जमीन के बाजार मूल्य से दोगुना हो गया कलेक्टर गाइडलाइन रेट
रायपुर. पिछले पांच साल से राजधानी में रियल एस्टेट भले ही मंदी के दौर से गुजर रहा हो, लेकिन जमीन की सरकारी कीमत यानी कलेक्टर गाइडलाइन रेट तय करने के मामले में जिला प्रशासन के सामने मंदी जैसी कोई मजबूरी नहीं है। हर साल प्रमुख इलाकों में कलेक्टर गाइडलाइन रेट बिना किसी जांच-पड़ताल के 18 से 25 फीसदी तक बढ़ा दिए गए हैं। शहर में डेढ़ दर्जन ऐसे वार्ड हैं, जहां जमीन का बाजार मूल्य कम है, कलेक्टर रेट उससे दो-तीन गुना ज्यादा कर दिया गया है। आम आदमी इससे इसलिए हलाकान है क्योंकि प्रमुख इलाकों में किसी तरह जमीन तो खरीद लेता है, लेकिन कलेक्टर गाइड लाइन रेट से रजिस्ट्री कराने में उसकी कमर टूट रही है।
कलेक्टर गाइड लाइन तय करने वाली जिला मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। इस समिति के पास अब तक सरकारी और बाजार मूल्य में आनुपातिक संशोधन का सुझाव नहीं आया है। जानकारों का दावा है कि प्रशासनिक अफसर गाइडलाइन रेट तय करने से पहले यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं करते कि संबंधित इलाकों में जमीन की कीमत क्या है? उनका लक्ष्य केवल रजिस्ट्री से राजस्व बढ़ाना है। यही वजह है कि जमीन का कलेक्टर गाइडलाइन रेट और बाजार मूल्य में बड़ा अंतर रहने लगा है।
ऐसे बढ़ाया कलेक्टर रेट
वार्ड/क्षेत्र 2012-13 2013-14
टाटीबंध चौक से खारुन पुल तक 1394 1812
टाटीबंध से रिंग रोड-2 तक 836 1672
रामकृष्ण परमहंस वार्ड मेन रोड 2323 2788
सिंगापुर सिटी 1858 1971
बरसाना इन्क्लेव 1394 1690
नीलम होम्स/कृष्णा बिल्डर्स 743 938
पिकाडली होटल से रेलवे क्रासिंग 1765 2510
कोटा में श्रीजी टावर्स/मारुति विहार 1115 1407
टाटीबंध चौक से पिकाडली होटल 1765 2510
आरके मॉल 8828 9758
(कीमत प्रति वर्गफीट रुपए में, कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार)
यहां दोगुना कलेक्टर रेट
2013-14 की कलेक्टर गाइड लाइन जारी होने के साथ ही जयस्तंभ चौक, कोतवाली चौक, देवेंद्रनगर, डीडी नगर, शंकरनगर, मौदहापारा, बैजनाथपारा, अवंति विहार, रामसागरपारा, एमजी रोड, सदरबाजार, मालवीय रोड, फाफाडीह, खम्हारडीह, सेजबहार, डूंडा, मुजगहन, बोरियाकला, माना, टेमरी आदि जगहों पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट बाजार मूल्य से अधिक हो गया है। इसके बावजूद, प्रशासन इस साल भी गाइड लाइन रेट बढ़ाने में जुट गया है।
सस्ते मकान हुए महंगे
आउटर की जमीन की कीमत बढ़ी है और कलेक्टर गाइडलाइन रेट भी। सेजबहार, सड्डू, मोवा, कचना, संतोषी नगर, पचपेड़ीनाका, रिंग रोड, मठपुरैना, भाठागांव, कुम्हारपारा, शीतलापारा, ट्रांसपोर्टनगर, सरोना, बीरगांव, चंदनीडीह, तरुण नगर आदि स्थानों पर जमीन का बाजार मूल्य उतना नहीं है। रजिस्ट्री होने पर कलेक्टर रेट की वजह से सात-आठ लाख रुपए का मकान 10 लाख रु. से ऊपर हो गया है।
ऐसे बढ़ता है बोझ
