Active Mutual Funds या फिर Passive Mutual Funds हमें किस में निवेश करना चाहिए ?
Active vs Passive Investing: एक्टिव या पैसिव- म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए कौन अधिक बेहतर? समझकर करेंगे निवेश तो बढ़ जाएगा रिटर्न
पैसिव फंड में रिस्क कम है और यह एक्टिव फंड के मुकाबले सस्ता है. एक्टिव फंड में रिस्क अधिक है लेकिन बेंचमार्क के मुकाबले अधिक रिटर्न हासिल हो सकता है. (Image- Pixabay)
Active vs Passive Investing: सीधे इक्विटी मार्केट में निवेश की बजाय कुछ निवेशक म्यूचुअल फंडों में निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव पर नजर नहीं रखना होता है बल्कि इसे फंड मैनेजर एक्टिव या पैसिव तरीके से मैनेज करता है. पोर्टफोलियो मैनेज करने का मतलब है कि इक्विटी, डेट, गोल्ड इत्यादि जैसे अंडरलाइंग एसेट को कब बेचना है या खरीदना है, इसका फैसला फंड मैनेजर करता है.
ऐसे समझें दोनों के बीच का फर्क
एक्टिव व पैसिव तरीके से फंड मैनेजमेंट का जो फर्क है, वह ऊपर दिया गया है लेकिन इसे एक उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं. इक्विटी पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स म्यूचुअल फंड्स, डेट म्यूचुअल फंड्स, हाइब्रिड फंड्य या फंड ऑफ फंड्स जैसे एक्विव रूप से मैनेज होने वाले फंड हैं. जैसे कि इक्विटी फंड में यह मैनेजर तय करेगा कि कौन से स्टॉक को कब पोर्टफोलियो में शामिल करना है और कब निकालना है. इसके अलावा उसके अनुभव व जानकारी के आधार पर शेयरों की संख्या तय होगी.
इसके विपरीत पैसिव फंड की बात करें तो इसे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) के उदाहरण से समझ सकते हैं. ईटीएफ में फंड इंडेक्स के मूवमेंट के आधार पर घटता-बढ़ता है और इंडेक्स में किसी भी जोड़-घटाव का अधिकार फंड मैनेजर के पास नहीं होता पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स है. इसमें फंड मैनेजर की भूमिका सिर्फ इतनी होती है कि वह फंड के प्रदर्शन को बेंचमार्क के प्रदर्शन के बराबर बनाए रखे.
एक्टिव फंड अधिक महंगा लेकिन रिटर्न भी अधिक
एक्टिव तरीके से मैनेज होने वाले फंड का एक्पेंस रेशियो अधिक होता है और यह 2 फीसदी से भी अधिक हो सकता है जबकि पैसिव तरीके से मैनेज होने वाले फंड में अधिकतम 1 फीसदी का एक्सपेंस रेशियो हो सकता है. इसके अलावा रिटर्न की बात करें तो एक्टिव तरीके से मैनेज होने वाले फंड में बेंचमार्क से अधिक रिटर्न मिल सकता है जबकि पैसिव तरीके से मैनेज होने वाले फंड में बेंचमार्क के बराबर या उससे कम रिटर्न मिल सकता है.
एक्टिव या पैसिव, दोनों तरीके के ही फंड में निवेश की अपनी-अपनी खूबियां हैं. ऐसे में किसी को अच्छा या कमतर कहना बहुत मुश्किल है. हालांकि इसका फैसला निवेशक अपनी प्रोफाइल के मुताबिक ले सकते हैं. जैसे कि अगर निवेशक अधिक रिस्क उठा सकते हैं तो वे एक्टिव रूप से मैनेज होने वाले फंड चुन सकते हैं. हालांकि अगर निवेशक चाहता है कि फंड मैनेजर उसकी पूंजी को लेकर अधिक फैसले न करे तो वह पैसिव तरीके से मैनेज होने वाले फंड में निवेश का विकल्प चुन सकता है. पैसिव फंड में रिस्क भी कम पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स है और यह एक्टिव फंड के मुकाबले सस्ता है. एक्टिव फंड में रिस्क अधिक है लेकिन बेंचमार्क के मुकाबले अधिक रिटर्न हासिल हो सकता है.
(डिस्क्लेमर: यह स्टोरी महज जानकारी के लिए है. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है. ऐसे में निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर संपर्क कर लें.)
Active vs Passive Fund : कम लागत में लेना चाहते हैं ज्यादा मुनाफा, तो इस फंड में करें निवेश
Investment Tips : अगर आप शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करते हैं और इन डायरेक्ट रूप से निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इसका सबसे अच्छा तरीका है. इसमें आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रहता है जिसके कारण रिस्क भी कम रहता है. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो रिटर्न मल्टी फोल्ड होगा. म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला एक्टिव फंड और दूसरा पैसिव म्यूचुअल फंड. दोनों फंड में क्या अंतर है और निवेशकों को क्या करना चाहिए. इसके बारे में यहां पर आपको पूरी जानकारी दे जा रही है.
Mutual Fund Tips: एक्टिव या पैसिव फंड में करें निवेश? जानिए कहां मिलेगा कम लागत पर ज्यादा मुनाफा
Active vs Passive Funds: पिछले कुछ महीनों में निवेशकों इंट्रेस्ट पैसिव म्यूचुअल फंड की तरफ बढ़ा है. इसमें रिस्क कम होता है और मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है. लंबी अवधि में यह मोटा रिटर्न देता है.
