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Disclaimer- All investments and trading in the स्टॉक मार्केट के प्रकार stock market involve risk. Any decision to place a trade in the financial markets, including trading in stock should only be made after thorough research. Trading strategies or related information mentioned in the article is for informational purposes only. Use your due diligence before investing. These are just predictions. They may or may not be true.
शेयर बाजार में पैसे लगाना रिस्की होता है. इसमें रिटर्न मिलने की कोई गारंटी नहीं होती है. ऊपर बताए गए स्टॉक्स सिर्फ जानकारी प्रदान करने के लिए हैं. इन्हें निवेश के लिए सुझाव नहीं समझा जाना चाहिए. स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने से पहले आप खुद से रिसर्च जरूर करें या अपने पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर की सलाह लें .खासकर पेनी स्टॉक्स में पैसे लगाने से पहले अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है|
Top trending stock: साल के जाते-जाते इस शेयर ने किया मालामाल
नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले
नई दिल्ली:
साल 2022 के आखिरी हफ्ते में हम प्रवेश कर चुके हैं। साल के आखिरी में बाजार ने यूटर्न लेना शुरू कर दिया। शेयर बाजार सर्वकालिक उच्च स्तरों से यू-टर्न लेता हुआ दिख रहा है। ब्रोकर बाजार में कमजोरी देखने को मिल रही है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन बेंचमार्क सूचकांकों पर अच्छा नहीं दिख रहा है। हालांकि लगता है कि बैटन हाथ बदल रहा है। दरअसल फार्मा शेयरों में ताजा खरीदारी देखने को मिल रही है। जबकि बाकी सेक्टर में कमजोरी देखने को मिल रही है।
इन सबके के बीच ऐसा ऐसा फर्मा स्टॉक हैं, जो मजबूती के साथ बढ़ रहा है। इस स्टॉक में मजबूत खरीदारी की भावना देखी गई है। सोलर एक्टिव फार्मा साइंसेज (NSE कोड- SOLARA) में मजबूती देखने को मिल रही है। ट्रेडिंग सत्र के शुरुआती घंटों के दौरान इसमें 4% से अधिक का उछाल देखा गया है। पिछले 2 दिनों में, इस शेयर में 12% से अधिक की तेजी देखने को मिल रही है।
तकनीकी रूप से देखें तो पिछले 6 महीनों से स्टॉक औसत से अधिक वॉल्यूम के साथ उच्च स्तर पर कारोबार कर रहा है। एक मजबूत सुधार के बाद, स्टॉक में फ्रेश ब्रेकआउट देखने को मिला है। यह अपने सभी प्रमुख मूविंग एवरेज से ऊपर पहुंच गया है। स्टॉक में लगातार बुलिश बार है, इस प्रकार यह मजबूत ऊर्ध्व गति का संकेत देता है। स्टॉक के 14 हफ्ते का RSI (63.81) बना रहुआ है। MACD ने एक ताजा तेजी क्रॉसओवर का संकेत दिया है। OBV तेजी से बढ़ा है और मजबूत खरीदारी गतिविधि का संकेत देता है। दो दिन के सकारात्म प्राइस एक्शन इस स्टॉक को तकनीकी रूप से मजबूती दे रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और तेजी देखने को मिल सकती है। वर्तमान में SOLARA शेयर की कीमत NSE पर 490 पर बना हुआ है। मोमेंटम ट्रेडर्स इस अस्थिर माहौल में इस शेयर पर कड़ी नजर रख सकते हैं।
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टेस्ला का स्टॉक सबसे निचले स्तर पर, मस्क ने मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों को जिम्मेदार ठहराया
