बुनियादी बातों और विदेशी मुद्रा व्यापार निर्णय - fundamentals and forex trading decisions
बुनियादी बातों और विदेशी मुद्रा व्यापार निर्णय - fundamentals and forex trading decisions
अर्थव्यवस्थाओं एक देश से रातोंरात लेकिन विभिन्न आर्थिक आंकड़ों और खबर को बदल नहीं रात भर भावनाओं को बदल सकते हैं। कभी कभी इस तरह के बदलाव का प्रभाव अस्थायी है, लेकिन दूसरी बार में हफ्तों या महीनों के लिए मुद्रा की कीमतों में प्रवृत्ति के परिवर्तन में उन परिणामों सकते हो सकता है। अत: जब तक हम लंबी अवधि के बुनियादी बातों पर एक नज़र रखने के लिए हम दिन आज व्यापार के लिए उन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। व्यापार निवेश और यहां तक कि एक मध्यम अवधि के व्यापार केवल कुछ ही दिनों या हफ्तों के एक जोड़े के लिए पिछले सकता है से अलग है।
क्या अल्पकालिक या मध्यम अवधि के दौरान कीमत आंदोलन को नियंत्रित दिन आज आर्थिक विज्ञप्ति और खबर है जो आर्थिक भावनाओं पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।
इसके अलावा आर्थिक आंकड़ों की आवधिक रिलीज से, एक खबर एक प्रमुख विलय या बड़े निगमों के अधिग्रहण या एक राजनीतिक राजनीतिक नेतृत्व जो आर्थिक नीतियों या यहां तक कि एक प्राकृतिक आपदा प्रभावित कर सकता है में कुछ बड़े परिवर्तन का संकेत खबर हो सकती है। हम आर्थिक घटनाओं और विज्ञप्ति और किसी भी अन्य तरह के समाचार आइटम का ट्रैक रखने के द्वारा मौलिक विश्लेषण का उपयोग करें। हम बाजार की धारणा को बदलने की विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत दिशा में हमारे व्यापार पदों ले।
प्रमुख आर्थिक विज्ञप्ति
हर राष्ट्र या आर्थिक क्षेत्र में विभिन्न आर्थिक आंकड़ों जो अर्थव्यवस्था की सेहत का संकेत के साथ बाहर आता है। कुछ आर्थिक संकेतकों के लिए महत्वपूर्ण हैं और उन में एक परिवर्तन कीमत कार्रवाई में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, जबकि कुछ अन्य विज्ञप्ति इतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। पहला कदम का विश्लेषण करने और विभिन्न आर्थिक संकेतकों के महत्व को समझते हैं और फिर समय समय पर जारी किए गए आंकड़ों पर नजर रखने के लिए है।
विभिन्न संकेतकों के महत्व को देश से देश के लिए बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए आवास और घर के निर्माण में गिरावट अमेरिकी डॉलर पर एक बड़ा प्रभाव हो सकता है,
लेकिन एक ही डेटा जापानी येन पर ही प्रभाव नहीं हो सकता है। वजह साफ है कि एक औसत जापानी व्यक्ति के लिए, अपने या अपने घर के मालिक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह अपने या अपने अमेरिकी समकक्ष के लिए हो सकता है के रूप में से एक नहीं है। हम पहले भी उल्लेख किया है, यहां तक कि अगर हम केवल तकनीकी विश्लेषण पर हमारे व्यापारिक फैसले का आधार है, यह हमेशा ध्यान में बुनियादी बातों में रखने के रूप में वे कई बार प्रमुख अस्थिरता पैदा कर सकता है बेहतर है। कभी कभी प्रवृत्ति में परिवर्तन लंबे समय से स्थायी हो सकता है और कभी-कभी वह सिर्फ अस्थायी लेकिन फिर भी उन समय में, वहाँ काफी अस्थिर मूल्य की कार्रवाई सिर्फ पहले और बाद में किसी भी महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े जारी की है हो सकता है।
Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास
देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।
करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार
साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
32.6 प्रतिशत की वृद्धि
इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।
भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार
दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।
रुपए को मिलती है मजबूती
रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।
आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी
जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।
FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।
विदेशी ऋण
सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।
भारत की लचीलापन
आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।
आरबीआई ने जारी की अलर्ट लिस्ट: इन 34 फॉरेक्स ट्रेडिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को अवैध घोषित किया
आरबीआई ने 34 विदेशी मुद्रा व्यापार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की लिस्ट जारी की है. लिस्ट जारी करते हुए आीबीआई ने कहा है कि कोई भी अनधिकृत ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन न करें
RBI issues alert list
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 सितंबर 2022,
- (Updated 11 सितंबर 2022, 2:22 PM IST)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ETPs) से विदेशी मुद्रा लेनदेन को लेकर चेतावनी दी है. आरबीआई ने उन संस्थाओं की एक 'अलर्ट लिस्ट' जारी की है. जो न तो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत विदेशी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधिकृत हैं और न ही अपनी वेबसाइट पर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म संचालित करने के लिए अधिकृत हैं.
एक विज्ञप्ति में, केंद्रीय बैंक ने कहा कि जारी की गई 'अलर्ट सूची' में ऐसी कंपनियों के नाम है जो आरबीआई द्वारा अधिकृत नहीं हैं. आरबीआई ने बताया कि फेमा के तहत केवल अधिकृत व्यक्तियों के साथ और कुछ उद्देश्यों के लिए ही विदेशी मुद्रा लेनदेन कर सकते हैं. सभी कंपनियों को केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड की तरफ से विदेशी मुद्रा में सौदा अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए.
