प्रमुख कौशल: समस्याएं-सुलझाना, विश्लेषणात्मक क्षमता, रिसर्च, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और डिजाइन, डेटा विश्लेषण और साथ में अच्छा संवाद कौशल भी चाहिए.

तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत

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भविष्य की सूरत

इलस्ट्रेशनः सिद्धांत जुमडे

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2019,
  • (अपडेटेड 14 अगस्त 2019, 7:49 PM IST)

टेक्नोलॉजी के कारण कम-कौशल वाली कई नौकरियां खत्म हो रही हैं. लेकिन उससे नए दौर की भूमिकाओं के रूप में कई नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं. कई शोध बताते हैं कि इस समय स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे जिन नौकरियों में जाएंगे, उनमें से 65 फीसदी नौकरियों का अस्तित्व ही भविष्य में नहीं रहेगा.

चीजों के वर्चुअल स्वरूप लेने के कारण हो रहे तकनीकी बदलावों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स के चलते हर व्यक्ति को उद्योग की बदलती जरूरतों के अनुरूप अपने कौशल में भी बदलाव करना होगा. ट्रैवल और टूरिज्म, आइटी, ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, रिटेल, फाइनेंशियल और शैक्षणिक सेवाएं, मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग वगैरह वे क्षेत्र हैं जिनमें नौकरियां मिलने का सकारात्मक ट्रेंड जारी रहेगा. 2019-20 में कुछ उभरती नौकरियों पर एक नजर:

तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत

THSTI में डेटा प्रबंधन केंद्र (DMC) इन-हाउस इंट्राम्यूरल और एक्स्ट्राम्यूरल फंडेड, क्लिनिकल रिसर्च प्रोजेक्ट्स को अत्याधुनिक डेटा प्रबंधन सहायता प्रदान करता है।


डीएमसी . के बारे में
दल:
एक कोर टीम में एक डेटा साइंटिस्ट, एक प्रोग्रामर, एक डेटा मैनेजर और दो डेटा एंट्री ऑपरेटर होते हैं। डीएमसी के पास डेटा कैप्चर प्लान से लेकर सटीक, विश्लेषण-तैयार डेटा की सुसंगत और समयबद्ध डिलीवरी तक, अध्ययन के पूरे चक्र के माध्यम से बड़े समूहों और बहुकेंद्रीय नैदानिक ​​परीक्षणों सहित अध्ययनों का समर्थन करने की क्षमता और अनुभव है।
DMC के पास दक्षता है और यह पेपर-आधारित और eCRF डेटा कैप्चर समर्थन दोनों प्रदान करता है। दोनों प्रकार के डेटा कैप्चर के लिए इन-हाउस विकसित क्लिनिकल डेटा मैनेजमेंट सिस्टम (सीडीएमएस) मजबूत, मान्य हैं और ऑडिट ट्रेल के साथ विश्वसनीय डेटा गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं। टीएचएसटीआई में सीडीएमएस एक सुरक्षित और मान्य आईटी वातावरण में स्थापित है और डीएमसी प्लेटफॉर्म पर अनुकूलित डेटा प्रबंधन सेवाएं प्रदान तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत करता है, जिसमें डेटा प्रबंधन योजना का विकास शामिल है; केस रिपोर्ट फॉर्म (सीआरएफ) डिजाइनिंग; एनोटेट सीआरएफ, डेटा सत्यापन योजना जैसे अध्ययन से संबंधित तकनीकी दस्तावेज तैयार करना; इलेक्ट्रॉनिक डेटा कैप्चर सिस्टम के विकास के माध्यम से डेटाबेस विकास; गुणवत्ता पालन और अनुकूलित सीआरएफ भरने के दिशानिर्देशों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं का तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत विकास करना; SAE (गंभीर प्रतिकूल घटना) डेटा सामंजस्य; तीसरे पक्ष के लिए डेटा आयात सेट-अप (केंद्रीय प्रयोगशाला, चित्र, आदि); अनुकूलित रिपोर्ट; डेटा साझा करने की प्रक्रिया, विश्लेषण से पहले डेटाबेस लॉक और डेटा संग्रह।
डेटा प्रबंधन केंद्र ने बारकोड का उपयोग करके एक तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत आंतरिक प्रयोगशाला प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) विकसित की है। यह संग्रह से लेकर बायोरिपॉजिटरी में विश्लेषण या संग्रहीत किए जाने तक एक बायोस्पेसिमेन की यात्रा को ट्रैक करने में मदद करता है।

