Explainer: किसे कहते हैं एसेट एलोकेशन? पोर्टफोलियो में रिस्क और रिटर्न को कैसे बैलेंस करता है यह?
यह जोखिम को कम करता है और ज्यादा रिटर्न दिलाने के दरवाजे खोलता है.
Asset Allocation-एक निवेशक की निवेश यात्रा में एसेट एलोकेशन को सबसे अच्छा मित्र माना जाता है. एसेट एलोकेशन न केवल जोखि . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : November 09, 2022, 07:00 IST
हाइलाइट्स
एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है.
वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में एसेट एलोकेशन का महत्वपूर्ण भूमिका है.
एसेट एलोकेशन बढिया रिटर्न दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
नई दिल्ली. अगर आप निवेशक हैं तो एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) का महत्व समझना आपके लिए बहुत जरूरी है. साधारण शब्दों में कहें अपने पैसे को इक्विटी, गोल्ड, बांड या ऐसे दूसरे एसेट क्लास में बांटना ही एसेट अलोकेशन है. आपके पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन बेहद मायने रखता है. सही एसेट एलोकेशन आपकी बेहतर कमाई करा सकता है. यह रिस्क और रिटर्न, दोनों में बैलेंस बनाने में बहुत काम आता है. यह जोखिम को कम करता है और ज्यादा रिटर्न दिलाने के दरवाजे खोलता है.
हर निवेशक के लिए एसेट एलोकेशन अलग-अलग होगा. सभी निवेशकों पर एक फॉर्मूला लागू नहीं हो सकता. यह निवेशक की उम्र, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता सहित कई बातों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. लेकिन, अफसोस की बात यह भी है कि आज भी बहुत से निवेशक एसेट एलोकेशन नहीं करते हैं. बहुत से लोग शेयर बाजार में आई तेजी देखकर अपना पूरा पैसा वहीं झोंक देते हैं. इसी तरह सोने में तेजी आने पर वे उसकी ओर भागते हैं.
कैसे करें एसेट एलोकेशन?
एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है. हर निवेशक के लिए यह अलग-अलग तरीके से किया जाता है. एसेट अलोकेशन एक निवेशक के वित्तीय लक्ष्य, निवेश अवधि, जोखिम लेने की क्षमता और लिक्विडिटी के आधार पर किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर कोई निवेशक अधिक जोखिम उठा सकता है तो वह अपनी कुल निवेश योग्य पूंजी में से 70 फीसदी इक्विटी में, 20 फीसदी एफडी में और 10 फीसदी गोल्ड में लगा सकता है. कम जोखिम क्षमता वाला निवेशक इस अनुपात को 40:40:20 रख सकता है. वहीं, अगर कोई निवेशक बिल्कुल भी रिस्क नहीं उठाना चाहता तो वह एफडी में 70 फीसदी, इक्विटी में 20 किस एसेट क्लास में निवेश? फीसदी और गोल्ड में 10 फीसदी का निवेश कर सकता है.
एसेट एलोकेशन रणनीतियां
स्ट्रैटजिक एसेट एलोकेशन : यह निवेश करो और भूल जाओ की रणनीति है. एक बार एसेट एलोकेशन तय कर लेते हैं तो फिर उसी एलोकेशन (Asset Allocation) में लंबे समय तक बने रहते हैं.
टैक्टिकल एसेट एलोकेशन : इस रणनीति में एसेट एलोकेशन में बीच-बीच में बदलाव करते रहते हैं. शॉर्ट टर्म में यह रणनीति काफी कारगर करती है. लंबी अवधि के लिए निर्धारित एलोकेशन (Asset Allocation) में बदलाव नहीं किया जाता है.
डायनमिक एसेट एलोकेशन :एसेट एलोकेशन की यह एक एग्रेसिव स्ट्रैटेजी है. इसमें बाजार की चाल के आधार पर एलोकेशन में बदलाव किया जाता है. यही कारण है कि जो इस रणनीति को अपनाते हैं, उनके पोर्टफोलियो में तेजी से बदलाव होता है.
