शेयर मार्केट को कौन रेगुलेट करता है Stock Market Regulator in Hindi
नमस्ते, दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको (Securities and Exchange Board of India- SEBI) के बारे में समझाया है की SEBI क्या है और यह stock market में क्या कार्य करता है. स्टॉक मार्किट में रेगुलेटर क्या होता है? स्टॉक मार्किट में रेगुलेटर क्यों जरुरी है? यदि आप इस लेख को पूरा पढ़ते है तो आपको अन्य किसी वेबसाइट या यूटूबे विडियो देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी..
Share Market क्या है?
दोस्तों यदि अप शेयर मार्किट के बारे में थोड़ा भी जानते है तो आपको पता होगा की कंपनी में इन्वेस्ट करने का ऐसा आप्शन है जहाँ महंगाई की कीमत से ज्यादा कंपनी return देने की छमता रखती है. अब सवाल ये उठता है की share market में इन्वेस्ट कैसे करे? लेकिन इसे भी ज्यादा जरुरी यह है की इक्विटी/कंपनी में इन्वेस्ट कौन-कौन से लोग करते है? यह सारा सिस्टम किस तरह से कार्य करता है?
Example-
जिस तरह से हम लोग नजदीक की किराना दूकान से अपनी जरूरत की चीजे खरीदते है, ठीक उसी तरह से हम इक्विटी में निवेश, खरीद-बिक्री, share market में करते है. इक्विटी में इन्वेस्ट करते समय ट्रांजेक्ट (transact) काफी बार सुना होगा इसका मतलब खरीद-बिक्री करना होता है. और इक्विटी की ये खरीद-बिक्री आप बिना स्टॉक मार्केट के नहीं कर सकते है.
स्टॉक मार्केट इक्विटी खरीदने वाले और बेचने वाले को मिलाता है. लेकिन ये स्टॉक मार्केट किसी दुकान या इमारत के रूप में नहीं दिखता, जैसा कि आपके किराने की दुकान दिखती हैं, लेकिन स्टॉक मार्केट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रूप में होता है. आप कंप्यूटर के ज़रिए इस पर जाते हैं और वहाँ खरीद बिक्री का काम करते हैं.
एक बात का यहाँ ध्यान रखें कि ये शेयरों की खरीद-बिक्री का काम आप बिना स्टॉक ब्रोकर के नहीं कर सकते है. स्टॉक ब्रोकर एक रजिस्टर्ड दलाल होता है, जिसके बारे में हम आगे विस्तार से बताएंगे.. stock market regulator in hindi
भारत के मुख्य stock exchange कौन से है?
भारत के सबसे मुख्य स्टॉक एक्सचेंज है- (Bombay Stock Exchange) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज – BSE, (National Stock Exchange) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज- NSE इसके अलावा कई स्टॉक एक्सचेंज है जैसे- बैंगलोर स्टॉक एक्सचेंज, मद्रास स्टॉक एक्सचेंज, क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज पर अब ना के बराबर लोग हिस्सा लेते हैं.
शेयर मार्किट में किस तरह के लोग हिस्सा लेते है उनको रेगुलेट करने की क्या जरुरत है?
शेयर मार्किट में एक व्यक्ति से लेकर बहुत सी कंपनी भी इन्वेस्ट करती है जो भी मार्किट में share को बेचता/खरीदता है उसे market participants कहा जाता है. इनको कई केटेगरी में बाँट दिया है. उनमे से कुछ केटेगरी को सरल भाषा में समझाया गया है. stock market regulator in hindi
- DomesticRitailParticipants– भारत में रहने बाले जैसे की आप और हम.
- NRIऔरOCI– जो लोग दूसरे देश में रहते है.
- DomesticInstitutions– इसमें काफी बड़ी-बड़ी कंपनी आती है जैसे की LIC (Life Insurance Company of India)
- AssetManagementCompanies– इसमें SBI, DSP ब्लैक रॉक, फिडेलटी इन्वेस्टमेंट्स HDFC, AMC आदि घरेलु म्यूचुअल फंड कंपनी होती है.
- Foreign Institutional Investers- इसमें विदेश की कंपनिया और विदेश एसेट मैनेजमेंट कंपनिया, हेज फंड आदि.
