Rupee VS Dollar: रुपये में दर्ज की गई रिकॉर्ड गिरावट! डॉलर के मुकाबले 83 से नीचे फिसला रुपया, जानिए डिटेल्स
Dollar vs Rupee: रुपये की गिरती कीमतों को कंट्रोल (Rupee at Record Low) करने के लिए सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है, लेकिन अब तक इसमें कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.
By: ABP Live | Updated at : 20 Oct 2022 10:35 AM (IST)
Rupee at Record Low: भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है और यह गुरुवार 20 अक्टूबर 2022 को पहली बार ओपनिंग में एक डॉलर (Rupee vs Dollar) के मुकाबले 83 के स्तर को तोड़ कर नीचे चला गया है. रुपये ने आज शुरुआती कारोबार करते हुए इसमें 6 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है और यह 83.08 रुपये प्रति डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है डॉलर के लेवल पर आ गया. वहीं 9.15 मिनट पर रुपये करीब 83.06 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच चुका है. पिछले कारोबारी दिन यानी 19 अक्टूबर 2022 को रुपये डॉलर के मुकाबले रुपये में 66 पैसे की कमी देखी गई थी और यह 83.02 रुपये पर बंद हुआ था. रुपये की गिरती कीमतों पर एक्सपर्ट्स लगातार चिंता जता रहे हैं और उनका यह मानना है कि जल्द ही यह 85 के मार्क को छू सकता है.
सरकार लगातार उठा रही कदम
गौरतलब है कि रुपये की गिरती कीमतों को कंट्रोल (Rupee at Record Low) करने के लिए सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है, लेकिन अब तक इसमें कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. रुपये पिछले कुछ दिनों में लगातार कमजोर हो रहा है. साल 2022 की शुरुआत से अब तक रुपये की कीमतों में करीब 10% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2014 से अब तक रुपये में 40.50% की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2014 के मई महीने में रुपये 58.58 पर था जो अब गिरकर 83.08 तक पहुंच चुका है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) पिछले दो साल के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है. ऐसे में डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है और रुपये की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की जा रही है.
फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है बढ़ोतरी से गिरा रहा रुपया
कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि भारत समेत पूरी दुनिया की करेंसी में डॉलर के मुकाबले गिरावट देखी जा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व देश में महंगाई पर रोक लगाने के लिए लगातार अपनी ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है. बाजारों में डॉलर खरीद में बढ़त के चलते रुपये समेत पूरी दुनिया की मुद्रा में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. अन्य एशियाई करेंसी में गिरावट के कारण भी भारतीय रुपये पर इसका असर पड़ रहा है.
रुपये की गिरती कीमत अर्थव्यवस्था के लिए घातक
आपको बता दें कि डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता रुपया भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. रुपये की गिरती कीमतों के कारण तेल कंपनियों को डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है तेल खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. इसके साथ ही खाने के तेल और बाकी इंपोर्ट आइटम के लिए भी सरकार को ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, जिससे हमारी इंपोर्ट बिल में इजाफा होगा. इसके साथ ही विदेश में पढ़ने वाले लाखों भारतीय बच्चों पर भी इसका असर पड़ेगा और उनके माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए ज्यादा फीस चुकानी पड़ेगी. इन सब का असर आखिर में अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा.
News Reels
वित्त मंत्री ने रुपये की गिरती कीमतों पर दिया था बयान
हाल ही में अमेरिका दौरे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने रुपये की गिरती कीमतों पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भारतीय रुपया विश्व की बाकि करेंसी की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.
ये भी पढ़ें-
Published at : 20 Oct 2022 10:35 AM (IST) Tags: currency डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है dollar Indian Rupee rupee vs dollar हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं
विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर.
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
इसे एक उदाहरण से समझें
अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. आप अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.
मान लें कि हम अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहे हैं. अमेरिका के पास 68,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 68 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,800 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.
अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 68,000 डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है रुपए थे, वो तो हैं ही, लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.
अगर भारत इतनी ही राशि यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है. इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
कौन करता है मदद?
इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.
आप पर क्या असर?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं.
डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
यह है सीधा असर
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिएयहां क्लिक करें
80 रुपए का हुआ एक डॉलर, जानिए आप पर क्या पड़ेगा असर
बिजनेस डेस्कः कई हफ्तों से लगातार गिर रहा रुपया आज डॉलर के मुकाबले 80 रुपए के स्तर पर पहुंच गया। ये पहली बार है जब रुपया इतना नीचे गिरा है। अगर बात सिर्फ इस साल की करें तो आज की तारीख तक रुपए में करीब 7 फीसदी की तगड़ी गिरावट देखने को मिली है। आइए जानते हैं रुपए में गिरावट का आम आदमी पर और देश की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर।
आम आदमी पर होगा क्या असर?
रुपए की गिरावट का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। आम आदमी के लिए वह हर चीज महंगी हो जाएगी जो विदेशों से आयात की जाती है। सबसे बड़ा असर पेट्रोल-डीजल पर देखने को मिल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कच्चे तेल का आयात करने में भुगतान डॉलर में करना होता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है। हाल ही में खबर आई थी कि कच्चा तेल गिरकर 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है, जिससे पेट्रोल-डीजल सस्ते हो सकते हैं। हालांकि, रुपया इतना नीचे गिर जाने के चलते राहत की उम्मीद टूटती नजर आ रही है। इसके अलावा विदेशों से आयात किए जाने वाले खाने के तेल महंगे हो सकते हैं। सोने का दाम एक बार फिर से तेजी से बढ़ना शुरू हो सकता है।
आयातकों को नुकसान, निर्यातकों को फायदा
रुपए में गिरावट का असर सबसे अधिक आयातकों और निर्यातकों पर देखने को मिलेगा। रुपए में गिरावट की वजह से आयात महंगा हो जाएगा, क्योंकि हमें कीमत डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में पहले 1 डॉलर के लिए जहां 74-75 रुपए चुकाने होते थे, वहीं अब 80 रुपए चुकाने पड़ेंगे। वहीं इसका उल्टा निर्यातकों को रुपए में गिरावट का फायदा होगा, क्योंकि हमें भुगतान डॉलर में होता है और अब एक डॉलर की कीमत रुपए के मुकाबले बढ़ चुकी है।
मसलन सॉफ्टवेयर कंपनियों और फार्मा कंपनियों को फायदा होता है। हालांकि कुछ एक्सपोर्टरों पर महंगाई दर ज्यादा होने से लागत डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है का बोझ पड़ता है और वे रुपए में गिरावट का ज्यादा फायदा नहीं उठा पाते हैं। मसलन जेम्स-जूलरी, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मशीनरी को आइटम बनाने वाली कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इससे उनके मार्जिन पर असर पड़ता है।
विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों के माथे पर शिकन
भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का सपना पूरा करना दिन ब दिन मुश्किल होता डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब उन्हें अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए अधिक पैसा खर्च करना होगा और अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें ऐसे देश का चुनाव करना होगा, जहां पढ़ाई अपेक्षाकृत सस्ती हो। एक ओर, वित्तीय संस्थानों को लगता है कि चिंताएं वास्तविक हैं और भारी-भरकम शिक्षा ऋण लेने की जरूरत बढ़ सकती है, तो विदेश में रहने वाले शिक्षा सलाहकारों का मानना है कि उन छात्रों को इतनी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, जो पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में काम करने की योजना बना रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत से 13.24 लाख से अधिक छात्र उच्च अध्ययन के लिए विदेश गए हैं, जिनमें से अधिकांश अमेरिका (4.65 लाख), इसके बाद कनाडा (1.83 लाख), संयुक्त अरब अमीरात (1.64 लाख) और ऑस्ट्रेलिया (1.09 लाख) में हैं।
विदेश से रेमिटांस पाने वालों को होगा फायदा