एसेट एलोकेशन के फायदे
एक ही समय में विभिन्न एसेट क्लास अलग-अलग दिशाओं में चलते हैं. यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कोई एसेट क्लास कब किस दिशा में जाएगा. उदाहरण के लिए जब शेयर चढ़ते हैं तो अमूमन सोना नीचे जाता है. जब आपका पैसा कई जगह लगा होगा तो आपका जोखिम घट जाएगा. एसेट एलोकेशन से फायदा होता है कि अगर किसी एक निवेश विकल्प में तेज उतार-चढ़ाव हो रहा है तो संभव है कि दूसरा आपको स्थिरता प्रदान करे.
एसेट एलोकेशन की समीक्षा
वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में एसेट एलोकेशन का महत्वपूर्ण भूमिका है. वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि साल में कम से कम दो बार अपने एसेट अलोकेशन की समीक्षा जरूरी करनी चाहिए. ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि कई बार किसी समीक्षा जरूर करनी चाहिए. यदि किसी एसेट क्लास में 10 फीसदी से ज्यादा का उतार-चढ़ाव होता है तो पोर्टफोलियो की बैलेंसिंग की जानी चाहिए.
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निवेश में रिस्क फैक्टर को घटाना है? एक्सपर्ट से जानें किस एसेट क्लास में मिलेगा मुनाफा
Money Guru: नवरात्रि पर हम आपके लिए लेकर आए हैं निवेश के 9 मंत्र. इस कड़ी आज आपको जानने को मिलेगा अपने निवेश में रिस्क को कम करने के लिए एसेट एलोकेशन का गुर.
Money Guru: क्या आपको भी अपने इन्वेस्टमेंट में रिस्क फैक्टर किस एसेट क्लास में निवेश? को कम करना है या अनिश्चित बाजार में मुनाफा कमाना है? तो इसके लिए आपको समझना होगा किस एसेट क्लास में निवेश करने के आपको मौजूदा बाजार में फायदा मिल सकता है. नवरात्रि में निवेश के 9 मंत्र की इस सीरिज में आज आपको जानने को मिलेगा एसेट एलोकेशन का मंत्र. इसमें आपको जानने को मिलेगा कि इस समय किन एसेट क्लास में निवेश से मिलेगा तगड़ा मुनाफा. इसके साथ ही पोर्टफोलियो में रिस्क और रिटर्न के लिहाज से किस एसेट क्लास में कितना एक्सोपजर रखें. फिनवाइज की फाउंडर प्रतिभा गिरीश और आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट की हेड श्वेता रजानी आपको बताएंगी इसके बारे में सब कुछ.
Asset Allocation: गोल्ड vs इक्विटी vs डेट? मंदी की आशंका के बीच कैसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो
Strong Portfolio: आपके पोर्टफोलियो में किस एसेट क्लास का कितना रेश्यो होना चाहिए, यह आपके रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर है.
Investment Strategy: मौजूद समय में एसेट अलोकेशन स्ट्रटेजी बेहतर तरीका है.
Make Your Portfolio Strong: साल 2022 निवेशकों के लिहाज से एक कठिन समय रहा है. हम साल 2022 के अंत में आ गए हैं, लेकिन बाजार में अनिश्चितताएं अभी कायम हैं. रूस और यूक्रेन जंग के चलते जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक और आगे मंदी की आशंका जैसे फैक्टर अभी भी बाजार में मौजूद हैं, जिनके चलते बाजार पर दबाव मौजूद है. एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि भले ही बाजार का लंबी अवधि का आउटलुक मजबूत है, नियर टर्म में करेक्शन दिख सकत है. ऐसे में निवेशकों के मन में यह सवाल है कि मौजूदा समय में एक मजबूत पोर्टफोलियो कैसे तैयार करें.
अलग अलग एसेट क्लास के जरिए पोर्टफोलियो
BPN फिनकैप के सीईओ और डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बाजार में अनिश्चितताएं अभी मौजूद हैं. शॉर्ट टर्म की बात करें तो ग्लोबल सेंटीमेंट बहुत अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में किसी एसेट क्लास पर फोकस करने की बजाए अलग अलग एसेट क्लास पर ध्यान देना चाहिए. मौजूद समय में एसेट अलोकेशन स्ट्रटेजी बेहतर तरीका है. हालांकि निवेश के पहले यह जरूर दखें कि आपके फाइनेंशियल लक्ष्य क्या हैं, आपमें रिस्क लेने की कितनी क्षमता है, बाजार में आप कितना लंबा टिक सकते हैं. इन बातों को ध्यान में रखकर ही निवेश की प्लानिंग करें. उन्होंने अभी पोर्टफोलियो में 3 एसेट क्लास इक्विटी, डेट और गोल्ड शामिल करने का सुझाव दिया है.