शिक्षा विचार

नमस्कार साथियों! शिक्षा विचार में आप सभी का स्वागत हैl दोस्तों आज की इस लेख में हम शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप अथवाVarious forms of educational technology की Study करेंगे। जिसके अंतर्गत हम तीन techniques का प्रयोग करेंगे।

  • शैक्षिक तकनीकी प्रथम अथवा हार्डवेयर उपागम (Educational technology-I or software approach)
  • शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अथवा सॉफ्टवेयर उपागम (Educational technology-II or software approach)
  • शैक्षिक तकनीकी तृतीय अथवा प्रणाली विश्लेषण (Educational technology-III or system approach)

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  • अभियंत्रण की मशीन के प्रयोग तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत को शैक्षिक तकनीकी प्रथम कहते हैं | स्मरण रहे कि तकनीकी प्रथम का जन्म भौतिक विज्ञान से हुआ है| डेविस के अनुसार शैक्षिक तकनीकी -प्रथम अथवा उपागम शिक्षा और शिक्षा प्रणाली में भौतिक विज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण प्रक्रिया का धीरे-धीरे मशीनीकरण किया जा रहा है, ताकि कम से कम समय में थोड़े से थोड़ा धन खर्च करके अधिक से अधिक विद्यार्थी को तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत शिक्षित किया जा सके
  • अर्थात शैक्षिक तकनीकी के अंतर्गत चलचित्र, ग्रामोफोन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, बंद- सर्किट टेलिविजन आदि सभी शिक्षण की मशीनें आती हैं| इनके प्रयोग से शिक्षण को अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण बनाकर शिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है |
  • 1.संचय (Preservation)

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  • ज्ञान के संचय का इतिहास छापने की मशीनों के आरंभ होने के समय से माना जाता है| इन मशीनों के द्वारा ज्ञान को पुस्तकों के रूप में संचित किया जाता है, जो पुस्तकालय में रखी जाती है| आजकल ज्ञान को पुस्तकों के अतिरिक्त टेप-रिकॉर्डर तथा फिल्म आदि द्वारा भी संचित किया जा सकता है|
  • मानवीय ज्ञान का दूसरा पक्ष उसका प्रसार अथवा हस्तांतरण करना हैl वैसे शिक्षक अपने विद्यार्थियों को स्वयं भी ज्ञान प्रदान कर सकता है| आजकल के ज्ञान के प्रसार में माइक, रेडियो तथा टेलीविजन आदि मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है, जिससे असंख्य विद्यार्थी घर बैठे ही लाभ उठाते रहते हैं| इस प्रकार की ‘शैक्षिक तकनीकी प्रथम’ के कारण अब शिक्षा की प्रक्रिया में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो गया है तथा विश्वविद्यालय भी ‘शैक्षिक तकनीकी- प्रथम’ की ही देन है|

ऊष्मागतिकी के तकनीकी शब्द

एक प्रक्रम में निकाय द्वारा 701 J ऊष्मा अवशोषित होती है एवं 394 J कार्य किया जाता है। इस प्रक्रम में आंतरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?

60.0 g ऐलुमिनियम का ताप 35°C से 55°C करने के लिए कितने किलो जूल ऊष्मा की आवश्यकता होगी? Al की मोलर ऊष्माधारिता 24 J mol -1 K -1 है।

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