शेयर मार्केट वह जगह है जहां शेयर खरीदे और बेचे जाते है। शेयर मार्केट आपको इक्विटी, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव इत्यादि में ट्रेडिंग करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
Intraday Trading क्या है? | इंट्राडे ट्रेडिंग में प्रॉफिट कैसे कमा सकते हैं?
दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदते और बेचते होंगे मतलब कि ट्रेडिंग का काम करते होंगे ट्रेडिंग कई तरह की होती है इनमे से एक इंट्राडे ट्रेडिंग होती है लेकिन क्या आपको पता है कि इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है और इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे होती है अगर नही, तो आइये आज हम आपको इंट्राडे ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है तो जो कैंडिडेट इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.
Intraday ट्रेडिंग क्या होती है (What is Intraday Trading in Hindi)
जब कोई ट्रेडर शेयर मार्केट से शेयर्स को एक ही दिन में कम दाम में खरीद कर उसी दिन उसे ज्यादा दामों में बेच देता है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है. मतलब कि शेयर मार्किट में एक ही दिन ट्रेडिंग करने के लिए नियम के अन्दर शेयर को कम दाम पर खरीद कर ज्यादा दाम पे बेच कर प्रॉफिट लेने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको डिमैट एकाउंट की जरूरत नही पड़ती है इसके लिए सिर्फ आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करे?
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको Trading Account की जरुरत होती है क्योंकि आप बिना ट्रेडिंग अकाउंट के ट्रेडिंग नहीं कर सकते. इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको डिमैट अकाउंट की जरूरत ट्रेडिंग करने के लिए नियम नही होती है क्युकी इसमें आपको शेयर को होल्ड करके रखना नही होता है उसी दिन शेयर्स को खरीदना और बेचना होता है, जब आपको शेयर्स को होल्ड कर रखना होता है तब डिमैट अकाउंट की जरूरत होती है.
इसका सबसे अच्छा उदाहरण आप 1 अगस्त के बिज़नस में देख सकते हैं आज एयरटेल में निवेश करने वाले काफी आगे जा चुके है और शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ मिली है, दरअसल आज के टाइम में एजीआर इश्यू पर ट्रेडिंग करने के लिए नियम निवेशकों की नजर थी. सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया है, जिसके बाद एयरटेल में 5 फीसदी की तेजी आई है और ऐसे ट्रेड का ध्यान रखना इंट्राडे या फिर डे ट्रेडर्स के लिए काफी जरूरी होता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ती है?
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते है तो इसमें आप किसी शेयर में जितनी भी रकम चाहे लगा सकते है शेयर मार्केट का एक रूल होता है कि इसमें जिस दिन शेयर खरीदा जाता है उसी दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के अनुसार जिस दिन शेयर खरीदा जाता है उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद आपको पूरा पैसा देना होता है स्टार्टिंग में आपको शेयर के मूल्य का 30 फीसदी रकम का निवेश करना होता है.
एक सफल इंट्राडे ट्रेडर बनने के लिए ट्रेडिंग करने के लिए नियम आपको इन कुछ जरुरी बातो को ध्यान रखना है-
- इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको खरीदे गये शेयर्स को कभी होल्ड करके नही रखना है.
- जब भी आप शेयर्स को खरीदे तो कभी भी एक ही शेयर पर बार बार ट्रेडिंग न करे .
- अगर किसी दिन आपको ट्रेडिंग में मुनाफा ज्यादा हो तो उस दिन को लकी डे समझ कर ज्यादा ट्रेडिंग नही करना है.
- कभी भी आपको ट्रेडिंग में एक साथ ज्यादा पैसा नही लगाना है.
- अगर आप ट्रेडिंग का काम करते है तो कभी भी किसी भी व्यक्ति की सलाह लेकर ट्रेडिंग न करे अपना खुद का रिसर्च करने के बाद ही ट्रेडिंग करे.
- अगर कोई कंपनी बंद है तो उसके शेयर्स न खरीदे, मतलब कि बंद हुई कंपनी के शेयर्स आपको नही खरीदना है.
शेयर कैसे खरीदें ?