इन्वेस्टर किसी भी केटेगरी का हो लेकिन वह share market में इन्वेस्ट करने के बाद प्रतेक कंपनी से मुनाफा कमाने की सोचते है. और पैसे के मामले में इंसान बहुत लालची और डरा हुआ होता है कोई भी व्यक्ति लालच और डर से कुछ भी गलत काम कर सकता है जैसे की share market में हर्षद मेहता ने बहुत बड़ा घोटाला किया था जिसके बारे में लोग अभी भी जानते है.
इसलिए मार्किट में इस तरह के घोटाले को रोकने के लिए नियम कानून बनाये जिससे सभी लोगों को पैसा कमाने का मौका मिले. इस तरह की स्थति के लिए रेगुलेटर की जरुरत पड़ती है. Share market में रेगुलेटर क्या होता है?
Share market में रेगुलेटर क्या होता है?
भारत में शेयर मार्किट की सिक्योरिटीज के लिए SEBI (The Securities and Exchange Board of India) रेगुलेटर है.
जिसको हम सब सेबी के नाम से भी जानते है इसका मुख्य उद्देश्य छोटे-छोटे investers की सुरक्षा करना है. दूसरे शब्दों में कहा जाये तो, ऐसे कई बड़े इन्वेस्टर/कंपनी बाले होते है जो अधिक मुनाफे के चक्कर में कोई बड़ा खेल खेल जाते है ऐसे में नय इन्वेस्टर और छोटी कंपनी वालों को पैसे कमाने का अबसर ख़त्म ना हो जाये.
SEBI के क्या कार्य है/ मुख्य कर्तव्य –
- NSE और BSE दोनों एक्सचेंज अपना काम सही ढंग से करे.
- स्टॉक ब्रोकर्स नियम को मान कर काम करे.
- शेयर मार्किट में जो भी कंपनी हिस्सा ले वह गलत काम ना करे.
- कोई भी कंपनी अपने फायदे के लिए share market के उपयोग ना करे.
- छोटे इन्वेस्टर की सुरक्षा हो.
- जिनके पास अधिक धन है, वह बड़े-बड़े इन्वेस्टर अपने हिसाब से मार्किट स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? में हेरा फेरी ना करे.
- पूरे share market में अच्छा विकास हो.
- शेयर मार्किट में (खुदरा व्यापारी, बैंक, निवेशक, संस्थागत निवेशक) आदि के लिए नियम और विनियमों को स्थापित करना.
इन सभी उदेश्यों को ध्यान में रखते हुए ये बहुत जरुरी है की सभी कंपनी को रेगुलेट करे. BSE ने सभी एंटिटी के लिए अनेक प्रकार के नियम कानून बनाये है जिनके दायरे में रहकर काम करना होता है. निचे दिए गय फोटो की जानकारी को ध्यान से पढ़े-
Stock Market Regulator in Hindi Stock Market Regulator in Hindi 2022| what is SEBI Stock Market in Hindi
इस अध्याय की ज़रूरी बातें
- अगर आपको शेयर खरीदना – बेचना है तो शेयर बाज़ार या स्टॉक मार्केट के ज़रिए करना होगा.
- शेयर मार्किट में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शेयर खरीदना और बेचना होता है और यह काम एक स्टॉक ब्रोकर के ज़रिए कर सकते हैं.
- 3. शेयर बाज़ार में कई भागीदार / खिलाड़ी होते हैं.
- शेयर बाज़ार में भाग लेने या ऑपरेट करने वाले सभी एंटिटी को रेगुलेट करना ज़रूरी है और सबको रेगुलेटर द्वारा बनाए गए नियमों को पालन करना होता है.
- SEBI – सेबी सिक्योरिटी बाज़ार का रेगुलेरटर है. वो नियम कानून बना कर शेयर बाज़ार में हिस्सा लेने वाले सभी एंटिटी को रेगुलेट करता है.
6.SEBI को share market में चलने बाले सभी गैर – कानूनी कार्य के बारे में पता रहता है और उनके खिलाफ एक्शन लिया जाता है.
Stock Exchange: जाने, शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट और लोअर सर्किट?
हम बताते हैं कि लोअर सर्किट और अपर सर्किट क्या है। लेकिन, स्टॉक ट्रेडिंग में लोअर सर्किट और अपर सर्किट को जानने से पहले यह जानते हैं कि शेयर का मूल्य घटने और बढ़ने के पीछे का सही कारण क्या होता है?
शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट
हाइलाइट्स
- भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी दिखी
- इस दिन कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई
- कुछ बैंकों के कारोबार पर सर्किट ब्रेकर भी लगा
- आपको मालूम है कि क्या होता है सर्किट ब्रेकर
- क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?
सामान्य निवेशक इस बात को लेकर कभी कभी बहुत हैरान रहते हैं कि शेयर का मूल्य किस हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है। शेयर का मूल्य दो कारणों से बढ़ता या घटता रहता है। पहला कारण शेयर की सप्लाई और डिमांड और दूसरा कारण कंपनी द्वारा मुनाफा कमाना या कंपनी का घाटा। लेकिन, अगर हम स्टॉक ट्रेडिंग में देखें तो शेयर की सप्लाई और डिमांड की वजह से अधिकतर शेयर का मूल्य घटता बढ़ता रहता है। जब भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी ज्यादा लोग खरीदते हैं तो उसका दाम बढ़ जाता है। और, जब लोग शेयर को बेचना स्टार्ट कर देते हैं तब शेयर का मूल्य घटने लगता है यह इस तरह से काम करता है। - क्या है लोअर सर्किट?
मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का शेयर हैं। किसी वर्ष के दौरान उस कंपनी को किसी कारणवश घाटा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में आप उस कंपनी का शेयर बेचने लगेंगे। ऐसे ही बहुत से लोग जो उस कंपनी के शेयर को लिए होंगे वह भी बेचना शुरू कर देंगे। जब सब बेचना शुरू कर देंगे तो एक ही दिन में उस कंपनी का शेयर शून्य तक पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित सीमा तक गिरे इसके लिए NSE तथा BSE स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ नियम बनाए हैं। जिनके अंतर्गत जब किसी कंपनी में अचानक सब लोग शेयर बेचना शुरू कर दें तो एक निश्चित सीमा तक ही उस शेयर का मूल्य घटेगा। उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। यह जो मूल्य घटने की सीमा है, उसे ही लोअर सर्किट कहते हैं। - लोअर सर्किट का इस्तेमाल कब होता है?
लोअर सर्किट के तीन चरण होते हैं। यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है। यदि 10 फीसदी की गिरावट दिन में 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 10 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुक जाता है। इसमें शुरुआती 15 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार सत्र के अंत तक यानी 03.30 बजे तक जारी रहता है। - क्या है 15 फीसदी का सर्किट नियम?
यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है। - क्या है अपर सर्किट
अपर सर्किट को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं। उस कंपनी को खूब मुनाफा होता है या किसी कारणवश उस कंपनी में निवेशकों की रूचि बढ़ जाती है। ऐसे में उस कंपनी के शेयर का दाम खूब चढ़ने लगता है। ऐसे में किसी कंपनी के शेयर का मूल्य एक ही दिन में आसमान में पहुंच जाएगा। इसी हालत से बचने के लिए शेयर बाजार में अपर सर्किट का प्रावधान है। उस निश्चित मूल्य सीमा तक उस कंपनी के शेयर का दाम पहुंचते ही उसमें अपर सर्किट लग जाएगा और उसकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। जिस तरह से लोअर सर्किट पर 10, 15 और 20 फीसदी का नियम लागू होता है, वही नियम अपर सर्किट पर भी लागू होता है। - कारोबार स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है?
सर्किट लगने पर कारोबार रुक जाता है। जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है। इसके बाद सामान्य कारोबार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत (जो भी पहले हो) तक जारी रहता है। - सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
सर्किट के स्तर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा तय किए जाते हैं। इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर लगाया जाता है ताकि उन्हें बाजार के बड़े झटकों से बचाया जा सके। बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है। ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है। - भारतीय शेयर बाजार में कब से हुआ सर्किट का प्रावधान?
