24 केडब्ल्यूएच (3.3 केडब्ल्यू एसी)

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रात में क्यों नहीं होती रक्त जांच या एक्स-रे?

बक्सर, निज संवाददाता : सरकार मरीजों की सुविधा के लिए आउटसोर्सिग के तहत विभिन्न प्रकार की सुविधाएं मुहैया करा रही है। उनके रक्त जांच समेत एक्स-रे आदि की भी व्यवस्था इसके तहत की गयी है। बावजूद दिन में अगर इसका लाभ मिल भी जाता है तो रात में लोगों को इससे वंचित रहना पड़ता है। अब जब यह स्थिति सीएस और डीएस के नाक के नीचे हो रही है तो व्यवस्था की हकीकत का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि रात में इनके शटर गिरे रहते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इसके लिए जवाबदेह कौन है?

सिविल सर्जन डा.रामचंद्र प्रसाद कहते हैं कि आउटसोर्सिग की इन व्यवस्थाओं को रात्रि में भी खुला रखने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि रात में अगर ये व्यवस्थाएं बंद रहती हैं तो इसकी जांच करायी जायेगी। सीएस के मुताबिक उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। जबकि, बरुना से दीवार गिरने के कारण घायल होकर अस्पताल पहुंचे लोगों ने सुबह युवक की मौत होने पर वहां इसी बात को लेकर हंगामा खड़ा किया कि घायल का समुचित इलाज नहीं हो सका। जिससे उसकी मौत एक्सएम क्यों चुनें? हो गयी। चिकित्सक ने घायल के जांच के लिए भी लिखा था जबकि उनके बंद रहने के कारण जांच नहीं हो सकी। जाहिर हो इस परिस्थिति में व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजिमी है।

