निम्नलिखित में से एक वास्तविक निवेश _________ है।
Key Points
- निवेश के 3 प्रकार हैं:
- स्वामित्व निवेश: स्वामित्व वह है जो ज्यादातर लोगों के दिमाग में आता है जब निवेश शब्द पर चर्चा की जाती है। ये निवेश के सबसे अस्थिर और लाभदायक वर्ग हैं।
- ऋण निवेश: धन उधार देना निवेश की एक श्रेणी है। आम तौर पर कई निवेशों की तुलना में जोखिम कम होते हैं और इसके परिणामस्वरूप, पुरस्कार अपेक्षाकृत मामूली होते हैं।
- नकद समकक्ष: ये निवेश कर रहे है "नकदी के रूप निवेश क्या होता है में के रूप में अच्छा है," जिसका अर्थ है कि वे नकदी के लिए वापस आसानी से और जल्दी से परिवर्तित किया जा सकता है।
Additional Information
- वास्तविक निवेश से, हमारा मतलब मौजूदा कागजी प्रतिभूतियों, बांडों, डिबेंचर या इक्विटी को खरीदना नहीं है, बल्कि नए कारखानों, मशीनों, रेलमार्गों आदि की खरीद से है।
- निवेश व्यय एक संबंधित अवधारणा है, जो उत्पादक के टिकाऊ उपकरणों, नए निर्माण और सूची में परिवर्तन के लिए किए गए व्यय को संदर्भित करती है।
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Last updated on Sep 27, 2022
The NTA (National Testing Agency) has released the CUET Phase VI Admit Card. The exam will be conducted at 489 examination centres across India. As per the notice, the exam is scheduled to be conducted on 24th August, 25th August, and 26th August 2022. Candidates can download their admit cards by filling in the application number, date of birth, and security pin. The CUET (Central Universities Entrance Test) is a common exam that is conducted by NTA for UG admissions into all the central and many other universities of India. Check out the CUET Answer Key Details Here.
Mutual Fund: क्या होता है म्युचुअल फंड, कैसे करता हैं काम?
डीएनए हिंदी: म्युचुअल फंड (What Is a Mutual Fund) एक तरह से आपके घर को वित्तीय सुरक्षा देने वाली गाड़ी है. म्युचुअल फंड जो कि शेयरधारकों से स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य संपत्तियों में निवेश करने के लिए संपत्तियों को पूल करता है. बता दें कि म्युचुअल फंड को प्रोफेशनल मनी मैनेजर ऑपरेट करते हैं. यही फंड की संपत्ति आवंटित करते हैं और फंड के निवेशकों के लिए कैपिटल गेन या इनकम का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं. एक म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो को इस तरह तैयार किया जाता है कि वह दिखाए गए प्रॉफिट को अपने निवेशकों की झोली में डाल सके.
मालूम हो कि म्युचुअल फंड (Mutual Fund) छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को इक्विटी, बॉन्ड और अन्य सिक्योरिटीज के प्रोफेशनली तौर पर मैनेज्ड पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं. इसलिए, प्रत्येक शेयरहोल्डर फंड के प्रॉफिट या लॉस में बराबर रूप से भाग लेता है. बता दें कि म्युचुअल फंड बड़ी संख्या में सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इस दौरान प्रदर्शन को आमतौर पर फंड के टोटल मार्केट कैप (Total Market Cap) में बदलाव के रूप में ट्रैक किया जाता है.
अधिकांश म्युचुअल फंड फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स (Fidelity Investments), वैनगार्ड (Vanguard), टी. रोवे प्राइस (T. Rowe Price) और ओपेनहाइमर जैसी बड़ी निवेश कंपनियों का हिस्सा हैं. एक म्यूचुअल फंड में एक फंड मैनेजर होता है, जिसे दूसरी भाषा में निवेश सलाहकार कहा जाता है. यह निवेश सलाहकार म्यूचुअल फंड शेयरधारकों को बेहतर प्रॉफिट दिलाने के लिए काम करता है.
म्युचुअल फंड की कीमत कैसे तय होती है?
