शेयर बाजार 07 दिसम्बर 2022 ,18:45

World Bank Report: लम्बे समय के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, वर्ल्ड बैंक ने दिए संकेत

एक लंबे अंतराल के बाद भारत के लिए अर्थव्यवस्था को लेकर राहत देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2022- 23 के लिए भारत की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत तक कर दिया है.

World Bank Report: एक लंबे अंतराल के बाद भारत के लिए अर्थव्यवस्था (Indian economy) को लेकर राहत देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2022- 23 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत (GDP growth rate 6.9%) रहने कीअनुमान जताया है. आपको बता दें कि पहले ये अनुमान 6.5 फीसदी था.

मंगलवार को वर्ल्ड बैंक (world bank) की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप और चीन में लगातार हो रहे घटनाक्रम का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है. इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक ने आगामी वित्त वर्ष 2023- 24 के लिए अनुमानित GDP दर को 7 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसद कर दिया है. हलाकि वर्ल्ड बैंक ने ये भी भरोसा जताया है कि सरकार जारी वित्त वर्ष के 6.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को भी पूरा कर लेगी. वहीं खुदरा महंगाई आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर को लेकर वर्ल्ड बैंक ने गंभीर संकेत दिए है. वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए खुदरा महगाई दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

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RBI का डिजिटल रुपया भारत को बना सकता है इकोनाॅमिक सुपर पाॅवर? अमेरिकी डाॅलर की बादशाहत होगी खत्म!

पहले होलसेल और अब रिटेल सेक्शन (Retail Digital Rupees Trail) की डिजिटल रुपये (Digital Rupees) का ट्रायल शुरू हो गया है। डिजिटल रुपये का जब से ट्रायल शुरू हुआ है तब से कई सवाल भी खूब चर्चा में हैं।

RBI का डिजिटल रुपया भारत को बना सकता है इकोनाॅमिक सुपर पाॅवर? अमेरिकी डाॅलर की बादशाहत होगी खत्म!

डिजिटल रुपया, डिजिटल रुपया, डिजिटल रुपया. बीते एक महीने से इन दो शब्दों की खूब चर्चा हो रही है। इसकी बड़ी वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से पहले होलसेल और अब रिटेल सेक्शन की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का ट्रायल शुरू करना है। डिजिटल करेंसी का जब से ट्रायल शुरू हुआ है तब से कई सवाल भी खूब चर्चा में हैं। जैसे क्रिप्टोकरेंसी क्या है? अगर यूपीआई पेमेंट का अच्छा रिस्पॉस है तो फिर डिजिटल करेंसी की जरूरत क्या है? आइए एक-एक करके इन सवालों के जवाब ढूढते हैं।

क्या क्रिप्टोकरेंसी का विकल्प है डिजिटल रुपया?
प्रोटॉन इंटरनेट एलएलपी के फाउंडर और क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को करीब से देख रहे शुभम उपाध्याय बताते हैं, “आरबीआई का डिजिटल रुपया और क्रिप्टोकरेंसी दोनों काफी अलग-अलग हैं। क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला कोई नहीं है। लेकिन डिजिटल रुपये के हर एक लेन-देन पर आरबीआई की नजर रहेगी। जहां क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जा सकती है, वहीं डिजिटल रुपये को आरबीआई जारी करेगा फिर बैंकों के जरिए यह आम-आदमी तक पहुंचेगा। इसलिए डिजिटल रुपये को क्रिप्टोकरेंसी कहना सही नहीं होगा।”

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इस सवाल के जवाब में शुभम कहते हैं, “यूपीआई की सफलता को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है। भारत की इस पेमेंट सर्विस के आगे दुनिया भर के अलग-अलग देशों की पेमेंट सर्विस कमजोर दिखती है। लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से जी-20 के 16 देश डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं उनके मुकाबले भारत बहुत पीछे नहीं रह सकता था। दूसरी तरफ चीन के कई शहरों में डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट सफलता पूर्वक संचालित हो रहा है, ऐसे में भारत अपने पड़ोसी को इस क्षेत्र में खुला मैदान नहीं देना चाहता है।”

