सीतारमण ने कहा, “हमारे गहरे होते आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों का एक प्रमाण यह है कि दोनों देशों के बीच माल में द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 100 अरब अमरीकी डालर के व्यापार डॉलर का आंकड़ा पार कर गया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।”
अमरीकी डालर के व्यापार
भारत-अमेरिका व्यापार (India-US Trade) : भारतीय तकनीकी उद्योग ने 1.6 मिलियन नौकरियों का योगदान देकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के तहत, दोनों देशों ने 2021 में 100 अरब डॉलर के व्यापार का आंकड़ा पार किया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार (goods trade) की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को नई दिल्ली में इंडिया-यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में कहा कि कैसे भारतीय तकनीकी उद्योग ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
दोनों अर्थव्यवस्थाएं ने मिलकर भारत में चल रहे वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारत-अमेरिकी व्यापार और आर्थिक अवसर कार्यक्रम में एक साथ आकर कई पहल की हैं।
इंडिया यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में सत्र को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, “भारतीय तकनीकी उद्योग ने सीधे अमरीकी डालर के व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार और अमेरिकी ग्राहक आधार का समर्थन करके, लगभग 1.6 मिलियन नौकरियों का समर्थन किया है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।”
India Economy: भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने में सहयोग करेंगी अमेरिकी कंपनियां
भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सफर में अमेरिकी कंपनियां सहयोग करने को तैयार हैं। भारत केंद्रित अमेरिकी व्यापार समूह यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप का कहना है कि भारत कुछ दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनकर अमरीकी डालर के व्यापार उभरेगा। बहुत सारी अमेरिकी कंपनियां इसमंे हिस्सेदार बनने को तैयार हैं। एक दौर था, जब भारत वैश्विक जीडीपी में 25 फीसदी से ज्यादा का हिस्सेदार था। इसमें वह स्थिति फिर हासिल करने का माद्दा है।
दोनों देशों का कारोबार 500 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य
भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को व्यवसायी समुदाय गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने कहा, भारत और अमेरिका के बीच अभी 150 अरब डॉलर का व्यापार है, इसे बढ़ाकर 500 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखना होगा। इसके लिए भारत और अमेरिका को एक-दूसरे का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनना होगा। इसके लिए विज्ञान, तकनीक में गहरे सहयोग की जरूरत है।
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भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सफर में अमेरिकी कंपनियां सहयोग करने को तैयार हैं। भारत केंद्रित अमेरिकी व्यापार समूह यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप का कहना है कि भारत कुछ दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनकर उभरेगा। बहुत सारी अमेरिकी कंपनियां इसमंे हिस्सेदार बनने को तैयार हैं। एक दौर था, जब भारत वैश्विक जीडीपी में 25 फीसदी से ज्यादा का हिस्सेदार था। इसमें वह स्थिति फिर हासिल करने का माद्दा है।
दोनों देशों का कारोबार 500 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य
भारत को 2047 अमरीकी डालर के व्यापार तक विकसित देश बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को व्यवसायी समुदाय गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने कहा, भारत और अमेरिका के बीच अभी 150 अरब डॉलर का व्यापार है, इसे बढ़ाकर 500 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखना होगा। इसके लिए भारत और अमेरिका को एक-दूसरे का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनना होगा। इसके लिए अमरीकी डालर के व्यापार विज्ञान, तकनीक में गहरे सहयोग की जरूरत है।
India China: चीन से आयातित रसायन पर नहीं लगेगा डंपिंग रोधी शुल्क, भारत-चीन का व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर पार
सरकार ने चीन से आयातित एक प्रकार के रसायन पर डंपिंग रोधी शुल्क नहीं लगाने का फैसला अमरीकी डालर के व्यापार लिया है। इस रसायन का इस्तेमाल दवा उद्योग में होता है, माना जा रहा है कि सरकार ने इसी कारण ये फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है।
बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर ने चीन से आ रहे रसायन (4आर-सीआईएस-1-1- डाइमिथाइलथाइल-6-साइनोमिथाइल-2, 2-डाइमिथाइल-1, 3-डाइऑक्सेन-4- एसिटेट) की कथित डंपिंग की जांच की थी और अगस्त में इस पर शुल्क लगाने की सिफारिश की गई थी।