इक्विटी vs गोल्ड vs डेट
निगम का कहना है कि आपके पोर्टफोलियो में किस एसेट क्लास का कितना रेश्यो होना चाहिए, यह आपके रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर है. अगर आप एग्रेसिव इन्वेस्टर्स हैं यानी रिस्क लेने का तैयार हैं और लंबी अवधि तक बाजार में टिकना चाहते हैं तो पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेट और गोल्ड का रेश्यो 70:25:5 होना चाहिए. लेकिन आप माडरेट इन्वेस्टर हैं यानी ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते तो यह रेश्यो 45:45:10 को होना चाहिए. अगर आप कंजर्वेटिव इन्वेस्टर हैं यानी रिस्क नहीं लेना चाहते तो यह रेश्यो 20:70:10 को होना चाहिए.
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इक्विटी में कहां करें निवेश
उनका कहना है कि इक्विटी में अभी लार्ज एंड मिड कैप और मल्टीकैप कटेगिरी बेहतर है. जबकि डेट में शॉर्ट मैच्योरिटी वाले फंड और डायनमिक बॉन्ड फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं.
गोल्ड में निवेश
स्टैंडर्ड एसेट अलोकेशन के रूप में, पोर्टफोलियो का 10 फीसदी आमतौर पर जोखिम वाले निवेश से हेज के लिए गोल्ड में रखा जाता है. इसके लिए सॉवरेन गोल्ड बांड भी बेहतर विकल्प है, जिसमें 2.5 फीसदी सालाना रिटर्न अतिरिक्त बेनेफिट मिलता है. वहीं मैच्येारिटी पर लांग टर्म गेंस टैक्स से छूट मिलती है. गोल्ड हेजिंग का काम भी करता है. इसमें बाजार की वोलेटिलिटी या मंदी जैसी स्थिति में सुरक्षा मिलती है, लिक्विडिटी भी बेहतर है.
(Disclaimer: कैपिटल मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने स्तर पर पड़ताल कर लें या अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श कर लें. फाइनेंशियल एक्सप्रेस किसी भी एसेट क्लास में निवेश की सलाह नहीं देता है.)
Mutual Fund: मल्टी असेट फंड में निवेश से मिलते हैं कई तरह के लाभ, जानिए इसकी क्या है विशेषता
हर असेट क्लास का पर्फोमेंस (Asset Class Performance) एक तरह से नहीं होता है। कभी-कभी इक्विटी (Equity) अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कभी डेट (Debt) या सोना (Gold) अच्छा प्रदर्शन करता है। यदि आपके फंड (Fund) में इन सबका समावेश होगा तो आपको हर स्थिति में फायदा ही होगा।
मल्टी असेट क्लास में इक्विटी, बॉण्ड, कैश सभी का होता है समावेश
हाइलाइट्स
- लोग म्यूचुअल फंड में निवेश के वक्त इस बात को समझना भूल जाते हैं कि उनके फंड में किस तरह का असेट है
- विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके फंड में कई तरह के असेट क्लास हो
- इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को कई असेट क्लास में फैलाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि इससे रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है
मुंबई
बात जब म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इंवेस्टमेंट (Investment in Mutual किस एसेट क्लास में निवेश? Fund) की आती है तो एक अहम सवाल सामने आता है। यह सवाल है पोर्टफोलियो (Portfolio) में किस तरह का असेट क्लास (Asset Class) हो? इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Investment किस एसेट क्लास में निवेश? Portfolio) को कई असेट क्लास में फैलाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि इससे रिस्क (Risk) काफी हद तक कम हो जाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी असेट क्लास एक निश्चित समय में समान तरीके से प्रदर्शन नहीं करते हैं। आज हम बात करेंगे मल्टी असेट फंड (Multi Asset Fund) की। इसमें निवेश से आपको कई तरह के लाभ मिलते हैं जो कि अन्य फंड में नहीं मिलते।