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रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया भर के देश यह समझ गए हैं कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। खासकर अमेरिका ने जिस तरह से रूस के फॉरेक्स रिजर्व को सील किया, उसके बाद से कई देशों के मन में यह संशय खड़ा हो गया है कि अगर यही परिस्थितियां उनके साथ बनीं तो फिर उनकी अर्थव्यवस्था का क्या होगा? दुनिया भर के देशों की इस चिंता को डिजिटल करेंसी कम कर सकता है।

डिजिटल रुपये के जरिए भारत कैसे बन सकता है इकोनॉमिक सुपर पॉवर?
हाल ही में नौ रूसी बैंकों ने रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। विशेष वोस्ट्रो खाता खोलने के कदम से भारत और रूस के बीच व्यापार के लिए रुपये में भुगतान के निपटान का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि वोस्ट्रो खाता दरअसल ऐसा खाता होता है जो एक बैंक, दूसरे बैंक की तरफ से खोलता या रखता है।

शुभम कहते हैं, “पहले ईरान और अब रूस ने जो रास्ता दिखाया है उसका असर आने वाले दिनों में ये हो सकता है कि भारत अलग-अलग देशों की ट्रेड डील में रुपये में भी लेन-देन का विकल्प जोड़ दे। इससे एक तरफ जहां डॉलर पर हमारी निर्भरता कम होगी। वहीं, दूसरी तरफ एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। यही हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज साबित हो सकता है। और इस पूरे काम में डिजिटल करेंसी की भूमिका काफी अहम रहेगी, क्योंकि इसी के जरिए लेन-देन आसानी और तेजी के साथ संभव हो सकेगा।”

डिजिटल रुपये को लेकर क्या सोच रहा है RBI?
इसी साल नवबंर में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक सवाल के जवाब में बताया, “दुनिया बदल रही है, बिजनेस करने का तरीका बदल रहा है, टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसे में आपको भी समय के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत है। . नोट को प्रिंट करने में पेपर खरीदना, लॉजिस्टिक, स्टोरेज और फिर उसे छापने पर मेहनत के साथ-साथ पैसा भी खर्च करना पड़ता है। पेपर करेंसी की तुलना में यह कम खर्चीला होगा। यह क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन और पेमेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी विदेश में पैसा भेजने पर औसतन 6 प्रतिशत शुल्क देना पड़ता है। लेकिन सीबीडीसी के आने से यह खर्च काफी कम हो जाएगा। यह आयात और निर्यात करने वालों के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।”

Explained: Pilot Project क्या है, RBI ने क्यों लॉन्च किया E-Rupee, Digital करेंसी से फायदा क्या?

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अब लोगों के शॉपिंग का तरीका, यात्रा का तरीका, काम करने का तरीका सब डिजिटल होता जा रहा है. वस्तुओं के लेनदेन के तरीके में भी लगातार बदलाव हो रहा है. इसी क्रम में एक नवंबर को RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपया' को लॉन्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक ये डिजिटल रुपया (E-Rupee) होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है. फिलहाल इसे 'पायलट प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया है.

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पहले समझिए क्या है Digital Rupee?

Digital Rupee, CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा जारी की गई एक नई वैध आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर मुद्रा है. आसान भाषा में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सरकारी काम में secondary market के लेन-देन निपटाने के लिए होगा. दरअसल, अधिकांश व्यापार इसी मार्केट में किया जाता है. बता दें, Secondary Market में Equity Market और Loan Market शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बीते एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.

अब जानते हैं Pilot Project क्या है?

'पायलट प्रोजेक्ट' के जरिए विशिष्ट उपयोग के लिए 'डिजिटल रुपया' लांच किया गया है. इसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन को निपटाया जाएगा. RBI ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना के तहत डिजिटल रुपये का 'पायलट टेस्टिंग' शुरू करने का फैसला किया है. RBI एक रिपोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि 'डिजिटल मुद्रा' लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का सरल बनाना है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान व्यवस्था के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे और वो अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन पाएगा और उसका लाभ ले सकेगा.

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Central Bank Digital Currency से फायदा क्या?

1. डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी.

2. अब सरकार के साथ आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी.

3. CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन हो सकता है.

4. अब चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन की समस्या न के बराबर हो सकती है.

5. नकली करेंसी की समस्या भी खत्म हो सकती है.

6. नोट की प्रिंटिंग का खर्च भी बचेगा

7. एक डिजिटल मुद्रा की आयु physics नोटों की तुलना में ज्यादा होगी.