सैन फ्रांसिस्को (आईएएनएस)| इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के शेयरों में लगभग 137 डॉलर की गिरावट आई है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। एलन मस्क ने बुधवार को इसके लिए फिर से वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियों को जिम्मेदार ठहराया। इस साल अप्रैल में मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदे जाने स्टॉक मार्केट के प्रकार के बाद से टेस्ला के शेयरों में भारी गिरावट आई है। तब से टेस्ला के शेयरों में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, क्योंकि मस्क ट्विटर पर दैनिक मामलों के सूक्ष्म प्रबंधन में व्यस्त हैं।
टेस्ला के रॉस गेरबर ने ट्वीट किया: "टेस्ला स्टॉक की कीमत अब कोई सीईओ नहीं होने के मूल्य को दर्शाती है। ग्रेट जॉब टेस्ला बीओडी- टाइम फॉर ए शेक अप टेस्ला।"
मस्क ने जवाब दिया, "जैसा कि बैंक बचत खाते की ब्याज दरें गारंटीशुदा हैं, स्टॉक मार्केट रिटर्न की ओर बढ़ना शुरू कर देती हैं, जिसकी गारंटी नहीं है, लोग तेजी से अपने पैसे को स्टॉक से नकदी में ले जाएंगे, इस प्रकार शेयरों में गिरावट आएगी।"
जैसा कि टेस्ला के शेयरों में भारी नुकसान हुआ है, एलन मस्क ने पिछले हफ्ते मौजूदा स्थिति के लिए फेडरल रिजर्व को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उनकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी पहले से स्टॉक मार्केट के प्रकार बेहतर कर रही है।
टेस्ला के गिरते शेयरों ने मस्क की कुल संपत्ति को प्रभावित किया है, जो 174 अरब डॉलर तक गिर गई, जिससे वह दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गए। वहीं फ्रांसीसी फैशन और कॉस्मेटिक मैग्नेट बर्नार्ड अरनॉल्ट सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में पहले स्थान पर पहुंच गए।
Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड ईटीएफ में क्या है निवेश का बेहतर विकल्प, जानें- यहां
Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: SGB भारत सरकार द्वारा समर्थित बॉन्ड (सोने के ग्राम में मूल्यवर्गित) हैं. फिजिकल गोल्ड रखने का यह विकल्प इश्यू प्राइस पर सालाना 2.5 फीसदी की दर से रिटर्न देता है.
Published: December 21, 2022 12:06 PM IST
Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: भारतीयों के लिए सोना खरीदना लंबे समय से निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प रहा है. हालांकि, तकनीक के विकास के साथ-साथ स्टॉक मार्केट के प्रकार सोने में निवेश का तरीका बदल गया है. लेकिन, फिजिकल मार्केट से सोना खरीदने का चलन अभी भी बना हुआ है. निवेश की समय सीमा और लाभ की तलाश के आधार पर, डिजिटल सोने के निवेश में लोगों का रुझान इन दिनों बढ़ा है. आरबीआई द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा आवंटित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से सोने में डिजिटल निवेश किया जा सकता है.
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जानें- क्या है निवेश का बेहतर विकल्प?
सॉवरेन गोल्ड बान्ड (SGB) में निवेश की सिफारिश उन लोगों के लिए की जाती है जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और स्टॉक मार्केट के प्रकार कर लाभ प्राप्त करना चाहते हैं. SGB भारत सरकार द्वारा समर्थित बॉन्ड (सोने के ग्राम में मूल्यवर्गित) हैं. फिजिकल गोल्ड रखने का यह विकल्प इश्यू प्राइस पर सालाना 2.5 फीसदी की दर से रिटर्न देता है. एसजीबी का मूल्य खरीद के दिन सोने की अंतर्निहित कीमत से जुड़ा होता है. ये बॉन्ड आठ साल की निर्धारित अवधि के लिए जारी किए जाते हैं. हालांकि, आरबीआई बायबैक विंडो खोलने के आधार पर पांचवें वर्ष से रिडेम्पशन विकल्प शुरू हो सकता है. इस प्रकार, एसजीबी में स्टॉक मार्केट के प्रकार निवेश करना उन लोगों के लिए आदर्श है जो निश्चित ब्याज दर अर्जित करते हुए सोने में निवेश करना चाहते हैं.