कभी इक्विटी, कभी डेट तो कभी गोल्ड का पर्फोमेंस बेहतर
PM इन्वेस्टमेंट के प्रोपराइटर प्रेम सुंदरदास मंगतानी कहते हैं कि हर असेट क्लास का पर्फोमेंस एक तरह से नहीं होता है। कभी-कभी इक्विटी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कभी डेट या सोना अच्छा प्रदर्शन करता है। इसी तरह, जब एक असेट क्लास नेगेटिव होता है तो दूसरा असेट क्लास पॉजिटिव की ओर होने लगता है। यह सुनिश्चित किस एसेट क्लास में निवेश? करता है कि किसी एक विशेष असेट क्लास में तेज नकारात्मक उतार-चढ़ाव का आपके निवेश पोर्टफोलियो पर बड़ा प्रभाव न पड़े। नतीजतन, अपने पोर्टफोलियो को कई असेट क्लास में विविधता (diversification) प्रदान कर, आप अपने पोर्टफोलियो में भारी नुकसान के जोखिम को कम करते हैं। इसे ही म्यूचुअल फंड की भाषा में मल्टी असेट क्लास के नाम से जानते हैं।
इस कैटेगरी में कई ऑफर्स
उनका कहना है कि यूं तो इस कैटेगरी में कई ऑफर्स हैं, पर एक फंड जिसने लगातार सकारात्मक निवेश का अनुभव दिया है, वह है आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मल्टी एसेट फंड। इसमें महत्वपूर्ण सवाल यह होता है कि निवेश के माहौल में जब बदलाव होता है तो आप दूसरे असेट क्लास में कैसे निवेश करते हैं और कैसे एक क्लास से दूसरे में शिफ्ट होते हैं।
मल्टी असेट क्लास में कहां-कहां होता है निवेश
मंगतानी कहते हैं कि पूरी तरह से विविधीकरण (diversification) प्राप्त करने के लिए कई तरह के असेट में निवेश करना होता है। इस प्रयास में ये फंड इक्विटी, कैश, बॉण्ड समेत कई असेट क्लास में निवेश करते हैं। जबकि, अधिकांश फंड मुख्य रूप से इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं। हालांकि, कई ऐसे भी फंड हैं जो अतिरिक्त रूप से सोने, आरईआईटीएस, इनविट में निवेश करते हैं। मल्टी असेट म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई फायदे हैं। हालांकि, जब म्यूचुअल फंड निवेश में खरीदते और बेचते हैं, तो वे इन टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होते हैं। इस प्रकार, मल्टी असेट फंड में निवेश अपेक्षाकृत अधिक टैक्स बचाने वाला होता है।
मार्केट कैपिटलाइजेशन में मिलता है डाइवर्सिफिकेशन का लाभ
उनका कहना है कि जब आप मल्टी असेट फंड (Multi Asset Fund) में निवेश करते हैं तो आपको न केवल असेट क्लास डायवर्सिफिकेशन (Asset Class Diversification) मिलता है बल्कि बाजार पूंजीकरण में लार्ज-कैप (Large Cap), मिड-कैप (Mid Cap) और स्मॉल-कैप (Small Cap) निवेश करके डाइवर्सिफिकेशन भी प्राप्त किया जा सकता है। नतीजतन, आप यथायोग्य डाइवर्सिफिकेशन प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। यह शायद मल्टी असेट फंड का सबसे बड़ा लाभ है। मल्टी असेट फंड में, कुशल फंड मैनेजर (Fund Manager) निवेश पोर्टफोलियो को स्वचालित रूप से पुनर्संतुलित करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक्सपोजर असेट क्लास के सही सेट पर बना रहे।
कैपिटल गेन टैक्स का करना होगा भुगतान
उनके मुताबिक, एक निवेशक के रूप में, यदि आप अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित या री-बैलेंसिंग करना चाहते हैं, तो आपको अपने निवेश को एक असेट क्लास में भुनाना होगा और फिर दूसरे असेट क्लास में पुन: आवंटित करना होगा। इसका मतलब यह है कि जब आप रिडीम करते हैं, तो आपको होल्डिंग अवधि के आधार पर शार्ट टर्म या लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) का भुगतान करना होगा।
Investment Tips : क्या होता है एसेट एलोकेटर फंड, बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाकर कैसे तगड़ा रिटर्न देता है यह विकल्प
एसेट एलोकेशन फंड आपके निवेश को विभिन्न एसेट में बांटकर बेहतर रिटर्न देता है.