कम क्यों मतदान

कम क्यों मतदान

राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी चुनाव में कम मतदान होना चिंता और चिंतन का विषय है। राजधानी से लोकतंत्र के प्रति परिपक्वता और ज्यादा सजगता की उम्मीद गलत नहीं है, तो क्या इसमें बसने वाले लोग मतदान के प्रति उदासीन होने लगे हैं। खासकर स्थानीय निकाय चुनाव के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है, तो क्यों? 4 दिसंबर को महज 50.47 प्रतिशत हुआ मतदान कुछ और ही कहानी कहता है, जिसको समझने की जरूरत है। वैसे तो विगत चार निकाय चुनावों में राजधानी में कभी एक्सएम क्यों चुनें? 55 प्रतिशत मतदान भी नहीं हुआ, लेकिन हर बार युवाओं की बढ़ती आबादी के साथ ज्यादा मतदान की उम्मीद बनती है। राजनीतिक विश्लेषक जुटे हुए हैं यह एक्सएम क्यों चुनें? पता लगाने में कि कम मतदान का फायदा किसे होगा और नुकसान किसे? यह राजनीतिक प्रश्न है, लेकिन वास्तव में मतदान का प्रतिशत सामाजिकता और जागरूकता से ज्यादा जुड़ा सवाल है। पचास प्रतिशत मतदान का सीधा मतलब है, जीतने वाला प्रत्याशी वास्तव में पच्चीस-तीस प्रतिशत, बल्कि अधिक प्रत्याशी की सूरत में शायद इससे भी एक्सएम क्यों चुनें? कम वोटरों की पसंद का होगा।
जिन लोगों ने मतदान नहीं किया है, क्या वे यह मानते हैं कि उनके मतदान से कोई फर्क नहीं पड़ता? हां, इतना जरूर है कि नेताओं पर इसका असर जरूर पडे़गा, क्योंकि वे यही सोचेंगे, लोगों की उन पर निगाह नहीं है। कम मतदान, मतलब चुने गए प्रतिनिधियों पर कम जन-दबाव। कम जन-दबाव मतलब, क्षेत्र में कम काम। कुछ बीते चुनावों को देखें, तो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में तो राष्ट्रीय राजधानी के मतदाता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, लेकिन दिल्ली नगर निगम के चुनाव में वे उदासीन हो जाते हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 66.4 प्रतिशत, तो 2019 में 67.4 प्रतिशत मतदान हुए थे। विधानसभा चुनाव में भी 62 प्रतिशत से ज्यादा मतदान होता है। ऐसा क्यों है? क्या लोग स्थानीय निकायों का महत्व समझ नहीं पाए हैं? रोजमर्रा की जो समस्याएं हैं, उनका हल तो स्थानीय निकायों एक्सएम क्यों चुनें? को ही करना है। सड़क, नाली, सफाई जैसे महत्वपूर्ण काम तो स्थानीय निकायों के ही जिम्मे होते हैं, कोई सांसद या विधायक सीधे तौर पर इन कामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। एक सच यह भी है कि राष्ट्रीय राजधानी में ही कई लोग ऐसे होंगे, जो अपने स्थानीय प्रतिनिधि को पहचानते तक नहीं होंगे। क्या यह ठीक है? क्या लोकतंत्र को ऐसी ही उदासीनता के साथ चलाना चाहिए?
देश के जिस भी इलाके में मतदान प्रतिशत कम हुआ है, वहां सबको सोचने की जरूरत है। यहां विधायिका ही नहीं, कार्यपालिका को भी उपाय सोचने होंगे। भारत में मतदान न करने वालों पर कोई दंड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्हें प्रेरित जरूर किया जा सकता है। यह चुनौती है कि लोगों को स्थानीय प्रतिनिधियों से कैसे जोड़ा जाए? कम मतदान की समस्या पर सोचना ही होगा, क्योंकि कम मतदान से राजनीतिक गैर-जिम्मेदारी को बल मिलेगा। चुनाव कराने की व्यवस्था को भी सुधारना जरूरी है। मतदाता सूची में शामिल होने की प्रक्रिया और अपने मतदान केंद्र के बारे में सूचना पाना आज भी मुश्किल है। मतदाताओं को एक्सएम क्यों चुनें? होने वाली परेशानी का निदान भी जरूरी है। बहरहाल, यह छिपी हुई बात नहीं है कि राजनीति व्यवस्था में नागरिकों की ज्यादा भागीदारी और सक्रियता से ही भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है। मतदान करने वाला सजग लोकतांत्रिक समाज ही अधिकार के साथ कुछ पूछने, मांगने या दबाव बनाने का हक रखता है।

मैं क्यों इतनी पढ़ी-लिखी, जब रोजगार नहीं मिले

मैं क्यों इतनी पढ़ी-लिखी, जब रोजगार नहीं मिले

जागरण संवाददाता, देवघर : मैं इतनी पढ़ी-लिखी ही क्यूं, जब मुझे रोजगार ही नहीं मिले। कोई नहीं है, कौन देखेगा मुझे। मैं अपने माता-पिता के लिए बोझ नहीं बनना चाहती हूं। इंटर पास और एएनएम प्रशिक्षण ले चुकी मोहनपुर प्रखंड के बांक निवासी वीणा कुमारी मंत्री और अधिकारी के सामने फफक कर रो उठी। वीणा सोमवार को उपायुक्त मंजूनाथ मंत्री से मिलने यहां पहुंची थी। यहां संयोग से उसकी मुलाकात कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से हो गई। बस वीणा मंत्री से मिलकर रोते हुए रोजगार मुहैया कराने की गुहार लगाई। मंत्री ने दिव्यांग वीणा की बातों को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त व डीडीसी को प्रावधान के तहत शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए प्राथमिकता के आधार पर नियोजन करने का निर्देश दिया। मंत्री से मिले आश्वासन से दोनों पैरों से लाचार दिव्यांग बीणा की उम्मीदें तो बढ़ी है लेकिन देखना होगा कि कब तक उसे रोजगार मिल पाता है। वीणा ने कहा कि कोर्स पूरा होने के बाद से लगातार रोजगार के लिए विभाग के चक्कर काट रही हूं। इससे पहले भी दो-तीन बार जिला मुख्यालय आ चुकी है। घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है। बड़े भाई की शादी हो चुकी है। माता-पिता के साथ वह रहती है लेकिन उनपर बोझ नहीं बनना चाहतीं। वह आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। ताकि अपने माता-पिता को सहारा दे सके।