भारतीय शेयर बाजार में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का इतिहास 28 जून 2001 से शुरू होता है। उसी दिन बाजार नियामक सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद इसका पहली बार इस्तेमाल 17 मई 2004 को हुआ था।
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CMP Meaning in Stock Market, CMP क्या होता है? पूरी जानकारी
शेयर मार्केट की खास बात यह है कि आपको यहां पैसों के साथ-साथ हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है जैसे CMP Meaning | इस मार्केट में हर कोई पैसा बना सकता है लेकिन फिर भी बहुत सारे लोगों के हाथ कुछ नहीं लगता बल्कि उनके पैसे तो और डूब जाते हैं |
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन लोगों को शेयर मार्केट की सही जानकारी नहीं होती बिना शेयर मार्केट की नॉलेज के पैसे लगाना बिल्कुल वैसा है जैसे बिना तैयारी के IAS की परीक्षा देना |
अब इस परीक्षा में पास तो हर कोई होना चाहता है लेकिन बिना तैयारी के यह संभव नहीं | उसी प्रकार यदि आपको शेयर मार्केट से बहुत सारे पैसे कमाने हैं तो उसकी प्रॉपर जानकारी होना बहुत जरूरी है अन्यथा आपको लेने के देने पड़ जाएंगे | इसके लिए पहले तो शेयर मार्केट से जुड़ी 10 बेस्ट बुक्स पढ़िए |
फिर जब आपको कुछ समझ आने लग जाए उसके बाद आप ट्रेडिंग साइकोलॉजी से जुड़ी किताबें पढ़ने की शुरुआत कर सकते हैं | जिनसे आपको ट्रेडिंग सीखने में मदद मिलेगी | और यदि आपके लिए किताब खरीदना संभव नहीं है तो आप हमारी वेबसाइट पर से ज्ञान ले सकते हैं जहां हम हर 2 से 3 दिन में स्टॉक मार्केट से जुड़ी एक नई जानकारी आपके साथ साझा करते हैं |
CMP Meaning in Stock Market in Hindi
CMP का फुल फॉर्म Current Market Price होता है | यह किसी शेयर की उस कीमत तो बताता है जो वर्तमान में NSE और BSE पर चल रही है | किसी शेयर का करंट मार्केट प्राइस जाने के बाद हम यह जान सकते हैं कि शेयर की वर्तमान कीमत क्या चल रही है |
यह पैमाना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि अगर आप शेयर बाजार से कोई शेयर खरीदना चाहते हैं तो उससे पहले आपको उसकी कीमत का पता होना चाहिए ताकि जितने पैसे की आपको शेयर खरीदने में जरूरत पड़ेगी उतने आप पहले से अपने डिमैट अकाउंट में ऐड कर सकते हैं ताकि बाद में आपको शेयर खरीदते समय किसी समस्या का सामना ना करना पड़े |
LTP Meaning in Trading
कहीं-कहीं पर आपने LTP लिखा हुआ भी देखा होगा जिसका मतलब होता है लास्ट ट्रेडिंग प्राइस | यह उस कीमत को दर्शाती है जिस कीमत पर कोई शेयर बाजार बंद होने से पहले आखरी बार स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड किया गया होगा | यह करंट मार्केट प्राइस से अलग हो सकती है क्योंकि बहुत सारे सॉफ्टवेयर एलटीपी और एमपी में ज्यादा फर्क नहीं करते हैं |
LTP vs CMP
कहीं पर आपको CMP देखने को मिलेगी और कहीं पर एलटीपी | यदि किसी शेयर की LTP कल से ज्यादा है तो हम यह समझते हैं कि वह इस पैटर्न को आगे भी कंटिन्यू करेगी और उस शेयर की कीमत में वृद्धि होगी | इसके उलट यदि किसी शेयर की CMP या LTP कल से भी काम है तो इसका मतलब है कि वह शेयर बीयर ट्रेंड में है और उसकी कीमत आगे भी गिरेगी |
पर यह सब सिर्फ धारणाएं हैं इनके अनुसार आप कोई ट्रेड नहीं ले सकते हैं | वैसे तो Nifty50 की कंपनियां अच्छा प्रॉफिट देती हैं लेकिन फिर भी हमें किसी पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए |
अगर आपको वाकई में ट्रेडिंग करनी है तो सिर्फ CMP देखकर आप ट्रेड नहीं कर सकते | आपको उस शेयर का प्रॉपर टेक्निकल एनालिसिस करना चाहिए और अगर आप चाहते हैं कि हम टेक्निकल एनालिसिस समझाते हुए एक आर्टिकल लिखें तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हैं |
Nifty in Hindi: निफ्टी क्या है? – इसकी गणना कैसे होती है
निफ्टी क्या है?- इसकी गणना कैसे होती है? यदि आप इस सवाल का जवाब खोजते हुए, यहाँ आये है, तो आप बिल्कुल सही जगह आये है। इस article में हम सबने Nifty50 और National Stock Exchange से संबंधित सभी जानकारियों को समाहित किया है।
What is Nifty in Hindi?
