गया है, यह एक रिकॉर्ड स्तर है। और दोनों देशों के तनाव के बीच यह इस बात का प्रमाण है कि भारत चीनी बाजार पर अपनी निर्भरता को कम करने में असमर्थ है। वहीं अर्थशास्त्री अजीत रानाडे ने कहा कि चीन से एपीआई के आयात पर भारत की निर्भरता को दूर करने में भी लंबा समय लगेगा।

आयात और निर्यात में क्या अंतर है

World, Packages, Transportation, Import

पुराने जमाने से ही दुनियां के देश एक दूसरे से व्यापार करते चले आये हैं। एक समय था भारत गरम मसालों के लिए पुरे विश्व में जाना जाता था। दूर दूर देशों के व्यापारी यहाँ खरीदारी करने आया करते थे। इसी तरह ढाका का मलमल विदेशों में खूब ख़रीदा जाता था। देश विदेश की इसी खरीद बिक्री की परम्परा आगे बढ़ते बढ़ते विश्व व्यापार का रूप ले ली है। आज हर देश दूसरे देश को या तो अपना माल बेच रहा है या वहां से कुछ खरीद रहा आयत का व्यापार करें है। इस बेचने और खरीदने की प्रक्रिया आयात और निर्यात कहलाती है। आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे आयात किसे कहते हैं निर्यात क्या है। कब एक देश दूसरे देश से आयात करता है और कब निर्यात करता है। इसके साथ ही आयात और निर्यात में क्या अंतर है




आयात किसे कहते हैं

Container Ship, Frachtschiff, Freighter

आयात जिसे अंग्रेजी में इम्पोर्ट कहते हैं इसका सामान्य अर्थ होता है किसी भी अन्य देश से अपने देश में कुछ मंगाना। विश्व के सभी देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। इस व्यापार में एक देश दूसरे देश से या तो कुछ खरीदता है या उस देश को कोई वस्तु बेंचता है। कई बार अपने देश में किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए या कई बार किसी वस्तु के निर्माण के लिए कच्चा माल के लिए दूसरे देशों से उन वस्तुओं की खरीदारी की जाती है। तो कई बार विदेशों से सर्विस के लिए भी एक देश दूसरे देश को मूल्य चुकाना पड़ता है। अतः वे सारी क्रियाएं जिनके द्वारा हम किसी दूसरे देश से सेवाएं, कच्चा माल, वस्तुएं या अन्य कोई भी सामान पैसे चुकाकर प्राप्त करते हैं अर्थात खरीदारी करते हैं आयात या इम्पोर्ट कहलाता है।




ज्यादा आयात किसी देश की अर्थ व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालता आयत का व्यापार करें है। आयात की वजह से किसी देश की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है। यही वजह है कि हर देश अपने आयात और निर्यात में संतुलन बनाये रखना चाहते हैं। आयत का व्यापार करें अतः बहुत आवश्यक होने पर ही एक देश दूसरे देश से किसी वस्तु का आयात करना चाहता है। पेट्रोलियम आज की तारीख में एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है और विश्व के अधिकांश देशों के पास पर्याप्त मात्रा में पेट्रोलियम नहीं है। पेट्रोलियम के लिए आज दुनियां के तमाम देश मध्यपूर्व एशिया के खाड़ी देशों पर निर्भर हैं। अधिकांश देश इन खाड़ी देशों से पेट्रोलियम का आयात करते हैं। इसके अलावा खाद्यान्न,दवाएँ, युद्ध सामग्री आदि कई चीज़ों का बहुतायत से कई देशों के द्वारा अन्य देशों से आयात किया जाता है।

America, China, Commerce, Communication

निर्यात किसे कहते हैं
आयात के ठीक विपरीत निर्यात एक देश से दूसरे देशों में वस्तुओं के विक्रय की प्रक्रिया को कहा जाता है। निर्यात को अंग्रेजी में एक्सपोर्ट कहते हैं। निर्यात तब किया जाता है जब अपने देश में किसी वस्तु की सरप्लस मात्रा मौजूद हो। दुनियां के तमाम देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। निर्यात इसी व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। निर्यात में कच्चे पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, युद्ध हथियार, सेवाएं भी शामिल हैं। निर्यात किसी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। अतः हम कह सकते हैं कि वे सभी क्रियाएं जिनके द्वारा कोई देश दूसरे देश को वस्तु या सेवा का विक्रय करता है और उसके बदले में उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है निर्यात कहलाती है।




