विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) क्या है?

वर्तमान आर्थिक उदारीकरण के युग मे विदेशी विनिमय के उचित एवं बेहतर प्रबंध की आवश्यकता महसूस की गयी, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम अधिनियम, 1973 का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। इस अधिनियम की कमियों को ध्यान मे रखकर इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया। इस अधिनियम के स्थान पर विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 पारित किया गया। विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम को 9 दिसम्बर, 1999 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हो गयी। इस अधिनियम को फेमा के नाम से जाना जाता है। केन्द्र सरकार ने अधिनियम को अधिसूचना जारी करके 1 जनू, 2000 से प्रभावी कर दिया है।

फेमा, 1999 की धारा 1 के अनुसार फेमा भारत के प्रत्येक भाग मे लागू होता है। यह भारत के किसी नागरिक के स्वामित्व मे या उसके द्वारा नियंत्रित सभी शाखाओं, कार्यालयों या एजेंसियों या जिस व्यक्ति पर यह लागू होता है उसके द्वारा भारत से बाहर इसका उल्लंघन किए जाने पर भी लागू होगा। यह अधिनियम 1 जून, 2000 से लागू है।

अधिनियम के उद्देश्य

फेमा के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है--

1. विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को सुदृढ़ बनाना एवं उसमे संशोधन करना, जिससे विदेशी व्यापार तथा भुगतान मे सुविधा प्राप्त हो सके।

2. देश मे विदेशी मुद्रा बाजार का योजनाबद्ध एवं सुनियोजित विकास करना एवं उसे बनाये रखना।

3. देश मे विदेशी विनिमय संचय मे वृद्धि, विदेशी व्यापार मे वृद्धि, व्यापार को अधिक विवेकपूर्ण बनाना, चालू खाते की परिवर्तनशीलता, विदेशों मे भारत के विनिवेश का उदारीकरण, भारतीय निगमों द्वारा विदेशी व्यापारिक ऋणों मे निकटता मे हुई वृद्धि एवं स्कन्ध विपणि मे विदेशी संस्थागत निवेशकों की सहभागिता मे वृद्धि करना आदि।

4. विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों का उद्देश्य विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को इस विचार से संगठित और संशोधित करके विदेशी व्यापार का सरलीकरण किया जाये। इसके साथ ही साथ विदेशी व्यापार उचित ढंग से संचालित होता रहे। यह अधिनियम 13 वीं लोकसभा मे पारित किया गया।

फेमा की मुख्य विशेषताएं

1. विदेशी विनिमय का नियमन एवं प्रबंध

फेमा 1999 की एक मुख्य विशेषता यह है कि पूर्व मे "फेरा" के नियमों एवं प्रबंध मे और अधिक उदार तरीके से विदेशी विनिमय संबंधी मामलों का नियमन एवं प्रबंध किया जाएह इसके अंतर्गत मुख्य रूप से निम्न बाते आती है--

(अ) विदेशी विनिमय मे व्यवहार करना

फेमा-1999 की धारा 3 के अनुसार बिना रिजर्व बैंक क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है की आज्ञा के या इस अधिनियम के नियमों के विशिष्ट प्रावधानों के अभाव मे कोई भी व्यक्ति निम्न कार्यवाही नही कर सकता--

1. कोई व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूति मे व्यवहार या हस्तांतरण न करेगा जब तक कि वह अधिकृत व्यक्ति न हो।

2. कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से भारत के बाहर किसी निवासी को न तो धन की अदायगी कर सकता है और न ही खाते मे कोई धन डाल सकता है।

3. अधिकृत व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य के द्वारा भारत से बाहर या बाहर से भारत मे कोई भी धन का हस्तांतरण नही किया जा सकता है।

4. भारत से बाहर कोई संपत्ति प्राप्त करने, निर्मित करने या हस्तांतरित करने के उद्देश्य से भारत मे कोई व्यक्ति किसी वित्तीय सौदे मे शामिल नही हो सकता।

फेमा के क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है अधिकृत व्यक्ति संबंधी प्रावधान