म्यूचुअल फंड की वैल्यू उन सिक्योरिटीज के प्रदर्शन पर निर्भर करता है जिनमें वह निवेश करता है. इस दौरान यह देखा जाता है कि म्युचुअल फंड की एक यूनिट या शेयर खरीदते समय, एक निवेशक अपने पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को खरीद रहा है या अधिक सटीक रूप से, पोर्टफोलियो के मूल्य का एक हिस्सा खरीद रहा है. कई लोगों को लगता है कि इसमें स्टॉक जैसा ही निवेश करना है. जबकि म्यूचुअल फंड के शेयर में निवेश स्टॉक के शेयरों में निवेश करने से अलग है. स्टॉक के विपरीत, म्यूचुअल फंड शेयर अपने धारकों को कोई वोटिंग अधिकार नहीं देते हैं. म्युचुअल फंड का एक शेयर कई अलग-अलग स्टॉक या अन्य सिक्योरिटीज में निवेश को रिप्रेजेंट करता है.
म्यूचुअल फंड शेयर की कीमत को नेट एसेट वैल्यू (NAV) प्रति शेयर के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसे कभी-कभी एनएवीपीएस (NAVPS) भी कहते हैं. एक फंड का एनएवी पोर्टफोलियो में सिक्योरिटीज के कुल मूल्य को बकाया शेयरों की कुल राशि से विभाजित करके निकाला जाता है. बकाया शेयर वे होते हैं जो सभी शेयरहोल्डर्स, संस्थागत निवेशकों और कंपनी के अधिकारियों या अंदरूनी लोगों के पास होते हैं.
म्युचुअल फंड शेयरों को आम तौर पर फंड के मौजूदा एनएवी पर खरीदा या भुनाया जा सकता है, जो बाजार के समय के दौरान वोलेटाइल नहीं होते हैं. हालांकि कारोबारी दिन के आखिरी दिन में इसकी कीमत तय की जाती है. एनएवीपीएस तय होने पर म्यूचुअल फंड की कीमत भी अपडेट की जाती है.
औसत म्युचुअल फंड में अलग-अलग प्रतिभूतियां होती हैं, जिसका अर्थ है कि म्युचुअल फंड शेयरहोल्डर को डायवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है.
म्युचुअल फंड के लिए रिटर्न की गणना कैसे की जाती है?
जब कोई निवेशक Apple स्टॉक खरीदता है, तो वह कंपनी का आंशिक स्वामित्व या शेयर खरीद रहा होता है. इसी तरह, एक म्यूचुअल फंड निवेशक म्यूचुअल फंड और उसकी संपत्ति का एक छोटा सा स्वामित्व खरीद रहा है.
निवेशक आमतौर पर म्यूचुअल फंड से तीन तरह से रिटर्न कमाते हैं, आमतौर पर तिमाही या वार्षिक आधार पर:
आय शेयरों पर लाभांश और फंड के पोर्टफोलियो में रखे बांडों पर ब्याज से अर्जित की जाती है और वितरण के रूप में मालिकों को निधि देने के लिए साल भर में प्राप्त होने वाली लगभग सभी आय का भुगतान करती है. फंड अक्सर निवेशकों को वितरण के लिए चेक प्राप्त करने या म्यूचुअल फंड के अतिरिक्त शेयर खरीदने के लिए दोबारा निवेश करने का विकल्प देते हैं.
यदि फंड उन सिक्योरिटीज की बिक्री करता है जिनकी कीमत में वृद्धि हुई है, तो फंड को कैपिटल गेन के बारे में पता चलता है जो कि ज्यादातर फंड एक वितरण में निवेशकों को भी देते हैं.