निर्यात किसी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। आज चीन अपने व्यापक निर्यात की वजह से दुनियां में एक आर्थिक महाशक्ति बन कर उभरा है। इलेक्ट्रॉनिक गुड्स से लेकर हर क्षेत्र में उसके प्रोडक्ट का दबदबा है। भारत आईटी सेक्टर में अपने समृद्ध मैनपावर की बदौलत दुनियां के तमाम देशों को आईटी सेक्टर में अपनी सर्विसेज बेंचकर विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। कई देश खाद्यान्न, फल, मीट आदि का निर्यात करते हैं।

  • जब कोई देश किसी दूसरे देश से कोई माल अपने घरेलु बाज़ार में बेंचने के लिए खरीदता है तो इस प्रक्रिया को आयात कहते हैं वहीँ जब एक देश किसी दूसरे देश को अपने यहाँ उत्पादित वस्तुओं को बेंचता है तो इस प्रक्रिया आयत का व्यापार करें को निर्यात कहते हैं।
  • आयात का उद्द्येश्य अपने देश में उस वस्तु के संकट या कमी को दूर करना होता है जबकि निर्यात का उद्द्येश्य अपने देश के सरप्लस माल को दूसरे देशों खपाना होता है।

आयात और निर्यात दोनों ही विदेश व्यापार के अंतर्गत आते हैं। एक ही देश किसी वस्तु का आयातक हो सकता है तो दूसरी वस्तु का निर्यातक। खाड़ी देश जहाँ कच्चे तेल के निर्यातक हैं तो वहीँ अनाज, फल, सब्ज़ियों के वे बड़े आयातक हैं। वास्तव में एक देश के लिए आयात दूसरे देश के लिए निर्यात होता है। आयत का व्यापार करें आयात और निर्यात से वस्तुओं का भण्डारण और खराब होने की संभावना जहाँ ख़त्म होती है वहीँ दूसरे देश जहाँ उसकी कमी है उनको उसका लाभ मिल जाता है और उसका आयत का व्यापार करें सदुपयोग हो जाता है। इसके साथ ही निर्यात करने वाले देश को आर्थिक लाभ भी मिलता है।

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आयात और निर्यात के संबंध में सामान्य प्रावधान

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आयात और निर्यात के संबंध में सामान्य प्रावधान

  • बिल ऑफ लैडिंग / एयरवे बिल
  • वाणिज्यिक चालान-सह-पैकिंग सूची
  • शिपिंग बिल / एंट्री का बिल / निर्यात का बिल

निर्यात और आयात की विशिष्ट वस्तुओं के लिए और कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक विशिष्ट उत्पाद के लिए निर्दिष्ट दस्तावेज के रूप में एनओसी / लाइसेंस या किसी फाइटोसैनेटिक सर्टिफिकेट, हेल्थ सर्टिफिकेट, ड्रग लाइसेंस आदि जैसे अन्य दस्तावेज।

निर्दिष्ट समय के भीतर मांग नोटिस के भुगतान की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने या भुगतान करने में विफलता के लिए एक दंडात्मक आयत का व्यापार करें कार्रवाई। इस कार्रवाई के फलस्‍वरुप निर्यातक द्वारा अनुपालन करने तक नीति के तहत उपलब्ध सुविधाएं अवरुद्ध हो जाती हैं।

स्वतंत्र रूप से निर्यात योग्य वस्तु और बिना किसी सीमा के तकनीकी नमूनों के बोनाफाइड व्यापार के निर्यात की अनुमति है। इसी तरह, सीमा शुल्क अधिसूचना के नियमों और शर्तों के अनुसार सभी निर्यातकों को 3,00,000 रुपये तक के नमूनों के शुल्क मुक्त आयात कीअनुमति है।

राजस्‍व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना (ओं) के अनुसार,एक पंजीकृत कूरियर सेवा या डाक के माध्यम से माल निर्यात करने की अनुमति है। तथापि, इसके लिए मूल्य सीमा 5,00,000 भारतीय रुपये प्रति खेप है। इसी प्रकार, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत जारी अधिसूचना (ओं) के अनुसार,किसी पंजीकृत कूरियर सेवा या डाक के माध्यम से स्वतंत्र रूप से आयात करने योग्य सामान की अनुमति है।

"स्कोमेट" विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (स्कोमेट) के दोहरे उपयोग की वस्तुओं का नामकरण है। भारत की विदेश व्यापार नीति के तहत दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों के निर्यात को विनियमित किया जाता है। यह या तो प्रतिबंधित है या प्राधिकरण के तहत अनुमति है।