स्वराज 825 एक्स एम

स्वराज 825 एक्स एम 25 एचपी ट्रैक्टर है जो ₹ 3.90-5.20 लाख* की कीमत पर उपलब्ध है। इसमें 60 लीटर की ईंधन टैंक क्षमता है। इस ट्रैक्टर की इंजन क्षमता 1538 सीसी है जिसमें 1 सिलेंडर हैं। इसके अलावा, यह 8 फॉरवर्ड + 2 रिवर्स गियर के साथ उपलब्ध है और 21.3 पीटीओ एचपी का उत्पादन करता एक्सएम क्यों चुनें? है। और स्वराज 825 एक्स एम की लिफ्टिंग क्षमता 1000 kg है।

स्वराज 825 एक्स एम ट्रैक्टर

स्वराज 825 एक्स एम ट्रैक्टर

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स्वराज 825 एक्स एम अन्य फीचर्स

सिंगल क्लच ड्राई फ्रिक्शन प्लेट

मैकेनिकल/सिंगल ड्राप आर्म

वजन उठाने की क्षमता

इंजन रेटेड आरपीएम

स्वराज 825 एक्स एम सुपर आकर्षक डिजाइन के साथ एक अद्भुत और शक्तिशाली ट्रैक्टर है। स्वराज 825 एक्स एम स्वराज ट्रैक्टर द्वारा लॉन्च किया गया एक प्रभावी एक्सएम क्यों चुनें? ट्रैक्टर है। 825 एक्स एम ट्रैक्टर खेत पर प्रभावी कार्य के लिए सभी एडवांस तकनीक के साथ आता है। यहां हम स्वराज 825 एक्स एम ट्रैक्टर के सभी फीचर्स, गुणवत्ता और उचित मूल्य दिखाते हैं। नीचे देखें।

स्वराज 825 एक्स एम इंजन की क्षमता

यह ट्रैक्टर 25 एचपी के साथ आता है। स्वराज 825 एक्स एम की इंजन कैपेसिटी अच्छी माइलेज प्रदान करती है। स्वराज 825 एक्स एम शक्तिशाली ट्रैक्टरों में से एक है और अच्छा माइलेज प्रदान करता है। 825 एक्स एम एक्सएम क्यों चुनें? ट्रैक्टर खेत में उच्च प्रदर्शन प्रदान करने की क्षमता रखता है। स्वराज 825 एक्स एम सुपर पावर के साथ आता है जो ईंधन कुशल है।

टियागो ईवी एक्सटी वेरिएंट क्यों चुनें?

जो लोग इस कार का 24 केडब्ल्यूएच का बैट्री पैक वाला वर्जन लेना चाहते हैं उनके लिए ये एक तरह से इसका एंट्री लेवल वेरिएंट है और इसे 19.2 केडब्ल्यूएच बैट्री पैक का टॉप वेरिएंट भी माना जा सकता है। बड़े बैट्री पैक के ऑप्शन के साथ एंट्री लेवल ट्रिम होने के बावजूद इसमें काफी अच्छे फीचर्स दिए गए हैं जिनमें एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले कनेक्टिविटी से लैस टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम,ऑटो डिमिंग आईआरवीएम और यहां तक कि पावर विंडोज़ शामिल हैं। इसके अलावा यदि आप बहुत ज्यादा ट्रैवल करते हैं तो हम आपको इसके बड़े बैैट्री वाले वर्जन लेने की सलाह देंगे जिसमें आपको एक्सट्रा रेंज की सुविधा मिलेगी।

अब डालिए इसकी फीचर लिस्ट पर एक नजर:

एक्सटीरियर

इंटीरियर

कंफर्ट फीचर्स

रेटिंग: 4.81
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 874