जब फंड के शेयरों की कीमत में वृद्धि होती है तब आप अपने म्यूचुअल फंड शेयरों को बाजार में लाभ के लिए बेच सकते हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.Investment Tips: पहली बार SIP में करने जा रहे हैं निवेश, तो जानिए मोटे मुनाफे के टिप्स
Investment Tips: म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
Investment Tips: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच हर कोई SIP पर ध्यान दे रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में एसआईपी अकाउंट बढ़कर 5.71 करोड़ हो गए। म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश जोखिम भरा है। ऐसे में आप एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करना आसान और लाभदायक है। इस तरह आप 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं।
निवेश बना सकता है करोड़पति
इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश एक बेहतर विकल्प है। आप छोटी बचत कर सकते हैं। SIP के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में बड़ा निवेश कर सकते हैं। यह निवेश आपको करोड़पति बना सकता है। जो लोग बड़ी रकम जमा करना चाहते हैं, लेकिन एकमुश्त नहीं। वे म्यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं।
निवेश में जोखिम कम
म्यूचुअल फंड में एसआईपी के निवेश क्या होता है जरिए निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
निवेश से पहले करना होगा केवाईसी
एसआईपी में निवेश बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। निर्धारित राशि खाते से हर महीने तय तारीख को काट ली जाएगी। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको केवाईसी पूरा करना होगा। एसआईपी कैलकुलेटर की मदद से फंड की राशि का अनुमान लगाया जा सकता है।
10 साल में कितना पैसा होगा जमा
म्यूचुअल फंड में एसआईपी कम से कम 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज देता है। आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में 10 साल का टारगेट रख सकते हैं। इन दस वर्षों के निवेश से एक करोड़ का फंड जमा किया जा सकता है।
आप वार्षिक स्टेप-अप को 20 प्रतिशत पर रख सकते हैं। यानी आप अपने SIP को हल साल 20% तक बढ़ा सकते हैं। अगर आप 21000 रुपये प्रति माह के एसआईपी की शुरुआत करते हैं, तो 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड जमा हो जाएगा।
SIP कैलकुलेटर के अनुसार, दस साल बाद कुल निवेश रकम 65,41,588 रुपये और वापसी राशि 38,34,556 रुपये होगी। इस तरह आप 1,03,76,144 रुपये का फंड जमा कर सकते हैं।
FD या रियल एस्टेट? क्या निवेश क्या होतनिवेश क्या होता है ा है है बेहतर रिटायरमेंट विकल्प, कहां निवेश करना रहेगा फायदेमंद; जानें
एफडी में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है। लेकिन अगर आप भविष्य में एक ऐसी संपत्ति का मालिक बनना चाहते हैं जो उसके मूल्य में समय के साथ वृद्धि करे तो रियल एस्टेट में निवेश आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है।
रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों ही लंबे टाइम पीरियड का निवेश माना जाता है। हालांकि, दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। इसके सभी पहलुओं की अच्छी समझ ही आपके निवेश को लेकर बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है। एफडी में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है। लेकिन अगर आप भविष्य में एक ऐसी संपत्ति का मालिक बनना चाहते हैं जो उसके मूल्य में समय के साथ वृद्धि करे तो रियल एस्टेट में निवेश आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। आइए जानते हैं की रिटायरमेंट के बाद कौन सा निवेश बेहतर हो सकता है और इसमें एक्सपर्ट्स की राय क्या है।
आकर्षक रिटर्न पाना चाहते हैं तो यहां कर सकते हैं निवेश
अवंता इंडिया के एमडी नकुल माथुर का कहना है कि पहले एफडी में निवेश करना अच्छा विकल्प माना जाता था। हालांकि, अब निवेशक ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए रियल एस्टेट में निवेश के महत्व को समझने लगे हैं। REIT फंड्स के आने के बाद तो मिडिल क्लास निवेशकों के लिए रियल एस्टेट में निवेश करना और भी आसान हो गया है। धीरे-धीरे लोगों की रूचि ऑफिस स्टॉक्स, रिटेल यूनिट्स, शॉप्स और निवेश क्या होता है दूसरे प्रॉपर्टीज में बढ़ रही है। इससे लोगों को रेकरिंग रेंटल इनकम के साथ ही अच्छा–खासा आकर्षक रिटर्न भी मिलता है। माथुर के अनुसार कमर्शियल स्पेस में निवेश एफडी के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देता है।रियल एस्टेट में निवेश क्या होता है निवेश देता है प्रॉफिट कमाने के कई मौके
वहीं आरपीएस ग्रुप के पार्टनर सुरेन गोयल का कहना है की रेजिडेंशियल बिल्डिंग के कॉन्ट्रैक्ट से हरेक साल आपके किराए की दर में लगातार इजाफा होता है। इसका दूसरा फायदा यह है कि यह कभी भी आउटडेटेड नहीं होता है। वहीं दूसरी ओर एफडी में निवेश करने से आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है। इसके साथ ही यह मार्केट के उतार-चढ़ाव से भी प्रभावित नहीं होता है। जबकि रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट आपको लंबे समय में बड़े अमाउंट में मुनाफा कमाने का मौका देता है। अगर आप इसमें समझ–बूझ के साथ निवेश करते हैं तो आपके लिए इसमें प्रॉफिट कमाने के कई मौके होते हैं।
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