ऐसे बहुत सारे छात्र हैं जो विदेश जाकर वहां पढ़ने और फिर वहीं पर नौकरी करने का सपना देखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रुपए के मुकाबले डॉलर मजबूत है। ऐसे में जब वह विदेश में पैसे कमाकर भारत में अपने परिवार को भेजते हैं तो यहां उन पैसों की कीमत कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को रुपए में गिरावट का फायदा मिलेगा। अगर आपके पास भी विदेश से पैसे आते हैं तो अब आपके पहले जितने डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है डॉलर की कीमत ही अधिक रुपयों के बराबर हो जाएगी।
शेयर बाजार पर पड़ेगा बुरा असर
रुपए में गिरावट का शेयर बाजार पर बहुत बुरा असर देखने को मिल रहा है। दरअसल, अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस महीने के अंत में एक बार फिर पॉलिसी रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। साथ ही अमेरिका में मंदी की आशंका से भी डॉलर की मांग बढ़ रही है। ऐसे में विदेशी निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए डॉलर का रुख कर रहे हैं और भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं। शेयर बाजार में गिरावट की एक बहुत बड़ी वजह है रुपए में गिरावट। आईटी सेक्टर की कंपनियों को रुपए में गिरावट से फायदा होगा। इनमें टीसीएस, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, विप्रो और माइंडट्री शामिल हैं। इसकी वजह यह है कि इनकी ज्यादातर कमाई डॉलर से होती है। टीसीएस की कमाई में 50 फीसदी अमेरिका से आता है। इसी तरह इन्फोसिस के रेवेन्यू में 60 फीसदी हिस्सेदारी नॉर्थ अमेरिका की है। एचसीएल की 55 फीसदी कमाई केवल अमेरिका से होती है।
रुपए में गिरावट का प्रमुख कारण
रुपए में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल मार्केट का दबाव है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आया है। ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी पर दबाव की वजह से निवेशक डॉलर को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग डॉलर में होती है। लगातार मांग से डॉलर अभी 20 साल के सबसे मजबूत डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है स्थिति में है। इसके अलावा विदेशी निवेशक इस समय भारतीय बाजार से लगातार पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा में कमी आ रही और रुपए पर दबाव बढ़ रहा है। वित्तवर्ष 2022-23 में अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी पर खुलेंगे वैकुण्ठ के द्वार, अवश्य करें ये काम
डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है
टीएनपी डेस्क(TNP DESK): डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में लगातार गिरावट आ रही है. लोगों की चिंता और बीते दिन भी बढ़ गई जब एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत 79.99 तक पहुंच गई. मगर, आज थोड़ी सा सुधार हुआ और 1 डॉलर की कीमत 79.90 पहुंचा. साल भर पहले 1 डॉलर की कीमत 74.54 रुपए थी. इससे समझा जा सकता है कि रुपए में कैसे लगातार गिरावट हो रही है. अगर, ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही डॉलर के मुकाबले रुपए 80 के स्तर को पार कर सकता है. मगर, बड़ा सवाल है कि आखिर रुपए में इतनी गिरावट क्यों हो रही है? सिर्फ भारतीय रुपए में गिरावट हो रही है या दुनिया के बाकी देशों की करेंसी में भी गिरावट हो रही?
डॉलर के मजबूत होने का कारण
डॉलर की कीमत बढ़ने के पीछे दुनिया भर में छाई मंदी और महंगाई है. अमेरिका में पिछले 1 सालों में महंगाई सबसे उच्च स्तर पर है. इससे निपटने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. महंगाई के जैसे ही ताजा आंकड़े सामने आए. आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका झटके में ही ब्याज दरों में एक फीसदी की वृद्धि कर सकता है. इन ब्याज दरों के बढ़ने का फायदा डॉलर को हो रहा है. वहीं मंदी के डर से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालते जा रहे हैं. और तो और इन पैसों से डॉलर खरीद रहे हैं. इससे डॉलर में अचानक से बेतहाशा वृद्धि हुई है. डॉलर की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई दशक बाद पहली बार डॉलर और यूरो की कीमत लगभग बराबर तक पहुँच गई है. क्योंकि यूरो डॉलर से महंगी करेंसी हुआ करती थी.