Investment tips: अगर आप शेयर बाजार में इन डायरेक्ट रूप से निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड इसका सबसे सही तरीका है. इसमें आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रहता है जिसके कारण रिस्क भी कम रहता है. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेशित रहते हैं तो रिटर्न मल्टी फोल्ड होगा. म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला एक्टिव फंड और दूसरा पैसिव म्यूचुअल फंड. दोनों फंड में क्या अंतर है और निवेशकों को क्या करना चाहिए इसके बारे में जानते हैं Edelweiss एएमसी की सीईओ राधिका गुप्ता और वाइज इन्वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हेमंत रुस्तगी से.
पैसिव फंड बाजार को ट्रैक करता है
एक्सपर्ट ने कहा कि एक्टिल म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर मैनेज करते हैं. किस सेक्टर के किस स्टॉक में पैसा लगाना है यह फंड मैनेजर के हाथ में होता है. दूसरी तरफ, पैसिव फंड बाजार को ट्रैक करता है. यह निफ्टी 50 या सेंसेक्स जैसे इंडेक्स को ट्रैक करता है. ऐसे में जब बाजार में तेजी आती है तो पैसिव फंड का NAV यानी नेट असेट वैल्यु बढ़ जाती है.
पैसिव फंड की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि इसका फंड मैनेजर पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स नहीं होता है ऐसे में कॉस्ट बहुत कम होता है. लंबी अवधि में पैसिव फंड मोटा रिटर्न देते हैं. इस फंड की मदद से लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएट पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स किया जा सकता है. इस फंड का डायवर्सिफिकेशन बहुत ज्यादा होता है जिसके कारण रिस्क मिनिमम होता है.
पैसिव फंड के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है
एक्सपर्ट्स ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसिव फंड की तरफ बढ़ी है. AMFI के हाल ही में आए आंकड़ों में इसके संकेत मिलते हैं. पैसिव फंड में मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होती है, इसलिए मैनेजमेंट फीस कम होने के चलते कम लागत होती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि एक्टिव फंड का टार्गेट मार्केट इंडेक्स से बेहतर रिटर्न प्राप्त करना होता है. वहीं, पैसिव फंड में निवेशक मार्केट इंडेक्स के हिसाब से रिटर्न की उम्मीद करते हैं. यही वजह है कि पैसिव फंड में एक्टिव म्यूचुअल फंड की तुलना में रिसर्च खर्च अधिक होता है, हालांकि, एक्टिव की तुलना में कम लागत होती है. एक्टिव फंड में पैसिव की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है.
Active Mutual Funds (पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स in Hindi) vs Passive Mutual Funds :
1) रिटर्न :
Passive Mutual Funds में मिलने वाला रिटर्न उस फंड के सूचक अंक के रिटर्न जितना या उस से कम ही होता है।
जबकी Active Mutual Funds में मिलने वाला रिटर्न ज्यादातर उस फंड के सूचक अंक के रिटर्न से ज़्यादा ही होता है। क्यूकी उसी के लिए तो Active Mutual Funds मे research team होती है जो अच्छे से अच्छा रिटर्न कहाँ मिल सकता है उसकी तलास मे रहती है।
2) Expense Ratio :
Passive Mutual Funds में Expense ratio बहुत ही कम होता है। क्यूकी उसमे Fund Manager को बहुत ज्यादा महेनत नहीं करनी होती और research team का भी कुछ काम नहीं होता। जिस से उनका शुल्क कम हो जाता है।
हमें कौनसे फंड में निवेश करना चाहिए ?
आप कौनसे फंड में निवेश करेंगे वो तो आपके बाजार के प्रति लक्ष्य पर निर्भर करता है।
दोनों तरह के फंड्स के अपने अपने लाभ और नुकसान है।
यदि आप Active Mutual Funds में निवेश करेंगे तो आपको ज़्यादा रिटर्न मिलने की संभावना है।
लेकिन उन फंड्स में आपको फीस भी ज़्यादा देनी पड़ती है।
और अगर Passive Mutual Funds में निवेश करेंगे तो आपको कम रिटर्न मिलेगा लेकिन वह पर आपको फ़ीस भी बहुत कम देनी पड़ेगी।
इस लिए आप जीस भी फंड में निवेश करे तब यह सब कुछ ध्यान में रख कर ही करे।
एक्टिव या पैसिव म्यूचुअल फंडों में से किसमें निवेश करना ज्यादा फायदेमंद?
एक फंड ने क्या होल्ड किया है या वह कहां निवेश करता है, यह पहलू सेलेक्शन से जुड़ा है. टाइमिंग और सेलेक्शन दोनों तय करते हैं कि कोई एक्टिव फंड अपने बेंचमार्क से कितना अधिक रिटर्न जेनरेट करता है. म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम बेंचमार्क से जितना अधिक रिटर्न जेनरेट करती है, उसे 'अल्फा' पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स कहते हैं. बेंचमार्क अमूमन मार्केट इंडेक्स होते हैं. इनमें निफ्टी, सेंसेक्स, जूनियर निफ्टी, सीएनएक्स मिडकैप पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स इत्यादि शामिल हैं.
फंड मैनेजर स्कीम के पोर्टफोलियो में अपनी समझ के अनुसार बदलाव करते रहते हैं. वे कमजोर प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों में निवेश घटा सकते हैं. ऐसे पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स शेयरों में निवेश बढ़ा सकते हैं, जिनके अच्छा करने की उम्मीद है. पोर्टफोलियो से उन शेयरों को विदा कर सकते हैं जिनसे कुछ खास अपेक्षा नहीं है. वे अपने इंडेक्स के अनुरूप शेयरों को होल्ड नहीं करते हैं. न इंडेक्स के अनुपात में इनमें निवेश किया जाता है. इसके बजाय वे सक्रिय रूप से अपने पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं.
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