किसी भी जमीन की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी साढ़े 5 फीसदी अदा करनी पड़ती है। महिलाओं को इसमें कुछ छूट है। रजिस्ट्री के दौरान एक प्रतिशत पंचायत उपकर और एक प्रतिशत निगम ड्यूटी भी अदा करनी होती है। मिसाल के तौर पर, अगर कोई जमीन दस लाख रुपए में खरीदी गई और गाइडलाइन रेट बाजार मूल्य के बराबर है, तब भी रजिस्ट्री में लोगों को कुल मूल्य का लगभग 10 फीसदी (एक लाख रुपए न्यूनतम) अदा करना ही पड़ता है।
ऐसे बढ़ाते हैं कीमत
जानकारों के मुताबिक गाइडलाइन रेट तय करने के कई मापदंड हैं, लेकिन यह तात्कालिक प्रभाव के आधार पर बढ़ाई जा रही है। जैसे, अभी कमल विहार और टाटीबंध में एम्स के आसपास का इलाका प्राइम लोकेशन बन गया है। अफसरों ने इस आधार पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट भी बेतहाशा बढ़ा दिया है, ताकि लोगों पर रजिस्ट्री खर्च के रूप में दोगुना बोझ डालकर आमदनी का टारगेट पूरा किया जाए।
टाटीबंध से रिंग रोड-2 तक जमीन का गाइडलाइन रेट पिछले साल 836 रुपए प्रति वर्गफीट था। नई कलेक्टर गाइडलाइन बाजार मूल्य क्या है? में यह रेट बढ़कर 1672 रुपए हो गया है। इसी तरह, पिकाडली होटल से रेलवे क्रासिंग तक जमीन का कलेक्टर रेट 1765 से बढ़कर 2510 रुपए वर्गफीट हो गया है। एम्स की वजह से वीर सावरकर नगर, रामकृष्ण परमहंस वार्ड, शहीद मनमोहन सिंह वार्ड और शहीद भगत सिंह वार्ड में मेन रोड पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट तीन साल में सौ फीसदी (दोगुना) कर दिया गया है।
बाजार और सामान्य मूल्य में क्या सम्बन्ध है ?
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जमीन के बाजार मूल्य से दोगुना हो गया कलेक्टर गाइडलाइन रेट
रायपुर. पिछले पांच साल से राजधानी में रियल एस्टेट भले ही मंदी के दौर से गुजर रहा हो, लेकिन जमीन की सरकारी कीमत यानी कलेक्टर गाइडलाइन रेट तय करने के मामले में जिला प्रशासन के सामने मंदी जैसी कोई मजबूरी नहीं है। हर साल प्रमुख इलाकों में कलेक्टर गाइडलाइन रेट बिना किसी जांच-पड़ताल के 18 से 25 फीसदी तक बढ़ा दिए गए हैं। शहर में डेढ़ दर्जन ऐसे वार्ड हैं, जहां जमीन का बाजार मूल्य कम है, कलेक्टर रेट उससे दो-तीन गुना ज्यादा कर दिया गया है। आम आदमी इससे इसलिए हलाकान है क्योंकि प्रमुख इलाकों में किसी तरह जमीन तो खरीद लेता है, लेकिन कलेक्टर गाइड लाइन रेट से रजिस्ट्री कराने में उसकी कमर टूट रही है।
कलेक्टर गाइड लाइन तय करने वाली जिला मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। इस समिति के पास अब तक सरकारी और बाजार मूल्य में आनुपातिक संशोधन का सुझाव नहीं आया है। जानकारों का दावा है कि प्रशासनिक अफसर गाइडलाइन रेट तय करने से पहले यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं करते कि संबंधित इलाकों में जमीन की कीमत क्या है? उनका लक्ष्य केवल रजिस्ट्री से राजस्व बढ़ाना है। यही वजह है कि जमीन का कलेक्टर गाइडलाइन रेट और बाजार मूल्य में बड़ा अंतर रहने लगा है।
ऐसे बढ़ाया कलेक्टर रेट
वार्ड/क्षेत्र 2012-13 2013-14
टाटीबंध चौक से खारुन पुल तक 1394 1812
