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फ्यूचर ट्रेडिंग की जानकारी, फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है

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फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी

What is a future trading in Hindi

स्टॉक, कमोडिटी और करेंसी मार्किट में फ्यूचर की ट्रेडिंग होती है. फ्यूचर एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट या अनुबंध होता है जिसमे कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? की उस समय के तय किये हुए भाव पर भविष्य में किसी वस्तु के आदान प्रदान (खरीदने या बेचने) का सौदा किया जाता है. मान लीजिये की एक किसान ने गेहूँ की फसल बोई. अब फसल काटने से पहले ही उस किसान को यह पता चलता है की आस पास के सभी गावों में गेहूँ की पैदावार बहुत अच्छी हुई है. उसे चिंता होती है की इससे तो गेहूँ का मंडी में रेट कम हो जायेगा. वह फसल काटने से पहले ही मंडी में जाता है और खरीदार (buyer) ढूँढने लगता है. वह कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? फसल को 600 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना चाहता है. उधर मंडी में एक व्यापारी है जो बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खरीदारी और बिकवाली करता है. उस व्यापारी को यह पता है की कई कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? राज्यों में सुखा पड़ने या अन्य किसी आपदा के के कारण गेहूँ की फसल ख़राब हुई है. उसे लगता है की इस बार गेहूँ के दाम और बढ़ जायेंगे तथा 700 से 800 रूपये प्रति क्विंटल तक हो जायेंगे. अब ऐसे में वह व्यापारी उस किसान के साथ एक सौदा कर लेता है जिसमे वह किसान से फसल काटने के बाद 600 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से 1000 क्विंटल गेहूँ खरीद लेगा. वह व्यापारी उस किसान को उस भविष्य में पूरे किये जाने वाले सौदे के पैसे भी 600 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पहले ही दे देता है. अब निश्चित दिन पर 500 क्विंटल गेहूँ उस व्यापारी के कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? पास पहुँचाना उस किसान की जिम्मेदारी है. यह एक प्रकार का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट है.

इस सौदे से दोनों ही व्यक्ति खुश है. किसान को लगता है की उसने भाव गिरने से पहले ही माल बेच दिया, अब यदि गेहूँ के दाम गिरते भी है तो उसे कोई चिंता नहीं है. व्यापारी खुश है क्योंकि उसे लगता है की उसने फसल आने से पहले ही सस्ते में गेहूँ खरीद लिया. अब यदि भविष्य में गेहूँ के दाम गिरते है तो व्यापारी को तो नुक्सान होगा लेकिन वह किसान नुक्सान से बच गया. और यदि गेहूँ के दाम बढ़ते है तो व्यापारी को फ़ायदा होगा लेकिन किसान को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि उसने पहले ही गेंहूँ का सौदा कर दिया है. इस प्रकार के सौदे को फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट भी कहते है. जब वह किसान निश्चित दिन पर 1000 क्विंटल गेहूँ व्यापारी को दे देगा कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? तो इसे सेटेलमेंट या डिलीवरी कहा जाता है (settlement by delivery).

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट स्टॉक एक्सचेंज और कमोडिटी एक्सचेंज में ख़रीदे और बेचे जाते है. निफ़्टी या स्टॉक मार्किट के इंडेक्स के फ्यूचर का सेटेलमेंट कैश (cash) में होता है. फ्यूचर के कॉन्ट्रैक्ट का रेट बाजार भाव के हिसाब से बदलता रहता है. जैसे मान लीजिये आपने US डॉलर का फ्यूचर ₹67.25 में ख़रीदा. फ़िलहाल US डॉलर के एक फ्यूचर में एक हज़ार डॉलर होते है. अब यदि अन्तराष्ट्रीय करेंसी बाजार में भारतीय रुपया मजबूत होता है तो फ्यूचर का भाव भी ₹67.05 हो जायेगा, और आपको एक फ्यूचर पर 1000 * 0.20 = 200 रूपये का नुक्सान (loss) होगा. एक्सचेंज कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? में ट्रेड होने वाले फ्यूचर आप कभी भी खरीद और बेच सकते है, बशर्ते यह बाजार के ट्रेडिंग टाइम के दौरान हो (during market operation hours). ज्यादातर ट्रेडर्स (traders) फ्यूचर में सेटलमेंट के पहले ही अपने ख़रीदे या बेचे हुए सौदे काट कर निकल जाते है. किसी भी फ्यूचर में ट्रेडिंग करने से पहले उस फ्यूचर के सेटलमेंट आदि प्रक्रिया की जानकारी अपने ब्रोकर से जरूर ले.

हर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की एक निश्चित और अंतिम तारीख होती है. इसे फ्यूचर की मेचुरिटी तारीख (maturity date) भी कहते है. इसी प्रकार हर फ्यूचर में एक निश्चित माप (quantity) होता है, इसे उसका लॉट साइज़ (lot size) या वेट (weight) भी कहते है. जैसे की निफ़्टी (NIfty) का फ्यूचर 75 शेयर्स का होता है. US डॉलर (USDINR) का फ्यूचर 1000 डॉलर का होता है. गोल्ड (सोना, gold) का फ्यूचर वज़न के हिसाब से होता है जैसे की 1 तोला, 10 तोला आदि. फ्यूचर में काम करने से पहले बाजार को अच्छी तरह से समझ ले अन्यथा इसमें नुक्सान की संभावना बहुत ज्यादा रहती है. इस वेबसाइट पर लिखी कई अन्य पोस्ट जरूर पढ़ें. फ्यूचर के द्वारा ट्रेडिंग और हेजिंग (hedging) में अंतर होता है. इसको न समझने वाले अकसर बाजार में घाटे में रहते कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? है. इस बाबत इस वेबसाइट पर अन्य पोस्ट गयी है या लिखी जायेंगी. कृपया नियमित रूप से pogga.org को चेक करते रहे.

टेक्निकल एनालिसिस किस तरह होता है?

टेक्निकल एनालिसिस समझने के लिए सबसे पहले चार्ट को समझने की जरूरत है। चार्ट चार तरह के होते हैं, लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट और पॉइंट एंड फिगर चार्ट.

बार चार्ट कैसे तैयार होता है?

दिनों को एक्स अक्ष और भाव को वाई अक्ष पर रख कर हर दिन के लिए एक बार खींचा जाता है और फिर बहुत से बार मिलकर एक चार्ट तैयार करते हैं। इस चार्ट में गिरावट वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा ऊपर हो और दाईं ओर की नीचे) को लाल या काले रंग कैंडलस्टिक चार्ट को कैसे पढ़ें? में दिखाया जाता है और बढ़त वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा, दाईं के मुकाबले नीचे हो) को हरा या सफेद दिखाया जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस में वॉल्यूम का क्या महत्व है?

वॉल्यूम यानी कारोबार किए गए शेयरों की संख्या। जैसा कि 18 जून को तकनीकी विश्लेषण की पहली कड़ी में बताया गया था कि टेक्निकल एनालिसिस दरअसल पूरे बाजार के मनोविज्ञान को पढ़ने का एक विज्ञान है। तो स्वाभाविक है कि इस मनोविज्ञान का सही निष्कर्ष केवल तभी निकाला जा सकेगा अगर ज्यादा से ज्यादा लोग भागीदारी कर रहे हों। क्योंकि कम वॉल्यूम वाले शेयरों में अक्सर कीमतों का नियंत्रण कुछ ऑपरेटरों के हाथ में होता है।

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