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि शेयर खरीदते समय आपको किन किन बातों को ध्यान में रखना है। यहाँ हमनें कुछ टिप्स बताए हैं, जो एक निवेशक के लिए निवेश करने से पहले दिमाग में रखना जरूरी है।
अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें।
मौलिक और तकनीकी विश्लेषण करें।
सही कीमत पर शेयर खरीदें।
समय-समय पर निवेश करें सेबी के नियमों का पालन करें चलिए
अब इन सब पर एक-एक करके चर्चा करते हैं।
अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें – Keep your financial objectives in mind
शेयर खरीदने के नियम में सबसे पहला नियम या टिप्स यह है कि शेयर खरीदने से पहले हमें अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। इसका मतलब है कि सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपको लॉन्ग-टर्म निवेश करना है या शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना है।
शॉर्ट टर्म ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग को चुनते हैं। वहीं लॉन्ग-टर्म के लिए निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग या पोज़िशनल ट्रेडिंग का विकल्प चुन सकते हैं।
यदि आप शॉर्ट-टर्म यानी कम अवधि में के जरिये रिटर्न प्राप्त करना चाहते है, तो आप निवेश के अन्य साधनों पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपके पास लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट का प्लान है, तो इक्विटी में निवेश करने से आपको बेहतरीन रिटर्न मिल सकता है।
सही कीमत पर शेयर खरीदें – buy shares at the right price
उस कीमत पर स्टॉक खरीदना बहुत महत्वपूर्ण है जो आप देने में सक्षम हो। हो सकता है कि आप ऐसे शेयर को ढूंढ रहे हो जो बहुत लोकप्रिय ट्रेडिंग करने के लिए नियम है और जिसे दूसरे लोग खरीद रहे हैं।
लेकिन इसके लिए आपको यह भी देखना होगा कि अपने बजट के अनुसार शेयर खरीदे और जो आपको बेहतर रिटर्न दे सके। जो शेयर आपके बजट में फिट नहीं बैठता, आप उसे छोड़ दें।
सही समय की प्रतीक्षा करें और उस स्टॉक को चुनें, जो आपके बजट में फिट हो और आपको लाभ भी दे। इसके अलावा, जब आपको लगे कि आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं और आपको अच्छा रिटर्न मिल रहा है
तब आपको शेयर बेच देने चाहिए। शेयर की कीमत को कुछ और बढ़ाने के लिए इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है।
लेकिन ध्यान रहे कि अगर इसका प्राइस नीचे जाता है तो आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, शेयर हमेशा सही समय पर खरीदें और सही समय आने पर बेच दें।
सेबी के नियमों का पालन करे – Follow SEBI rules
शेयर मार्केट की रेगुलेटरी बॉडी ने 1 सितंबर 2020 से शेयर खरीदने और बेचने के नियमों में भारी बदलाव किए हैं। एक तरफ जहां इन नियमों के कारण निवेशकों की सुरक्षा बढ़ी हैं, वहीं दूसरी ओर शेयर खरीदना मुश्किल हो गया है।
जैसा कि आपको पता है कि “कार्वी ऑनलाइन” ने निवेशकों के पैसों के साथ घोटाला किया था। उसके बाद सेबी ने नियम बनाने के लिए कड़े कदम उठाए। ऐसे में अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको शेयर खरीदने के नियम पता होने चाहिए।
आपको पता है कि निवेशक अपने ब्रोकर से पॉवर ऑफ अटॉर्नी लेते थे। यहाँ ब्रोकर उनके शेयर के साथ मनमानी करते थे और निवेशकों की बिना सहमति के शेयर्स का इस्तेमाल करते थे।
लेकिन अब सेबी के नए में शेयर आपके डीमैट खाते में ही रहेंगे और ट्रेडिंग करने के लिए नियम वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इस तरह ब्रोकर के अकाउंट में आपके शेयर नहीं जाएंगे।
इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के कुछ प्रावधानों में सुधार की जरुरत
IANS
Updated on: May 18, 2015 12:01 IST
इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों पर सफाई की जरुरत
चेन्नई: देश के शेयर बाजार नियामक को 15 मई से लागू नए इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने की जरूरत है, जैसे कि क्या एंप्लाई स्टॉक ऑप्शंस (ईएसओपी) भी इसके दायरे में आएगा।
कंपनियों के अनुपालन अधिकारियों ने बताया कि नए नियमों से उनके लिए कठिनाई थोड़ी बढ़ गई है, क्योंकि पत्रकार, वेंडर और बैंकर जैसे कई अन्य बाहरी पक्षों को भी 'इनसाइडर' की परिभाषा के दायरे में शामिल कर दिया गया है।
इंटेलेक्ट डिजाइन एरीना लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी एस. स्वामीनाथन ने आईएएनएस से कहा, "इनसाइडर ट्रेडिंग के पुराने नियमों में ईएसओपी को स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया है, जबकि नए नियमों की व्याख्या करने पर ऐसा नहीं कहा जा सकता है। ईएसओपी योजना प्राय: सुपरिभाषित होती है और ट्रेडिंग करने के लिए नियम यह खरीदने का एक विकल्प होता है।"
गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद बढ़ी व्यापार दर
व्यापार डेटा के एनालिसिस से पता चलता है कि चीन के साथ व्यापार हाल में ही तेजी से बढ़ा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीन से आयात का मासिक आंकड़ा जो कोविड के दौरान जून 2020 में 3.32 बिलियन डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच ट्रेडिंग करने के लिए नियम गया था, वो प्रतिबंध हटते ही बढ़ाना शुरू हो गया और जुलाई में 5.58 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. तब से लेकर अब तक ये लगातार बढ़ रहा है और इस साल जुलाई में 10.24 अरब डॉलर पहुंच गया.
