क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं
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बांड में निवेश से पहले समझिए प्रॉफिट पर चुकाना पड़ता है कितना भारी-भरकम टैक्स
जब आप कही कही निवेश करते हैं तो आपको उसको बारे में अच्छे से पता होना चाहिए। सभी पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट के बीच डायवर्सिफाई किया जाना चाहिए ताकि समग्र जोखिम नियंत्रित हो सके। भारत में ऋण साधनों.
जब आप कही कही निवेश करते हैं तो आपको उसको बारे में अच्छे से पता होना चाहिए। सभी पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट के बीच डायवर्सिफाई किया जाना चाहिए ताकि समग्र जोखिम नियंत्रित हो सके। भारत में ऋण साधनों में, विभिन्न प्रकार के बांड उपलब्ध हैं, जिनमें विभिन्न विशेषताएं हैं-अवधि, कर लाभ, कूपन दरें और लॉक-इन। कुछ प्रकार के बांड कराधान लाभ प्रदान करते हैं, और कुछ में सावधि जमा दरों की तुलना में कूपन दरें अधिक होती हैं। फिर भी लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करने से बचने के लिए दूसरों को चुना जा सकता है। निवेश करने से पहले लागू कराधान पर एक नज़र डालें।
54 EC बांड्स (अनलिस्टेड)
टैक्स ऑन इंटरेस्ट- स्लैब रेट के हिसाब से
बांड कौन जारी करता है- नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्प, पावर फाइनेंस कॉर्प
लिस्टेड बांड्स
लॉन्ग टर्म- एक साल से ज्यादा
टैक्स ऑन इंटरेस्ट- स्लैब रेट के हिसाब से
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- स्लैब रेट के हिसाब से
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- 10.4%
सेक्शन 10(15) टैक्स-फ्री बांड्स
(लिस्टेड) परिपक्वता से पहले ट्रांसफर
लॉन्ग टर्म- एक साल से ज्यादा
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- स्लैब रेट के हिसाब से
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- 10.4%
सेक्शन 10(15) टैक्स-फ्री बांड्स
(लिस्टेड) परिपक्वता से पहले ट्रांसफर
लॉन्ग टर्म- तीन साल से ज्यादा
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं स्लैब रेट के हिसाब से
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स- 20.8%
Debt Mutual Fund क्या है और इसमें निवेश करने पर क्या होते हैं फायदे, जानिए यहां
Mutual Fund Update: बाजार में मौजूद निवेश के विकल्पों में से एक म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश करके पैसे को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि मौजूदा समय में निवेशकों के लिए मार्केट में कई तरह के म्यूचुअल फंड (MF) मौजूद हैं. उन्हीं में से एक हैं डेट फंड (Debt Mutual Fund). डेट फंड में निवेश करके आपका पैसा सुरक्षित तो रहता ही है साथ ही रिटर्न भी अच्छा खासा मिलता है. डेट फंड की क्या खासियत है और इसमें निवेश करके निवेशकों को क्या फायदा मिलता है. इन सभी बातों पर आज हम इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं.
डेट फंड- Debt Fund
Debt Fund की रकम को मुख्य रूप से बॉन्ड्स (Bonds) और कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (Corporate Fixed Deposit) में निवेश किया जाता है. किसी Debt Mutual Fund के साथ यह अनिवार्य शर्त है कि उसका कम से कम 65 फीसदी रकम बॉन्ड या बैंक डिपॉजिट में निवेश क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं किया जाए. डेट म्यूचुअल फंड के तहत Government Bonds, Company Bonds, Corporate Fixed Deposits और Bank Deposits में निवेश किया जाता है. इसके अलावा बचे हुए पैसे को Equity यानि शेयर्स में निवेश किया जाता है.
अन्य म्यूचुअल फंड के मुकाबले डेट फंड सुरक्षित
डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है. इसलिए इनमें नुकसान का खतरा कम रहता है. हालांकि इस तरह के फंड में निवेश से आप ज्यादा से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद भी नहीं करें. एक्सपर्ट्स का कहना है कि Bank Fixed Deposits के मुकाबले debt funds में अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है.
3 साल बाद निकालने पर LTCG
डेट फंड को 3 साल बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर बिना इंडेक्सेशन (Indexation) के 10 फीसदी होगी और Indexation के साथ 20 फीसदी. इंडेक्सेशन निवेश के मुनाफे पर टैक्स देनदारी को कम करने का जरिया है. इस तरीके में निवेश पर लगी रकम को महंगाई के अनुपात में बढ़ा लिया जाता है. निवेश की रकम ज्यादा दिखाने क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं से मुनाफा कम आता है और फिर टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है.
3 साल पहले निकालने पर STCG
3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने पर हुई आमदनी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ेगा. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी.