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सरकार ने चीन से आयातित एक प्रकार के रसायन पर डंपिंग रोधी शुल्क नहीं लगाने का फैसला लिया है। इस रसायन का इस्तेमाल दवा उद्योग में होता है, माना जा रहा है कि सरकार ने इसी कारण ये फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है।
बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर ने चीन से आ रहे रसायन (4आर-सीआईएस-1-1- डाइमिथाइलथाइल-6-साइनोमिथाइल-2, 2-डाइमिथाइल-1, 3-डाइऑक्सेन-4- एसिटेट) की कथित डंपिंग की जांच की थी और अगस्त में इस पर शुल्क लगाने की सिफारिश की गई थी।
राजस्व विभाग की ओर से जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डीजीटीआर के अंतिम निष्कर्षों पर विचार करने के बाद सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। बता दें कि शुल्क लगाने की सिफारिश डीजीटीआर करता है जबकि इसे लगाने के बारे में अंतिम निर्णय राजस्व विभाग लेता है।
India’s Trade Deficit : डबल से भी ज्यादा हुआ भारत का व्यापार घाटा, निर्यात में मामूली इजाफा
अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है
India’s trade deficit : अमरीकी डालर के व्यापार केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश अमरीकी डालर के व्यापार का व्यापार घाटा डबल से भी ज्यादा रहा है. अगस्त के महीने में भारत का व्यापार घाटा 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो साल 2021 के अगस्त महीने के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है. पिछले साल अगस्त में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर दर्ज किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था. अगस्त महीने में देश के इम्पोर्ट 37.28 फीसदी की बढ़त के साथ 61.9 अरब डॉलर पहुंच गया है.
कच्चे तेल के इम्पोर्ट में 87.44 फीसदी का इजाफा
भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है, जिसकी वजह से उसका इम्पोर्ट एक्सपोर्ट के मुकाबले बहुत ज्यादा हो जाता है. अगस्त के महीने में कच्चे तेल का आयात 87.44 प्रतिशत के इजाफे के साथ बढ़कर 17.7 अरब डॉलर दर्ज किया गया. हालांकि, गोल्ड इम्पोर्ट में 47 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, अगस्त में गोल्ड इम्पोर्ट घटकर 3.57 अरब डॉलर रहा, जबकि सिल्वर का आयात बढ़कर 684.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर करीब पहुंच गया, जो पिछले साल अगस्त में 15.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर था.
अगस्त में मेजर कमोडिटी प्रोडेक्ट्स के इम्पोर्ट खासा इजाफा देखा गया. कोयला, कोक और ब्रिकेट्स का इम्पोर्ट 133.64 फीसदी के इजाफे के साथ 4.5 बिलियन अमरीकी डालर पर पहुंच गया, केमिकल इम्पोर्ट 43 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3 बिलियन अमरीकी डालर पर रहा, वनस्पति तेल में 41.55 प्रतिशत के इजाफे के साथ 2 बिलियन अमरीकी डालर के करीब पहुंच गया. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामान, चावल, चाय, कॉफी और केमिकल्स के इम्पोर्ट में इजाफा देखा गया. वहीं पेट्रोलियम उत्पादों का एक्सपोर्ट 22.76 फीसदी के इजाफे के साथ बढ़कर 5.71 अरब डॉलर हो गया. इसी तरह केमिकल्स और फार्मा से जुड़ी शिपमेंट में 13.47 प्रतिशत और 6.76 प्रतिशत बढ़कर 2.53 बिलियन अमरीकी डालर और 2.14 बिलियन अमरीकी डालर हो गए.
एक्सपोर्ट में मामूली बढ़त
अगस्त महीने में देश का एक्सपोर्ट 1.62 फीसदी इजाफे के साथ 33.92 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है. मौजूदा फाइनेंशल ईयर के अप्रैल से अगस्त के बीच देश के एक्सपोर्ट 17.68 फीसदी की बढ़त के साथ 193.51 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया. जबकि इस दौरान देश का इम्पोर्ट 45.74 प्रतिशत इजाफे के साथ 318 अरब डॉलर हो गया है.
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.35 पर खुला, और फिर बढ़त दर्ज करते हुए 77.31 पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 19 पैसे की बढ़त दर्शाता है.
रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 25 पैसे की गिरावट के अमरीकी डालर के व्यापार साथ 77.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो इसका सर्वकालिक निचला स्तर था.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सीमित दायरे में अमरीकी डालर के व्यापार कारोबार कर सकता है.
इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 104.65 पर आ गया.
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.68 प्रतिशत बढ़कर 109.25 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.
शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 5,255.75 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
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