SGBs सुरक्षित हैं क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित हैं. जबकि ऐसे बांडों पर प्राप्त ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तहत कर योग्य होगा, यदि बांडों को परिपक्वता पर भुनाया जाता है तो कर नहीं लगाया जाएगा. SGB में कम तरलता होती है.
दूसरी ओर, गोल्ड ईटीएफ अधिक तरलता दिखाते हैं. म्यूचुअल फंड हाउसों के माध्यम से उनमें निवेश करना भौतिक रूप से खरीदारी करने के समान है, सिवाय इसके कि यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में है. इससे निवेशक सोने की फिजिकल डिलीवरी लिए बिना बुलियन मार्केट में ट्रेड कर सकता है. इस प्रकार, गोल्ड ईटीएफ लचीलेपन को एकीकृत करता है जो सोने के स्टॉक मार्केट के प्रकार निवेश की सरलता के साथ शेयर बाजार निवेश की पेशकश करता है. कराधान के संदर्भ में, यह निवेश खरीद के 2.5 साल के भीतर बेचने पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG) कर को आकर्षित करता है. अगर इस अवधि के बाद बेचा जाता है, तो 20 प्रतिशत का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर लागू होता है.
निवेशक जो अपने निवेश की तरलता को बनाए रखना चाहते हैं और एक्सचेंजों पर व्यापार की लचीलापन चाहते हैं, गोल्ड ईटीएफ कीमती पीली धातु में निवेश करने का आदर्श तरीका पाएंगे.
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हिंडाल्को-फीकी पड़ी चमक
इसके अतिरिक्त कस्टम डयूटी में दी गई छूट और पिछले एक साल के दौरान रुपये के मूल्य में 10 फीसदी तक की मजबूती से भी कंपनी की टॉपलाइन ग्रोथ पर स्टॉक मार्केट के प्रकार असर पड़ा। परिचालन लागत और कच्चे माल की कीमतों में कोई गिरावट नहीं आई है और इसके अतिरिक्त एल्यूमिना के उत्पादन में इस्तेमाल में आने वाले कोयला और कोक की कीमतें भी ऊंची बनी हुई है।
इस प्रकार कंपनी की प्रोफिटेबेलिटी दबाव में स्टॉक मार्केट के प्रकार है और कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन मार्च 2008 की तिमाही में 6.2 फीसदी गिरकर 15.9 फीसदी पर आ गया। कंपनी की राजस्व वृद्धि भी फीकी रही और यह मात्र 5.5 फीसदी बढ़कर 5,010 करोड़ रुपये रही।
वित्तीय वर्ष 2008 में कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 4.2 फीसदी गिरकर 17.7 फीसदी पर आ गया। एल्यूमिनियम सेक्टर की अन्य कंपनी नालको के ऑपरेटिंग मार्जिन में 15.5 फीसदी की गिरावट आई और यह मात्र 44 फीसदी रहा।
हिंडाल्को को प्राप्त कुल राजस्व में एल्यूमिनियम की हिस्सेदारी 37 फीसदी है जबकि कॉपर से शेष 67 फीसदी राजस्व आता है। कॉपर कैथोड और कैथोड रॉड दोनों के ज्यादा उत्पादन के कारण कॉपर डिविजन से प्राप्त राजस्व में 16 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। इसका परिणाम यह रहा कि इस डिविजन से प्राप्त मार्जिन में भी 0.5 फीसदी का सुधार हुआ और यह 5.4 फीसदी के स्तर पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कॉपर की सप्लाई कम आपूर्ति केकारण दबाव में रही। हिंडाल्को अपनी क्षमता में तीन गुने का इजाफा कर रही है और अगले दो तीन साल में उसका इरादा 15 लाख टन के स्तर को प्राप्त करना है। कंपनी का अपनी रिफाइनरी की क्षमता को 110,000 टन से बढ़ाकर 450,000 टन करने का भी इरादा है।