(Disclaimer: निवेशक क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूजनेशनटीवीडॉटकॉम की खबर को आधार मानकर निवेश करने पर हुए लाभ-हानि का newsnationtv.com से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)
कैपिटल गेन टैक्स क्या है? कितने है इसके प्रकार और कितना लगता है टैक्स? जानिए सबकुछ
किसी भी चल या अचल संपत्ति पर मिलने वाले प्रॉफिट पर लगने वाले क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं टैक्स को लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है.
- Vijay Parmar
- Publish Date - October 29, 2021 / 11:क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं 33 AM IST
What is Capital Gain Tax: सरकार आय प्राप्त करने के लिए निवेशकों पर तमाम तरह के टैक्स लगाती हैं. ऐसा ही एक टैक्स है कैपिटल गेन टैक्स. ये टैक्स पहले घर, संपत्ति, जेवर, कार, बैंक एफडी, एनपीएस और बॉन्ड आदि की बिक्री से हासिल हुए मुनाफे पर लागू होता था. फिर, 2018 से यह पहली बार स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया है. अलग-अलग सेगमेंट के हिसाब से कैपिटल गेन कैलकुलेशन अलग-अलग होता है. आइए इसे समझते हैं.
क्या है कैपिटल गेन टैक्स?
Capital Gain यानी, पूंजी लाभ. ये पूंजी आपका घर, संपत्ति, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड आदि कुछ भी हो सकता है. ऐसी किसी भी चीज को खरीदने के बाद बेचने से जो लाभ होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं. इसे सरकार आपकी आय का हिस्सा मानती है और इस पर टैक्स लेती है. किसी पूंजी यानी संपत्ति को बेचने पर होने वाले लाभ में जो टैक्स लगता है उसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं.
कैपिटल गेन के प्रकार
कैपिटल गेन टैक्स अलग-अलग तरह की पूंजी पर अलग-अलग तरीके से लगता है. इसे दो कैटेगरी (लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म) में बांटा गया है. किसी पूंजी के लिए लॉन्ग-टर्म की अवधि 3 साल है तो किसी के लिए 2 साल तो किसी के लिए 1 साल भी है.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स
– अगर कोई प्रॉपर्टी आप 3 साल से कम अवधि तक अपने पास रखकर बेच डालते हैं तो उससे होने वाला प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला टैक्स शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स कहा जाता है. वित्त वर्ष 2017-18 से अचल संपत्तियों के 2 साल के भीतर हुए सौदों को शॉर्ट-टर्म की सीमा में कर दिया गया है.
– शेयर के मामले में 1 साल के भीतर बेचने पर उससे होने वाला फायदा STCG माना जाएगा.
STCG टैक्स की दर
– STCG टैक्स कि गिनती करने के लिए इसे अन्य आमदनियों की तरह आपकी कुल आमदनी में जोड़ दिया जाता है. फिर कुल आमदनी में से जितनी आपकी टैक्सेबल इनकम होती है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स भरना पड़ता है.
– कंपनी के इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड के यूनिट के मामले में, उन्हें 1 साल के भीतर बेचने पर होने वाले STCG पर 15% फिक्स टैक्स लागू होता है. चाहे आप जीरो टैक्स में आते हों या फिर 30 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आते हैं, आपको शेयर या म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स
– अगर कोई प्रॉपर्टी कम से कम 3 साल तक अपने पास रखकर बेचते हैं तो उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स कहा जाता है. अचल संपत्तियों (जमीन, बिल्डिंग, घर आदि) के मामले में LTCG की अवधि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2 साल कर दी है. जबकि चल संपत्तियों (ज्वैलरी, बॉन्ड, डेट म्यूचुअल फंड) के मामले में यह 3 साल ही है.
– इक्विटी शेयर्स के मामले में सिर्फ एक साल की अवधि को ही लॉन्ग-टर्म में रखा गया है.
LTCG टैक्स की दर
सामान्यतया लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. कुछ विशेष मामलों में यह 10 प्रतिशत भी हो सकता है. जिन मामलों में हम कैपिटल गेन निकालने के लिए इंडेक्सेशन का प्रयोग करते हैं, उन में 20 प्रतिशत टैक्स लागू होता है.
इस टैक्स से बचने के तरीके
कैपिटल गेन टैक्स से बचने के लिए आप इंडेक्सेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. नई प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं. कैपिटल गेन अकाउंट खुलवा सकते हैं, कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. टैक्स-लोस हार्वेस्टिंग रणनीति से नुकसान समायोजन भी कर सकते हैं.