भारत के पड़ोसी देशों का हाल
भारतीय रुपए की बात करें तो पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले रुपया 6.6 फीसदी कमजोर हुआ है. भारत से भी ज्यादा खराब स्थिति पाकिस्तान की है. पाकिस्तानी रुपए में पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले 31.65 फीसदी की कमी आई है. साल भर पहले एक डॉलर की वैल्यू 159.10 पाकिस्तानी रुपये के बराबर थी, जो अभी 209.46 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है. पाकिस्तान के आलवा पड़ोसी देश नेपाल की बात करें तो उसकी करेंसी मे भी काफी गिरावट आई है. साल भर पहले एक डॉलर के मुकाबले नेपाली रुपया का भाव 117.70 था. जो अभी बढ़कर 127.66 पर पहुंच चुका है. पिछले एक साल में नेपाली करेंसी डॉलर के मुकाबले 8.50 फीसदी कमजोर हुआ है. सबसे बुरा हाल इस दौरान राजनीतिक और आर्थिक मार झेल रहे श्रीलंका पर पड़ी है. श्रीलंका की करेंसी में 84 फीसदी की गिरावट हुई है. साल भर पहले एक डॉलर की वैल्यू 196.55 श्रीलंकाई रुपये के बराबर थी, जो अभी 360.82 श्रीलंकाई रुपये के बराबर हो चुकी है. यही हाल बांग्लादेश और अफगानिस्तान का भी है. बांग्लादेश की करेंसी में 12.27 फीसदी की गिरावट हुई है तो अफगानिस्तान की करेंसी में 25.64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
Rupee at Record Low: रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढ़का रुपया, एक डॉलर की कीमत बढ़कर हुई 82.64 रुपये
Rupee at Record Low: आज रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढ़क गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे कमजोर खुला। रुपया 82.32 के मुकाबले 82.64 प्रति डॉलर पर खुला। रुपया ने रिकॉर्ड 82.68 प्रति डॉलर के निचले स्तर को छुआ।
नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले में रुपये (Rupee vs Dollar) में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। रुपया लगातार गिरावट का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बना रहा है। आज एकबार फिर रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया एकबार फिर अबतक के अपने सबसे निचले स्तर (Rupee at Record Low) पर पहुंचा गया है।
अभी पढ़ें – 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों पर सरकार मेहरबान, डीए में बढ़ोतरी के बाद अब दिया ये तोहफा
आज (10 October) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 82.64 रुपए पर खुला है। इससे पहले पिछले कारोबारी दिन शुक्रवार 7 अक्टूबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 44 पैसे की कमजोरी के साथ 82.32 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने रुपये में लगातार जारी गिरावट पर लगाम लगाने के लिए पिछले दिनों कई कदम उठाए हैं, लेकिन नतीजा बहुत कम देखने को मिला है। रुपये लगातार कमजोरी के साथ कारोबार हो रहा है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया अबतक 11 फीसदी नीचे आ चुका है। गौरतलब है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के दो साल के निचले स्तर पर आने के बाद डॉलर की मांग और बढ़ रही है और रुपये की सुस्ती थमने का नाम नहीं ले रही है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों बढ़ोतरी का नाकारात्मक असर
आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक रुपये पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने का नाकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। इन बाजारों से डॉलर की खरीद बढ़ने के चलते देश की करेंसी रुपया लाल निशान में फिसलता जा रहा है। इनके साथ ही अन्य एशियाई करेंसी की गिरावट से एशियाई बाजारों का रुझान पता चल रहा है जो इनके साथ डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है भारतीय करेंसी रुपये के लिए भी गिरावट का कारण बन रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर ?
रुपये के कमजोर होने से देश में आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारण विदेशों से आने वाली वस्तुओं जैसे- कच्चा तेल, मोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि महंगे हो जाएंगे। अगर रुपया कमजोर होता हैं तो विदेशों में पढ़ना, इलाज कराना और घूमना भी महंगा हो जाएगा।
डॉलर की मांग और डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है आपूर्ति से तय होती है रुपये की कीमत
गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।
देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 418