निफ्टी क्या है?
NSE का full form National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी। Nifty शब्द- National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है।
निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है
निफ्टी(Nifty) के बारें में जानने के पहले आपको शेयर बाजार क्या है तथा इसमें निवेश कैसे करते है, इस बात की जानकारी होनी चाहिए।
संक्षेप में :
Stock Market(शेयर बाजार) :- शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है।
Equity(शेयर) :- शेयर का अर्थ होता है हिस्सा, किसी कंपनी में लगने वाले पूंजी(capital) का हिस्सा।
भारत में दो सूचकांक है
निफ्टी की जानकारी?
Nifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख कंपनियों के शेयरों का सूचकांक है। यह National Stock Exchange में शामिल कंपनियों को Index करता है।
NSE में 1600 से भी ज्यादा companies registered है। निफ्टी इन सभी कंपनियों को इंडेक्स नही करता। निफ्टी में इंडेक्स होने के लिए देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे बड़ी, आर्थिक रूप से मजबूत तथा सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।
ये कंपनिया देश के कई क्षेत्रों(sector) जैसे – Bank, Real estate, Media, Information technology, Auto, Financial services, Pharma, Metal, FMCG, Energy इत्यादि वर्गों से आती है।
निफ्टी की शुरुआत वर्ष 1994 से हुयी थी, जबकि इसका base year एक वर्ष बाद नवंबर 1995 है, तथा base value 1000 है।
यहाँ Base Year तथा Base Value कहने का मतलब यह है की Nifty को वर्ष 1995 के Market Cap एवं base value 1000 को आधार मानकर कैलकुलेट करते है।
Nifty का प्रबंधन India Index Services and Products (IISL) करता है। निफ्टी के टॉप 50 कंपनियों में शामिल होने के लिए बीएसई-सेंसेक्स की तरह ही कंपनियों को कई शर्तों को पूरा करने की जरुरत पड़ती है। जिन्हें आप हमारे पिछले लेख: सेंसेक्स क्या होता है? में पढ़ सकते है।
निफ्टी की गणना कैसे होती है?
How स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? Nifty is calculated in Hindi
निफ्टी की गणना(Calculation of Nifty) सेंसेक्स के तरह ही Free-float Market Capitalisation के आधार पर की जाती है। Nifty की गणना करते वक्त सेंसेक्स की गणना में उपयोग किये जानेवाले पद्धति का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ टर्म निफ्टी में बदल जाते है।
जो इस प्रकार है –
- Nifty की गणना करते वक्त आधार वर्ष(base year) 1995 और आधार वैल्यू(base value) 1000 का उपयोग किया जाता है।
- Nifty की गणना में देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।
Market capitalisation तथा Free-float Market capitalisation क्या है
इन दोनों बातों को जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे संबंधित बातों को हमने पिछले आर्टिकल सेंसेक्स क्या है – आसानी से समझे में काफी अच्छे से बताया है, आप वहां इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते है।
Market Capitalisation(बाजार पूंजी) : Market Capitalisation किसी कंपनी की कीमत होती है।
Free-float Market Capitalisation : यह किसी कंपनी के शेयर का वो खुला हुआ हिस्सा होता है जो खरीदने के लिए उपलब्ध होता है। इसे open market share भी कहते है। ये स्टॉक मार्केट से खरीदा जा सकता है।
1991 – 2022 के वर्षों में निफ्टी का प्रदर्शन
NIFTY 1991-2022, Source: TradingView chart
निफ्टी क्या होता है और इसकी गणना कैसे होती है? आप जान चुके होंगे। शेयर बाजार में निवेश करने के पहले किन जरुरी बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए आप इस निचे के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।
शेयर बाजार में निवेश के कुछ जरूरी टिप्स(10+ Tips for Investing in Share Bazar)
धन्यवाद, इस वेबसाइट पर हम सुनिश्चित करते है की यहाँ लिखे आर्टिकल्स आपके लिए लाभकारी तथा त्रुटिरहित हो। ऊपर के इस शेयर बटन से आप इस आर्टिकल को अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते है। यदि इस आर्टिकल से आप नोट या सुविचार लेना चाहते हैं तो आप स्क्रीनशॉट लेकर सेव कर सकते है, या पृष्ठ को बुकमार्क कर सकते है।
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