थर्ड पार्टी एक्सपोर्ट का मतलब होता है एक्सपोर्टर्स या मैन्युफैक्चरर द्वारा किसी दूसरे एक्सपोर्टर की ओर से किया गया एक्सपोर्ट।

भारतीय व्यापार वर्गीकरण (हार्मोनाइज्ड सिस्टम) [आईटीसी (एचएस)] निर्यात या आयात के लिए सभी माल / सामान के आयत का व्यापार करें लिए कोड का संकलन है। माल को उनके समूह या उप-समूह के आधार पर 2/4/6/8 अंकों में वर्गीकृत किया जाता है।

परीक्षा की मात्रा निर्यात प्रोत्साहन योजना पर निर्भर है जिसके तहत निर्यात को गंतव्य बंदरगाह के रूप में भी भेजा जा रहा है। आम तौर पर, 5% या 10% सामान परीक्षा के अधीन होते हैं।

जब सीमा शुल्क अधिकारी संतुष्ट होता है कि सिस्टम में दर्ज किए गए विवरण मूल दस्तावेजों में दिए गए विवरण के अनुरूप हैं, तो वह "लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर" देता है। लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर दिया जाता है, तो शिपिंग बिल मुद्रित होता है।

योजना के तहत, निर्यातकों को निर्यात उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले इनपुट पर चुकाए गए सीमा शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाती है।

दायर किए गए शिपिंग बिल में ड्रॉबैक का दावा किया जाता है और इसके लिए अलग से आवेदन करना पड़ता है। माल के वास्तविक निर्यात के बाद, ड्राबैक को ईडीआई सिस्टम्स के माध्यम से संसाधित किया जाता है। सिस्टम में पंजीकृत नामित बैंक खाते में दावा राशि को सीधे नामित बैंक खाते में जमा किया जाता है।

आईएसओ 9000 (श्रृंखला) और आईएसओ 14000 (श्रृंखला) के लिए, गुणवत्ता परिषद के आयत का व्यापार करें तहत प्रमाणन निकायों (एनएबीसीबी) के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड से मान्यता प्राप्त एजेंसियां ​​अधिकृत हैं। ऐसी मान्यता प्राप्त एजेंसियों की सूची वेबसाइट www.qcin.organd पर उपलब्ध है, जो हैंडबुक ऑफ प्रोसीजर (एचबीपी) के परिशिष्ट 21 के तहत भी उपलब्ध है।

पंजीकरण प्राधिकरण, विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा निर्यातकों / आयातकों को पंजीकरण-सह-सदस्यता प्रमाणपत्र (RCMC) जारी करके अपने सदस्यों के रूप में पंजीकृत करने के लिए अधिसूचित निकाय हैं। अधिसूचित पंजीकरण अधिकारियों की सूची हैंडबुक ऑफ प्रोसीजर के परिशिष्ट -2 T पर है।

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल या FIEO की सदस्यतालेने और पंजीकृत होने के लिए RCF प्राप्त करने के लिए ANF 2C में आवेदन करना आवश्यक है। निर्यातक को अपने व्यापार की मुख्य लाइन की घोषणा करनी चाहिए और परिषद से आरसीएमसी प्राप्त करना चाहिए जो उसके व्यवसाय की मुख्य लाइन के उत्पाद से संबंधित है। बहु-उत्पाद निर्यातक और उत्पाद,जो किसी ईपीसी के तहत कवर नहीं किए गए हैं, FIEO से RCMC प्राप्त कर सकते हैं। RCMC की वैधता 1 अप्रैल से 31 मार्च तक 5 वर्ष है।

यह किसी भी देश में आयात किए गए माल की उत्पत्ति संबंधी साक्ष्य स्थापित करने वाला एक उपकरण है। सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन की दो श्रेणियांअर्थात (i) अधिमान्यता और (ii) गैर-अधिमानीहैं।

अधिमान्य सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन,जिसके लिए एक आयात देश द्वारा मुक्त व्यापार समझौते या अधिमान्य व्यापार समझौते या जीएसपी के तहत टैरिफ रियायतें दी जाती हैं, के लिए निर्यात निरीक्षण एजेंसी आदि जैसी सरकारी एजेंसियां अधिकृत हैं। गैर-अधिमान्‍य सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन जारी करने के लिए, सरकार ने FIEO जैसी कुछ एजेंसियों को नामांकित किया है।

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