टाटीबंध से रिंग रोड-2 तक 836 1672
रामकृष्ण परमहंस वार्ड मेन रोड 2323 2788
सिंगापुर सिटी 1858 1971
बरसाना इन्क्लेव 1394 1690
नीलम होम्स/कृष्णा बिल्डर्स 743 938
पिकाडली होटल से रेलवे क्रासिंग 1765 2510
कोटा में श्रीजी टावर्स/मारुति विहार 1115 1407
टाटीबंध चौक से पिकाडली होटल 1765 2510
आरके मॉल 8828 9758
(कीमत प्रति वर्गफीट रुपए में, कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार)
यहां दोगुना कलेक्टर रेट
2013-14 की कलेक्टर गाइड लाइन जारी होने के साथ ही जयस्तंभ चौक, कोतवाली चौक, देवेंद्रनगर, डीडी नगर, शंकरनगर, मौदहापारा, बैजनाथपारा, अवंति विहार, रामसागरपारा, एमजी रोड, सदरबाजार, मालवीय रोड, फाफाडीह, खम्हारडीह, सेजबहार, डूंडा, मुजगहन, बोरियाकला, माना, टेमरी आदि जगहों पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट बाजार मूल्य से अधिक हो गया है। इसके बावजूद, प्रशासन इस साल भी गाइड लाइन रेट बढ़ाने में जुट गया है।
सस्ते मकान हुए महंगे
आउटर की जमीन की कीमत बढ़ी है और कलेक्टर गाइडलाइन रेट भी। सेजबहार, सड्डू, मोवा, कचना, संतोषी नगर, पचपेड़ीनाका, रिंग रोड, मठपुरैना, भाठागांव, कुम्हारपारा, शीतलापारा, ट्रांसपोर्टनगर, सरोना, बीरगांव, चंदनीडीह, तरुण नगर आदि स्थानों पर जमीन का बाजार बाजार मूल्य क्या है? मूल्य उतना नहीं है। रजिस्ट्री होने पर कलेक्टर रेट की वजह से सात-आठ लाख रुपए का मकान 10 लाख रु. से ऊपर हो गया है।
ऐसे बढ़ता है बोझ
किसी भी जमीन की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी साढ़े 5 फीसदी अदा करनी पड़ती है। महिलाओं को इसमें कुछ छूट है। रजिस्ट्री के दौरान एक प्रतिशत पंचायत उपकर और एक प्रतिशत निगम ड्यूटी भी अदा करनी होती है। मिसाल के तौर पर, अगर कोई जमीन दस लाख रुपए में खरीदी गई और गाइडलाइन रेट बाजार मूल्य के बराबर है, तब भी रजिस्ट्री में लोगों को कुल मूल्य का लगभग 10 फीसदी (एक लाख रुपए न्यूनतम) अदा करना ही पड़ता है।
ऐसे बढ़ाते हैं कीमत
जानकारों के मुताबिक गाइडलाइन रेट तय करने के कई मापदंड हैं, लेकिन यह तात्कालिक प्रभाव के आधार पर बढ़ाई जा रही है। जैसे, अभी कमल विहार और टाटीबंध में एम्स के आसपास का इलाका प्राइम लोकेशन बन गया है। अफसरों ने इस आधार पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट भी बेतहाशा बढ़ा दिया है, ताकि लोगों पर रजिस्ट्री खर्च के रूप में दोगुना बोझ डालकर आमदनी का टारगेट पूरा किया जाए।
टाटीबंध से रिंग रोड-2 तक जमीन का गाइडलाइन रेट पिछले साल 836 रुपए प्रति वर्गफीट था। नई कलेक्टर गाइडलाइन में यह रेट बढ़कर 1672 रुपए हो गया है। इसी तरह, पिकाडली होटल से रेलवे क्रासिंग तक जमीन का कलेक्टर रेट 1765 से बढ़कर 2510 रुपए वर्गफीट हो गया है। एम्स की वजह से वीर सावरकर नगर, रामकृष्ण परमहंस वार्ड, शहीद मनमोहन सिंह वार्ड और शहीद भगत सिंह वार्ड में मेन रोड पर कलेक्टर गाइडलाइन रेट तीन साल में सौ फीसदी (दोगुना) कर दिया गया है।
क्या है Stop Loss और Target Price?
शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.
क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.
आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.
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Mark to Market (MTM) क्या है?
मार्क-टू-मार्केट या फेयर वैल्यू अकाउंटिंग से तात्पर्य किसी परिसंपत्ति या देयता के "fair value" के लिए वर्तमान बाजार मूल्य, या समान संपत्ति और देनदारियों के लिए मूल्य, या किसी अन्य उद्देश्यपूर्ण मूल्यांकन "fair" मूल्य के आधार पर लेखांकन से है।
मार्क टू मार्केट (एमटीएम) क्या है? [What is Mark to Market (MTM)? In Hindi]
मार्क टू मार्केट (एमटीएम) उन खातों के उचित मूल्य को मापने का एक तरीका है जो समय के साथ-साथ संपत्ति और देनदारियों में उतार-चढ़ाव कर सकते हैं। मार्क टू मार्केट का उद्देश्य मौजूदा बाजार स्थितियों के आधार पर किसी संस्थान या कंपनी की वर्तमान वित्तीय स्थिति का यथार्थवादी मूल्यांकन प्रदान करना है।
व्यापार और निवेश में, कुछ प्रतिभूतियों, जैसे कि वायदा और म्यूचुअल फंड, को भी इन निवेशों के वर्तमान बाजार मूल्य को दिखाने के लिए बाजार में चिह्नित किया जाता है।
'मार्क टू मार्केट' की परिभाषा [Definition of 'Mark to Market'] [In Hindi]
मार्क-टू-मार्केट एक खाते के उचित मूल्य को संदर्भित करता है जो संपत्ति और देनदारियों के आधार पर एक अवधि में भिन्न हो बाजार मूल्य क्या है? सकता है। मार्क-टू-मार्केट वित्तीय स्थिति का यथार्थवादी अनुमान प्रदान करता है। यह 1990 से संयुक्त राज्य अमेरिका में आम तौर पर स्वीकृत लेखांकन सिद्धांतों का एक हिस्सा रहा है और इसे कुछ क्षेत्रों में सोने के मानकों के रूप में माना जाता है।
मार्क-टू-मार्केट को एक लेखा उपकरण के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिसका उपयोग किसी परिसंपत्ति के मूल्य को उसके वर्तमान बाजार मूल्य के संबंध में रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। मार्क-टू-मार्केट सिद्धांत को बड़े पैमाने पर 20वीं सदी के दौरान अपनाया गया था।Market Capitalization क्या है?
मार्क टू मार्केट लॉस क्या हैं? [What are Mark to Market Losses? In Hindi]
मार्क-टू-मार्केट नुकसान एक सुरक्षा की वास्तविक बिक्री के बजाय एक लेखा प्रविष्टि के माध्यम से उत्पन्न कागजी नुकसान हैं। मार्क-टू-मार्केट नुकसान तब होता है जब धारित वित्तीय साधनों का वर्तमान बाजार मूल्य पर मूल्यांकन किया जाता है, जो उन्हें हासिल करने के लिए भुगतान की गई कीमत से कम है।
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