कौन व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों का व्यवहार करने के लिए अधिकृत है, इस संबंध मे फेमा के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है--

1. अधिकृत करने का अधिकार रिजर्व बैंक का

फेमा मे इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति रिर्जव बैंक आवेदन दे तो वह किसी व्यक्ति को विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों मे व्यवहार करने, मुद्रा परिवर्तन के लिए या समुद्रतट की बैंकिंग इकाई मे व्यवहार करने के लिए अधिकृत कर सकता है।

2. अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन

इन दशाओं मे रिजर्व बैंक किसी समय अपने अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन कर सकता है--

(अ) अगर ऐसा करना सार्वजनिक हित मे न हो,

(ब) जब अधिकृत व्यक्ति दी गई शर्तों के पालन मे असफल रहता है या इन अधिनियम के अन्य नियमों या निर्देशों की अवहेलना का दोषी पाया जाता है। लेकिन ऐसा करने के पूर्व संबंधित व्यक्ति को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अधिकार देना होगा।

3. अधिकृत व्यक्ति के कर्तव्य

(अ) रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन

जो व्यक्ति विदेशी विनिमय या प्रतिभूतियों मे व्यवहार करता है उसे रिर्जव बैंक के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।

(ब) शर्तों के अनुरूप कार्य करना

अधिकृत व्यक्ति को रिर्जव बैंक की पूर्व अनुमति के बिना दी गई शर्तों के विपरीत कोई सौदा नही करना चाहिए।

(स) अधिकृत करने वाले व्यक्ति की घोषणा

किसी व्यक्ति की तरफ से किसी विदेशी विनिमय सौदे का कार्यभार लेते समय अधिकृत व्यक्ति उस व्यक्ति से ऐसी घोषणा की मांग कर सकता है कि उसके इस कार्य को करने इस अधिनियम की अवहेलना नही होगी।

(द) रिर्जव बैंक को सूचना

अगर अधिकृत व्यक्ति को इस बात का विश्वास हो जाता है कि इस कार्य को करने से अधिनियम की अवहेलना हो सकती है तो वह रिर्जव बैंक को रिर्पोट करेगा।

(ई) विदेशी विनिमय की स्वीकृति

किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रयोग मे न लाये गये विदेशी विनिमय को समर्पण किये जाने पर अधिकृत व्यक्ति को उसे स्वीकार करना होगा।

4. अधिकृत व्यक्ति के संबंध मे रिजर्व बैंक के अधिकार

(अ) अधिकृत करने का अधिकार

विदेशी विनिमय प्रतिभूति, मुद्रा परिवर्तन या तटीय बैंकिंग मे व्यवहार करने के लिए किसी व्यक्ति को अधिकृत करने का रिर्जव बैंक को अधिकार है।

(ब) अधिकार को खण्डित करने का अधिकार

कुछ परिस्थितियों मे रिजर्व बैंक को अपने इस अधिकार के खण्डन का भी अधिकार प्राप्त है।

(स) निर्दश एवं सूचनायें मंगाने का अधिकार

रिजर्व बैंक को अधिकृत व्यक्ति को निर्दश देने तथा उससे सूचनायें मंगवाने का अधिकार है।

(द) अर्थदण्ड लगाने का अधिकार

निर्देशों का पालन न करने पर तथा स्पष्टीकरण का अवसर देने के बाद रिजर्व बैंक को 10,000 रूपये तक का अर्थदण्ड लगाने का अधिकार है। निरन्तर अवहेलना जारी रहने पर अतिरिक्त दण्ड 2,000 रूपये प्रतिदिन तक लगाया जा सकता है।

(ई) अधिकृत व्यक्ति की जांच का अधिकार

रिज़र्व बैंक अपने किसी अधिकारी के माध्यम से अधिकृत व्यक्ति के व्यवसाय, उसके द्वारा दिये गये बयान की सत्यता आदि की जांच करा सकता है।