हिंडाल्को का एल्यूमिनियम उत्पादन वित्तीय वर्ष 2008 की मार्च तिमाही में आठ फीसदी ज्यादा रहा था। मौजूदा बाजार मूल्य 186 रुपये पर हिंडाल्को के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 16.3 गुना के स्तर पर हो रहा है। इसे भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए। नालको के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 12.55 गुना के स्तर पर हो रहा है।
पूर्वंकरा: मार्जिन का मामला
रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनी पूर्वंकरा प्रोजेक्ट का राजस्व 2.2 फीसदी के मामूली इजाफे के साथ 154 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी के वॉल्यूम और उगाही में मंदी केकारण कंपनी का मार्जिन धीमा रहा।
कंपनी मुख्यत: आवासीय क्षेत्र को देखती है और दिसंबर 2007 की तिमाही में कंपनी ने 6.7 फीसदी की वास्तविक ग्रोथ जबकि सितंबर 2007 तिमाही में 17 फीसदी की ग्रोथ हासिल की थी। इस बाबत प्रबंधन का कहना है कि ज्यादातर प्रोजेक्ट प्रारंभिक अवस्था में है लिहाजा, अभी और उगाही होनी बाकी है।
पैसे की उगाही खासतौर से इस बात पर निर्भर करती है कि प्रोजेक्ट का कितना फीसदी हिस्सा पूरा किया जा चुका है। लेकिन इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में जहां 58.5 फीसदी की बिक्री हुई थी, वहीं मार्च खत्म होने के बाद भी इस वक्त मौजूदा प्रोजेक्टों में से कुल 62 फीसदी की बिक्री हो पाई है,जो इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि बिक्री में थोड़ी गिरावट आई है।
विशेषकर, कंपनी यह समझने में नाकाम साबित हो रही है कि ऑपरेटिंग कैश क्यों नेगेटिव हैं जबकि फर्म एक्सपोजर का 90 फीसदी हिस्सा आवासीय क्षेत्र में लगा हुआ है। गौरतलब है कि पूर्वंकरा अपने हिस्सेदारों के साथ मिलकर दक्षिण भारत के चार क्षेत्रों में तकरीबन 1 लाख 90 हजार वर्ग किलोमीटर प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
इसके अंतर्गत कंपनी कुल 10,000 अपार्टमेंटों के निर्माण कार्य में लगी हुई है और जिससे कंपनी को वित्त वर्ष 2008-10 तक इकट्ठे ही कमाई होने की उम्मीद है। दूसरी ओर कंपनी के ग्रौस मॉर्जिन में मार्च तिमाही में 250 बेसिस प्वांइट की गिरावट दर्ज की गई।
इस प्रकार, कंपनी के ग्रौस मार्जिन में लगातार दूसरी बार गिरावट दर्ज की गई जिसके बारे में कं पनी का कहना स्टॉक मार्केट के प्रकार है कि लागत मूल्यों पर पार न पाने के कारण ही ऐसा हो रहा है। आलम यह है कि कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 350 बेसिस प्वांइट की कमी दर्ज की गई है जबकि दिसंबर की तिमाही में यह कमी 320 बेसिस स्टॉक मार्केट के प्रकार प्वांइट की थी।
कंपनी को यह चिंता भी सता रही है कि इसके प्रोजेक्ट का 50 फीसदी हिस्सा चूंकि बेंगलूरु में चल स्टॉक मार्केट के प्रकार रहा हैं,जबकि वहां आईटी सेक्टर में अभी मंदी का दौर है, जो कंपनी की कमाई को प्रभावित कर सकता है। लिहाजा, जब तक हाउसिंग डिमांड में इजाफे का दौर फि र से तेज नही होता है कंपनी के ग्रोथ की रफ्तार प्रभावित रहेगी।
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