8. इसे जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

9. एक सबसे बड़ी बात बिटकॉइन जैसी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी और 'डिजिटल रुपी' में अंतर क्या?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई मॉनिटर नहीं करता. यह पूरी तरह से प्राइवेट है. इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. लेकिन, RBI की डिजिटल पर सरकार की सहमती होगी. 'डिजिटल रुपी' को फिजिकल में बदला जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी घटता-बढ़ता आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होता.

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सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सरल शब्दो में कहें तो CBDC किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इसमें नोट छापने की जगह इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी किए जाते हैं. सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है, देखना होगा इसका भविष्य क्या होगा. फिलहाल भारत में यह दो तरह की होगी.

1. Retail (CBDC-R): बताया जा रहा है कि यह सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.

2. Wholesale (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है.

Pilot Project में कौन-कौन से बैंक शामिल है?

डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक का नाम हैं. ये बैंक सरकारी सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, जिसे CBDC का नाम दिया गया है. यह भारत की पहली डिजिटल करेंसी बताई जा रही है.

Reserve Bank of India

Reuters

डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?

जानकारों की मानें तो डिजिटलीकरण एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होगा जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड पर कंट्रोल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी से सरकार की अपने नेटवर्क के अंदर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो पाएगी. सरकार को भविष्य के लिए बजट और आर्थिक योजना बनाने में सहायता मिलेगी. साथ ही पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा. उम्मीद है भारत में लांच किए गए डिजिटल रुपया का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.

RBI आज लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर बैंक को शामिल किया गया है.

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देश में डिजिटल रुपी यानी कि डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का रास्ता साफ हो गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट 31 अक्टूबर (मंगलवार) को शुरू होने जा रहा है. इस डिजिटल रुपये को सीबीडीसी यानी कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के रूप में जाना जाएगा. रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. शुरू में यह बात सामने आ गई थी कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल रुपी लेकर आएगा.

रिजर्व बैंक ने यह बात पहले ही बता दी थी. अब वह दिन आ गया है जब देश की पहली डिजिटल करेंसी 31 अक्टूबर को लॉन्च होने जा रही है. अभी यह डिजिटल रुपी होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू की जाएगी.

पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक शामिल

रिजर्व बैंक के हवाले से समाचार एजेंसी ‘PTI’ ने लिखा है कि पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट होगा जिसमें सरकारी सिक्योरिटी को शामिल किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

इस साल के बजट में हुई घोषणा

इस साल के बजट में डिजिटल करेंसी यानी कि सीबीडीसी को लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इसका ऐलान खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि सीबीडीसी को लॉन्च करने का काम चरणबद्ध तरीके से होगा और उसकी घोषणा जल्दी की जाएगी. इस तरह अब इसे लाने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल यह करंसी पायलट प्रोजेक्ट में सामने आएगी जिसे बाद में आम लोगों के लिए भी पेश किया जा सकेगा.

सभी अफवाहों पर विराम

सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट आने के साथ ही इस बात की अटकलें तेज हो गई थीं कि सरकार बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी और उसके बदले अपनी डिजिटल करेंसी लेकर आएगी. अभी क्रिप्टोकरेंसी पर किसी तरह का आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगा है, लेकिन रिजर्व बैंक ने अपनी सीबीडीसी का ऐलान कर दिया. रिजर्व बैंक पूर्व में स्पष्ट कर चुका है कि भारत की डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी का क्रिप्टोकरेंसी से कोई तुलना नहीं की जा सकती.

सीबीडीसी की जरूरत क्यों

अगला जमाना डिजिटल करेंसी का है जिस पर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है. भारत इस दिशा में बहुत तेजी से कदम बढ़ा रहा है जिसकी तारीफ विश्व बैंक जैसे आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर संगठन भी खुलकर कर चुके हैं. डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा. जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा. इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी.

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यह जान लेना जरूरी है कि डिजिटल रुपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कतई नहीं है क्योंकि डिजिटल रुपी का संचालन पूरी तरह से आरबीआई की निगरानी में होगा. क्रिप्टोकरेंसी में किसी केंद्रीय बैंक की निगरानी नहीं होती.

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डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

© Reuters. डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

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