जिम्बाब्वे ने नई मुद्रा आरटीजीएस डॉलर में व्यापार शुरू किया

जिम्बाब्वे ने नई मुद्रा आरटीजीएस डॉलर में व्यापार शुरू किया |_40.1

जिम्बाब्वे ने अपनी नई मुद्रा, RTGS डॉलर में व्यापार करना शुरू कर दिया है, यह केंद्रीय बैंक के एक मौद्रिक संकट के प्रयास और इसे हल करने के उपायों की घोषणा करने के दो दिन बाद किया गया है. बैंक ने एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली का अनावरण किया जिसने प्रभावी रूप से अपनी अर्ध-मुद्रा, बांड नोट का अवमूल्यन किया, जो आधिकारिक तौर पर अमेरिकी डॉलर के साथ समानता पर आंकी गई थी.

नई मुद्रा डिजिटल डॉलर और बांड नोट्स नामक इलेक्ट्रॉनिक बैंक बचत का स्थान लेगी और इसका नाम वास्तविक समय सकल निपटान प्रणाली के नाम पर रखा गया है जो बैंक एक-दूसरे के बीच धन हस्तांतरित करने के लिए उपयोग करते हैं.

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रुपया जल्द बनने वाला है इंटरनेशनल करेंसी! रूस, श्रीलंका होंगे इंटरनेशनल ट्रेड के लिए इस्तेमाल करने वाले पहले देश

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जुलाई 2022 से भारत सरकार डॉलर की कमी वाले देशों को अपने रुपये सेटलमेंट मैकेनिज्म में लाने की कोशिश कर रही है.

डॉलर की तंगी वाले श्रीलंका क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है और प्रतिबंधों से प्रभावित रूस, इंडियन रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म (Indian Rupee Trade Settlement Mechanism) का इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह बात खलीज टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है. अगर ऐसा हुआ तो ये दोनों ऐसा करने वाले पहले देश होंगे. यह एक गेम-चेंजिंग पहल होगी, जो अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए डॉलर और अन्य प्रमुख मुद्राओं के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग करने की अनुमति देती है. जुलाई 2022 से भारत सरकार डॉलर की कमी वाले देशों को अपने रुपये सेटलमेंट मैकेनिज्म में लाने की कोशिश कर रही है.

भारत के केंद्रीय बैंक RBI ने इंडियन रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से श्रीलंका के साथ व्यापार के लिए बैंकों को 05 विशेष रुपया व्यापार खाते खोलने की मंजूरी दी है, जिन्हें वोस्त्रो खाते Vostro कहा जाता है. इसी तरह, आरबीआई ने बैंकों को रूस के साथ रुपये में व्यापार के लिए 12 Vostro खाते खोलने की मंजूरी दी है. मॉरीशस के साथ व्यापार के लिए एक और खाता भी आरबीआई द्वारा अधिकृत किया गया है.

नए मैकेनिज्म में रूस के साथ जल्द शुरू हो सकता है व्यापार समझौता

रिपोर्ट में भारत सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि भारत सरकार ऐसे और देशों को इस मैकेनिज्म में लाना चाहती है, जिनके पास डॉलर की कमी है. अब तक 5 से 6 बैंकों को रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट की सुविधा के लिए Vostro खाते खोलने की अनुमति दी गई है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि कई मुद्दों को सुलझा लिया गया है. निर्यातकों और आयातकों ने खातों को खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. इसलिए, नई भुगतान प्रणाली के तहत रूस के साथ व्यापार समझौता कुछ शिपमेंट के लिए जल्द शुरू होने की उम्मीद है.

यह कदम रूस और भारत के बीच बढ़ते व्यापार अंतर के बीच महत्वपूर्ण है. वैसे तो रूस तेजी से भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, लेकिन रूस को भारतीय निर्यात घट रहा है क्योंकि निर्यातक पश्चिमी प्रतिबंधों और एक सुचारू भुगतान तंत्र की कमी से सावधान हैं. ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्ज़मबर्ग और सूडान सहित अन्य देशों से भी भारत के रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म में रुचि प्राप्त हो रही है.