आरबीआई ने कहा कि जनता को एक बार फिर आगाह किया जाता है कि वे अनधिकृत ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन न करें या इस तरह के अनधिकृत लेनदेन के लिए धन जमा / जमा न करें. आरबीआई की तरफ से प्रतिबंधित 34 विदेशी मुद्रा व्यापार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की पूरी लिस्ट यहां दी गई है.
फेमा के तहत अनुमत उद्देश्यों के अलावा या आरबीआई की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार: आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, मौजूदा स्थिति पार पाने में सक्षम। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 545.65 अरब डॉलर पर आ गया है। मार्च 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को लेकर चिंता को खारिज करते हुए कहा कि इसे जरूरत से अधिक तूल दिया जा रहा है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से पार पाने के लिए देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है।
लगातार सातवें सप्ताह घटा
विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह घटा है और यह 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि मार्च, 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था। सेठ ने कहा, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी और व्यापार घाटा बढ़ना है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई चिंता वाली बात है। भारत के पास मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार है।
डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 81.67 के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रखने के लक्ष्य पर कायम है और इसे हासिल किया जाएगा। सरकार ने बजट में 2022-23 में 14.31 लाख करोड़ रुपये की बाजार उधारी का लक्ष्य रखा है। इसमें से 8.45 लाख करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर में जुटाने का लक्ष्य है।
क्यों घट रहा मुद्रा भंडार
मुद्रा भंडार में कमी का एक प्रमुख कारण वैश्विक गतिविधियों की वजह से रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से किया गया डॉलर का उपयोग है। इसके अलावा व्यापार घाटा में वृद्धि भी है। निर्यात और आयात के अंतर को व्यापार घाटा कहा जाता है।
अन्य मुद्राओं से कम टूटा रुपया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा था कि वृहद आर्थिक बुनियाद मजबूत होने से रुपये की स्थिति बेहतर है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की मुद्राओं में जिस दर से गिरावट आई है, वह भारतीय रुपये की तुलना में कहीं अधिक है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश पाउंड डॉलर के मुकाबले टूटकर 40 साल के निचले स्तर पर चला गया है।
ऊंचे मुद्रा भंडार का क्या है फायदा
आयात के लिए खर्च और विदेशी कर्ज और उसका ब्याज चुकाने लिए सामान्यत: डॉलर की जरूरत होती है। इसके लिए किसी भी देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार जरूरी होता है। भारत कच्चे तेल का 80 फीसदी और खाद्य तेल का 60 फीदी आयात करता है। साथ ही जरूरी दवाओं और मशीनरी का भी आयात करता है। भारत का आयात खर्च प्रति माह करीब 40 अरब डॉलर है। जबकि विदेशी मुद्रा भंडार 545 अरब डॉलर है। ऐसे में भारत के पास करीब 14 माह के आयात खर्च के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है।
ईडी ने विदेशी मुद्रा कारोबार कंपनी की 21.14 करोड़ रुपये जमा को किया जब्त
नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने एक ‘गैरकानूनी’ ऑनलाइन विदेशी मुद्रा कारोबार कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयों के 21.14 करोड़ रुपये मूल्य की बैंक जमाओं को जब्त कर लिया है। विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंध अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत इन इकाइयों के खिलाफ तलाशी अभियान चलाए जाने के बाद ईडी ने यह कदम उठाया है। इस कंपनी की पहचान ऑक्टाएफएक्स की भारतीय शाखा के तौर पर की गई है। यह कंपनी ऑक्टाएफएक्स ट्रेडिंग नाम से एक ऐप के अलावा एक वेबसाइट का संचालन भी करती है। इससे जुड़ी इकाइयों पर क्रिप्टो मुद्राओं
विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंध अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत इन इकाइयों के खिलाफ तलाशी अभियान चलाए जाने के बाद ईडी ने यह कदम उठाया है। इस कंपनी की पहचान ऑक्टाएफएक्स की भारतीय शाखा के तौर पर की गई है।
यह कंपनी ऑक्टाएफएक्स ट्रेडिंग नाम से एक ऐप के अलावा एक वेबसाइट का संचालन भी करती है। इससे जुड़ी इकाइयों पर क्रिप्टो मुद्राओं में कारोबार करने का भी आरोप है।
ईडी ने एक बयान में कहा कि कंपनी के खिलाफ शुरू की गई जांच में सामने आया कि यह ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप और वेबसाइट भारत स्थित फर्म ऑक्टाएफएक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर भारत में परिचालन कर रही थी।
जांच एजेंसी ने कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा कारोबार के इस मंच का सोशल नेटवर्किंग मंचों पर काफी प्रोत्साहन किया जा रहा है। अपने मंचों पर उपयोगकर्ताओं को लाने के लिए प्रोत्साहन मॉडल भी चलाए जाते हैं। उपयोगकर्ताओं से इकट्ठा की जाने वाली राशि को डमी इकाइयों के जरिये भेज दिया जाता है।’’
ईडी ने कहा कि विभिन्न डमी इकाइयों के बैंक खातों में जमा की गई राशि को बाद में सीमापार भेजे जाने के मामले भी देखे गए हैं। इसके साथ ही एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार ब्रोकरों एवं उनके भारतीय साझेदारों के बीच 'साठगांठ' का भी पता लगाया है।
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