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव किस एसेट क्लास में निवेश? का किस एसेट क्लास में निवेश? म्यूचुअल फंड पर भी बड़ा असर पड़ता है. ऐसे में निवेशकों के सामने बड़ी चुनौती सही समय . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 26, 2022, 12:20 IST
नई दिल्ली. शेयर बाजार में आ रहे उतार-चढ़ाव का असर म्युचुअल फंड के निवेश पर भी दिखने लगा है और इक्विटी एक्सपोजर में कमी आई है. इसका सबसे बड़ा कारण निवेशकों की जानकारी का अभाव है. उन्हें पता ही नहीं होता कि किस समय किस तरह के एसेट क्लास में निवेश करना चाहिए.किस एसेट क्लास में निवेश?
निवेशकों की इसी उलझन को दूर करता है एसेट एलोकेटर फंड. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह आपके निवेश को विभिन्न एसेट क्लास में आवंटित करता है. ऐसे में इस फंड का चुनाव करने वालों को यह चिंता नहीं रहती है कि उन्हें कब किस एसेट में पैसे लगाने चाहिए और कब उससे बाहर निकलना चाहिए. ऐसी मुश्किलों का हल एसेट एलोकेटर फंड करता है. वैसे तो बाजार में इस तरह के कई फंड हैं, लेकिन पिछले कुछ साल से आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के इस फंड ने दमदार प्रदर्शन किया है.
शेयर बाजार से भी ज्यादा का रिटर्न
एक आंकड़े के मुताबिक, एसेट एलोकेटर फंड ने सेंसेक्स किस एसेट क्लास में निवेश? और निफ्टी दोनों ही एक्सचेंज के रिटर्न से ज्यादा का मुनाफा पिछले 12 वर्षों में दिया है. अगर किसी निवेशक ने मार्च 2010 में एकमुश्त 10 लाख रुपये का निवेश किया होगा तो वह आज 41.41 लाख रुपये के बराबर होगा. इसी दौरान, निफ्टी 50 में यही निवेश 39.03 लाख रुपये रहेगा. गौरतलब है कि इस दौरान एसेट एलोकेटर फंड का इक्विटी निवेश सिर्फ 43 फीसदी रहा.
समय देखकर चुनता है एसेट
यह फंड मौका और हालात देखकर इक्विटी व डेट म्यूचुअल फंड योजनाओं के बीच निवेश करता है. इस स्कीम में सोने में भी आवंटन किया जाता है. फंड की एक खास बात यह है कि वैल्यूऐशन मॉडल के आधार पर इक्विटी और डेट दोनों में आवंटन 0-100% तक हो सकता है. यानी जब जिसका प्रदर्शन अच्छा होगा, उसमें ज्यादा राशि निवेश की जाएगी. यह मॉडल बाजार में गिरावट आने कम पर खरीदो और बढ़त पर बेचो (buy low, sell high) के सिद्धांत पर काम करता है.
ऐसे समझें आवंटन का गणित
महामारी की शुरुआत में जब मार्च 2020 में बाजारों में गिरावट आई तो इसका इक्विटी आवंटन 83% था. यानी लो पर ज्यादा खरीद. इसके बाद जैसे-जैसे बाजारों में सुधार हुआ तो दिसंबर 2020 तक इक्विटी आवंटन 45% तक कम हो गया था. मई 2022 में इक्विटी आवंटन 33% है. जनवरी 2015 के अंत से अप्रैल 2017 की शुरुआत तक सेंसेक्स 30,000 के आसपास मंडरा रहा था और बाजार फ्लैट था, तब भी इस योजना ने 10.8 फीसदी रिटर्न दिया.
एसआईपी पर मिलता है जबरदस्त किस एसेट क्लास में निवेश? रिटर्न
इस योजना के तहत अगर किसी को 10,000 रुपये का मासिक एसआईपी शुरू करना है तो एक दशक में निवेश राशि 12 लाख होगी और तब कुल रिटर्न 22.3 लाख रुपये रहेगा, जो 13.3% का सालाना ब्याज है. किसी को कम समय के लिए जैसे 3, 5 या 7 साल के लिए निवेश करना है तो इसका रिटर्न 10% से अधिक हो सकता है. इससे पता चलता है कि आप एकमुश्त निवेश करें या एसआईपी के जरिये, यह स्कीम बेहतर रिटर्न की गारंटी देती है.
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