UAE के लिए तैयार हुआ कॉन्सेप्ट पेपर

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारतीय रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक कॉन्सेप्ट पेपर तैयार किया है. संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत संजय सुधीर का कहना है, संयुक्त अरब अमीरात का सेंट्रल बैंक इस मामले को देख रहा है और मैकेनिज्म को संचालित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहा है.

वोस्त्रो खाते खोलने के बाद, श्रीलंकाई नागरिक भौतिक रूप में 10,000 डॉलर (8,26,823 रुपये) रख सकते हैं. इसका अर्थ यह भी है कि श्रीलंकाई और भारतीय एक दूसरे के साथ क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं. श्रीलंका में रुपये को कानूनी मुद्रा के रूप में नामित करने से देश को डॉलर की अपर्याप्त उपलब्धता के बीच अपने आर्थिक संकट से निपटने में बहुत आवश्यक लिक्विडिटी सपोर्ट मिलेगा. जब निवेशक घरेलू मुद्रा में बिक्री शुरू करते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था, भुगतान संकट के संतुलन को और अधिक तीव्र होने से रोक सकती है.

IBA और FIEO शुरू करेंगे जागरूकता अभियान

भारत के वित्त मंत्रालय ने भारतीय बैंक संघ (IBA) और FIEO को रुपये के व्यापार के बारे में हितधारकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए भी कहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत रुपये में सीमा पार व्यापार क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है लेनदेन के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की है. इसके अनुसार, इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात को रुपये में अंकित और चालान किया जा सकता है. दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दरें बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं. इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट रुपये में होना चाहिए.

इस मैकेनिज्म के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को रुपये में भुगतान करने की आवश्यकता होती है. इस पेमेंट को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के चालान/इनवॉइस के एवज में भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के वोस्त्रो खाते में जमा किया जाना चाहिए. इसी तरह, इस मैकेनिज्म के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के नामित वोस्त्रो खाते में बैलेंस से रुपये में एक्सपोर्ट प्रोसीड्स का भुगतान किया जाना चाहिए.

भारत को क्या होगा फायदा

कहा जा रहा है कि रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है बनने से भारत का व्यापार घाटा कम होने की संभावना है. वैश्विक बाजार में रुपया मजबूत होगा. अन्य देश रुपये को अपनी व्यापारिक मुद्रा के रूप में अपनाना शुरू कर सकते हैं. एक मुद्रा को आम तौर पर 'अंतर्राष्ट्रीय' तब कहा जाता है, जब इसे व्यापार के विनिमय के माध्यम के रूप में दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. इससे पहले 1960 के दशक में कतर, यूएई, कुवैत और ओमान जैसे खाड़ी देशों में रुपये को स्वीकार किया गया था. भारत का पूर्वी यूरोप के साथ भुगतान समझौता भी था और इन भुगतान समझौतों के तहत खाते की यूनिट के रूप में रुपये का उपयोग किया जाता था. हालांकि 1960 के दशक के मध्य में इन व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया था.

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डॉलर की तंगी वाले श्रीलंका और प्रतिबंधों से प्रभावित रूस, इंडियन रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म (Indian Rupee Trade Settlement Mechanism) का इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह बात खलीज टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है. अगर ऐसा हुआ तो ये दोनों ऐसा करने वाले पहले देश होंगे. यह एक गेम-चेंजिंग पहल होगी, जो अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए डॉलर और अन्य प्रमुख मुद्राओं के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग करने की अनुमति देती है. जुलाई 2022 से भारत सरकार डॉलर की कमी वाले देशों को अपने रुपये सेटलमेंट मैकेनिज्म में लाने की कोशिश कर रही है.

भारत के केंद्रीय बैंक RBI ने इंडियन रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से श्रीलंका के साथ व्यापार के लिए बैंकों को 05 विशेष रुपया क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है व्यापार खाते खोलने की मंजूरी दी है, जिन्हें वोस्त्रो खाते Vostro कहा जाता है. इसी तरह, आरबीआई ने बैंकों को रूस के साथ रुपये में व्यापार के लिए 12 Vostro खाते खोलने की मंजूरी दी है. मॉरीशस के साथ व्यापार के लिए एक और खाता भी आरबीआई द्वारा अधिकृत किया गया है.