Sovereign Gold Bond : आज से फिर मिल रहा क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं है सस्ते सोने में निवेश का मौका, इस कीमत पर खरीदें गोल्ड बॉन्ड
Gold Bond Price : सरकारी Sovereign Gold Bond Scheme 2021-22 की पांचवीं किस्त आज से यानी सोमवार, 9 अगस्त से खुल गई है. यह स्कीम 9 से 13 अगस्त तक खुली रहेगी, जिसमें आपको सोने की एक सस्ती कीमत पर गोल्ड बॉन्ड खरीदने का मौका मिलेगा.
Gold Bond Scheme Opens Today : गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पांचवीं किस्त आज से खुली. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Gold Bond Scheme : अगर आप सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं तो एक बार रुक जाइए. आपको गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने का मौका मिल रहा है, जो गोल्ड में निवेश का काफी प्रचलित और भरोसेमंद माध्यम है. सरकारी Sovereign Gold Bond Scheme 2021-22 की पांचवीं किस्त आज से यानी सोमवार, 9 अगस्त से खुल गई है. यह स्कीम 9 से 13 अगस्त तक खुली रहेगी, जिसमें आपको सोने की एक सस्ती कीमत पर गोल्ड बॉन्ड खरीदने का मौका मिलेगा. बता दें कि इस स्कीम की छठी और आखिरी किस्त 30 अगस्त से 3 सितंबर तक के लिए खुलेगी. यानी कि इच्छुक निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने के लिए पांचवीं और छठी स्कीम का मौका है.
क्या है इशू प्राइस
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसपर अपनी प्रेस रिलीज में बताया कि बॉन्ड के सब्सक्रिप्शन के लिए इशू प्राइस India Bullion and Jewellers Association Limited के पिछले तीन कारोबारी सत्रों में सोने की क्लोजिंग प्राइस के हिसाब से रहेगा. इस बार बॉन्ड की कीमत 4,790 रुपये प्रति ग्राम रखी गई है.
इन्हें मिलेगा डिस्काउंट
गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पांचवीं किस्त में 4,790 रुपये प्रति ग्राम रखा गया है, लेकिन इसपर डिस्काउंट भी है. यानी कि अगर आपने 10 ग्राम सोना खरीदा तो आप 47,900 रुपये में खरीद पाएंगे. लेकिन अगर आपने डिजिटल पेमेंट किया तो आपको 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलेगी. आरबीआई ने बताया है कि भारत सरकार के परामर्श से वो ऑनलाइन आवेदन और डिजिटल तरीके से भुगतान करने वाले निवशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देगा.
आरबीआई के अनुसार, ‘ऐसे निवेशकों के लिये निर्गम मूल्य 4,757 रुपये प्रति ग्राम सोना होगा.' यानी कि ऐसे निवेशक अगर 10 ग्राम सोना खरीदते हैं, तो उन्हें 500 रुपये की छूट मिलेगी और वो सोना 47,400 रुपये के रेट पर खरीद पाएंगे.
कितना मिलेगा ब्याज
गोल्ड बॉन्ड में कई फायदे होते हैं. पहला कि बाजार के मुकाबले सस्ता सोना मिलता है. दूसरा सोने के दाम बाजार में बढ़ते हैं तो उसके निवेश की कीमत भी बढ़ जाती है और सबसे बड़ी बात निवेश पर हर 6 महीने में ब्याज मिलता है. गोल्ड बॉन्ड स्कीम पर क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं निवेशकों को सालाना 2.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है.
कौन खरीद सकता है
इस स्कीम के तहत गोल्ड बॉन्ड कोई ट्रस्ट, हिंदू अविभाजित परिवार, चैरिटी संस्था, यूनिवर्सिटी और भारत में रह रहा कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत तौर पर अपने नाम पर या किसी नाबालिग के नाम पर या फिर जॉइंट तरीके से ये बॉन्ड खरीद सकता है.
कितना खरीद सकते हैं
व्यक्तिगत तौर पर निवेशक सालाना तौर पर न्यूनतम 1 ग्राम और अधिकतम 4 किलोग्राम का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं. हिंदू अविभाजित परिवार 4 किलोग्राम, ट्रस्ट और इस तरह क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं की दूसरी सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थाएं 4 किलोग्राम सोने के बॉन्ड में निवेश कर सकती हैं. अगर जॉइंट होल्डिंग हुआ तो ये लिमिट बस पहले दो निवेशकों पर लागू होगी.
कहां से खरीद सकेंगे
बॉन्ड, बैंकों (छोटे वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), मनोनीत डाकघरों और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बीएसई जैसे मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों के माध्यम से बेचे जाएंगे.
गोल्ड बॉन्ड स्टॉक सर्टिफिकेट के रूप में दिए जाएंगे और निवेशक इन्हें डीमैट फॉर्म में कन्वर्ट कराने को स्वतंत्र रहेंगे.
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