चीन से भारत इलेक्ट्रिक मशीनरी,इक्विपमेंट और अन्य मैकेनिकल अप्लायंसेज खरीदता है. इसमें निकट भविष्य बदलाव की गुंजाइश भी कम दिख रही है.
पिछले छह साल में भारत में चीन से आयात होने वाली प्रमुख चीज़ों में ऑटोमैटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन,टेलीफोन इक्विपमेंट और वीडियो फोन, इलेक्ट्रिक सर्किट, ट्रांसिस्टर्स,साउंड रिकॉर्डिंग, एंटीबायोटिक्स, कैमरा, ऑटो कंपोनेंट और एक्सेसरीज और प्रोजेक्ट्स गुड्स शामिल हैं.
चीन भारत से क्या खरीदता है?
पिछले छह साल में भारत से चीन का निर्यात मुख्य रूप से पेट्रोलियम ईंधन,कार्बनिक रसायन, रिफाइंड कॉपर, कॉटन यार्न का हुआ है. इसके अलावा निर्यात होने वाली खाद्य वस्तुओं में मछली, सी फूड, काली मिर्च और अन्य चीजें. ग्रेनाइट ब्लॉक और बिल्डिंग स्टोन और रॉ कॉटन का भी निर्यात हुआ.
इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस
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कितने शेयर बायबैक कर रही है कंपनी?
पेटीएम के पास अभी करीब 9,182 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी है. अब कंपनी पूरी तरह से भुगतान किए गए इक्विटी शेयरों के बायबैक पर विचार कर रही है. कंपनी का मानना है कि पेटीएम की लिक्विडिटी और मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए बायबैक का फैसला कंपनी के शेयरधारकों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
शेयर बायबैक वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत कोई कंपनी अपने ही शेयर्स को पब्लिक से वापस खरीद लेती है. इसके लिए कंपनी अपने शेयर की कीमत पर कुछ प्रीमियम भी चुकाती है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. जब कंपनी शेयर बायबैक करती है तो फिर बाजार में उसके आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है.
आखिर कंपनियां बायबैक क्यों करती हैं शेयर?
बायबैक की बात सुनकर हर कोई ये सोचता है कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर को वापस क्यों खरीदती हैं. कई बार अगर कंपनी के पास अतिरिक्त कैश हो जाता है और वह उसे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा पाती हैं तो वह शेयर बायबैक कर लेती हैं. इस तरह कंपनी अतिरिक्त कैश को खुद में ही निवेश कर देती हैं. अगर किसी कंपनी के पास अधिक नकदी होती है तो वह बैलेंस शीट में भी दिखती है और नकदी पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में कंपनियां उस नकदी का इस्तेमाल शेयर बायबैक कर के कर लेती हैं. कई बार कंपनियों को लगता है कि उनके शेयर की कीमत कम आंकी गई है, तो भी वह शेयर बायबैक कर लेती हैं, जिससे शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है. इससे निवेशकों में भी एक भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है, जो उसकी कीमत को बढ़ाती है.
पेटीएम ने डुबाए निवेशकों के पैसे
15 नवंबर 2021 को पेटीएम का आईपीओ आया था. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ था, जिसे महाआईपीओ कहा गया था. आईपीओ के तहत पेटीएम के शेयर की कीमत 2150 रुपये थी, लेकिन उसके बाद से गिरते-गिरते कंपनी के शेयर एक चौथाई के करीब आ चुके हैं. अभी पेटीएम का शेयर करीब 530 रुपये के करीब आ चुका है. सॉफ्टबैंक ने भी हाल ही में पेटीएम के करीब 200 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1630 करोड़ रुपये के शेयर बेचने का फैसला किया था. इसके बाद तो कंपनी के शेयर बुरी तरह टूटे थे.
पेटीएम के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ 7 नवंबर से, जब कंपनी के तिमाही नतीजे सार्वजनिक हुए. जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 571.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी तिमाही में ट्रेडिंग करने के लिए नियम 474.5 करोड़ रुपये था. वहीं अगर तिमाही आधार पर देखें तो कंपनी का घाटा कम हुआ है. जून तिमाही में पेटीएम का घाटा 645.4 करोड़ रुपये था. हालांकि, दूसरी तिमाही में पेटीएम का रेवेन्यू करीब 76.2 फीसदी बढ़ा ट्रेडिंग करने के लिए नियम था और 1914 करोड़ रुपये हो गया. यह पिछले साल 1086 करोड़ रुपये था. कमाई बढ़ने की वजहों में मर्चेंट सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू, मंथली ट्रांजेक्शन यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी से बिल पेमेंट में उछाल और लोन डिसबर्समेंट में मजबूत ग्रोथ शामिल हैं.
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