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रिपोर्ट में भारत सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि भारत सरकार ऐसे और देशों को इस मैकेनिज्म में लाना चाहती है, जिनके पास डॉलर की कमी है. अब तक 5 से 6 बैंकों को रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट की सुविधा के लिए Vostro खाते खोलने की अनुमति दी गई है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि कई मुद्दों को सुलझा लिया गया है. निर्यातकों और आयातकों ने खातों को खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. इसलिए, क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है नई भुगतान प्रणाली के तहत रूस के साथ व्यापार समझौता कुछ शिपमेंट के लिए जल्द शुरू होने की उम्मीद है.

यह कदम रूस और भारत के बीच बढ़ते व्यापार अंतर के बीच क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है महत्वपूर्ण है. वैसे तो रूस तेजी से भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, लेकिन रूस को भारतीय निर्यात घट रहा है क्योंकि निर्यातक पश्चिमी प्रतिबंधों और एक सुचारू भुगतान तंत्र की कमी से सावधान हैं. ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्ज़मबर्ग और सूडान सहित अन्य देशों से भी भारत के रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म में रुचि प्राप्त हो रही है.

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वोस्त्रो खाते खोलने के बाद, श्रीलंकाई नागरिक भौतिक रूप में 10,000 डॉलर (8,26,823 रुपये) रख सकते हैं. इसका अर्थ यह भी है कि श्रीलंकाई और भारतीय एक दूसरे के साथ अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं. श्रीलंका में रुपये को कानूनी मुद्रा के रूप में नामित करने से देश को डॉलर की अपर्याप्त उपलब्धता के बीच अपने आर्थिक संकट से निपटने में बहुत आवश्यक लिक्विडिटी सपोर्ट मिलेगा. जब निवेशक घरेलू मुद्रा में बिक्री शुरू करते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था, भुगतान संकट के संतुलन को और अधिक तीव्र होने से रोक सकती है.

IBA और FIEO शुरू करेंगे जागरूकता अभियान

भारत के वित्त मंत्रालय ने भारतीय क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है बैंक संघ (IBA) और FIEO को रुपये के व्यापार के बारे में हितधारकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए भी कहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत रुपये में सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की है. इसके अनुसार, इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात को रुपये में अंकित और चालान किया जा सकता है. दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दरें बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं. इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट रुपये में होना चाहिए.

इस मैकेनिज्म के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को रुपये में भुगतान करने की आवश्यकता होती है. इस पेमेंट को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के चालान/इनवॉइस के एवज में भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के वोस्त्रो खाते में जमा किया जाना चाहिए. इसी तरह, इस मैकेनिज्म के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के नामित वोस्त्रो खाते में बैलेंस से रुपये में एक्सपोर्ट प्रोसीड्स का भुगतान किया जाना चाहिए.

भारत को क्या होगा फायदा

कहा जा रहा है कि रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से भारत का व्यापार घाटा कम होने की संभावना है. वैश्विक बाजार में रुपया मजबूत होगा. अन्य देश रुपये को अपनी व्यापारिक मुद्रा के रूप में अपनाना शुरू कर सकते हैं. एक मुद्रा को आम तौर पर 'अंतर्राष्ट्रीय' तब कहा जाता है, जब इसे व्यापार के विनिमय के माध्यम के रूप में दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. इससे पहले 1960 के दशक में कतर, यूएई, कुवैत और ओमान जैसे खाड़ी देशों में रुपये को स्वीकार किया गया था. भारत का पूर्वी यूरोप के साथ भुगतान समझौता भी था और इन भुगतान समझौतों के तहत खाते की यूनिट के रूप में रुपये का उपयोग किया जाता था. हालांकि 1960 के दशक के मध्य में इन व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया था.

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